मेरा गुप्त जीवन -74

(Mera Gupt Jeewan-74 Urmi Ki Chut Chudas)

यश देव 2015-10-08 Comments

This story is part of a series:

उर्मि की चूत चुदास

कुछ दिन बाद उर्मि मुझको कॉलेज में फिर मिली।
मेरा इंग्लिश का पीरियड खत्म हुआ तो अगला पीरियड खाली था, मैं क्लास में ही बैठा हुआ पिछले नोट्स को कॉपी करने में लगा था

कि मुझको लगा कि कोई मेरे साथ बेंच पर आकर बैठ गया है।

मैंने मुड़ कर देखा तो वो उर्मि ही थी, उसको देखते ही मेरी तो बांछें खिल गई।
मैं बोला- आओ उर्मि जी, कैसी हैं आप?
उर्मि बोली- बिल्कुल ठीक हूँ और तुम सुनाओ सोमू कैसे हो?
मैं बोला- बढ़िया, लेकिन आपकी याद में बेकरार हूँ।
उर्मि बोली- वही हाल मेरा है. बहुत तरस रही है मेरी वो आपके उनके लिए?
मैं शरारत के मूड में बोला- मैं कुछ समझा नहीं उर्मि जी, कौन तरस रहा है किसके लिए?
उर्मि थोड़ा शर्माती हुई बोली- वही!

मैं उसके मुंह से पूरा नाम सुनना चाहता था तो बोला- वही कौन? कुछ नाम तो लीजिये कौन है वो?
उर्मि बोली- सोमू यार, तुम जानते हो कौन किसके लिए तरस रहा है, फिर भी बनते हो।
मैं बोला- सच्ची!! कसम से, मैं कुछ समझा नहीं, इसलिए पूछ रहा था कि कौन किसके लिए तरस रहा है।
उर्मि झुंझलाते हुए बोली- मेरी वो तुम्हारे उसके लिए तरस रही है।

मैं कुछ सकुचाते हुए बोला- आपकी वो मेरे उसके लिए तरस रही है? पर क्या है यह ‘वो’ और ‘उस’ ज़रा खोल के समझाओ ना उर्मि जी?

मैं सीधा साधा लड़का हूँ यह लड़कियों की भाषा नहीं समझता उर्मि जी!

मन ही मन मैं मज़े ले रहा था। अब उर्मि ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर देखा और फिर कहा- वाकयी में ही तुम नहीं समझे सोमू?
मैं बड़ा मासूम सा पोज़ बना कर बोला- कतई ही नहीं समझा, आप साफ़ शब्दों में कहिये न प्लीज!
अब उर्मि कुछ सोच में पड़ गई और फिर अपना मुंह मेरे कान के पास ला कर बोली- मेरी चूत आपके मोटे लंड के लिए तरस रही है।
मैं बोला- ऊह्ह्ह… रियली? ओह्ह्ह माय गॉड!
उर्मि बोली- क्यों क्या हुआ?

मैंने भी अपना मुंह उर्मि के कान के पास ले जाकर कहा- मेरा भी वो बहुत तरस रहा है आपकी उसके लिए!
अब उर्मि और मैं ज़ोर से हंस पड़े और उर्मि ने मेरी कमर में चुटकी काट ली, उर्मि बोली- बहुत शरारती हो गए तुम सोमू!
मैं बोला- जो भी बनाया हज़ूर आपने!
उर्मि बोली- कब करोगे?
मैं बोला- जब तुम चाहो।
उर्मि बोली- आज हो सकता है क्या?
मैं बोला- हाँ हाँ, हो क्यों नहीं हो सकता, तुम हुक्म तो करो मेरी जान, अभी अरेंज कर लेते हैं, तुम अकेली ही ना?
उर्मि बोली- हाँ!
मैं बोला- तब ठीक है, मैं कम्मो को फ़ोन कर देता हूँ, लास्ट पीरियड के बाद कैंटीन में मिलते हैं।

