खिलता बदन मचलती जवानी और मेरी बेकरारी-3

(Khilta Badan Machalti Jawani Aur Meri Bekarari- Part 3)

कहानी का पहला भाग : खिलता बदन मचलती जवानी और मेरी बेकरारी-1
कहानी का दूसरा भाग : खिलता बदन मचलती जवानी और मेरी बेकरारी-2
अब तक आपने पढ़ा..

रिया- क्या यार अर्शित.. डर लग रहा है क्या?
मैं कैसे कहता कि मेरी तो डर के मारे फटी जा रही थी.. पर मैंने कहा- नहीं..
‘हम्म..’
मैंने- पर क्यों पूछा तुमने?
रिया- फिर ज़ोर से दबा न.. और डर मत, ये नहीं टूटेंगे।
कह कर वो हँसने लगी।

मैं उससे उम्र में जरूर छोटा था.. पर हाइट बराबर ही थी। मैंने उसे पीछे धकेला और दीवान पर गिरा कर उसके मम्मों को ज़ोर से दबाने लगा.. पर वो तो बहुत ज्यादा प्यासी थी और गर्म भी थी, वो भी बहुत सेक्सी होने लगी, मेरे हाथों पर अपना हाथ रखा और ज़ोर-ज़ोर से अपने मम्मों को निचुड़वाने लगी।

अब आगे..

मेरे हाथ से उसके मम्मे पूरे दबने लगे.. तब मैंने उसका हाथ हटाया और मैं भी वैसे ही दबाने लगा।
मैंने पूछा- कैसा लग रहा है?
रिया धीमे से बोली- और ज़ोर से दबा..
यह सुन कर मैंने और तेज़ी से उसके मम्मों को निचोड़ा।

उसके मुँह से अजीब सी आवाजें आने लगी थीं- आआ आहह.. हह…
मैं डर गया और रुक कर उसे देखने लगा।
मैंने पूछा- रिया आई एम सॉरी.. दर्द हो रहा हो.. तो धीरे-धीरे दबाऊँ?
रिया- नहीं.. और तेज दबा..

मैं समझा नहीं कि वो दर्द होने पर भी मुझे और तेज़ दबाने को क्यों कह रही थी.. पर मैं वैसे ही दबाता रहा और रिया बस अपनी आँखें बंद करके मज़े ले रही थी.. और अब वो और भी अजीब-अजीब सी आवाजें निकालने लगी।
‘हमम्म्म.. आहाह.. म्माहहँम..’
मैंने पूछा- तुम ऐसे क्यों बोल रही हो.. तुमको दर्द हो रहा है?
रिया- हाँ.. क्यों?

मैं- मेरे दबाने से दर्द हो रहा है.. तो मैं नहीं दबाऊँगा।
रिया- अगर तू चाहे तो मेरा दर्द कुछ कम कर सकता है।
मैं- वो कैसे.. बताओ मुझे क्या करना है?

उसने मेरे लिए मेरे इतना किया था.. अब मैं उसके लिए कुछ भी करने को तैयार था।
रिया- अर्शित.. मेरे मम्मों में दर्द है.. पर अगर तू ज़ोर-ज़ोर दबाते हुए इन्हें चूसेगा.. तो मेरा दर्द कम हो जाएगा।
मैं- ठीक है..

अब मैं वैसे ही जोर से दबाने और बारी-बारी से उसके निप्पलों को चूसने भी लगा.. पर अब वो और मस्त हो गई और उसका आवाज़ निकालना और बढ़ गया।
रिया- और तेज़ दबा.. हाँ.. आह्ह.. और तेज आह्ह्ह्ह्ह.. हमम्मा..
मैं भी बड़े मज़े से और पूरा मन लगा कर उसके मम्मों को दबाने लगा था।

तभी अचानक मैंने उसके पेट को देखा तो वहाँ पेट के बीच में नाभि को देख कर छूने को मन ललचाने लगा था।

तभी मुझे उसकी योनि को देखने की याद आई। मैंने एक हाथ से उसके पेट के ऊपर से हाथ फिराते हुए उसकी सलवार की डोर खोलने लगा.. तो वो अचानक चौंक कर उठी और मुझे मना करने लगी।

मैंने जब ज़िद की और नाराज़ होने लगा तो रिया ने अपने मम्मों की तरफ इशारा किया- इनको चूसो न..
पर मुझे तो उसकी योनि को देखने का भूत सवार था।

