प्यास भरी आस: एक चाह-3

(Pyas Bhari Aas Ek Chah-3)

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उसने कहा- अच्छा जी? इतना घमण्ड है खुद पर?
मैं बोला- अगर यकीन नहीं हो रहा तो आजमा कर देख लो।

उसने कहा- बीच में तो नहीं छोड़ोगे?
मैंने कहा- अगर बीच में छोड़ दिया तो कभी…

अभी इतना ही बोला था कि उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और मुझे बीच में ही रोक दिया।

मैं उसके इस हमले के लिए तैयार नहीं था लेकिन फिर भी मैंने अपने आप को संभाला और उसका साथ देने लगा।

शुरुआत में तो बस कुछ देर तक ऊपरी रस का स्वाद मिला, उसके बाद मैंने अब देर ना करते हुए उसका होंठों को चूमना छोड़ चूसना शुरू कर दिया, कभी अपने जीभ को उसके मुंह में डाल देता तो कभी उसके जीभ को अपने मुंह में लेकर चूसता।

क्या मदमस्त मौसम था उस वक़्त का… मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी तरफ से मुझे हरी झंडी मिल गई है और आज पूरी रात तो केवल बैंग बैंग ही होने वाला है।

आज रात पहली बार मैं सच में किसी चूत का दर्शन भी करूंगा और उसका भोग भी लगाऊँगा।

मैं बस सोचता जा रहा था और चूसता जा रहा था, मुख मर्दन में मुझे अभी इतना मजा आ रहा था कि कब 25 मिनट गुज़र गए पता ही नहीं चला।

फिर हम दोनों ने अपने आप को एक दूसरे से अलग किया और मैं उसको देखने लगा, पहले तो वो शर्मा गई और फिर मेरी तरफ देख कर पूछा- क्या देख रहे हो?

मैंने कहा- क्या बात है आज किस्मत मुझ पर मेहरबान कैसे हो गई?

उसने कहा- जबसे तुम मेरे ऊपर गिरे, उस दिन से ही मैंने मन बना लिया था कि अब तो तुम ही मुझे संतुष्ट करोगे, मैंने ठान लिया था कि अब तो मैं चुदूंगी भी तुमसे और बच्चा भी तुम्हीं से लूँगी।

मैंने कहा- जान कहो तो लाइन लगा दूँ, चिंता क्यों करती हो, अब तो मैं बस तुम्हारा हूँ जो मर्ज़ी ले लो।

और फिर से मैं उसे चूमने लगा और साथ ही साथ उसकी चूचियाँ भी दबाने लगा।

अब उसके मुख से धीरे धीरे सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गई थीं, ऐसा लग रहा था जैसे किसी प्यासे को सदियों बाद पानी मिला है।
वो इसी तरह तड़प रही थी और उसी शिद्दत से मुझे अपने अंदर समा लेने को भी बेकरार थी।

अब मैंने भी देर ना करते हुए उसके गाउन कि डोरी खोल दी और चूमते चूमते उसके गाउन को उसके शरीर से अलग कर दिया।

उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था, ना ही पैंटी और ना ही ब्रा… उसका पूरा का पूरा दूधिया नंगा बदन अब मेरी आँखों के सामने था। मैं उसके एक एक अंग को बड़ी ही बारीकी से निहार रहा था… क्या सेक्सी जिस्म था उसका जो किसी को भी पागल बना दे।

मैं उसे एकटक देखे जा रहा था, तभी उसने कहा- अब तो ये पूरा का पूरा तुम्हारा है तो देख क्या रहो हो, नोचो इसे, खा जाओ।

जैसे ही उसने यह कहा, मैंने अपने कपड़े उतारे और फिर मैं उस पर पागलों की तरह टूट पड़ा, उसे चूमना, चाटना, नोचना, काटना और इससे ज़्यादा और जो कुछ कर सकता था करने लगा।

वो भी पागलों की तरह मेरा साथ दे रही थी और खूब तेज़ तेज़ सिसकारियाँ ले रही थी।

मैंने उसकी चूत छोड़ कर उसका पूरा शरीर अपने मुंह से गीला कर दिया।

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ना ही लंड चुसवाने में और ना ही चूत चाटने में, मैं थोड़ा भी समय नहीं गंवाना चाहता था, इसलिए पहले मैंने उसके पूरे शरीर को अच्छे से मसला, फिर उसे सीधा लिटा कर उसके उपर आ गया, अपने पैर से उसके पैरों को चौड़ा कर दिया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