उर्मि चली गई तो मैंने कम्मो को फ़ोन कर दिया, उसने कहा कि वो खाना तैयार रखेगी।

लास्ट पीरियड की खत्म होने की घंटी बजी तो मैं दौड़ कर कैंटीन पहुँच गया और वहाँ उर्मि का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर में वो छोटे

से बैग के साथ आ गई।
उर्मि और मैं रिक्शा में बैठ कर 10 मिन्ट में ही घर पहुँच गए।

कम्मो हमारा इंतज़ार कर रही थी, पहले उसने ठंडा शर्बत पिलाया और फिर खाना लगा दिया।
खाने के दौरान उर्मि ने बताया कि उसका घर भी वहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है।

कम्मो ने पूछा कि उसके घर में कौन कौन हैं तो वो बोली- बड़े भैया और भाभी हैं और एक छोटा भतीजा है जो बहुत ही शरारती है। वैसे

हमारा गाँव वहाँ से 2-3 घंटे ही दूर है और मम्मी पापा वहीं रहते हैं।

कम्मो बोली- तुम बड़ी सुन्दर हो, अब तक तुम्हारी शादी क्यों नहीं हुई?
उर्मि बोली- ऐसा है दीदी, मेरे माँ बाप तो पीछे पड़े हैं लेकिन मैं तो एक डॉक्टर बनना चाहती हूँ तो अभी तक सबको बोल दिया है कि

मेरी शादी करने की कोई कोशिश ना करें।
कम्मो भी हँसते हुए बोली- बहुत ही अच्छा विचार है तुम्हारा उर्मि… तुम ज़रूर डॉक्टर बन जाओगी।

फिर हम आइस क्रीम खाकर मेरे कमरे में आ गए। वहाँ कम्मो थोड़ी देर बाद आई और पूछने लगी- छोटे मालिक, आज मेरी ज़रूरत है

यहाँ क्या?
मैंने उर्मि की तरफ देखा और पूछा- क्यों उर्मि? तुम्हारी क्या इच्छा है?
उर्मि बोली- सोमू, तुम्हारी क्या इच्छा है तुम बताओ।
तब कम्मो बोली- छोटे मालिक, आज आप अकेले ही संभाल लीजिये उर्मि को!
यह कह कर कम्मो वहाँ से चली गई.
मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और मुड़ कर उर्मि को उठा कर एक बहुत ही प्रगाढ़ आलिंगन किया और उसके होंटों को बहुत ही प्रेम से

चूमा।

उर्मि भी मुझको चूमने लगी बेतहाशा और फिर वो एकदम से मेरे कपड़ों पर टूट पड़ी और जल्दी जल्दी मुझको वस्त्रहीन करने लगी।
मैं भी उसके कपड़े उतारने लगा, पहले उसकी हल्के नीले रंग की साड़ी को उतार दिया और फिर उसके नीले रंग के ब्लाउज को भी

अलग कर दिया और जल्दी ही उसके पेटीकोट को भी उतार दिया।

वो उस समय सिर्फ सिल्क की ब्रा में ही थी, मैं दूर खड़ा होकर उसकी ख़ूबसूरती को निहारने लगा।
ऐसा लग रहा था कि उसके जिस्म का हर हिस्सा जैसे साँचे में ढला हुआ हो!

और जब मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया तो उसके गोल और ठोस उरोज ऐसे हाथ में उछल कर आ गए जैसे बड़े खूबसूरत गेंद हों।

औरतों के उरोज मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी रहे हैं, मेरी मम्मी बताया करती थी कि जितनी भी आया मेरी देखभाल के लिए रखी जाती थी

वो सब यही कहती थी कि मैं उनकी गोद में जाते ही सीधे उनके मम्मों पर हाथ रखता था।

मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके होंटों को चूमने लगा।
फिर उसको धीरे से मैं अपने पलंग की तरफ ले आया और उसको चित लिटा दिया।

अब मैं खुद पलंग पर बैठ गया और उसके मम्मों के साथ खेलने लगा, फिर उनको मुंह में लेकर उनके काले चुचूकों को भी चूसने लगा,

एक को चूम रहा होता तो उर्मि दूसरा मेरे मुंह में दे देती! जैसे एक के साथ दूसरा फ्री !!!

