एक ही घर की सब औरतों की चुदाई -2

(Ek Hi Ghar Ki Sab Aurton Ki Chudai-2)

This story is part of a series:

दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है। यह कहानी मेरे मकान मालिक के बड़े भाई जो मेरे वाले ही मकान में रहते हैं.. उनकी शादीशुदा बड़ी बेटी की चुदाई की है.. उसका नाम रश्मि था.. उसकी उम्र 26 साल थी.. और उसकी एक लड़की भी थी। रश्मि दिखने में बिल्कुल हिरोइन जैसी ही लगती थी।

वह जब भी अपने माँ-बाप के घर आती थी तो मुझे बड़े गौर से देखती थी, वह देखने में बहुत ही शरीफ लगती थी, उसका बातचीत का तरीका भी बहुत अच्छा था, यहाँ आने पर मेरे से भी अच्छी-अच्छी बातें करती थी।

मेरा भी उसके प्रति कोई गलत विचार नहीं था.. पर एक दिन मेरा विचार बदल गया।

हमारे छत पर भी एक टायलेट है। एक बार वह कुछ दिनों के लिए यहाँ आई थी। नीचे के टायलेट में शायद कोई गया हुआ था.. तो मैं ऊपर छत पर चला गया। वहाँ कम ही कोई जाता था.. क्योंकि उसके दरवाजे की कुंडी नहीं लगती थी।

जैसे ही मैंने टायलेट का दरवाजा खोला.. तो देखा वो टायलेट में पजामा नीचे कर मूतने बैठी थी, उसका मुँह मेरी ही ओर था।
दरवाजा खुलते ही मेरी नजर सीधी उसकी चूत पर ही पड़ी जो सीटी की आवाज के साथ पेशाब बाहर निकाल रही थी।

मुझको देखते ही वह एकदम से खड़ी हो गई और अपना पजामा ऊपर खींचने लगी.. पर घबराहट में उसका पजामा नीचे गिर गया। अब तो वह पूरी नीचे से नंगी मेरे सामने थी।

उसकी नजर शरम से नीचे झुक गईं, उसने अब पजामा उठाने की भी कोशिश ना की।

मैंने उसकी पैन्टी व पजामा ऊपर उठाया और उसे कमर में बांध दिया। इसी बीच मैंने हाथ से थोड़ी सी उसकी चूत भी सहला दी। वो नजरें नीचे किए हुए थी।
यह सब देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने अपना खड़ा लण्ड उसी के सामने बाहर निकाला और मूतने लगा।

पेशाब गिरने की आवाज सुनकर उसने अपनी नजरें ऊपर की और मेरे खड़े लण्ड को देखा और फिर नजरें झुका लीं।

उसको अपना खड़ा लण्ड दिखाने से मेरा काम हो गया था.. इसलिए मैं बिना देरी किए टायलेट से बाहर आ गया और छत पर उसका इन्तजार करने लगा।

वो पास आई तो मैंने उसे बोला- घबराओ मत.. मैं किसी को नहीं बताऊँगा कि मैंने तुम्हें नंगी देखा।
वो बोली- प्लीज किसी को मत बताना कि तुमने क्या देखा।

मैंने कहा- वैसे तुमने भी तो मेरा देखा था.. इसलिए हिसाब बराबर हो गया। सच कहूँ तुम्हारी ‘वो’ बहुत सुन्दर है.. एक बार और देखना चाहता हूँ, फिर कब दिखाओगी।
वो होंठ चबाते हुए बोली- तुम्हारा भी तो सुन्दर है।
फिर वह शरमा कर भाग गई।

अब तो पक्का हो गया था कि वह बहुत जल्दी ही चुदने वाली है.. पर उसी रात चुदेगी.. यह पता नहीं था।

मैं बाथरूम की तरफ खुलने वाले दरवाजे पर कुंडी नहीं लगाता था.. ताकि रात में उसके खुलने की आवाज से किसी को परेशानी ना हो। यह बात उसे भी पता थी।

रात में खा पीकर मैं अपने कमरे में सो गया। आधी रात में मुझे अपनी टाँगों पर कुछ रेंगता सा महसूस हुआ। वह किसी का हाथ था.. जो धीरे-धीरे मेरे लण्ड की ओर बढ़ रहा था।

