बहन का लौड़ा -67

(Bahan Ka Lauda-67)

पिंकी सेन 2015-07-30 Comments

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अभी तक आपने पढ़ा..

दोस्तो, अगर आप लड़के हो तो प्लीज़ किसी कच्ची कली के चक्कर में किसी की लाइफ बर्बाद मत करना। सेक्स भगवान का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है। सेक्स करो.. मगर ज़बरदस्ती या किसी को मजबूर करके नहीं.. और अगर इंसान हो तो किसी एक के साथ वफ़ा करो.. अलग-अलग के साथ तो जानवर करते हैं। लड़कियां भी ये जान लें कि प्यार अँधा होता है.. मगर पागल नहीं.. दिमाग़ इस्तेमाल करें.. अपने प्रेमी को खुश करने के लिए ऐसा कदम ना उठाएं कि सारी जिंदगी आपको पछताना पड़े.. ओके..
आज कुछ ज़्यादा ही मैंने उपदेश दे दिया सॉरी.. अब आगे क्या हुआ वो देखते हैं।

इसी तरह कुछ और दिन निकल गए। अब सब नॉर्मल हो गए थे.. तो चलो नये दिन की शुरूआत ख़ुशी के साथ करते हैं।

अब आगे..

आज रविवार का दिन है.. मीरा और राधे सुकून की नींद सोए हुए हैं तभी ममता आ गई और अपनी आदत से मजबूर मीरा के कमरे को ठोकने लगी।
ममता- बीबी जी उठो.. अब तक सो रही हो.. मुझे आपसे जरूरी बात करनी है।
मीरा और राधे की आँख खुल गईं, मीरा नींद में उठी और दरवाजा खोल दिया।
मीरा- क्या है ममता.. आज रविवार है मुझे कौन सा स्कूल जाना है.. क्यों परेशान कर रही हो?

ममता जल्दी से आगे बढ़ी और उसने मीरा को गले से लगा लिया और उसको चूमने लगी।
ममता- बीबी जी आज में बहुत खुश हूँ.. मैं माँ बनने वाली हूँ। यह सब आपकी कुर्बानी का नतीजा है, मैं माँ बनने वाली हूँ ओह्ह…

उसकी बात सुनकर मीरा की नींद उड़ गई वो भी बहुत खुश हो गई और राधे भी बिस्तर पर बैठा मुस्कुराने लगा।
जब ममता ने राधे को देखा तो ख़ुशी के मारे वो उसके लिपट जाने को बेताब हो गई और मीरा को अलग करके वो राधे की ओर भागी.. मगर फ़ौरन ही उसको अहसास हो गया कि मीरा वहीं है और वो रुक गई।

ममता की हालत का अहसास मीरा को हो गया तो वो हँसने लगी।

मीरा- हा हा हा अरे ममता डर मत.. आज तो ख़ुशी का मौका है.. जा लिपट जा अपने होने वाले बच्चे के बाप से.. हा हा.. इसके बाद तो मैं तुमको मेरे राधे को छूने भी नहीं दूँगी।
ममता- बीबी जी आप क्या.. साहेब जी ने खुद यही कहा था कि जब बच्चा ठहर जाएगा.. तो वो मुझे स्पर्श भी नहीं करेंगे सच्ची आप बहुत भाग्यशाली हो.. जो आपको इतना प्यार करने वाला पति मिला।

मीरा- हाँ जानती हूँ ममता.. अभी मैं नहाने जा रही हूँ.. तुम दिल खोल कर अपने अरमान निकाल लो.. क्योंकि ये सब मैंने तुम्हें ख़ुशी देने के लिए किया था। अब आगे अगर ये रिश्ता बना रहा तो इंसानियत और शराफ़त के साथ धोखा होगा। अभी तो शायद भगवान हमें माफ़ कर दे.. क्योंकि एक अच्छे काम के लिए हमने गंदा काम किया है.. मगर इसके आगे सिर्फ़ वासना होगी.. जिसकी माफी कभी नहीं मिलती।

ममता ने भी मीरा की ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिलाई… वो सच्ची बहुत खुश थी। हाँ दिल के एक कोने में उसके यह अहसास भी था कि अब उसको राधे के मस्त लौड़े का मज़ा नहीं मिलेगा.. मगर बच्चे की सोच कर उसका दिल खुश हो गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मीरा बाथरूम चली गई तो ममता ख़ुशी के मारे राधे से लिपट गई और राधे ने भी उसको मुबारकबाद दी।

