मेरा चोदू यार -4

(Mera Chodu Yaar-4)

This story is part of a series:

एक दिन सौरभ मिला, मैंने उससे उसका हाल चाल पूछा, वो बोला- अरे काहे का हालचाल सर, अब तो आप हमें मिलते ही नहीं, बस मम्मी से मिलते हो।
मैं उसकी बात समझ गया और उसे भी मिलने का वादा किया।

एक दिन दोपहर के बाद मैं शोभा को चोदने उसके घर गया, अभी हमने कोई प्रोग्राम बनाया ही नहीं था कि शोभा की बेटी घर आ गई। वो कोई 20-21 साल की पतली दुबली सी लड़की थी, मगर शक्ल बिल्कुल उसकी अपनी माँ जैसी।
मैंने दिल में सोचा 40 साल की शोभा तो चोद ली, अब अगर 20 साल की शोभा भी चोदने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए।

मगर अब जब घर में कोई गैर मर्द किसी अकेली औरत के बेडरूम में बैठा है तो एक 20 साल की लड़की को यह समझने की ज़रूरत नहीं कि वो वहाँ क्या करने आया है।
खैर इस बारे में मैंने सौरभ से बात की।

एक दिन मैंने फिर से सौरभ को अपने ही घर बुला लिया।
मेरी बीवी मायके गई थी। सारी रात मैंने सौरभ को रखा और रात में दो बार उसकी गांड मारी। यही नहीं मैंने खुल कर उसकी माँ के बारे में भी बात की कि मैं कैसे उसकी माँ चोदता हूँ।

सौरभ ने किसी भी बात का कोई बुरा नहीं माना क्योंकि वो भी अपनी माँ के बारे में सब जानता था।
फिर मौका देख कर मैंने कहा- सौरभ, मेरा दिल तेरी बहन पे आ गया है, मुझे नहीं पता कैसे, मगर मैं उसे अपने बिस्तर में चाहता हूँ, क्या तू मेरी कुछ मदद कर सकता है?
उसने मेरी तरफ देखा और बोला- दीदी का तो बॉयफ्रेंड है और वो उसके साथ ही करती है।

‘तूने देखा है उसे करते हुए?’ मैंने पूछा।
‘नहीं देखा तो नहीं, पर उसने माँ को सब बताया है, माँ से वो हर बात खुल के करती है।’ उसने कहा।
‘तो फिर मुझे शोभा से बात करनी पड़ेगी?’ मैंने कहा।
‘नहीं,’ वो बोला- आप दीदी से सीधी बात कर लो, दरअसल माँ उसके बॉयफ्रेंड को पसंद नहीं करती, इसीलिए उसे वो पैसे वैसे नहीं देती, आप दीदी की पैसे की मदद कर दो, वो मान जाएगी।

मुझे रास्ता मिल गया।
एक दिन मैं शोभा को ठोक कर उसके बेडरूम में ही लेटा था, जब सलोनी बेडरूम में आई।
वो अपनी माँ से पैसे मांगने आई मगर शोभा ने नहीं दिये।
मैंने मौके के फायदा उठाते हुये उसको 1000 का नोट दे दिया, वो भी लेकर खुशी खुशी चली गई।

शोभा बोली- निर्मल आपने सलोनी को पैसे क्यों दिये?
मैंने कहा- जवान है, एंजॉय करने दो।
‘तुम उसे बिगाड़ो मत!’ उसने कहा।

मगर मेरा फेंका हुआ दांव सही पड़ा। करीब एक हफ्ते बाद मुझे सलोनी का फोन आया, वो बहाना सा बना कर पैसे मांग रही थी, मैंने कहा- मेरे घर आ के ले जाओ।

करीब घंटे भर बाद सलोनी मेरे घर आ गई। मेरी बीवी अभी अपने माएके से वापिस नहीं आई थी तो मैं घर में अकेला ही था।

मैंने उसे अंदर बुलाया, ठंडा पिलाया, बैठ कर बातें करने लगा।
बातों बातों में मैंने उसे पूरी तरह खोल लिया, उसने बताया कि वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ मूवी देखने जा रही है।
मैंने भी उसे चुग्गा डाला- जब भी पैसे की ज़रूरत हो मुझसे मांग के ले जाया कर।
वो बोली- और उसके बदले में मुझे क्या करना होगा?