मैंने उर्मि के मम्मों के बाद अपना ध्यान उसके सपाट पेट और नाभि पर लग दिया और थोड़ा सा चाटने के बाद मैंने चूत पर छाए काले

घने बालों की तरफ ध्यान केंद्रित कर दिया।
वहाँ ऊँगली से चूत के रेशमी बालों को छूते हुए उसकी चूत में ऊँगली डाल दी। बेहद गीली चूत में से भीनी भीनी सी खुशबू आ रही थी.

अब मैंने मुंह चूत में डाल दिया और उसकी भग को और चूत के लबों को चाटने लगा। फिर मेरा पूरा ध्यान उर्मि की चूत में छिपे भग

पर चला गया,. भग को मुंह में लेकर हल्के हल्के चूसने लगा।
ऐसा करते ही उर्मि के चूतड़ अपने आप ऊपर की तरफ उठ गए और उसके मुख से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज़ आने लगी।

फिर एकदम उर्मि की दोनों जांघों ने मेरे मुंह को अपने बीच जकड़ लिया, उसके हाथों ने मेरे सर को ऊपर उठाने की कोशिश की लेकिन

मैं मस्त चुसाई में लगा रहा।
फिर उर्मि एकदम से चिल्ला पड़ी- ऊह्ह्ह ऊह्ह…
और उसका सारा शरीर बेहद तीव्रता से कांपने लगा, उसकी जांघों ने मेरे मुंह को ऐसा ज़ोर का जकड़ा हुआ था कि मुझको सांस लेना भी

मुश्किल हो रहा था।

फिर उर्मि का शरीर एकदम से ढीला पड़ गया और यह मौका देख कर मैं उर्मि की टांगों में लेट गया और काफी देर से खड़े अपने लौड़े

को उर्मि की चूत के मुंह पर टिका कर एक हल्का सा धक्का मारा और फच्च से लंडम सारा उर्मि की चूत में गृहप्रवेश कर गया।

अब मैंने धीरे धीरे से चुदाई शुरू कर दी। उर्मि का आलम यह था कि वो ही आँखें बंद किये आनन्द ले रही थी।
कभी कभी नीचे से ठुमका ज़रूर लगा देती थी नीचे से शायद यह जताने के लिए कि वो सोई नहीं थी।
अभी भी मैं उसके उरोजों को मुंह में लेकर चूस रहा था।

धीरे धीरे उर्मि की सोई हुई चूत फिर से जागने लगी और वो अंदर ही अंदर मेरे लंड को पकड़ और छोड़ रही थी क्यूंकि शायद उसको यह

उम्मीद थी कि इस गाय के थन से थोड़ा बहुत दूध निकल आये।
लेकिन वो अभी सोमू के लंड से वाकिफ नहीं थी पूरी तरह! यह वो लंड था जिसको ओलिंपिक सेक्स गेम्स में भी गोल्ड मेडल मिल

सकता था।
यह मैं नहीं कह रहा यह मेरे द्वारा उन चुदी हुई चूतों का एक मत निर्णय था, ऐसा मेरा ख्याल है।

लेकिन उर्मि की चूत अब पूरी तरह से जाग गई थी और पूरी शानो शौकत से चुदवा रही थी, कुछ धक्कों के बाद ही वो धराशाई हो गई।
अब मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू कर दिया और उसके गोल और मुलायम चूतड़ों को अपने हाथों में लेकर धक्के मारने लगा।

वो भी बिदकी घोड़ी की तरह से अपनी लातें मरने से बाज़ नहीं आ रही थी लेकिन ऐसी घोड़ी को कंट्रोल करना मुझको अच्छी तरह से

आता था।
मैंने फुल स्पीड से उसकी चुदाई शुरू कर दी, पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर… इसी क्रम और फिर सरपट घुड़दौड़ से मैंने उर्मि जैसी घोड़ी

