चूत एक पहेली -85

(Chut Ek Paheli- Part 85)

पिंकी सेन 2016-05-05 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

मुनिया- आह्ह.. फाड़ दो.. चोदो आह्ह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. ये आप कैसी बात करते हो.. आह्ह.. आपके अलावा में किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती आह्ह..
रॉनी- आह ले आह्ह.. अच्छा किया.. नहीं तो साली मज़ा खराब हो जाता मेरा.. आह्ह.. ले आह्ह..

रॉनी स्पीड से मुनिया की चूत को चोद रहा था.. वो भी उसका पूरा साथ दे रही थी। लगभग 20 मिनट तक ये तूफान जोरों पर था.. उसके बाद मुनिया की चूत नामक बाँध में दरार पैदा हो गई.. वो बाँध कभी भी फट सकता था।
मुनिया- आह्ह.. तेज तेज करो.. आह्ह.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. आआ एयेए..
मुनिया का झरना फूट पड़ा और उसके साथ ही रॉनी का लौड़ा भी झड़ गया.. दोनों के पानी का संगम हो गया।

अब आगे..

कुछ देर दोनों ऐसे ही पीछे की सीट पर पड़े रहे.. उसके बाद इस चुप्पी को मुनिया ने तोड़ा- अच्छा बाबूजीm अपने बताया नहीं.. आप अकेले क्यों आए हो.. पुनीत जी कहाँ हैं?
रॉनी- क्यों साली.. मेरा लौड़ा कम पड़ गया तेरे को.. जो पुनीत को याद कर रही है तू हाँ?

मुनिया- अरे बाबूजी.. आप भी ना बस.. मैं तो ऐसे ही पूछ रही हूँ और वैसे भी अब वहाँ तो आप दोनों मुझे कहाँ सुकून लेने दोगे.. वहाँ तो दोनों मेरी जमकर चुदाई करोगे ना..
रॉनी- मेरी भोली मुनिया.. वहाँ हम दो के अलावा 5 दोस्त और हैं.. तू बच के रहना.. कहीं सभी तेरे पीछे ना पड़ जाएं हा हा हा।

रॉनी की बात सुनकर मुनिया चौंक गई- हे राम रे पांच और.. ना ना बाबूजी.. ऐसा ज़ुल्म ना करना.. मैं तो मर ही जाऊँगी।
रॉनी- अरे डरती क्यों है.. मजाक कर रहा हूँ.. वहाँ मेरे दोस्त की बहन और पुनीत की बहन भी होगी।

मुनिया- हाय राम.. तब तो मुझे बहुत सावधान रहना होगा आपकी बहन के सामने.. थोड़ी आप कुछ कर पाओगे.. मैं तो बस चुपचाप अपना साफ सफ़ाई का काम ही करती रहूँगी.. ठीक है ना..
रॉनी- अबे साली.. तू क्या समझ रही है.. वो यहाँ कोई भजन कीर्तन करने आई है क्या.. और हाँ मेरी नहीं.. पुनीत की बहन कहा है मैंने..

मुनिया- बाबूजी आप तो पहेलियाँ सी बुझा रहे हो.. और जब आप दोनों भाई हो.. तो वो आपकी बहन हुई ना?
रॉनी समझ गया कि इसको ऐसे कुछ समझ नहीं आएगा.. तो उसने मुनिया को सब कुछ साफ-साफ बताया.. जिसे सुनकर मुनिया की आँखें फटी की फटी रह गईं।

मुनिया- हाय राम कैसा जमाना आ गया.. ऐसा भी कोई खेल होता है क्या जिसमें अपनी बहन को दांव पर लगाना पड़े.. ना बाबा ना.. ये तो कलयुग है।
रॉनी- अबे साली द्रौपदी का चीर हरण हुआ था.. वो भी तो कुछ ऐसा ही गेम था.. बस फ़र्क ये है उसमें बीवी थी.. यहा बहन है।

मुनिया- बाबूजी हम ठहरे गाँव के लोग.. हमें क्या पता ऐसे खेल के बारे में.. आप बड़े लोग हो.. आप ही जानो।
रॉनी- अब सुन.. वहाँ तुझे नॉर्मल ही रहना है.. वैसे तो पायल को पता है कि तू हमसे चुदी हुई है.. फिर भी तू उससे ज़्यादा बात ना करना।
मुनिया- हाय राम.. कैसे भाई हो आप.. ऐसी बातें कोई अपनी बहन को बताता है क्या?

