एक ही घर की सब औरतों की चुदाई -6

(Ek Hi Ghar Ki Sab Aurton Ki Chudai-6)

This story is part of a series:

दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है। यह कहानी मेरी मकान मालकिन की है जो बैंक में नौकरी करती थी। वह 40 साल की होगी.. पर लगती 30 की ही थी। बैंक में नौकरी होने के कारण उसने अपना फिगर मेन्टेन कर रखा था।
मैं तो उसे भाभी ही कहता था और अपने मकान मालिक को भाई साहब कहता था।

उसे भी भाभी सुनना अच्छा लगता था। उसके चूतड़ बहुत बड़े थे.. जब वो अपने चूतड़ों को मटका कर चलती थी.. तो उस स्थिति में किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता था।

वो कभी-कभी ही दिल्ली आती थी। जब भी आती.. मेरी उसे चोदने की इच्छा होती। वो भी मेरे से खुल कर बात करती थी। यहाँ वह दो दिन अपने पति के साथ आती और पूरा दिन शॉपिंग करती रहती थी.. और इसी वजह से वो घर पर कम ही रहती थी।

एक दिन मैंने देखा कि गलती से उसकी ब्रा और पैन्टी बाहर ही पड़े रह गए हैं। मैंने पहली बार उसकी ब्रा और पैन्टी से मुठ्ठ मारी व थोड़ा माल उसकी ब्रा और पैन्टी के सेन्टर पर लगा दिया।

घर आने के बाद उसने देखा तो वो समझ गईं कि यह मेरी हरकत है इस तरह उसकी जानकारी में मेरी चोरी पकड़ी गई थी.. पर तब भी उसने कुछ नहीं कहा और ब्रा-पैन्टी धोकर सुखा ली।
मेरी हिम्मत बढ़ गई।

अगले दिल भी मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी खराब की और सारा माल उसी में भर दिया।
फिर भी उसने कुछ नहीं कहा.. तो मैं समझ गया कि बहुत जल्दी ही ये भी मेरे लण्ड के नीचे होगी।

उस बार वो वापस चली गई।
अगली बार जब वो वापस आई तो उसने अपनी गीली ब्रा और पैन्टी बाथरूम में ही छोड़ दी। मैंने उसके जाने के बाद उस पर ही मुठ्ठ मारी और दोनों में मूत कर आ गया।
इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा।

अगले दिन मैं भी अपना अण्डरवियर बाथरूम में छोड़ कर चला गया। जब वापस आकर देखा तो उसमें भी कुछ लगा था।

अब तो साफ था कि वो मुझसे चुदना चाहती है.. पर बोल नहीं पा रही है।

मैं ही आगे बढ़ा.. मैंने उससे जाते वक्त कहा- आप बड़ी जल्दी चली जाती हो। कभी ज्यादा दिन के लिए भी आया करो। आपसे बातें भी ढंग से नहीं हो पाती हैं। कभी किराएदार के बारे में भी मिलकर जान लेना चाहिए कि वो कैसा है। बस शॉपिंग और चले गए.. ये भी कोई बात होती है?

भाभी हँस कर बोली- चलो ठीक है, अगली बार देखती हूँ।

अगले महीने छुट्टियों में वो अपने बेटे को लेकर आ गई।

बोली- राज मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं है, इसे आयुर्वेदिक दवाई दिलवानी है।

मैंने कहा- भाभी आयुर्वेदिक दवा इलाज के समय मांगती है.. आपको रुक कर तीमारदारी करनी होगी।
बोली- इस बार मैं 15 दिन तक दिल्ली में ही रहूँगी।

मेरी तो लाटरी खुल गई इस बार वो अपने पति के बिना पूरे चुदने के मूड में ही आई थी, बस अब मेरे आगे बढ़ने की बारी थी।

रात को खाना खाने के बाद मैंने चाय बनाई और उसके बेटे की चाय में नींद की गोली व उसके व अपनी चाय में कामोत्तेजक दवा मिला दी, जिसका दोनों को पता नहीं चला।
चाय पीने के थोड़ी देर बाद में अपने कमरे में आ गया।

वो मैक्सी पहन कर सोने की तैयारी करने लगी। जब मैं बाथरूम गया तो देखा उसकी ब्रा-पैन्टी तो खूँटी पर टंगी हैं। मतलब उसने मैक्सी के अन्दर कुछ नहीं पहना था।
अब मैं उसके सोने का इन्तजार करने लगा।

थोड़ी देर में उसका बेटा सो गया।
मैं चुपके से उसके पास गया और बगल में लेट गया। मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा.. उसकी तरफ से कोई विरोध ना होने पर मैं उसके मम्मों को हल्के-हल्के से दबाने लगा।

वो मेरे से और चिपक गई जिससे मेरा खड़ा लण्ड उसकी गाण्ड की दरार में फंस गया।
मैंने हल्के से उसकी मैक्सी ऊपर की और चूत सहलाना शुरू की। चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी.. शायद गोली का असर था।

मैंने चूत में उंगली करनी शुरू की वो मस्त हो गई। मैंने पीछे से ही अपने लण्ड का दबाव उसकी चूत पर देना चाहा।
भाभी- राज.. यहाँ नहीं.. तुम्हारे कमरे में चलते हैं.. यहाँ मेरा बेटा जाग जाएगा।