अब तो उसकी ऐसी हालत थी कि अगर मैंने अपना लंड उसकी बुर में नहीं पेला तो वो मर जाएगी और वो भी यही चिल्ला रही थी- आहह राज… अब नहीं रहा जा रहा… डाल दो अपना लौड़ा मेरी बुर में और फाड़ दो इसे… बहुत दिन से प्यासी है यह, बुझा दो इसकी प्यास! अब देर ना करो नहीं तो मैं मर जाऊँगी। चोद दो मुझे और शांत कर दो मेरी आग को, अब देर मत करो।

लेकिन पता नहीं क्या था कि उसको तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
वो गिड़गिड़ाए जा रही थी और मैं अपना लंड उसके चूत पे रगड़े जा रहा था।

उसके बाद ना जाने क्या हुआ कि मेरे अंदर एक ऐसी ताकत आ गई कि रगड़ते रगड़ते मैंने अपना लंड उसकी बुर में एक ही झटके में जड़ तक उतार दिया और उसके साथ उसकी चीख निकल गई।

वो तड़पने लगी लेकिन फिर भी उसके मुंह से कुछ अलग ही निकाल रहा था- छोड़ना मत मुझे आज… जैसे मन करे चोदो मुझे… फाड़ो मेरी बुर को, मसल दो इसको… पहली बार किसी मर्द का लंड गया है, अब रुकना मत और तेज़ तेज़ चोदो, मैं कितना भी चिल्लाऊँ रहम मत करना। जब तक मैं ना कहूँ तुम रुकोगे नहीं… चोदो मुझे और जब तक मैं ना कहूँ रुकना मत, और ज़ोर से चोदो, फाड़ दो इसे।

वो जैसे जैसे बोल रही थी, मैं वैसे वैसे अपनी रफ्तार बढ़ाए जा रहा था और उसे जम कर चोद रहा था।

करीब दस मिनट बाद मैंने उसे बिस्तर के किनारे खींचा और खुद खड़ा होकर उसके दोनों पैर अपने कंधे पर रख लिए और फिर से पेल दिया अपना लंड उसकी बुर में और चोदने लगा पूरी ताकत के साथ।

अब वो और चिल्ला रही थी।

कुछ ही देर में उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, अपने दोनों पैर मेरे कमर के पास लपेट दिये और मुझे अपने हाथ के पंजे से काफी तेज़ पकड़ा कि उसके नाखून के निशान मेरे पीठ पर आ गए।

लेकिन उस वक्त दर्द किसको हो रहा था, हम दोनों तो सातवें आसमान पर थे।

कुछ ही समय में उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी और हाँफने लगी, वो एक बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं अभी भी शुरू था।
अब मैंने अपने आपको उससे छुड़ाया और बिस्तर पर उसे पेट के बल लिटा दिया और उसके उपर चढ़ कर पीछे से उसकी चूत में फिर से अपना हथियार पेल दिया और करने लगा वार पूरे दम के साथ!

लेकिन अब उसकी सिसकारियाँ नहीं निकल रही थीं, उसकी धीमे धीमे चीखें निकल रही थीं, ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड सीधे उसकी बच्चेदानी से जा कर लड़ रहा है।

खैर मुझे क्या, मैं तो अपने में मगन उसको चोदे जा रहा था और वो अब तेज़ तेज़ चिल्ला रही थी।
लेकिन कुछ ही देर बाद उसकी आवाज़ और बढ़ गई और वो चिल्लाने लगी- तेज़ और तेज़ चोद मुझे… फाड़ डाल इसे आज… और अंदर तक घुसा अपना लौड़ा, चोद मेरी बुर को!

फिर वो चिल्लाते हुए झड़ गई और पस्त हो गई।

मैंने फिर अपना स्टाइल बदला और उसे घुटने के बल आने को कहा और फिर मैं पीछे से उसे चोदना शुरू किया।

अब वो कह रही थी- राज अब दर्द हो रहा है प्लीज अब छोड़ दो, अब नहीं सहा जा रहा!

