मेरा गुप्त जीवन-96

(Mera Gupt Jeewan-96 Indu Bhabhi ka Garbhadhan)

यश देव 2015-11-06 Comments

This story is part of a series:

इन्दू भाभी का गर्भाधान

मैं नहा धोकर कॉलेज चला गया।
कॉलेज से वापस आने पर खाना खाते हुए कम्मो ने बताया- इन्दू भाभी आई थी, उसने अपनी सारी प्रोब्लम बताई हैं और मैंने फिर उसका सारा चेकअप किया, इन्दू भाभी तो बिल्कुल ठीक है और उसको गर्भवती होने में कोई मुश्किल नहीं आयेगी लेकिन जो उसने अपने पति के बारे में बताया है, उससे तो लगता है कि उसका गर्भ धारण करना मुश्किल है।

मैं बोला- फिर उसने क्या तय किया है?
कम्मो बोली- वो तो तुमसे गर्भ धारण करना चाहती है और आजकल उसके लिए गर्भ धारण का उत्तम समय भी है। अब आप बताओ छोटे मालिक, क्या कहते हो?
मैं बोला- तुम्हारी क्या सलाह है इस मामले में?
कम्मो बोली- आप कर दो उसका गर्भाधान, अगर आपको कोई ऐतराज़ ना हो तो?
मैं बोला- मुझको तो कोई ऐतराज़ नहीं है, कब करना होगा उसका गर्भाधान?
कम्मो बोली- आज दोपहर को कर दो उसका काम छोटे मालिक और फिर वैसे भी आपने रात को उसके घर में रहना ही है।

मैंने पूछा- तुमने इन्दू भाभी से इस बारे में बात पक्की कर ली है क्या?
कम्मो बोली- नहीं, आपसे पूछे बगैर मैं कैसे हाँ कर देती?

मैं बोला- यह काम कहाँ करने का इरादा है?
कम्मो बोली- इन्दू भाभी कह रही थी कि उसके घर में ही कर दो तो अच्छा है!
मैं बोला- ठीक है, तुम उससे वहाँ आने की बात पक्की कर लो और फिर थोड़ा रेस्ट करके चलते हैं भाभी के घर में!
कम्मो ने हामी भर दी और थोड़ी देर बाद उसने बताया कि वो हमारा इंतज़ार कर रही है।

मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया और आधे घंटे बाद हम दोनों भाभी के मकान में पहुँच गए जहाँ भाभी हमारा इंतज़ार बेसब्री से कर रही थी।
जैसे ही उन्होंने मुझको देखा तो जल्दी से आगे आई और मुझको कस के जफ्फी मारी और मेरे लबों को भी चूमने लगी।

यह देख कर कम्मो मुस्करा पड़ी और फिर हम सब भाभी की बैठक में आ गए और भाभी वहाँ भी मेरी गोद में ही आकर बैठ गई।
मैं भी थोड़ा मदमस्त हो गया था तो निडरता से बोला- क्यों इन्दू भाभी, रात की चुदाई से दिल नहीं भरा क्या?
इन्दू भाभी बोली- बहुत भरा, लेकिन अब होने वाली के बारे में सोच कर मन में काफी उथल पुथल हो रही है। सोमू तुम पहले ही बता देते कि यह तुम्हारी कम्मो तो जादूगर है, इसने मेरी सारी फिकर और परेशानियों को दूर करने के उपाय बता दिए हैं।

कम्मो बोली- तो फिर शुरू हो जाओ तुम दोनों, कहाँ करना है यह सब?
भाभी बोली- उसी कमरे में जिसमें रात सोमू सोया था। चलो, सब वहीं चलते हैं।

हम भाभी के पीछे चलते हुए रात वाले मेरे कमरे में आ गए और तब कम्मो ने भाभी को घेर लिया और उनके कपड़े एक एक करके उतारने लगी।
पहले साड़ी, फिर ब्लाउज और ब्रा और आखिर में उसका पेटीकोट जब उतर गया तो कम्मो ने उसको धर दबोचा और उसके मम्मों को चूसने लगी और भाभी की बालों भरी चूत में ऊँगली डाल कर उसको तैयार करने में जुट गई और भाभी ने भी एक एक करके कम्मो के कपड़े उतार दिए।

उन दो नंगी हसीन औरतों को आपस में करते देख कर मेरा लौड़ा भी हिलौरें मारने लगा लेकिन अभी भी वो मेरे कपड़ों में ही कैद था। और जब भाभी की नज़र मेरे पैंट में बने टेंट पर गई तो वो भाग कर आई और उन दोनों ने मिल कर मेरे तन के सारे कपड़े भी उतार दिए और हम ‘एक हमाम में सब नंगे’ वाली कहावत को चरितार्थ करने लगे।