मुनिया की बात सुनकर रॉनी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसकी आँखों में खून उतर आया- चुप साली कुतिया.. क्या बार-बार उस रंडी को मेरी बहन बता रही है.. वो उस कुत्ते की बहन है बस.. समझी..

रॉनी का ये रूप देख कर मुनिया बहुत डर गई- माफ़ करना बाबूजी.. दोबारा नहीं कहूँगी.. मगर आप उसको रंडी क्यों बोल रहे हो?
रॉनी- अबे साली रंडी को रंडी ना बोलूँ तो क्या बोलूँ.. हाँ बता.. वो हरामजादी कुतिया जब ऐसे गेम के लिए मानी.. तभी वो मेरे लिए एक रंडी बन गई थी.. समझी?
मुनिया- बाबूजी आप भगवान के लिए शान्त हो जाओ.. इतना गुस्सा मत करो.. मैं अब आपसे कोई सवाल नहीं करूँगी।

रॉनी- सॉरी यार.. मैं थोड़ा गुस्से में आ गया था.. अब सुन तुझे एक बहुत जरूरी बात बतानी है.. वहाँ जाकर कोई गड़बड़ ना कर देना।
मुनिया- ठीक है बाबूजी आप बताओ।

रॉनी बड़े आराम से मुनिया को कुछ समझाने लगा.. जिसे सुनकर मुनिया के चेहरे के भाव बदलने लगे। उसका सर चकराने लगा.. वो बस गर्दन ‘हाँ’ या ‘ना’ में हिला कर सब कुछ चुपचाप सुनती रही।
रॉनी- अब समझ आ गया ना.. वहाँ कोई गड़बड़ ना कर देना तू..

मुनिया- ना बाबूजी ना.. अब आप चिंता ना करो.. अब मैं सारी बात समझ गई हूँ। अब तो आप बस अपनी मुनिया का कमाल देखना।
रॉनी ने खुश होकर मुनिया को किस किया, उसके बाद दोनों वहाँ से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ गए।

दोस्तो, ये रास्ते में चुदाई कर रहे थे सन्नी और अर्जुन वहाँ पहुँच भी गए।

हाँ एक बात और टोनी भी कोमल को लेकर वहाँ पहुँच गया था.. जिसे देख कर पायल मन ही मन सोच रही थी कि आज इसका क्या हाल होगा.. पता नहीं और वहीं कोमल भी पायल को देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी कि बेचारी आज पता नहीं कितने लौड़ों से चुदने वाली है।

जब रॉनी और मुनिया वहाँ पहुँचे तो हॉल में सब बैठे हुए चिप्स और कोल्डड्रिंक्स का मज़ा ले रहे थे।

मुनिया को देख कर टोनी और उसके फालतू दोस्तों की आँखें चमक गईं.. वहीं मगर अर्जुन और सन्नी ने नॉर्मल बिहेव किया। यही हाल मुनिया का था अर्जुन को देख कर उसको ज़रा भी ताज्जुब नहीं हुआ।

दोस्तो, आपके मन में कई सवाल खड़े हो गए होंगे। अब ज़्यादा वेट नहीं करना होगा.. बस वक़्त आ गया है तो आगे खुद देख लो।

टोनी- अरे रॉनी.. ये किसको साथ ले आए तुम?
रॉनी- काम वाली है.. दिखाई नहीं देती क्या तुझे?
टोनी- अच्छा कौन-कौन से काम कर लेती है ये.. हा हा हा हा..
पुनीत- अबे चुप साले कुत्ते.. जब देखो लार टपकाता रहता है।

टोनी- अरे यार पुनीत अब बस भी कर ये शराफत का ढोंग.. अब तो बन्द कर दे सबको पता है.. हम यहाँ क्यों जमा हुए हैं.. अब थोड़ा तो मज़ा लेने दे।
रॉनी- टोनी, ये यहाँ खाना बनाने के लिए आई है.. हम जो करेंगे वो करेंगे.. इसका इससे कोई मतलब नहीं है ओके.. अब चुपचाप बैठ।