तीनों ने मिलकर नाश्ता किया। हाँ दिलीप जी सुबह-सुबह कहीं बाहर निकल गए थे.. तो ये खुलकर बातें कर रहे थे और हँस रहे थे।

चलो दोस्तो, यहाँ तो सब ठीक है। रोमा के हाल जान लेते हैं।
रोमा की माँ ने उसको उठाया और कहा- अरे रविवार है तो क्या हुआ.. तू सोती रहेगी क्या.. मुझे मार्केट जाना है.. तू नाश्ता कर ले।

रोमा ने कहा- मुझको टीना के घर जाना है.. कल से हम लोगों के टेस्ट हैं तो आज पूरा दिन मैं टीना के साथ स्टडी करूँगी।
तो उसकी माँ ने कहा- तो ठीक है.. जल्दी से तैयार हो ज़ा.. हम साथ ही निकलेंगे।

बस रोमा उठी और फटाफट तैयार हो गई.. नाश्ता किया और माँ के साथ निकल गई और पहुँच गई सीधे टीना के घर के पास.. मगर उसका सामना बाहर ही आयुष से हो गया।
आयुष- हाय रोमा कैसी हो?
रोमा- मैं ठीक हूँ.. आप बताओ.. कैसे हो.. टीना उठ गई क्या?
आयुष- मैं एकदम अच्छा हूँ.. तुमसे कुछ बात करनी थी।

रोमा को पता था आयुष क्या कहना चाह रहा था.. मगर अब उसको प्यार के नाम से नफ़रत हो गई थी।
रोमा- देखो आयुष.. प्लीज़ बुरा मत मानना। मैं जानती हूँ तुम्हें क्या बात करनी है.. प्लीज़ मेरा ख्याल दिल से निकाल दो.. मुझे इन सब में कोई दिलचस्पी नहीं है।

आयुष- अरे मेरे कहे बिना तुम कैसे बोल सकती हो.. कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
रोमा- अच्छा तो तुम अपने मुँह से बता दो।
रोमा थोड़ी चिड़चिड़ी सी हो गई थी।

आयुष- देखो रोमा मुझे पता है.. टीना ने तुम्हें मेरे बारे में कहा था और तुमने सोचने का समय माँगा था। मगर आज मैं अपने दिल की नहीं तुम्हारे दिल की बात कहना चाहता हूँ।
रोमा- मेरे दिल की क्या बात है?

आयुष- मैं जानता हूँ.. तुम किस मुसीबत में फँस गई थी और बड़ी मुश्किल से जान बची है.. मगर एक इंसान को देख कर सभी को बुरा समझना.. यह ठीक नहीं है। भले ही तुम मुझसे प्यार ना करो.. मगर हम अच्छे दोस्त तो बन सकते हैं ना?
आयुष के मुँह से ये बात सुनकर रोमा को झटका लगा कि टीना ने आयुष को सब बता दिया है।

रोमा- आयुष प्लीज़ इस टॉपिक पर मुझे कोई बात नहीं करनी और ना ही मुझे दोस्ती करनी है.. हटो मेरे सामने से.. मुझे टीना से मिलना है।
रोमा गुस्से में अन्दर चली गई। टीना उस समय चाय पी रही थी.. उसने रोमा को चाय के लिए पूछा.. मगर उसने मना कर दिया और मौका देख कर टीना को कमरे में ले गई।
टीना- अरे क्या हुआ.. बता तो.. ऐसे गुस्से में मुझे क्यों अन्दर ले आई?

रोमा- टीना हमने वादा किया था कि वो बात किसी को नहीं बताएँगे और तूने अपने भाई को बता दी.. छी:.. तुम्हें उसको वो सब बताते हुए शर्म नहीं आई।
टीना- तेरा दिमाग़ खराब हो गया है.. भला में क्यों बताऊँगी?

रोमा ने टीना को पूरी बात बताई तो टीना हैरान हो गई।
टीना- नहीं नहीं.. कुछ तो गड़बड़ है.. भाई को कैसे पता चला?

दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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