को भी मात दे दी।

जब तीसरी बार उर्मि छूटी तो वो पलंग पर ढेर हो गई और मैं उसकी बगल में लेट गया, मेरा लौड़ा तो अभी भी हवा में लहलहा रहा

था।
मैं उठा और कम्मो को बुला लाया।
उसने आते ही पहले उर्मि का पसीना पौंछा और फिर उसको और मुझ को रूह अफजा शरबत पीने को दिया।

कम्मो भी वहाँ रुक गई और उर्मि जो मेरे साथ लेटी थी, उसके मम्मों को सहलाने लगी और उसकी चूत के बालों को संवारने लगी।
कम्मो बोली- उर्मि, अगर चाहो तो हमको बता सकती हो कि तुमको सबसे पहले किसने चोदा था?

उर्मि कुछ देर सोचती रही फिर बोली- मेरे गाँव में मेरा एक दूर का रिश्ते का भाई हमारे साथ रहता था, उसने मुझे पहली बार धोखे से

चोदा था जब मैं किशोरावस्था में थी।
मैं बोला-अच्छा? बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ उर्मि… लेकिन उसके बाद तुम चुदाई की शौक़ीन कैसे हो गई?

कम्मो बोली- इस विषय के बारे में मैं बहुत कुछ जानती हूँ वो आप दोनों को भी बता देती हूँ। अगर कच्ची कली को तोड़ा जाए यानि

छोटी उम्र वाली लड़की से यौन क्रिया की जाए तो वो एकदम से पगला जाती है और अक्सर देखा गया है कि वो किसी एक मर्द की हो

कर नहीं रह सकती क्यूंकि उसके एक मर्द से तसल्ली नहीं होती। क्यों उर्मि, क्या मैं ठीक कह रही हूँ?

उर्मि हैरानी से कम्मो को देख रही थी। फिर एकदम से उर्मि रोने लगी और कम्मो उसको चुप करवाने की कोशिश करती रही। काफ़ी

कोशिश के बाद उर्मि शांत हुई और बोली- बड़े अरसे के बाद मुझको सोमू जैसा मर्द मिला है जो मेरी भूख को शांत कर सकता है।
कम्मो बोली- छोटे मालिक जैसे आप एक तरह से एक अजीब बिमारी की चपेट में हो, वैसे ही उर्मि को भी उसी तरह की बीमारी है।

यानि जबसे उसकी छोटी उम्र में चुदाई हुई है, तब से उसको चुदाने की तीव्र इच्छा रहती है और वो एक मर्द से पूरी नहीं हो पाती। क्यों

मैं ठीक कह रही हूँ उर्मि?

उर्मि कुछ सोचते हुए बोली- नहीं ऐसी बात नहीं है, असल में मुझको काफी देर की चुदाई और एक रात में 3-4 बार की चुदाई बहुत

अच्छी लगती है। यह ज़रूरी नहीं कि अलग अलग मर्द हों यह काम एक मर्द भी कर सकता है जैसे सोमू कर रहा है।
कम्मो बोली- इसका मतलब यह है कि तुम ने अभी तक कई मर्दों के साथ सम्भोग किया है?

उर्मि बोली- नहीं दीदी, मैंने मुश्किल से 2 मर्दों के साथ ही सेक्स किया है क्यूंकि गाँव में ज़्यादा चॉइस ही नहीं था तो मैं अभी तक तो

ऊँगली से ही काम चलाती रही हूँ।
कम्मो बोली- फिर छोटे मालिक का कैसे पता चला तुमको?
उर्मि बोली- वो शानू और बानो ने अपना नैनीताल वाले ट्रिप का किस्सा सुनाया तो मुझको पता चला। लेकिन जब 3 दिन पहले सोमू ने

मेरे को चोदा ना, तो मुझको यकीन हो गया कि सोमू ही वो मर्द है जो मुझको पूरी तसल्ली दे सकता है।

कम्मो और मैं एक दूसरे को देखने लगे कि क्या किया जाये?
कम्मो ने कहा- उर्मि, यह सारी कहानी तुम्हारे भैया और भाभी को पता है क्या?
उर्मि बोली- नहीं… उनको यह बात पता लग गई तो वो मुझको जान से मार देंगे। ठाकुर लोग बड़े ज़ालिम होते हैं आपको तो शायद

मालूम होगा ना?
मैं बोला- बड़ी अजीब स्थिति है उर्मि तुम्हारी… अच्छा कब कब महीने में कब कब तुमको चुदवाने की इच्छा बहुत बलवती होती है?

