हसरत-ए-लंड बेइन्तहा

(Hasrat E Lund Beinteha)

नदी किनारे घटना घटी, घटना थी गंभीर..
काली दास ने चोदी रंडी, फँस गए संत कबीर..

सभी चुदास चूतों और भूखे लंडों को लकी शर्मा का प्रणाम।

दोस्तों हम इक्कीसवीं शताब्दी में हैं पर मुझे समझ नहीं आता कि आज भी सभी जवान लौंडों को सिर्फ हाथ का ही साथ है और एक से एक चिकनी चूतें भी कभी उंगली कभी बैंगन मूली और पता नहीं किस-किस का शिकार बनी हुई हैं।

मैं ये पूछना चाहता हूँ ‘माय लार्ड’ कि मुठिया पे मुठिया.. उंगली पे उंगली.. ये अन्याय कब तक चलता रहेगा। जब हमें एक-दूसरे की जरूरत है.. फिर भी हमारा अनमोल वीर्य वाशरूम की नालियों में क्यों बह रहा है।

कहा जाता था कि अच्छे दिन आएंगे.. पर आज भी मैं और मेरे हाथ अक्सर ये बातें करते हैं कि भेन्चोद.. आखिर ये कब तक चलेगा?

चलिए अब कहानी पर आते हैं।

मेरा नाम लकी शर्मा है, मेरी उम्र 23 साल है और मैं कुल्लू हिमाचल प्रदेश से हूँ।
मैं आजकल इंदौर में जॉब करता हूँ।
मेरा व्यक्तित्व आकर्षक है इसीलिए मुझे गर्ल फ्रेंड्स बनाने में कोई ज्यादा मुश्किल नहीं होती।

मैंने आज तक लगभाग 15-16 लड़कियों के साथ अपने लंड की गर्मी को शांत किया है।
मैं एक सेक्स एडिक्ट हूँ। मुझे ज्यादा नहीं तो हफ्ते में एक-दो बार जी भर के अपने लौड़े की चाहत को पूरा करना पड़ता है। वर्ना यह चैन से जीने नहीं देता।

मैं बचपन से ही बहुत ठरकी किस्म का लड़का हूँ, यह बात मुझे कम उम्र में पता चल गई थी।

हुआ कुछ यूं था कि मेरी कजिन सिस्टर पूजा जो मुझसे एक साल छोटी है, वो हमारे घर गर्मियों की छुट्टियों में आई थी।
उसके साथ उसकी पड़ोस की लड़की अनामिका भी आई थी।

वो मुझे बहुत पसंद करती थी।
जब वो घर आई तो मुझे कसकर खुद से लिपटा लिया और मेरे गुलाबी होंठों को जोर से चूमा।
मैं बचपन में बहूत क्यूट था, तो जो भी घर आता.. अक्सर ऐसा ही करता था।

अनामिका एक बहुत ही सेक्सी लड़की थी, गोल-मटोल चूतड़, तीखे नैन और भरी-भरी चूचियाँ थीं जिन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता था कि उसकी उम्र सिर्फ 19 साल थी।

दोस्तो, मेरी लाइफ की पहली घटना है जब मेरे अन्दर चूत में लंड डालने की इच्छा हुई।

ऊपर से मुझे अनामिका ने मुझे एक ज़बरदस्त फ्रेंच किस कर दिया था।
उसके तन की खुशबू, उसके उस मादक स्पर्श ने न जाने क्या जादू कर दिया था।
उसने सब मुझे अपना समझ कर ही किया था, पर मेरे लिए तो मानो वक्त थम गया था।

मेरे चारों तरफ वायलन बज रहे थे और मेरी लुल्ली लोअर में तन गई थी।

अब बस मैं रात को उसके साथ सोने का जुगाड़ लगा रहा था।

उन दिनों हमारे घर में नये किचन बाथरूम का काम चल रहा था। तो पापा ने कुछ समय के लिए एक अस्थाई बाथरूम और उसके साथ एक किचन बनाया था।