लेकिन फिर भी मैं लगा रहा और उसे हचक हचक कर चोद रहा था। पता नहीं मेरे अंदर इतनी ताकत कहाँ से आ गई थी कि वो दो बार गिर चुकी थी और मेरा आने का नाम ही नहीं ले रहा था।

खैर मैं करता भी क्या, मैं तो बस उसी में खोया हुआ उसे जम कर चोदे जा रहा था और वो गिड़गिड़ाए जा रही थी- अब छोड़ दो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।

खैर कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- मेरा आने वाला है, कहाँ निकालूँ?तो उसने कहा- मेरे अंदर ही निकाल दो और मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो।

मैंने वैसा ही किया और कुछ देर और कुछ धक्कों के साथ ही हम दोनों का फिर से छूट गया, मैंने अपने पानी से उसकी बुर को लबालब कर दिया और उसका भी पानी मेरे लंड पे पूरा सना हुआ था।

अब हम पस्त होकर एक दूसरे से लिपटे गहरी साँसें ले रहे थे।

कुछ देर बाद हम नॉर्मल हुए तो उसने कहा- यार, तुम इंसान हो या जानवर?
मैंने कहा- क्यों?
तो उसने कहा- मेरा पति तो ऐसा करता ही नहीं, मुझे पूरा तैयार करता है और अंदर डालते ही गिर जाता है। और तुमने तो मुझे तीन बार गिरा दिया और उसके बाद रुला भी दिया फिर तुमने अपना गिराया।

मैंने कहा- क्यों मज़ा नहीं आया?
उसने कहा- मज़ा? आज तो मैंने जन्नत की सैर की है आज पहली बार पता चला है कि सेक्स में कितना मज़ा मिलता है।

मैंने मज़ाक में कहा- हाँ, वो तो है ही क्योंकि मैं पहले जो नहीं मिला था!

वो मेरे सीने से लिपटती हुई बोली- जान अगर तुम पहले मिल गए होते तो मैं तुमसे शादी कर लेती, लेकिन कोई बाद नहीं तुम्हारा लंड तो अब भी मेरा ही है, जब जी चाहेगा घुसवा लूँगी, अब तो तुम मेरे हो।

मैंने कहा- हाँ वो तो है!
और बात करते करते मैं फिर से उसके शरीर को छूने लगा।

तभी उसने कहा- नहीं, अब छूना मत, अब एकदम हिम्मत नहीं बची है क्योंकि मेरी जान तो तुमने पहले ही निकाल दी है, और मैंने देख लिया है कि तुम्हारा शेर फिर से खड़ा हो गया है।

मैंने कहा- हाँ तो गलत क्या है, अब खड़ा हो गया है तो सुलाना तो पड़ेगा ही न, और सोएगा तभी जब तुम्हारे बुर में जाएगा।

उसने कहा- जी नहीं, अब आज कुछ भी नहीं, अब जो होगा वो कल!

मैंने कहा- प्लीज़ यार, मैंने तुम्हें आज वो दिया जो तुम्हें चाहिए था तो क्या तुम मुझे नहीं दे सकती क्या? और वैसे भी तुमने कहा है कि अब मैं तुम्हारा हूँ जो चाहे कर सकता हूँ।

उसने कहा- तो रोका किसने है लेकिन अब मेरी हिम्मत नहीं है।

मैंने कहा- कल दिन भर आराम कर लेना लेकिन अभी आज कि रात मज़े करने दो और देखो अभी और कितना दम है इस शेर में!

उसने कहा- अच्छा जी, है हिम्मत तो दिखाओ दम, ज़रा हम भी तो देखें कि कितना दम है तुम्हारे शेर में?

मैंने भी आव देखा ना ताव और उसे पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया और एक ही झटके में अपना लंड उसकी बुर में पेल दिया।

वो चिल्ला उठी।

इस बार भी काफ़ी देर तक मैंने उसे चोदा, जिसमें वो फिर तीन बार झड़ी और मैं अभी उसको चोदे ही जा रहा था।
अब तो ऐसा लग रहा था कि वो बेहोश हो जाएगी लेकिन तभी मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसकी चूत में ढेर हो गया।

हम दोनों एक दूसरे में गूँथे सो गए और मेरी नींद खुली सुबह के 11 बजे!

सन्ध्या ने ही मुझे एक प्यारी सी चुम्मी से उठाया और मुझे कॉफी दी पीने को।

वो नहा धो कर पूरी तैयार थी, उसने बताया कि वो सुबह 7:30 बजे ही उठ गई थी और 9 बजे मेरी मॉम आई थी मुझे बुलाने लेकिन मैं सोया हुआ था इसलिए वापस चली गई, बोल कर गई कि जब उठ जाए तो भेज देना।

मैंने कॉफी पी और सन्ध्या को खींच कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उसे बिस्तर पर लिटा लिया।

हम कुछ देर तक किस करते रहे और फिर अलग हुए तो मैंने कह्जा- एक बार हो जाए क्या?
उसने कहा- ना बाबा ना, तुम एक बार शुरू होते हो रुकने का नाम ही नहीं लेते।

