प्यास भरी आस: एक चाह-2

(Pyas Bhari Aas Ek Chah-2)

This story is part of a series:

जब कॉलेज से लौट कर घर आ रहा था तो भाभी गेट पर थीं लेकिन मुझे देखते ही अंदर चली गईं।
शायद कल कि बात का असर था जो वो मुझसे नज़रें चुरा रहीं थी।

खैर मैंने भी बोलना उचित नहीं समझा और ऐसा ही अगले चार पाँच दिन तक चलता रहा, ना मैंने उनसे बोला और ना ही उन्होंने मुझसे बात की।

करीब एक हफ्ते बाद मैं रात में खाना खाकर अपने कमरे में लेटा हुआ था, बाहर ज़ोरों की बारिश और बिजली कड़क रही थी, तभी उनका मेरे फोन पर मैसेज आया ‘क्या आज रात तुम मेरे घर पर सो सकते हो?’

अभी मैं सोच ही रहा था कि उनका फोन भी आ गया- हैलो राज, आज रात तुम मेरे घर सो सकते हो?
मैं- क्यों क्या हुआ?

सन्ध्या- कुछ नहीं बस अकेली हूँ तो डर लग रहा है।

मैं- मैं घर पर बिना बोले नहीं आ सकता।

सन्ध्या- प्लीज आ जाओ मुझे बहुत डर लग रहा है।
मैं- ठीक है, आप मेरी माँ को फोन कर के बोल दो, फिर मैं आता हूँ।

और फिर हम दोनों ने फोन रख दिया और अभी सोच ही रहा था कि क्या हुआ, तभी मेरी माँ ने मेरा दरवाजा खटखटाया।

थोड़ा सोने का नाटक करते हुए कुछ देर बाद मैंने दरवाजा खोला और ऐसी एक्टिंग की कि मुझे बड़ी ज़ोरों कि नींद आ रही है।

माँ ने कहा- बेटा, वो जो हमारे नए पड़ोसी हैं, उनका फोन आया था, वो बेचारी घर पर अकेली है, उसे डर लग रहा है, कह रही थी कि अगर तू आज रात उसके घर पर सो जाये तो!

मैंने कहा- माँ तुम भी ना, मुझे बहुत नींद आ रही है।

तो माँ नें कहा- बेटा, ज़रूरत में किसी की मदद करनी चाहिए।

मैंने भी थोड़ा नाटक करते हुए कहा- ठीक है, मैं चला जाता हूँ।
मैंने अपना टी-शर्ट पहना और फोन और चार्जर लिया और उसके घर चला गया।

सच में बारिश बहुत हो रही थी।

मैं उसके दरवाजे पर पहुँचा और जैसे ही डोरबेल बजाई, उसने तुरंत ही दरवाजा खोल दिया जैसे वो दरवाजे पर ही खड़ी हो।

मैं अंदर गया और सोफ़े पर बैठ गया।
वो भी पूरी तैयारी के साथ बैठी हुई थी जैसे ही मैं सोफ़े पर बैठा और वो दरवाजा बंद करके आई और मुझे कॉफी का मग दिया जो उसने पहले से ही बना रखा था।

हमने कॉफी पी और दोनों ही शांत बैठे रहे, तो कुछ देर बाद उसने मुझसे कहा- नाराज़ हो क्या? कुछ बोल नहीं रहे और कुछ दिनों से बात भी नहीं कर रहे?

मैंने कहा- नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है, मुझे तो लगा कि आप नाराज़ हैं उस दिन जो हुआ उसके बाद से?

उसने कहा- अरे नहीं, मैं भी नाराज़ नहीं हूँ… वो तो उस दिन जो हुआ, उसमें किसी की गलती नहीं थी।

फिर हम बातें करने लगे और बातों बातों में उसने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- नहीं मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।

उसने कहा- तुम दिखते तो हैंडसम हो, तो कोई मिली नहीं या बनाई नहीं?
मैंने कहा- कोई दिखी ही नहीं!