मैंने सोने का नाटक करना ही ठीक समझा। उसने धीरे से मेरा पजामा खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाना शुरू किया।
तभी अचानक उसने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसना चालू कर दिया।

अब मेरी हालत बुरी हो चली थी, लण्ड फुंफकार मार रहा था, जब मुझसे रहा नहीं गया.. तो एक झटके में उठ गया।

मैं अनजान बनते हुए बोला- तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो.. और ये सब क्या कर रही हो?
वो धीरे से कान में बोली- राज लेटे रहो.. तुम्हें मजा आ रहा है ना..!
मैंने कहा- बात मजे की नहीं है… किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे मैं यहाँ किसी को बताने के लिए थोड़ी आई हूँ.. बस तुम लेटे रहो और मुझे लण्ड चूसने दो।
मैंने मजे लेने के लिए कहा- पर मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकता।

वो बोली- साले राज.. अब नाटक मत करो और मुझे रोको मत.. सुबह से जब से तुमने मुझे नंगी और मैंने तुम्हारा लण्ड देखा है.. तब से मैं पागल सी हो गई हूँ। अब तो मुझे तुमसे चुदना है बस.. मैं अपने पति से बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ.. तुमने मेरी प्यास बढ़ा दी है.. अब चोद दो मुझे.. देर ना करो।
वो लगातार मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी।

जब वो खुद चुदना चाह रही थी.. तो मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा, मैंने उसे चित्त लिटाया और उसका कुर्ता ऊपर को उठा दिया.. जिससे उसकी चूचिया नंगी हो गईं, पजामी व पैन्टी को पैरों से अलग कर दिया, अपने भी कपड़े उतारे व थोड़ी देर उसकी चूत सहलाई और जब वह बहुत गरम हो गई तो खुद ही बोल पड़ी- आह्ह.. राज अब देर मत करो.. इसस्स.. चोद डालो मुझे..

मैंने उसकी चूत व अपने लण्ड पर खूब थूक लगाया और उसके ऊपर आकर लण्ड को चूत पर दबाने लगा। जल्दी ही वह पूरा लण्ड चूत में निगल गई।

धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू हो गई.. वो भी मस्ती में हल्की-हल्की कामुक आवाजें निकाल रही थी।

मैं भी शोर कम हो इसलिए उसकी चूत की आराम से रगड़ाई कर रहा था। टाइम ज्यादा लेने के कारण दोनों को ही खूब मजा आ रहा था। कभी मैं उसके ऊपर.. तो कभी वो मेरे ऊपर आकर चुद रही थी।

अब मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। मेरे हाथ में उसकी चूचियां थीं मैं उन्हें बेदर्दी से मसलकर तेज-तेज उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।

इससे आवाज कम आ रही थी और स्पीड भी बढ़ गई थी। वो भी चुदने ही आई थी इसलिए खुद अपनी चूत का दबाव हर धक्के में मेरे लण्ड पर दे रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है.. मैंने भी तेजी से लण्ड पेलना शुरू किया।
थोड़ी ही देर की तेज रगड़ाई में ही उसके साथ ही मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया। वो मेरे बगल में ही लेटी रही।

वो बोली- राज मेरी एक बच्ची होने पर भी मैंने आज तक इतनी देर तक चुदाई नहीं की.. तुमने बहुत मजा दिया। सुबह जब तुमने मेरी चूत सहलाकर मुझे अपना लण्ड दिखाया था.. तब से ही मेरी चूत चू रही थी। इस निगोड़ी को.. तुम्हारी जोरदार चुदाई के बाद अब शांति मिली है.. जल्दी से एक बार और चोद दो मुझे.. कहीं बच्ची ना जाग जाए।

मैंने एक बार और उसकी चूत मारी और फिर वह अपने कमरे में चली गई। वह जितने दिन भी यहाँ रही.. उतने दिन मैंने उसे जमकर चोदा।
उसी की मदद से कैसे मैंने उसकी छोटी बहन को माँ बनाया.. यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।

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