भाभी के साथ सड़क किनारे चुदाई की शुरूआत

(Bhabhi Ke Sath Sadak Kinare Chudai Ki Shuruat)

खड़े लण्डों को मेरा प्रणाम.. प्यासी चूतों को प्यारा सा चुम्मा!

मेरा नाम हितेश है.. मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ.. मैं दिखने में औसत हूँ। मेरे लण्ड का आकार सवा सात इंच है जो हर प्यासी चूत को संतुष्ट कर सकता है। अब सीधा कहानी पर आता हूँ..

दोस्तो, मेरे पड़ोस में एक मस्त माल रहता है.. उनका नाम सीमा है.. उम्र कोई 28-30 की होगी.. पर वो दिखने में बहुत छोटी उम्र की लगती है.. उनकी फिगर 32-28-32 की होगी.. गोरा रंग है।
वो इतनी कामुक लगती हैं कि जब भी कोई उसे देखे.. तो कसम से लण्ड खड़ा हुए बिना ना रहे।
वो मुझसे बहुत अच्छे से बात करती थीं। मैं भी बस उन्हें चोदने की फिराक में कोई मौक़ा ढूँढता रहता था।

एक दिन भाभी के यहाँ नई स्कूटी आई.. लेकिन भाभी को स्कूटी चलाना नहीं आती थी.. सो उन्होंने भैया से कह कर मुझे स्कूटी सिखाने के लिए बोला।
मेरी तो जैसे बरसों की इच्छा पूरी होने जा रही थी, मैंने भाभी को शाम 8 से 9 बजे तक स्कूटी सिखाने की ‘हाँ’ भर दी।

अगले दिन मैं भाभी को स्कूटी सिखाने के लिए एक सुनसान सड़क पर ले गया.. जहाँ आम तौर पर कोई नहीं आता था।
मैं वहाँ उन्हें सिखाने लगा.. और सिखाते- सिखाते कभी उनकी जाँघों को छू लेता कभी उनके बोबों को.. और भाभी के देखने पर ऐसे एक्टिंग करता.. जैसे सब अंजाने में हो रहा हो।

वो भी स्माइल देकर वापस ड्राइव करने लग जाती.. उनसे चिपक कर बैठने के कारण मेरा लण्ड बार-बार खड़ा हो रहा था और भाभी की गाण्ड की दरार में फंस रहा था।
मुझे खुशी तो बहुत हो रही थी.. पर थोड़ा डर भी था कि कहीं भाभी भैया को ना बोल दें। मैं कंट्रोल करने की नाकाम कोशिश कर रहा था।
भाभी भी मेरे लण्ड के दबाव को महसूस करते हुए मन ही मन शायद खुश हो रही थीं और मुझे फिर वही स्माइल दे कर आगे देखने लग जाती थीं।

कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा.. मैं भी रोज ट्राई मारता.. पर कोई खास रिएक्शन ना आने के कारण मन मार लेता।

एक दिन मैंने जानबूझ कर स्कूटी का बैलेंस बिगाड़ कर स्कूटी गिरा दी.. जिससे भाभी मेरे ऊपर आकर गिर गईं और उनके होंठ मेरे होंठ से आ लगे। मैंने मौके का फायदा उठा उनके होंठों पर किस करना चालू कर दिया और उनके होंठों को चूसने लगा।

अचानक हुए इस हमले से वो थोड़ा डर गईं और मुझसे दूर होने की नाकाम कोशिश करती रहीं.. लेकिन मैं उन्हें लगातार किस किए जा रहा था और एक हाथ से कभी उनके कूल्हे मसलता.. तो कभी बोबे दबाता।
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अब वो भी धीरे-धीरे गर्म होने लगीं और मेरा साथ देने लगीं।
अब मैंने भी उन्हें उठाया और सड़क से थोड़ा अन्दर जाकर पेड़ों के झुरमुट के पीछे ले गया और वहाँ उन्हें किस करने लगा और वो मुझे पागलों की तरह किस करने लगीं।

मैंने धीरे-धीरे करके उनके कपड़े उतारना शुरू कर दिए, कुछ ही पलों में वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में रह गई थीं।
क्या मस्त माल लग रही थीं.. कसम से.. मेरा लण्ड भी पूरे जोश में खड़ा हो चुका था।

मैंने भाभी से लण्ड चूसने को कहा। भाभी भी तुरंत मान भी गईं और लॉलीपॉप की तरह मस्त चूसने लगीं। चूंकि मेरा पहला मौका था.. और इतनी अच्छी तरह चूसे जाने के कारण मैं जल्द ही भाभी के मुँह में ही झड़ गया।