लड़की समझदार थी, जानती थी कि दुनिया में कुछ भी फ्री नहीं मिलता, हर चीज़ की कीमत होती है।
मैंने भी कह दिया- एक ज़रूरतमन्द लड़की से कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वो अपना कर्ज़ कैसे चुकाएगी जबकि उसके पास देने के लिए कोई पैसे न हो?
वो बोली- आई कैन पे बाए फ्लेश’ (मैं अपने मांस (बदन) से अदा कर सकती हूँ)
मैंने सोचा, साला सारा परिवार ही चुदक्कड़ है, मैने पूछा- कब?
वो बोली- जब आप चाहो?
‘आज रात को?’ मैंने पूछा।
‘ठीक है, डिनर साथ करेंगे।’ कह कर वो चली गई।

रात के करीब साढ़े आठ बजे वो मेरे घर आ गई, जेट ब्लैक साड़ी में वो बहुत खूबसूरत लग रही थी, मैं भी तैयार था।
पहले हम दोनों होटल गए, वहाँ पे दोनों ने थोड़ी वाइन पी, उसके बाद बातें करते करते 10 बज गए, उसके बाद खाना खाकर हम करीब 11 बजे घर वापिस आए।

घर आकर मैंने 2 पेग वोड्का के बनाए, मैं सोफ़े पर बैठ गया, तो वो आकर सीधी मेरी गोद में बैठ गई।
हम दोनों ने अपना अपना पेग खत्म किया। पेग खत्म होते ही मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया, उसके गले पे, गालों पे होंठों पे किस किया।
वो भी पूरा साथ दे रही थी।
मैंने उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया। नीचे से उसने काले रंग का झीना सा स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना था जिसमें से उसका काले रंग की ब्रा भी अपनी झलक दिखला रही थी।
देखने में सलोनी बेशक पतली सी दिखती थी, मगर उसकी छाती भरी हुई थी।
मैंने उसके ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसका एक बूब अपने हाथ में पकड़ के दबाया, जब मैंने उसके बूब को ऊपर को उठाया तो उसके ब्लाउज़ के ऊपर से उसका एक बड़ा सा क्लीवेज बना, जिसे मैं अपनी जीभ से चाट गया।

‘सलोनी, अपना ब्लाउज़ उतारो!’ मैंने कहा तो वो एक एक करके अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी।
ब्लाउज़ के नीचे दो बड़े ही मासूम से छोटे छोटे बूब्स थे, जो अभी भी ब्रा में कैद थे।

मैंने उसके नर्म नर्म बूब्स पे हाथ फेर के देखा, जैसे रुई के गोले हों।
मैंने सलोनी को खड़ा किया, उसकी साड़ी खोली और पेटीकोट भी खोल दिया, उसने मैचिंग ब्रा पेंटी पहन रखी थी।

मैं भी खड़ा हो गया, मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये सिवाए चड्डी के।
चड्डी में मेरा लंड पूरा तना पड़ा था, उसने बड़ी घूर के चड्डी में उभरे हुये मेरे लंड को देखा।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बेड पे ले गया।
बेड पे जा कर मैं लेट गया और उसे अपनी कमर पे बैठा लिया।
वो मेरी गोद में बैठी थी, मैंने फिर से उसके होंठों को अपने होंठो में कैद कर लिया, अपने हाथ पीछे लेजा कर उसकी ब्रा का हुक खोला। फिर उसके होंठ छोड़ कर उसका ब्रा उतरता देखने लगा।
जब ब्रा हटाई, दो बहुत ही खूबसूरत बूब्स दिखे जो बड़ी शान से तने हुये थे।
अब इतने सुंदर कच्चे कुँवारे बूब्स को प्यार किए बिना कैसे रहा जा सकता है, मैंने दोनों को अपने हाथों में पकड़ के देखा, उन्हें दबाया, मुख में लेकर चूसा, क्या स्वाद आया, मैं बता नहीं सकता, आप खुद ही किसी कुँवारी लड़की के बूब्स जब चूसोगे, तब आपको पता चलेगा।

जब मैंने उसके बूब्स चूसे तो वो अपनी चूत को मेरे लंड पे घिसने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद मैंने उसे खड़ा किया और उसकी पेंटी भी उतार दी।
चूत पे हल्के बाल थे, मगर मुझे बालों से कोई दिक्कत नहीं थी।
मैंने उसकी चूत की फाँकें खोली और उनमें जीभ डाल कर चाटने लगा।
सलोनी ने मेरे सर के बाल अपने हाथों में पकड़ लिए, जैसे जैसे मैं उसकी चू’त में अपनी जीभ चला रहा था, वैसे वैसे वो अपनी कमर भी चला रही थी।
जब उसने मेरे सर की बाल खींचने शुरू कर दिये और कमर को ज़ोर ज़ोर से झटकना शुरू कर दिया, मैं जान गया कि अगर मैंने थोड़ी देर और इसकी चूत चाटी तो यह झड़ जाएगी।