मैंने उससे कहा- अब मैं रात में आ नहीं पाऊँगा क्योंकि मम्मी रोज़ रोज़ नहीं भेजेंगी मुझे।
तो उसने कहा- तुम चिंता क्यों करते हो, मैं हूँ ना, ऐसा जाल बिछाऊँगी कि तुम्हारी मम्मी खुद तुम्हें रोज़ रात मेरे पास भेजेंगी।

मैंने कहा- वो तो ठीक है, लेकिन यह बताओ यह करोगी कैसे?
उसने कहा- वो तुम मुझ पर छोड़ दो, क्योंकि मुझे अब तुमसे बच्चा चाहिए तो इतना तो करना ही पड़ेगा।

फिर मैं वहाँ से उठा और अपने कपड़े पहन कर अपने घर आ गया और फ्रेश होकर बैठ कर कुछ काम कर रहा था, तभी माँ ने कुछ सामान बाज़ार से मंगवाया मैंने लाकर दे दिया और अपने एक दोस्त से मिलने चला गया।

जब मैं शाम को घर वापस आया और खाना खाकर अपने कमरे में सोने जाने लगा तो माँ ने कहा- बेटा, तू कुछ दिन तक पड़ोसी के घर ही सो जा, वो बेचारी अकेली है और आज वो बोल रही थी कि रात में उसे डर भी लगता है, अब यहाँ पर उसकी मदद हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा।

मैंने कहा- ठीक है, मैं चला जाता हूँ!

मैंने अपना मोबाइल फोन और कुछ किताबें ली और निकल लिया उसके घर!

दरवाजा पहले से ही खुला था, मैं अंदर गया, कुंडी बंद कर दी और सीधे बेडरूम में चला गया।

वहाँ वो पहले से भी तैयार बैठी थी।

जब मैं उसके पास पहुंचा तो मेरे गले लगते ही एक ज़ोरदार चुम्बन किया और एक पैकेट मेरे आगे रख दिया।
मैंने पूछा- क्या है इसमें?
तो उसने कहा- खुद ही खोल कर देख लो।

मैंने पैकेट खोल कर देखा तो उसमें एक ब्रांडेड घड़ी थी और एक टी-शर्ट थी।
मैंने कहा- यह क्या है?

उसने कहा- क्यों पसंद नहीं आई?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है लेकिन मैं ये नहीं ले सकता।

उसने कहा- तुम मेरे लिए इतना सब कर रहे हो तो क्या मैं तुम्हें कोई गिफ्ट भी नहीं दे सकती? अगर तुम ये नहीं ले सकते तो ठीक है, तुम अपने घर चले जाओ।

मैंने कहा- अरे नाराज़ हो गई क्या?
उसने कहा- और नहीं तो क्या, इतने प्यार से कितनी दुकान ढूंढ कर लाई और तुम बोल रहे हो कि नहीं लोगे।

मैंने कहा- कोई बात नहीं जान, मैं ले लेता हूँ, लेकिन एक बात बोलूँ, तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है। यह मेरी पसंदीदा घड़ी है और मैं इसको खरीदने की सोच भी रहा था।

कुछ देर बातें करने के बाद हम फिर से एक दूसरे में गुँथ गए और अलग तब हुए जब तक कि हमने एक दूसरे का पूरा का पूरा रस निचोड़ न लिया।

उस रात वो और मैं कई बार झड़े थे।

अब यह सिलसिला रोज़ रोज़ चलने लगा और हम खूब मस्ती करने लगे।

बीच बीच में हम नहीं मिल पाते थे क्योंकि उसका पति आ जाता था लेकिन उसके जाने के बाद हम फिर जम के मस्ती करते थे।

इस बात को आज डेढ़ साल हो चुका है और अभी 5 महीने पहले सन्ध्या ने एक अपने जैसी सुंदर बेटी को जन्म दिया है।

अब भी हम मिलते हैं और प्यार करते हैं लेकिन अब सन्ध्या में वो बात नहीं रही, अब उसे चोदने में मज़ा नहीं आता और अब वो भी ज़्यादा व्यस्त रहती है तो चोदने का मौका एक महीने में बस एक या दो बार ही मिल पाता है।

अब मैं इस कहानी को खत्म करता हूँ और आप सभी लोगों से खास कर भाभियों से और आंटियों से ये निवेदन है कि वो मेरे मित्र को मेल के द्वारा बताएँ कि उनको कहानी कैसी लगी और अगर कुछ पर्सनल भी बताना चाहती है तो इसी ईमेल पर मेल भेज दें और मैं अपने मित्र के माध्यम से आपको जवाब दूँगा।

आप सभी अपने विचार मुझे [email protected] पर भेज सकते हैं।

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