कम्मो ने भाभी को मेरा लौड़ा चूसने के लिए प्रेरित किया और खुद भी मुझ को लबों पर चुम्मियाँ देने लगी और मेरे भी हाथ कम्मो के जाने पहचाने चूतड़ों के ऊपर फिसलने लगे।
दोनों को देख कर लग रहा था कि भाभी चाहे कम्मो से साल दो साल बड़ी रही होगी लेकिन शरीर उसका ही बहुत अधिक सुन्दर और सुगठित था और फिर उसका गोरा रंग सोने पर सुहागा का काम कर रहा था।

कम्मो अब भाभी की चूत को ऊपर कर के उसको चूस रही थी और उसके चूत के लब और भग को जीभ से गोल गोल घुमा रही थी। भाभी अब अपने कंट्रोल में नहीं थी तो उनको मैंने अपने हाथों में उठा कर पलंग पर लिटा दिया और खुद उसकी गोरी जांघों के बीच बैठ कर अपना लंड उसकी चूत के बाहर उसकी भग पर ही रगड़ रहा था, भाभी बार बार अपनी कमर को उठा कर लौड़े को अंदर डालने की कोशिश कर रही थी।

लेकिन मैं भी पक्का घाघ था, हर बार लौड़े को उसकी चूत के ऊपर कर देता जिससे वो उनकी चूत के अंदर नहीं जा रहा था।

थोड़ी देर इस तरह की कश्मकश को कम्मो हँसते हुए देखती रही फिर बोली- छोटे मालिक, देर मत करो भट्टी तप रही है अपना परौंठा सेक लो जल्दी से, नहीं तो कहीं भट्टी ठंडी न पड़ जाए!
इन्दू भाभी भी अपनी कमर बार बार लंड के स्वागत के लिए ऊपर कर रही थी, उनको और ना तरसाते हुए मैंने लंड को चूत के मुंह पर रख कर एक करारा धक्का मारा और लंडम जी पूरे अंदर समा गए।
अब धीरे धीरे बाहर निकाल कर फिर ज़ोर से अंदर डाला और ऐसा मैंने कम से कम दस बारह बार किया।

दस मिन्ट की तीव्र चूत चुदाई के बाद भाभी का ढेर सारा पानी छूटा और वो मुझसे अपनी पूरी ताकत से चिपक गई और तभी मैंने भी अपने फव्वारे को छोड़ दिया।
कम्मो ने झट से भाभी के चूतड़ों के नीचे मोटे तकिये लगा दिए और जब उसने इशारा किया तब मैं उसके ऊपर से उतरा और लहलाते हुए खड़े लंड को लेकर कम्मो के पीछे खड़ा हो गया और जैसे ही उसने अपने चूतड़ों को मेरी तरफ किया मैंने झट से लंड को उसकी चूत में पीछे से घुसेड़ दिया।

कम्मो की चूत भी वाह वाह गीली हो रही थी, मैं ने भी अपनी धक्काशाही शुरू कर दी और उसकी कमर को अपने लंड से जोड़ कर हल्के और तेज़ धक्कों की स्पीड जारी रखी और थोड़े ही समय में वो अपनी टांगें सिकोड़ते हुए झड़ गई।

अब कम्मो ने भाभी को आराम नहीं करने दिया और उनको फिर तैयार करने में जुट गई और थोड़ी देर में वो तैयार हो गई।
और कम्मो ने उसको इस बार घोड़ी बना दिया था और मुझको कहा- महाराज, आपकी सवारी तैयार है, चढ़ जाइये।
मैंने भी अपने गीले लंड को तान कर भाभी की घोड़ी वाली गीली चूत में डाल दिया और पहले हल्के धक्कों से शुरू करके फुल स्पीड पकड़ कर भाभी को चोदने लगा और साथ ही उसके गोल उभरे हुए चूतड़ों पर हल्की थाप भी देने लगा।

भाभी अब काफ़ी मस्त हो कर चुदवा रही थी क्यूंकि उनको चुदाई का पूरा आनन्द आने लगा था और उनको पूरा यकीन था कि मैं उनको साथ लिए बगैर और बीच मँझदार में नहीं छोड़ जाऊंगा जैसे कि उसका पति अक्सर करता था।

भारत में बहुत ही कम ही मर्द चुदाई का असली तरीका समझते है और उसका पूरा अनुसरण करते हैं।
इसका मुख्य कारण सेक्स के ऊपर लिखी जाने वाली अच्छी सही ज्ञान देने वाली पुस्तकों का अभाव और ज़्यादातर पुरुषों का अनपढ़ होना ही है।

भाभी काफी हिल हिल कर चुदवा रही थी और उसके चूतड़ बहुत ही स्पीड से आगे पीछे हो रहे थे, जिसका मतलब था कि भाभी फिर छूटने की कगार पर थी, अब मैंने धक्कों की स्पीड इतनी तीव्र कर दी कि भाभी को अपने हिलते चूतड़ों को रोकना पड़ा और मेरे तेज़ धक्कों की मार को चुपचाप सहन करना पड़ा।