मैंने अपनी चड्डी उतार कर उसे नीचे बैठाया, जब उसने मेरे लंड को देखा तो बोला पड़ी- हाय अंकल, यह क्या है?
मैंने कहा- लंड है।
वो बोली- इतना बड़ा और कैसे ऊपर को उठा हुआ, कितना भयानक है।
मैंने कहा- जो भी है, अब तुम्हें इसी को लेना है, मुख में लो या चूत में लो।
वो बोली,- मुख में तो नहीं ले सकती, आप नीचे ही डाल लो।

मैंने उसे बेड पे लिटाया और अपना लंड उसकी चूत पे सेट किया- तुम्हारे बॉय फ्रेंड का ऐसा नहीं है क्या? मैंने पूछा।
‘अरे उसका तो सीधा सा है, आपके इससे तो आधा ही होगा।’

मैंने बातों बातों में अपना लंड उसकी चूत में धकेला, मगर मेरी सोच से उलट वो तो चीख पड़ी।
‘क्या तुमने पहले कभी नहीं किया?’ मैंने पूछा।
वो बोली- किया है, कई बार किया है, मगर इतना मोटा और लंबा आज तक नहीं लिया।
मतलब यह कि एक चुदी हुई चूत को दोबारा से फाड़ने का सुख मुझे मिल रहा था। मैं ज़ोर लगा कर अपना लंड अंदर को धकेलता रहा, बेशक उसे ज़्यादा दर्द नहीं हुआ, मगर फिर भी मेरे हर घस्से के साथ जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसता तो दर्द के भाव उसके चेहरे पे साफ साफ दिखते थे।

जब मैंने अपना सारा लंड उसकी चूत में घुसा दिया तो पूछा- अब कैसा लग रहा है?
वो बोली- जैसे आज पहली बार सेक्स कर रही हूँ, और ऐसा लग रहा है, जैसे किसी ने अपनी पूरी बांह ही मेरे अंदर घुसा दी हो।

मेरे तो आनन्द की कोई सीमा ही न थी, मैंने उसकी कम उम्र और नाज़ुक बदन का खयाल रखते हुये, उसे बड़े प्यार से बड़े आराम से बहुत धीरे धीरे से चोदा।
मैं चाहता था, के मेरे सेक्स को वो ज़िंदगी भर याद रखे।
मैं उसे हर जगह से चूम, रहा था, चाट रहा था।

जैसे जैसे मैं अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था, उसके चेहरे पे आने वाले आनन्द और दर्द के हर भाव को पढ़ भी रहा था।
मैंने पूछा- कैसा लग रहा है?
वो बोली- अच्छा…
‘मज़ा ज़्यादा आ रहा है, या दर्द हो रहा है?’ मैंने फिर पूछा।
‘दर्द तो है, मगर मज़ा ज़्यादा है।’ वो बोली।
‘जब तुम्हारा बॉयफ्रेंड करता है, क्या तब भी इतना ही मज़ा आता है?’ मैंने उसका दिल टटोला।
वो बोली- मज़ा तो आता है, पर आप कुछ अलग ही कर रहे हो उससे। वो इतना प्यार नहीं दिखाता जितना आप कर रहे हो।

मैंने सोचा ले भाई मार लिया मैदान तूने तो।
उसके बाद अगले 15 मिंट मैंने उसको इस तरह प्यार किया कि अपनी शादीशुदा ज़िंदगी का सारा तजुरबा उस पर आज़मा दिया।
15 मिन्ट के सेक्स में वो दो बार स्खलित हुई।
जब मैं झड़ा तो मैंने अपना लंड छूटने से पहले बाहर निकाल लिया और थोड़ी अपनी मुठ मार ली।

मेरे लंड से वीर्य के फव्वारे छूट पड़े जो उसके पेट, बूब्स को पर करके उसके मुख तक जा पहुंचे।
‘क्या अंकल, आपने तो मुझे सारा गंदा कर दिया।’ वो झूठ मूठ का नाराज़ होते हुये बोली।
मैं हंस दिया और लेट गया।

वो उठ कर बाथरूम में धोने चली गई।
अभी डेढ़ ही बजा था, मैंने एक पेग और बनाया और सोचने लगा- वाह रे पैसे की माया, पूरा परिवार ही मुझ से चुदवा गया।
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