तब उसने उठ कर कुरता पहन लिया और ठीक किया.. फिर सलवार की डोरी को खोल कर बस एक बार हल्का सा दिखाया और फिर बाँधने लगी।
तभी मैं उस पर झपटा और उसे लेटा कर उसकी सलवार नीचे खींच दी और पैन्टी भी नीचे कर दी।
पहली बार मैंने ऐसा कुछ देखा था।

मैंने जब उसके चेहरे को देखा तो उसने अपना चेहरा हाथ से ढक लिया था। मैंने एक उंगली से जब योनि के किनारे को छुआ तो वो घबरा गई और बहुत कंपकपाने भी लगी।

मैंने जब और छुआ और हाथ लगा कर उसकी रानों को हटा कर छेद देखने लगा.. तो उसने मुझे तेज़ी से धक्का दिया और सलवार ठीक करते हुए बाहर चली गई।

मैं उसके शरीर के इस भाग को देख कर सोचता ही रह गया.. पर जब उसे जाते हुए देखा तो वो मुझे ही देख रही थी। उसके चेहरे पर बहुत ही हसीन मुस्कुराहट थी।
अब फैमिली में इतने लोग थे.. तो दुबारा मौका मिलना मुश्किल था।

कुछ ही दिन बाद घर में कोई फंक्शन होने वाला था और रिया के मम्मी-पापा और छोटा भाई आने वाले थे.. तो पास ही घर में एक रूम सैट लेना पड़ा और साफ़-सफाई के बाद दादा-दादी और मैं वहाँ सोने लगे। मुझे पता था मम्मी की मदद करके वो भी इधर ही आ जाएगी।

ऐसा ही हुआ.. थोड़ी देर में घन्टी बजी और मैंने दरवाजा पर उसे मुस्कुराते हुए पाया।
मेरे दादा-दादी आराम कर रहे थे तो हम दोनों दूसरे कमरे में चले गए और बातें करने लगे।
तभी मैंने उसकी जाँघ पर हाथ रखा और सहलाने लगा, वो थोड़े मस्ती के मूड में आने लगी, मैं भी प्यार से उसके पूरे पैर को सहलाने और दबाने लगा और वो मुझे देख कर मुस्कुरा देती।
वैसे अन्दर से बहुत डर लगने लग रहा था.. पर उसके मुस्कुराने से मेरे अन्दर भी आग सी लग जाती।

तभी उसने उठ कर कहा- मैं अभी आती हूँ..
और वो चली गई।
मैं भी उसके पीछे चला गया, वो जानती थी कि मैं पीछे ही हूँ।

तभी रिया ने वॉशरूम में जाकर डोर बंद नहीं किया और ‘श्ससस..’ की तेज़ आवाज़ के साथ ‘सूसू’ करने लगी। मुझे पीछे मुँह कर अन्दर आते देखा.. तो वो तुरंत उठ गई।
रिया- तुम जाओ न.. मैं अभी आती हूँ।
मैं- मैं भी सू-सू करने आया हूँ..
रिया- ठीक है.. पहले तुम कर लो.. मैं बाद में कर लूँगी।
मैं- तुम ही करा दो न.. प्लीज़।

मेरे रिक्वेस्ट करने से वो मान गई और उसने मेरी कैपरी की चैन खोली और अन्दर उंगली डाल कर मेरे लिंग को दोनों उंगलियों से पकड़ कर बाहर निकाला और अपने मुँह से ‘श्श्सश्..’ की आवाज़ निकाली.. और हँसने लगी।

मैंने गुस्से से देखा तो शर्मा गई। मैं सूसू करने के बाद उसकी तरफ़ मुड़ा.. तो वो मेरे लिंग को अन्दर डाल कर चैन बंद करने लगी.. तभी मेरा लिंग बाहर निकल आया.. और चैन के बीच में आ गया। जिससे मुझे बहुत दर्द हुआ और मेरी ‘ईसस्शह..’ की आवाज़ निकल गई।

वो बार-बार ‘सॉरी’ बोलने लगी और मेरे सामने झुक कर बैठी और बड़े संभाल कर मेरे लिंग को चैन से कटने से बचाया।

रिया ने डरते हुए मेरे से पूछा- अब ठीक है..??
मैं- बहुत दर्द हो रहा है।
रिया- अभी ठीक हो जाएगा..