उसे क्या पता था कि उसके बेटे के ना उठने और उसे चोदने का पूरा इन्तजाम मैंने पहले से ही कर रखा है। मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया और उसे पूरी मस्ती से खुल कर चूमने-चाटने लगा।

भाभी बोली- ओह्ह.. राज तुमने तो मुझे पागल कर दिया है। जब से तुम्हें देखा तुम्हारे जवान लण्ड से चुदना चाह रही थी।
मैंने कहा- भाभी मैं भी आपको चोदना चाहता था.. इसीलिए बार-बार तुम्हारी ब्रा पैन्टी से मुठ्ठ मार रहा था।

भाभी- वो तो मैं पहले दिन से ही समझ गई थी.. इसीलिए अगले बार से बाथरूम में ही छोड़कर जाती थी। पर तुमने हिम्मत बहुत देर में दिखाई।

मैंने कहा- अब तो दिखा दी ना। आज मैं तुम्हें अपने लण्ड पर झूला झुलाऊँगा।

उसने लपक कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। वह खेली-खाई औरत थी इसलिए उसके लण्ड चूसने का अलग ही तरीका था। मुझे लण्ड चुसाने में बड़ा मजा आ रहा था।
भाभी- राज आज बहुत दिनों बाद किसी जवान मर्द का लण्ड मिला है। मैं इसका पूरा रस पीऊँगी।

मैंने उसके सर को पकड़ा और अपने लण्ड को उसके मुँह में आगे-पीछे करने लगा। वो पूरा अन्दर तक लण्ड को ले रही थी। मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और वीर्य की धार उसके मुँह में छोड़ दी जिसे वह गटक गई।

फिर उसने मेरे लण्ड को अच्छे से चाट कर साफ भी कर दिया। भाभी माल के चटखारे लेते हुए बोली- राज इतना ज्यादा गरम ताजा अमृत तो बहुत सालों बाद चखने को मिला.. सही में मजा आ गया।

मैंने कहा- भाभी आप चाहो तो ये आपको हमेशा मिल सकता है, बस मेरा खयाल रखते रहना।

भाभी- जब तक मैं यहाँ हूँ.. इस पर मेरा ही अधिकार है.. बर्बाद मत कर देना। चल अब मेरी चूत चाट दे.. बड़ी मचल रही है।
मैंने उसे लिटा कर उसकी चूत पर जीभ चलानी शुरू की.. जो जल्दी ही पानी छोड़ने लगी।

भाभी- राज बस अब और मत तड़फा.. चोद डालो मुझे.. पेल दो मेरी चूत में अपना लण्ड.. इसकी सारी अकड़ निकाल दो आज.. कल से मेरी ये चूत बस तुम्हारे लण्ड की ही फरियाद करे ऐसी चुदाई करो मेरी.. फाड़ डालो मेरी चूत.. आह..

मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखी.. लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। वो कराह उठी। उसने कस कर मुझे भींच लिया।

वो बोली- आह्ह.. राज जरा भी रहम मत करना.. बस मुझे चोदते जाना.. आह्ह..

मैं धक्के लगाने लगा।
उसके बेटे की उठने की उम्मीद नहीं थी.. इसलिए हम पूरे जोर और शोर के साथ चुदाई करने लगे। पूरा कमरा उसकी सिसकारियों की आवाज से गूंजने लगा- राज.. आहहह.. आहह.. उफ्फ.. जोर से और जोर से.. फाड़ डालो.. राज आह.. आह.. ओहह आहहहह.. और चोदो औररर.. औरर.. तेज और तेज.. आह्ह.. राज..

वो भी लगातार चूत उछाल-उछाल कर मजे लेने लगी। दोनों को कामोत्तेजक गोली का असर था.. कोई भी थकने का नाम नहीं ले रहा था।

आधे घंटे की कमर-तोड़ चुदाई के बाद वो ढीली पड़ने लगी, उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर धीरे-धीरे चूत रगड़ने के बाद वो फिर गरम हो गई और मेरा साथ देने लगी।

इस बार हम दोनों का एक साथ काम हुआ और मैंने जल्दी से लण्ड को चूत में से निकाल कर उसके मुँह में पेल दिया और वहीं सारा वीर्य उढ़ेल दिया जिसे वह चटकारे लेकर पी गई।

मैंने कहा- कैसा लगा भाभी.. आपको अपना किरायेदार पसंद आया कि नहीं.. चूत की खुजली मिटी.. मजा आया या नहीं..
भाभी- बहुत मजा आया.. मुझे किराएदार भी और किराएदार का हथियार भी.. दोनों बहुत पसंद आए।

उस रात मैंने उसे अलग-अलग तरीके से 4 बार चोदा।
उसके बाद तो 15 दिन तक चुदाई का सिलसिला ही चल निकला। वो तो मेरे लण्ड की दीवानी हो गई थी। अब जो वह जब भी दिल्ली आती.. मुझसे चुदवाए बिना नहीं रहती थी। उन्होंने मेरा किराया भी माफ कर दिया था। वो एक बार मेरे से बोली कि उसकी एक सहेली का पति उससे अलग रहता है। वो भी लण्ड की बहुत प्यासी है.. उसको भी मुझसे चुदवाएगी।

मैंने उसकी सहेली को कैसे चोदा, यह अगली कहानी में जल्दी ही लिखूंगा।

आपको कहानी कैसी लगी। अपनी राय मेल कर जरूर बताइएगा। आप इसी आईडी पर मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं।
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