रॉनी ने मुनिया को अन्दर भेज दिया और खुद सोफे पर बैठ कर एक कोल्डड्रिंक ली और आराम से पीने लगा।
कोमल और प्रिया पहले ही कमरे में चली गई थीं.. आराम करने के लिए।

टोनी- अरे यार ये कोक ही पीओगे क्या.. अब तो कोई दारू-वारू का राउंड चालू करो..।
रॉनी- साले अभी से पीने लगेगा तो रात तक टुन्न हो जाएगा.. फिर गेम क्या तेरा बाप आकर खेलेगा।
टोनी- देख रॉनी तू बाप तक मत जा.. हाँ बोल देता हूँ मैं।
पुनीत- अबे चुप साले हरामी.. कल बड़ा अकड़ रहा था ना.. तेरे बाप का तो पता नहीं.. मगर तेरी बहन की आज हालत बिगाड़ दूँगा।

टोनी- वो तो वक़्त ही बताएगा कि तू मेरी बहन की हालत बिगाड़ता है या पायल की चीखें सुनकर अपने कान बन्द कर लेगा.. हा हा हा।
पुनीत- अबे कुत्ते.. तेरी इतनी हिम्मत कि तू अपनी गंदी ज़ुबान से पायल का नाम ले.. साले रुक अभी तुझे बताता हूँ।
पुनीत गुस्से में टोनी की तरफ़ लपका तो सन्नी ने उसका हाथ पकड़ लिया।

सन्नी- पुनीत ये क्या हो रहा है.. तुम बोलो तो ठीक है.. और ये बोले तो गुस्सा.. ऐसा क्यों?
पुनीत- यार तूने सुना ना.. इसने पायल के बारे में क्या कहा अभी?
सन्नी- हाँ सब सुना और ऐसा क्या गलत कह दिया.. हम यहाँ जिस काम के लिए जमा हुए हैं.. उसमें एक की चीखें तो निकलेंगी ही.. अब ये गुस्सा जाने दो और और रूल्स की बात कर लो। सब पहले वाले होंगे या कुछ चेंज करना है।

रॉनी- नहीं आज खास गेम के लिए खास रूल होंगे.. सन्नी तुम ऐसा करो पायल और कोमल को भी बुला लाओ.. ताकि वो भी रूल सुन लें।
सन्नी ने दोनों को बुला लिया.. अब वो भी पास में आकर बैठ गईं।

अर्जुन चुपचाप बस ये तमाशा देख रहा था.. उसको तो बस पायल की चुदाई से मतलब था.. बाकी दुनिया जाए भाड़ में।

टोनी- बोलो क्या रूल चेंज होंगे?
रॉनी- देखो हम 6 लोग खेलेंगे एसीपी साहब तो हमारे मेहमान हैं.. तो ये बस साइड में बैठ कर गेम देखेंगे।
टोनी- हाँ सही बात है.. आगे बताओ।
रॉनी- ये गेम टीम बना कर खेलेंगे तुम तीन और हम तीन.. सबको पहले की तरह तीन-तीन कार्ड्स दिए जाएँगे। अब नया रूल ये है कि हम तीनों आपस में एक-एक कार्ड बदल सकते हैं.. सेम तुम भी ऐसा कर सकते हो।

सन्नी- गुड यार.. इसमें तो मज़ा आएगा जैसे मेरे पास बड़ा कार्ड आ गया तो मैं पुनीत को दे दूँगा और वो जीत जाएगा।
टोनी- मस्त है ये आइडिया.. तो मगर तुम तीनों में अगर पुनीत के पास बड़े कार्ड्स होंगे.. वो तो जीत जाएगा मगर तुम्हारा क्या होगा?
रॉनी- गधे के गधे रहोगे तुम.. ये गेम तुम्हारे और पुनीत के बीच है.. समझे? बस तुम दोनों के कार्ड्स ही ओपन होंगे.. बाकी सब सारे कार्ड्स गड्डी में मिला देंगे।

पायल- वाउ भाई.. इट्स न्यू आइडिया मज़ा आएगा आज तो..

पायल के बोलने के साथ ही अर्जुन की नज़र उससे मिली.. उसका लौड़ा तो उसको देख कर ही सलामी दे रहा था।

आप जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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