उसने पूछा- तुम्हें कैसी लड़की चाहिए?
मैंने कहा- जैसी चाहिए वैसी मिलेगी नहीं तो बताने का क्या फायदा!

उसने कहा- अरे बताओ, क्या पता मैं ढूंढ दूँ और मिल भी जाये!
मैंने कहा- आप रहने दो।

उसने कहा- अब बोलो भी।
मैंने छूटते ही कहा- बिल्कुल आपके जैसी!

मेरा जवाब सुनते ही जैसे उसे साँप सूंघ गया, वो एकदम शांत हो गई।

मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं।
मैंने कहा- तो आप चुप क्यों हो गई?

उसने कहा- मेरी जैसी लड़की लेकर क्या करोगे जिसकी किस्मत में केवल रोना ही लिखा है।
मैंने कहा- क्या हुआ?

उसने कुछ नहीं बोला।
मेरे ज़िद करने पर उसने बताया- ना तो पति से प्यार मिलता है और न ही बच्चा।
और वो अपनी दुखभरी कहानी सुनने लगी और साथ ही साथ सुबकने भी लगी।

मैं बिल्कुल शांत होकर उसकी बातें सुन रहा था, वो बोलती भी जा रही थी और रोती भी जा रही थी।

ना ही बाहर की बारिश थमने का नाम ले रही थी और न ही अंदर की।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ!

फिर मैं उसके नजदीक गया और उसे अपने गले से लगा लिया और चुप कराया।

उसको गले लगते ही न जाने मुझे क्या हुआ कि मेरी वो दबी हुई काम वासना उमड़ पड़ी, मैं फिर से उसको पाने की चाह में लग गया।
तभी अचानक मेरे दिल ने मुझसे कहा ‘कोई तकलीफ में है और तू उसका फायदा उठाना चाहता है?’
और मेरी तंद्रा भंग हुई।
मैंने उसे अपने से अलग किया, वो अभी भी सुबक रही थी।

मैं किचन में गया और पानी का ग्लास लाकर उसे दिया।
अब वो शांत हुई, पानी पीकर ग्लास टेबल पर रखा और चुपचाप बैठ गई।
कुछ समय के लिए कमरे में एकदम सन्नाटा हो गया।

रात काफी हो चुकी थी तो मैंने हम दोनों की चुप्पी तोड़ते हुए बोला- सोना कहाँ है? मुझे नींद आ रही है।
तो उसने भी अपने आप को संभालते हुए जवाब दिया- मेरे ही रूम में सो जाओ।
मैंने कहा- आपको कोई समस्या तो नहीं होगी?

उसने ना में अपना सर हिला दिया।
मैं उठा और उसने मुझे अपने बेडरूम का रास्ता दिखाया।

मैं रूम में जा कर बेड के एक साइड में लेट गया और वो अभी भी ड्राईंग रूम में ही बैठी थी।

उसकी बातें सुनने के बाद मुझे भी नींद नहीं आ रही थी कि उसकी ऐसी व्यथा है कि वो किसी से कह भी नहीं सकती और खुश भी नहीं रह सकती।

यही सब सोचते सोचते अभी मेरी आँख लगी ही थी कि उसने मुझे आवाज दी- राज सो गए क्या? अपने कपड़े बदल लो, नहीं तो तुम्हें सर्दी लग जाएगी, तुम्हारे कपड़े पूरे भीग चुके हैं।

मैंने कहा- नहीं ठीक है, मैं घर से दूसरे कपड़े नहीं लाया।

उसने कहा- कोई बात नहीं, मेरे पति के हैं, वो पहन लो!
और तुरंत ही अपने पति का नाइट सूट ला कर मुझे दिया।

मैंने भी आनाकानी न करते हुए कपड़े लिए और बाथरूम में जा कर बदल कर वापस आकर अपने जगह पर लेट गया।