उसने मेरे लिंग को चूम लिया। उसके चूमते ही मेरा दर्द कहाँ गुम हुआ.. पता ही नहीं चला, उल्टा मेरे फेस पर स्माइल आ गई।
यह देख कर रिया मुस्काई और बोली- और मज़ा दूँ?
मैं- वो कैसे?
रिया- रूको.. बताती हूँ..
ये कहते ही उसने मेरे लिंग को मुँह में डाल लिया।

ऑहह.. मैं तो पागल ही होने लगा था.. पर दो ही पल में मेरा लौड़ा उसने बाहर निकाल दिया और कहा- अब तुम चलो मैं आती हूँ।
मैं- क्यों? साथ चलते हैं।
रिया- अरे तुम जाओ.. मैं आती हूँ.. ओके?
मैं- मैं तुम्हारे साथ ही जाऊँगा!
रिया- जान मुझे कुछ करना है।

मैं समझ गया कि उसने अभी भी पूरा सूसू नहीं कर पाया होगा।

मैं- मैं भी तेरी हेल्प करूँगा.. तुमने भी तो की..
रिया- नहीं.. मैं कर लूँगी.. तुम जाओ..

मैं उदास होकर जाने लगा.. तो ये देख वो मुड़ी और मेरा हाथ अपनी कैपरी की तरफ ले गई.. मैं खुश हो गया.. और उसकी कैपरी नीचे की ओर निकालने लगा तब उसने मुझे रोकते हुए कहा।

रिया- अरे बस बस.. क्या पूरी ही नंगी कर दोगे?
मैं- अरे तो सीट पर कैसे बैठोगी?

यह कह कर मैंने उसके पैर उठाने की कोशिश की मगर उसने नहीं उठाने दिया।

जब मैंने रिकवेस्ट की तो उसने साथ दिया.. मैंने उसकी कैपरी उतार दी और वो शरमाने लगी।

तो मैंने कहा- मुझे योनि को देखना है तुम थोड़ा आगे होकर बैठो न.. प्लीज़..
रिया- अरे नहीं.. तब मेरा सूसू बाहर गिरेगा.ट।
मैंने- वो मैं तेरे…
रिया- मेरे क्या?
मैंने- वो तेरी उसको किस करना है।
रिया- छी गंदा.. जाओ यहाँ से..
मैंने- बस एक बार.. प्लीज़..
रिया- अरे नहीं जानू.. मुझे ऐसा करने में शर्म आएगी।

पर मैंने उसके पैर खोले और अपने हाथों की उंगलियां उसकी जाँघ को सहलाते हुए उसकी योनि के पास गया।
रिया- अर्शित नहीं.. मत करो मुझे डर लग रहा है।

मैंने जब अपने होंठ उसकी योनि पर रखे तो वो सिहर सी गई, वो ‘आई लव यू…’ कहते हुए झुकी और अपना सर मेरे पीठ पर रख कर मुझे कस कर पकड़ लिया।
वो मेरे प्यार से बहुत खुश हो गई थी.. मेरे बहुत कहने से भी रिया मेरी ऊपर सूसू नहीं कर पाई.. मैं भी बच गया।

रिया- अब चलें?
मैं- हाँ।
रिया- मेरी कैपरी दो..
मैंने दे दी.. मेरे आगे जाते ही उसने सीट खोल कर सूसू की और कैपरी डाल ली।
मैंने नाराज़गी जताई.. तो उसने प्यार से सॉरी बोल दिया।

मैं कमरे में चला गया.. थोड़ी देर में वो भी आ गई। हम दोनों प्यार तो कर रहे थे.. पर हमें ये नहीं पता था कि आगे क्या होता था।
हम इतने में भी खुश हो लेते थे, हमारे लिए तो ये सब ही सेक्स था।

रिया अपने मम्मी-पापा के साथ चली गई। तब से हम आज तक नहीं मिले। जाने के कुछ साल बाद उसकी शादी हो गई। जब वो मम्मी के पास आती है.. मुझे फ़ोन कर लेती है।

मुझे तो आज भी उसकी और उसके मम्मों की बहुत याद आती है।

यही था मेरा दूसरा प्यार.. जिससे मुझे अपने पहले प्यार को पाने में मदद मिली.. जो मैं जल्द ही आपके लिए लाने वाला हूँ।

ये मेरे कैशोर्य का खेल था.. प्लीज़ आप मुझे अपने कमेंट्स ज़रूर दें ताकि मैं अपनी जवानी के और कारनामे भी बता सकूँ।
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