भाभी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मैंने भी भाभी के बचे हुए ब्रा और पैन्टी भी उतार दिए। हम दोनों एक-दूसरे को चूसने-चाटने लगे। हम दोनों उधर ही लेट कर 69 की पोज़िशन में आ गए.. भाभी की चूत मेरे मुँह पर और मेरा लण्ड भाभी के मुँह में था। हम दोनों मज़े से एक-दूसरे की चुसाई रहे थे।

कुछ ही देर में भाभी का शरीर ज़ोर से अकड़ा और भाभी मेरे मुँह में ही झड़ गईं.. मैं भी भाभी के अमृत की आखिरी बूंद तक चाट गया।

अब तक मेरा लण्ड भी वापस पूरे जोश में आ चुका था.. और भाभी भी बार-बार कह रही थीं- प्लीज़ अब और मत तड़पाओ.. चोद दो मुझे.. फाड़ दो मेरी चूत को.. पेल दो लण्ड मेरी चूत में।

मैंने भी देर ना करते हुए अपने लण्ड को भाभी की चूत पर रगड़ना चालू किया।
इससे भाभी और उत्तेजित हो गईं और कामुक आवाजें निकालने लगीं ‘ऊऊओ.. ओह.. कम ऑन.. उउआ.. उफ़फ्फ़ फक मी प्लीज़..’

मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था.. सो मैंने अपना लण्ड भाभी की चूत में एक झटके से पेल दिया। अचानक हुए हमले से भाभी चिल्ला पड़ीं- ओईईई.. मार डाला रे..

मेरा पहली बार होने के कारण मुझे काफ़ी दर्द हो रहा था.. लेकिन फिर भी मैंने दर्द सहते हुए अपने आधे घुसे लौड़े को अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया।

भाभी जब नॉर्मल होकर मेरा साथ देने लगीं.. तो मैंने फिर एक ज़ोर से झटका मारा और मेरा लण्ड भाभी की चूत को चीरता हुआ गर्भाशय की दीवार से जा टकराया और भाभी फिर ज़ोर से चीख पड़ीं.. लेकिन मैंने धक्के लगाना चालू रखे।

थोड़ी ही देर में भाभी भी गाण्ड उठा कर मेरा साथ देने लगीं। अब मैं भी मस्ती से भाभी की चुदाई कर रहा था। कभी भाभी के बोबे दबाता.. तो कभी चूचे चूसता.. कभी-कभी चूचों को काट भी लेता.. जिससे भाभी चिल्ला पड़तीं.. और कामुक भी हो जातीं।

लगभग 20 मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद अब मैं झड़ने वाला था। मैंने भाभी से पूछा- शीरा कहाँ निकालूँ.. मेरी जलेबी?
भाभी ने हँस कर कहा- जरा थोड़े ज़ोर से धक्के मारो.. मैं भी झड़ने वाली हूँ।

अब मैंने 15-20 जोरदार धक्के मारे और दोनों ही एक साथ स्खलित होने लगे.. मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया।
िफिर भाभी ने बताया- इस चुदाई में मैं बीच में ही दो बार पहले ही झड़ चुकी हूँ

खैर.. भाभी बहुत खुश थीं.. और उन्होंने उठ कर मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर साफ किया और मुझे कपड़े पहनाए।
फिर मैंने भी भाभी को साफ किया और उन्हें कपड़े पहनाए और फिर एक जोरदार चुम्बन किया.. जो लगभग 5 मिनट तक चला।

फिर हम दोनों स्कूटी लेकर घर लौट आए। भाभी बहुत खुश लग रही थीं.. जाते-जाते उन्होंने मुझे थैंक्स कहा और मेरे होंठों पर किस किया।
फिर हम दोनों अपने-अपने घर चले गए।

अब जब भी हमें मौक़ा मिलता है.. हम सेक्स कर लेते हैं। भाभी स्कूटी चलाना भी सीख गई हैं लेकिन फिर भी वो भैया से यही कहती हैं कि अभी पूरी तरह से नहीं सीख पाया है।

मैं राज स्कूटी चलाने के बहाने पीछे बैठ कर उनके बोबे दबाता रहता हूँ। कभी उनकी चूत में उंगली डाल कर उन्हें स्कूटी पर ही चोद देता हूँ।
इस तरह मैं भाभी को सेक्स का पूरा मजा देता हूँ और लेता भी हूँ।

तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी.. आपको कैसी लगी.. मुझे जरूर ईमेल करें।
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