किचन में टेबल पर चढ़ कर आराम से बाथरूम में देखा जा सकता था क्योंकि बाथरूम में कोई छत नहीं थी। मैं बस सोच रहा था कि अनामिका कब नहाने जाए और मुझे खजुराहो के दर्शन घर बैठे हो जाएं।

मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा।
मैं अपने कमरे में था मैंने खिड़की से देखा तो अनामिका हाथ में साबुन और कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई।

बस फ़िर क्या था.. मैं झट से किचन की ओर लपका और टेबल के ऊपर चढ़ गया।

मुझे लगा था कि एक नंगे शरीर को देखने का मौका मिलेगा.. पर यह कुछ गड़बड़ थी।
अनामिका की सलवार टंगी हुई थी.. पर उसका कुरता अभी भी उसके शरीर पर था।

वो खड़े-खड़े आँखें बंद किए ऊपर की तरफ देख रही थी, उसका बायां हाथ उसके उरोजों पर था और दायां हाथ कुछ नीचे उसके कुर्ते में घुसा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे उसका हाथ नीचे से हिल रहा हो।

तभी मुझे एक टूथब्रश का अगला हिस्सा दिखा, वो आगे-पीछे हुआ जा रहा था।
मैं बहुत असमंजस में पड़ गया.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो आखिरकार कर क्या रही है।

परन्तु उसके चेहरे के भाव देख कर मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया। अब वो बहुत जल्दी-जल्दी हाथ चलाने लगी। उसके मुँह से सिस्कारियां निकल रही थीं।

उस दिन मुझे पता चला कि लड़की कैसे अपने आपको शांत करती है।

उसका गोरा चेहरा एकदम लाल हो गया था।
शायद उसे बहुत मज़ा आ रहा था।

जल्दी ही उसने अपना हाथ नीचे से हटाया और थोड़ा आगे झुक कर अपना कुरता भी अलग कर दिया।
यह मेरी ज़िन्दगी का पहला और सबसे उत्तेजक क्षण था।

पहली बार मैंने किसी लड़की को पूरी नंगी देखा था।

मैंने जब उसके उरोज़ देखे तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।
वो एकदम टेनिस बॉल की तरह टाइट थे, उस पर उंगलियों के लाल निशान थे।

मैंने फटाफट अपनी लुल्ली बाहर निकाली और उसे मसलने लगा.. क्योंकि सही से हस्तमैथुन कैसे करते हैं, मुझे ये उस वक्त ज्ञान नहीं था।
उसकी सिसकारियां और तेज़ होती जा थीं ‘आह आह.. आआह इस्स्स..’

शायद वो झड़ने वाली थी और दीवार के ऊपर चढ़ा हुआ मैं अपनी लुल्ली को मसलने में मशगूल था।

अब इतनी जल्दी में मेरा तो पानी निकलेगा नहीं.. परन्तु मैं जिस आनन्द का अनुभव रहा था, उसका ज़िक्र लफ्जों में नहीं किया जा सकता।

तभी मुझे बाहर से किसी के आने की आहट सुनाई दी.. मैं फटाफट टेबल से उतरकर फ्रिज से कुछ निकालने लगा।

बाहर से आवाज़ आई- अनामिका, कितना टाइम लगेगा?

‘बस आंटी हो ही गया..’

