माही के प्यार की प्यास

(Mahi Ke Pyar Ki Pyas)

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा तहे दिल से नमस्कार। मेरा नाम राहुल शर्मा है। मैं मथुरा शहर का रहने वाला हूँ। मेरा शरीर मध्यम आकार का है।
यह कहानी मेरी पहली आपबीती है.. बात उन दिनों की है जब मैं बी.टेक. के अंतिम वर्ष में था.. तभी फ़ोन पर मेरी बात एक लड़की से हुई। तब तक मैंने किसी भी लड़की से कभी बात नहीं की थी.. तो सब बड़ा ही अच्छा लग रहा था।
मुझे उसकी आवाज़ इतनी अच्छी लगी कि मैंने दोबारा फ़ोन करके उससे बात करनी चाही।

पहले मैंने उससे उसका नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम सपना कुमार बताया जो मुझे बहुत ही अजीब लगा.. कि सपना तक तो ठीक है पर उसके साथ कुमार क्यों? पर मैंने सोचा कि शायद यह भी कोई सरनेम होता होगा।
इसी तरह उससे मेरी बातचीत होती रही और हम अच्छे दोस्त बन गए।

मुझे उसके नाम पर अभी भी कौतूहल था तो मैंने एक दिन उस पर जोर डाल कर पूछा.. तो उसने बताया कि उसका नाम परवीन (काल्पनिक) है।
मैं संतुष्ट हो गया और उसे प्यार से माही बुलाने लगा।

मौसम सर्दी का था.. एक रात को मैंने उसे प्रपोज कर दिया.. तो उसने मुझे बहुत समझाया- यह नहीं हो सकता।
पर जो ऊपर वाले को मंज़ूर होता है.. उसे कौन टाल सकता है.. और हम एक-दूसरे को प्यार करने लगे। मैं उससे बेइंतेहा मोहब्बत करने लगा और हम रात-रात भार जाग कर बातें करने लगे।

इसी दौरान मैं उससे मिलने गया.. तो उसने मुझे दोपहर के समय मेरठ शहर में बुलाया और मैं उसके बताए नियत स्थान पर सही समय पर पहुँच गया।

जब मैंने उसे पहली बार देखा.. तो बस देखता ही रह गया। क्या बला की खूबसूरत लग रही थी वो.. मानो ऊपर वाले ने बड़े फुर्सत से बनाया हो।
एकदम गोल और गोरा चेहरा.. 36 के आकार के वक्ष.. उस पर 26 के आकार की पतली कमर.. उसके नीचे 36 के आकार के कूल्हे..।
उस वक़्त मेरे मुँह से केवल ‘वाह’ के अलावा कुछ नहीं निकला।

मैं अपने आपको बहुत ही खुशनसीब मान रहा था और सपने की तरह उसे देख रहा था कि अचानक उसने ही मुझे नींद से जगाया।
अब आप सोच रहे होंगे कि मैंने उसे और उसने मुझे पहचाना कैसे?
अरे इस आधुनिक युग में सब कुछ हो सकता है.. मैंने उसे फेसबुक प्रयोग कर्ना सिखाया और वहीं से अपने फोटो शेयर किए थे।

जैसे ही उसने मुझे जगाया.. तभी मैं उसे खींच कर एकांत में ले गया। मैं अपने इतने दिनों की तमन्नाओं को दबा नहीं सका और उसे बेतहाशा चुम्बन करने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
इसके बाद जैसा हमने तय किया था.. हम दोनों मंदिर गए और पूजा करने के बाद भगवान को साक्षी मान कर हमने शादी की।
उसके बाद मैंने जो होटल में कमरा बुक किया था.. हम वहाँ गए.. उस वक्त दिन के करीब साढ़े बारह बज रहे होंगे।
कमरे में जाने से पहले मैंने एक बड़ी फेमस सी दुकान से रबड़ी खरीदी थी.. जो उसे बहुत पसंद थी।

अन्दर जाकर मैंने उसे पलंग पर बैठाया और उसे गौर से देखने लगा.. जैसे मुझे एक अनमोल चीज़ मिल गई हो।
और हो भी क्यों न.. आखिर मैं उसे बहुत प्यार करता था।
थोड़ी ही देर बाद मुझे रबड़ी का ध्यान आया.. जो अभी भी ठंडी थी.. तो पहले हम दोनों ने मिल कर वो खाई.. और उसके बाद मैं उसके होंठों पर लगी हुई रबड़ी को चाट कर साफ़ करने लगा।

इसी के साथ हम एक-दूसरे को पागलों की तरह चुम्बन करने लगे।
चुम्बन करते-करते मैंने उसे पलंग पर लिटा दिया और उसे कामुक निगाहों से देखने लगा.. तो उसने मुझसे कातिलाना अंदाज से कहा- नज़र ही लगा दोगे क्या?

इसी के साथ ही मैं फिर से उसे चुम्बन करने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
उसकी सांसें तेज़ होने लगीं और उसके वक्ष कड़े होने लगे तो मैंने उससे उसके आमों की तरफ इशारा करते हुए पूछा- क्या मैं इन्हें छू कर देख सकता हूँ?