और जब शीघ्र ही भाभी का छूट गया तो कम्मो ने मुझको इशारा किया और मैंने अपने फव्वारे को भाभी के गर्भाशय के मुंह पर ही छोड़ा, भाभी इस गर्म पानी की गर्मी को महसूस करती हुए नीचे की तरफ जाने लगी लेकिन मैंने झट से उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया और तब कम्मो ने जल्दी से उसकी चूत पर रूमाल रख के नीचे तकिया रख दिया और उसको वैसे ही लेटे रहने के लिए कहा।

थोड़ी देर भाभी वैसे ही लेटी रही और कम्मो मुझको चिड़ाने के लिए भाभी के गोल उभरे हुए नितम्बों पर हाथ फेर रही थी और मुझ को दिखा कर बड़े प्यार से उन पर बार बार चूम कर मुझ और भी चिड़ा रही थी।
मैं भी अपना लौड़ा अपने हाथ में लेकर उसको दिखा दिखा कर भाभी के शरीर से रगड़ रहा था।

थोड़ी देर बाद कम्मो ने भाभी को सीधा किया और उ्नकी चूत पर रखा रुमाल भी हटा दिया जो एकदम से भाभी चूत से निकले पानी और मेरे वीर्य से भरा हुआ था, उसने मुझको वो रुमाल दे दिया सूंघने के लिए और फिर उसने भाभी को कपड़े पहना दिए और सीधा लिटा दिया।
हम दोनों भी कपड़े पहन कर अपने घर आ गए।

रास्ते में मैंने कम्मो से पूछा- यहाँ इससे पहले जो 3 गर्भाधान हुए थे, उनका क्या हुआ?
कम्मो बोली- तीनों ही ठीक चल रहे हैं और तीनों ही मेरे पास आती हैं, मुझको बाकायदा दिखा कर जाती हैं।

मैंने पूछा- और वो तुम्हारी सहेली चंचल का क्या हुआ?
कम्मो बोली- वाह छोटे मालिक, आपको तो सब याद है, चंचल भी गर्भवती हो गई थी आपसे और वो भी ठीक चल रही है। और वो भाभी भैया आये थे न, वो भाभी भी गर्भवती होकर गई थी यहाँ से और बिल्कुल ठीक चल रही हैं।

मैंने पूछा- वो गाँव वालियों का क्या हुआ?
कम्मो बोली- वहाँ 6 को गर्भवती किया था आपने, उनमें से 4 के तो लड़के पैदा हो गए हैं और वो ठीक है और वो दो के भी दिन पूरे हो चुके हैं, किसी दिन भी उनके बच्चा हो जाएगा।

मैं अब घबरा के बोला- उफ़ मेरी माँ!!! इस छोटी उम्र में ही मैं कम से कम 10-12 बच्चों का बाप बन जाऊँगा। मेरा क्या होगा? शुक्र है कि मैं यहाँ किसी भी लड़की के अंदर नहीं छुटाता, वर्ना मेरे तो बच्चों की तादाद बेहिसाब बढ़ जाती?

कम्मो हंस पड़ी- अब छोटे मालिक, यही आपकी तकदीर में लिखा है शायद, वो भगवान की इच्छा है तो पूरा तो करना पड़ेगा।

मैं अपने कमरे में गया तो कम्मो भी मेरे पीछे ही आ गई तब मैं ने उसको पकड़ कर एक टाइट जफ्फी डाली और उसके मुम्मों के साथ छेड़छाड़ की और फिर कहा- सच कम्मो डार्लिंग, तुम न होती तो मेरा तो बंटाधार हो जाता और मैं कई मुसीबतों में फंस जाता। अगर तुम मुझको अपने आप पर कंट्रोल करना नहीं सिखाती तो अभी तक मैं जेल चला गया होता।

कम्मो मेरी परेशानी समझ रही थी, उसने मुझको तसल्ली देने के लिए मुझको अपनी बाहों में भर लिया और कहा- छोटे मालिक, आप फ़िक्र ना करो, मैं हूँ ना आप के साथ, मैं सब संभाल लूंगी।
मैं बोला- वो निर्मला मैडम नहीं आई थी क्या आज?

कम्मो बोली- उन्होंने कल आना है चेकअप के लिए और वो भी पक्की प्रेग्नेंट हैं।

रात का खाना खाकर मैं फिर इन्दू भाभी के घर चला गया और फिर सारी रात उनको चोदता रहा और सुबह जब उसने तौबा की तो मैंने उसको छोड़ा।
आने से पहले वो बोली- सोमू यार, तुम कभी कभी दिन के वक्त यहाँ आ जाया करो और मुझको चोद दिया करो।
मैं बोला- ऐसे नहीं भाभी जी, जब आपको बहुत खुजली सताए, आप कम्मो से बात करके मेरे घर आ जाया करो, मैं आपकी इच्छा पूरी कर दिया करूँगा, कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।

और मैं अपने घर आ गया और नहाने धोने में लग गया।

कहानी जारी रहेगी।
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