उर्मि अपनी चूत में दायें हाथ की ऊँगली से अपनी भग को हल्के हल्के रगड़ रही थी, उसका बायां हाथ मेरे खड़े लंड के साथ खेल रहा

था।
उर्मि शर्माते हुए बोली- पीरियड्स के बाद 10-15 दिन मेरे लिए बड़ी मुश्किल से कटते हैं और फिर मैं नार्मल हो जाती हूँ।
कम्मो बोली- यह समय तो आम लड़कियों और औरतों के लिए काफी उत्तेजना भरा होता है, इन्हीं दिनों गर्भवती होने का ज़्यादा चांस

होता है। इसका मतलब यह है कि तुमको अगर इन 5-6 दिनों में अगर चुदाई का चांस मिल जाए तो इसके बाद तुमको कोई प्रॉब्लम

नहीं होती है?
उर्मि ने हाँ में सर हिला दिया।

अब तक उर्मि फिर पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और वो मेरे लौड़े को बार बार खींच रही थी कि चुदाई के मैदान में फ़ौरन आ जाए।
मैंने उसको पलंग के सहारे खड़ा किया और उसके पीछे से लंडम की एंट्री उसकी चूत में कर दी।
वो अपनी चुदाई का किस्सा सुनाती हुए बहुत ही कामुक हो चुकी थी।

मैंने धीरे और फिर तेज़ वाली स्पीड का सहारा लिया और पूरी कोशिश में लग गया कि वो पूर्ण रूप से स्खलित हो जाए और उसकी

चुदाई की भूख कुछ शांत हो जाए।
मैंने लंड की स्पीड को ऐसे कंटोल किया कि बार बार लंड उसकी चूत की गहराइयों में विचरता रहे और उसकी चूत को हर तरह से

आनन्द की विभूति मिलती रहे।

कुछ देर में ही मैंने महसूस किया कि उसकी चूत से कुछ रसदार पानी निकल रहा है और वो उसकी टांगों के नीचे गिर रहा है।
मैंने उस पानी को छूकर देखा तो वो काफी गाड़ा और खुशबूदार था।
यह देख कर मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी और कुछ ही क्षण में उसके चूतड़ आगे पीछे होने लगे और फिर एक साथ पूरी तरह से

मेरे लौड़े के साथ चिपक गए।

उर्मि के मुख से कुछ अस्फुट शब्द निकल रहे थे और फिर वो पलंग पर ढेर हो गई।
मैं भी कुछ देर अपना लंड उसकी चूत में डाल कर खड़ा रहा उसके पीछे।

थोड़ी देर बाद कम्मो आई और उसने तौलिये से मुझ को पौंछा, उर्मि की टांगें पकड़ कर उसको पलंग पर लिटा दिया और उसके सारे

शरीर को अच्छी तरह से पौंछा।
फिर वो हम सबके लिए शरबत ले आई।

शरबत पीते हुए कम्मो ने उर्मि को कहा- तुम मुझको टेलीफोन करके आ जाया करो, यहाँ कुछ गपशप मार लिया करेंगे और अगर छोटे

मालिक खाली हुए तो तुम्हारा काम भी कर दिया करेंगे। क्यों छोटे मालिक?
मैं बोला- हाँ हाँ ज़रूर, तुम्हारा काम अवश्य कर दिया करेंगे। जब चाहो कम्मो से फ़ोन पर बात कर के आ जाया करो, मैं तुम्हारी पूरी

सेवा कर दिया करूँगा जैसे तुम चाहो वैसे ही!
फिर वो तैयार हो कर चलने लगी तो मैं उसको गेट पर जाकर रिक्शा में बिठा आया।

कहानी जारी रहेगी।
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