ऐसा मैंने उसकी शर्म को कम करने के लिए किया था।
तो उसने जवाब में अपना सर ‘हाँ’ में हिला दिया।
अब मैं धीरे-धीरे उसकी कमीज़ के ऊपर से उसके चूचे सहलाने लगा। फिर मैंने उसकी कमीज़ को उतार दिया और उसके साथ ही उसकी समीज को भी।
अब वो सिर्फ काले रंग की छोटी सी ब्रा में थी.. क्या गज़ब की क़यामत लग रही थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे चूमने लगा.. तो वो बहुत ज्यादा मचलने लगी। इसी के साथ मेरे एक हाथ उसके पेट को सहलाता हुआ सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर पहुँच गया.. जिससे वो और ज्यादा सिहर गई।

फिर मैंने उसकी सलवार को भी उसके बदन से अलग कर दिया। अब वो सिर्फ काली ब्रा और पैन्टी में थी। वो एकदम अप्सरा जैसी लग रही थी। गोरे जिस्म पर काली ब्रा और पैन्टी में एकदम कयामत ढा रही थी।

इसके बाद मैं उसके सर से पाँव तक उसे हर जगह चूमने लगा.. तो माही ने मुझसे कहा- ये क्या कर रहे हो.. मुझे गुदगुदी होती है।
तो मैंने उससे कहा- कुछ नहीं बस तुम्हें प्यार करने की ज़रा सी कोशिश कर रहा हूँ।
इसे सुन कर वो हँसने लगी और उसने ‘I LOVE YOU’ कह कर मुझे अपने गले से लगा लिया और मुझे चुम्बन करते हुए कहने लगी- मैं भी तुम्हें ऐसे ही प्यार करूँगी।

अब उसने भी ऐसे ही.. मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे पूरे बदन पर चुम्बन करने लगी।
इसके बाद मैंने उसकी ब्रा को उतार कर फेंक दिया और निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा। वो मादक स्वर में सिसकारियाँ लेने लगी।
अब मैंने उसकी पैन्टी को भी उतारा तो देखता ही रह गया.. पूरी तरह साफ़.. बिना बालों वाली चूत.. मेरे सामने थी।

तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उस पर चुम्बन कर लिया.. तो इस पर माही गुस्सा होते हुए बोली- छी:.. ये गन्दी जगह है.. यहाँ किस नहीं करना चाहिए।
फिर मैंने उसे समझाया- जिससे प्यार करते हैं.. उधर सब जायज़ होता है।
तो वो मान गई.. और मुझे एक लम्बा सा चुम्बन दिया.. तो उसने भी मेरे लण्ड पर एक चुम्बन दिया.. मैं तो मानो उस दिन जन्नत में मौज करने लगा था।

फिर मैंने उसे लिटाया और उसकी टाँगों को फैला कर उसकी चूत के मुँह पर लंड को टिकाया.. और एक धक्का लगा दिया.. पर लंड फिसल गया।
तो मैंने मजाक में उससे कहा- अभी तक वर्जिन हो क्या?
तो वो गुस्से में बोली- नहीं तो.. मैं तो शहर के हर मर्द से चुदवा चुकी हूँ।
मैंने हँसते हुए कहा- मज़ाक कर रहा हूँ यार..

तब मैंने फिर से कोशिश की और एक और धक्का लगाया तो माही की आँखों से आंसू छलक उठे और अपने चीख को अपने होंठों में दबाने की कोशिश करने लगी।
तो मैंने उसके दर्द को भुलाने के लिए उसकी मचलती हुई चूचियों को सहलाने लगा और उसे किस करने लगा। उसका दर्द कुछ कम हुआ.. फिर उसने दर्द भरी आवाज में मुझसे कहा- हो गया न विश्वास।
मैंने भी उसे सर हिला कर जवाब दिया.. और एक और धक्का लगा कर पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया।

फिर उसके दर्द को कम करने के लिए उसे शरीर के हर हिस्से को सहलाने लगा। जब उसका दर्द कम हुआ.. तो मैंने धक्के लगाने शुरू किए।
अब उसे भी चुदने में मजा आ रहा था और वो ‘आहें’ भर रही थी और आँखें बंद कर के चुदने का मज़ा लूट रही थी।
उसने कहा- प्लीज़ धीरे-धीरे करो, बहुत दर्द हो रहा है..
मैंने उसकी तकलीफ़ को समझते हुए धीरे-धीरे लंड को बाहर निकाला.. फिर मैं पहले धीरे-धीरे.. फिर जोर-जोर से झटके मारने लगा।
अब तो उसे भी मज़ा आने लगा और थोड़ा ‘ऊऊऊ.. आआआ.. ईईई..’ की आवाजों के साथ वो पूरा मज़ा लेने लगी थी।

थोड़ी देर बाद माही झड़ गई.. पर मैं अभी तक डटा हुआ था और पूरी गति से उसकी चिकनी चूत में धक्के मार रहा था।
मैं पूरा का पूरा पसीने-पसीने हो गया लेकिन धक्के लगाता ही रहा।
लगभग दस मिनट तक धक्के मारने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूँ।
मैंने उससे पूछा तो उसने बोला- हम सुहागरात तो मना नहीं सके तो क्या हुआ सुहागदिन तो मना ही लिया.. तुम अन्दर ही छोड़ दो पहली बार है.. पता नहीं क्या होगा।
तो मैंने अपना उसे अन्दर ही निकाल दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।

उसने बताया कि अब तक वो चार बार झड़ चुकी है।
जब हम उठे तो बिस्तर पर हमने काफी सारा खून देखा.. जिसे देख कर तो एक बार के लिए मैं भी डर गया था। फिर बाज़ार से मैंने उसे आई-पिल की टेबलेट लाकर दी।
इसके बाद उसे उसके घर के पास तक छोड़ा और कहा- पढ़ाई ख़त्म होते ही हम इसके बारे में सबको बता देंगे.. फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा।

इसके साथ ही मैं वहाँ से लौट आया.. पर कुछ दिन बाद हमारा रिश्ते के बारे में उसके घर वालों को पता चल गया और उसके बाद उसकी कोई खोज-खबर नहीं है।

मैं आज भी उसे बहुत याद करता हूँ और कभी-कभी मर जाने का भी दिल करता है.. पर अभी तक बस एक ही इंतज़ार है उसकी सलामती की खबर का..
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