उसके मुँह से ‘हो गया’ सुनकर मेरी हँसी निकल पड़ी।

कुछ देर बाद वो भी बाहर आ गई।

अब मैं रात को उसके साथ सोने का इंतज़ार करने लगा। रात हुई, जैसा मैंने सोचा था बिल्कुल वैसा नहीं हुआ.. पर उसने मुझे अपने साथ ही सुला लिया था क्योंकि उस कमरे में मॉम भी थीं।

तो एक तरफ को मॉम, बीच में मैं और दूसरी तरफ मेरी ड्रीम गर्ल अनामिका। अनामिका ने कुछ देर मुझसे बात की और फिर मुझसे गले से लग कर वो सो गई।

उसका एक बाज़ू मेरे ऊपर था और एक सेक्सी जांघ मेरी टांग पर थी।
मैं उसकी चूत की गर्मी को महसूस कर सकता था।

मेरे लिए लुल्ली के कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो रहा था, उसने मुझे कसकर अपने से चिपका रखा था.. जिससे मैं बहुत गर्म हो गया था।
मेरे अन्दर अन्तर्वासना का सैलाब उमड़ आया था।

उस वक्त मैं अंडरवियर नहीं पहने हुआ था.. तो मुझे डर था कि कहीं अनामिका या मॉम का हाथ उधर चला गया तो मैं फँस जाऊँगा। इसलिए मैं सोने का नाटक करते हुए अनामिका की तरफ मुड़ा और उस पर अपना हाथ रख लिया।

उसकी कोई प्रतिक्रिया न देख कर मैंने सोचा कि बेटा लकी मौका अच्छा है.. चिपक जा अच्छे से.. और मैंने अपना मुँह उसके स्तनों से चिपका लिया।

मैंने उसके शरीर में हल्की सी सिरहन महसूस की.. पर उसने मुझे रोका नहीं। मेरे दिमाग में झट से प्लान आया। मैंने अपने गाल और
जीभ को अन्दर की तरफ चूसना शुरू कर दिए.. जैसे बहुत छोटे बच्चे करते हैं.. जब उनका दूध पीने का मन होता है।

यह आवाज सुनते ही अनामिका ने अपना निप्पल कुर्ती के अन्दर से ही मेरे मुँह पर सैट कर दिया।

शायद मेरे तन की गर्मी पाकर उसको भी कुछ हो गया था पर मुझे पूरा विश्वास था कि मेरे इरादों से वो बिल्कुल अनजान थी।

मैंने बिना समय गंवाए कपड़े के बाहर से ही उसका निप्पल चूसना चालू कर दिया।

वो हल्के-हल्के सिसकारियां भरने लगी.. जिसे सिर्फ मैं महसूस कर सकता था।
शायद उसे असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही थी।

मैंने महसूस किया कि उसने अपना दूसरा हाथ चुपके से अपने दूसरे उरोज़ पर रख दिया था और उसे धीरे-धीरे मसल रही थी।

हम दोनों ही एक-दूसरे से अनजान बनकर एक-दूसरे का शरीर भोग रहे थे। मेरी लुल्ली उसकी जाँघों पर टकरा रही थी और मैं भी उसकी चूत की गर्मी को अपने पेट पर महसूस कर सकता था।

अब मैं बस उसकी चूची को बाहर निकालने का सोचने लगा। मैंने कुछ हरक़त चालू ही की थी कि मुझे अपने माथे और बालों के बीच एक हाथ सहलाता हुआ महसूस हुआ। जबकि अनामिका का एक हाथ तो उसके उरोज़ पर और दूसरा लगभग मेरी लुल्ली के पास था।

जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि ये मेरी मॉम का हाथ है.. मेरी गाण्ड फट के सिरहाने पर आ गई।

फिर मुझे कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।

इस घटना के बाद मुझे अनामिका को चोदने का मौका कई साल बाद मिला।

तो दोस्तो, ये मेरे हरामीपन का ‘ब्रीफ इंट्रोडक्शन’ था। अगले भागों में आप मेरी सभी चुदाइयों के बारे में विस्तार में पढ़ेंगे। बस आपके उत्साहवर्धक ईमेल की जरूरत है।

कुछ ही दिनों में अगली कहानी लेकर पेश होऊँगा। तब तक अपने लौड़ों और चूतों का ख्याल रखिएगा।
बाय..
[email protected]

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