जैसे ही मैं आकर लेटा, तब तक वो भी अपने कपड़े बादल कर आ गई।
क्या क़यामत लग रही थी वो नेट वाली लाल गाउन में और शायद उसने हल्का मेकअप भी किया हुआ था लेकिन कमरे में रोशनी तेज़ ना होने के कारण पूरा नहीं दिख रहा था।

लेकिन हाँ उससे परफ़्यूम की अच्छी सी और भीनी भीनी खुशबू आ रही थी।

वो भी आकर मेरे बगल में लेट गई।
ऐसा लग रहा था मानो हम पति पत्नी एक साथ सो रहे हैं।

मैं पहली बार किसी इतनी सुंदर लड़की के साथ एक ही बिस्तर पर और इतनी रात में अकेला था।
मेरी तो धड़कनें तेज़ चल रही थीं और शायद उसका भी यही हाल था।

ना ही मुझे नींद आ रही थी और ना ही उसे।

थोड़ी देर बाद उसने फिर से मुझे आवाज़ दी- राज सो गए क्या?
मैंने कहा- नहीं, क्यों?

उसने कहा- ऐसे ही पूछा, मुझे नींद नहीं आ रही है तो सोचा अगर तुम जाग रहे हो तो बातें करते हैं।

मैंने सोचा ‘माहौल को थोड़ा ठीक करते हैं और थोड़ा ट्राई भी करते हैं, शायद मेरी किस्मत मुझ पर मेहरबान हो जाए, क्योंकि मुझ पर वासना का भूत पूरा चढ़ चुका था।

तो मैंने करवट लेते हुए कहा- हाँ तो ठीक है, और वैसे भी इतनी सुंदर और हॉट लड़की अगर बगल में सोई हो तो नींद कैसे आ सकती है!
और उसे देखकर मुस्कुरा दिया।

उसने भी मेरी तरफ देखा और तुरंत ही मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और बड़े ही प्यार से शर्मा कर बोली- क्या सच में मैं तुम्हें इतनी सुंदर लगती हूँ?

मैंने कहा- कोई शक है क्या? आपके आगे तो अप्सरा भी तुच्छ हैं। अरे अगर मेरी शादी आपसे हो जाए तो मैं तो कभी आपको छोड़ूँ ही ना, हमेशा घर में और दिन रात बिस्तर में!

उसने मेरी तरफ गुस्से से देखा और कहा- यह आप आप क्या लगा रखा है, तुम मुझे तुम नहीं कह सकते क्या?

मैंने बोला- क्यों क्या हुआ? कह सकता हूँ।

तो उसने कहा- फिर ठीक है, तुम मुझे तुम ही कह कर बुलाओ, मुझे अच्छा लगेगा।
मैंने कहा- जैसी मर्ज़ी जनाब की!

उसने फिर मुझसे पूछा- तुमने कभी किसी लड़की से अकेले में कभी प्यार किया है?
मैंने कहा- जब कोई मिली ही नहीं तो प्यार का सवाल ही नहीं उठता!

उसके बाद उसने जो कहा, उसे सुन कर मेरे रोएँ और लंड दोनों ही एक साथ खड़े हो गए।

उसने बोला- तुमने कभी किसी के साथ कुछ किया नहीं है और मान लो अगर अभी तुमको कोई लड़की अकेले में मिल जाए तो उसे प्यार कैसे करोगे, तुम्हें तो कुछ आता भी नहीं है?

मैं तपाक से बोला- कोई मिले तो ना, फिर बताता हूँ। बेशक कभी किया नहीं है पर ज्ञान सब चीज का रखता हूँ। पूरा संतुष्ट करूँगा और जब तक वो नहीं कहेगी तब तक रुकूँगा भी नहीं!

उसने कहा- अच्छा जी? इतना घमंड अपने आप पर?
मैं बोला- अगर यकीन नहीं आ रहा तो ट्राई कर के देख लो।

कहानी जारी रहेगी।
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