नामर्द बॉस ने बीवी को मुझसे चुदवा कर गर्भवती करवाया

(Namard Boss Ne Biwi Ko Mujhse Chudwa Kar Garbhvati Karvaya)

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को सबसे पहले मेरा प्यार भरा नमस्कार।
मेरा नाम नवीन है, मैं हरियाणा प्रदेश के सोनीपत जिले का निवासी हूँ तथा दिल्ली में नौकरी कर रहा हूँ।

कुछ समय पहले ही मैंने अन्तर्वासना में छपी कहानियों को पढ़ना शुरू किया है। आप लोगों द्वारा भेजी गई कहानियाँ मुझे काफी रुचिकर लगीं और उनसे प्रभावित होकर मैं भी अपनी जिंदगी की एक घटना आप लोगों तक पहुँचा रहा हूँ। मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरी आप-बीती आप लोगों तक पहुँच जाएगी और आप सब उस पर अपनी प्रतिक्रिया मुझे ज़रूर भेजेगें।

तो मित्रो, आपको अब अधिक न उबाते हुए मैं उस घटना के विवरण पर आता हूँ.. जिसका जिक्र मैंने ऊपर किया है।

मैं अपनी उस घटना के बारे में बताने से पहले आप सबको बताना चाहूँगा कि मेरी यह रचना मेरे जीवन में घटी एक सत्य घटना का विवरण ही है।

कुछ समय पहले की बात है जब मेरे पापा को अपने काम में काफी नुकसान हो गया था.. जिस कारण उन्हें पांच लाख रुपए का ऋण लेना पड़ा। अब इतना नुकसान होने के बाद पापा काफी बीमार रहने लगे थे। इसलिए घर का खर्च चलाने के लिए मुझे अपना कॉलेज छोड़ कर नौकरी करनी पड़ी। कुछ माह के बाद जब मेरे पापा के द्वारा लिए ऋण के भुगतान का समय पूरा हो गया.. तब मैं उस ऋण के भुगतान के लिए धन जुटाने की चिंता के कारण काफी तनाव में रहने लगा।

उस तनाव के कारण मुझसे ऑफिस के काम में भी गलतियाँ होने लगीं। एक दिन मेरे बॉस ने मुझे अपने पास बुला कर मुझसे हो रही गलतियों और मेरी परेशानी का कारण पूछा.. तो मैंने उन्हें अपने घर के हालात और अपनी समस्या के बारे में बता दिया।
मेरी परेशानी को सुन कर उन्होंने कहा- वह मुझे पांच लाख रुपए दे देंगे.. लेकिन उसके एवज़ में मुझे उनका एक काम करना पड़ेगा।
मैंने जब उनसे काम के बारे में पूछा.. तो उन्होंने कहा- उनकी उम्र 40 साल हो चली है.. लेकिन वह आज तक संतानहीन हैं.. क्योंकि शायद वह संतानोत्पत्ति में कमजोर हैं।

इसके बाद उन्होंने कहा- मुझे उनकी पत्नी के साथ यौन-क्रिया करके उसे एक बच्चे की माँ बनाना होगा।
मैंने कुछ देर मन ही मन में सोचा कि मुझे तो धन की बहुत जरूरत है और बॉस का वह काम करने में मुझ पर कोई संकट भी नहीं आने वाला है।
जब बॉस ने मुझे बताया कि रुपए वापिस भी नहीं देने पड़ेंगे.. तब मैंने सहर्ष उनका कार्य करने का निर्णय ले लिया और उन्हें ‘हाँ’ कर दी।

मेरी ओर से मिली सहमति से वह बहुत ही खुश हो गए और अपनी मेज़ की दराज़ से तीन लाख रूपये निकल कर मुझे दे दिए और कहा- बाकी के दो लाख वह काम होने के बाद देंगे।

इसके बाद उन्होंने बताया कि अगले तीन दिन वह ऑफिस के काम से बाहर जा रहे हैं.. इसलिए मुझे उन्हीं तीन दिनों में ही उनका करना होगा।
उन्होंने यह भी कहा- इसके बारे वह अपनी पत्नी को सब बात से अवगत करा देंगे और मुझे उन तीनों दिन तथा रात उन्हीं के घर में रह कर पूरे जोश के साथ मन लगा उनका काम करना होगा।

अगले दिन जब बॉस कहे अनुसार बाहर चले गए.. तब मैं तीन दिन और तीन रात की ड्यूटी निभाने के लिए तैयार हो कर उनके घर पहुँचा।

जब मैंने घर की घंटी बजाई.. तब मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या होने वाला है।
जैसे ही दरवाजा खुला तो एक बहुत ही सुंदर महिला मेरे सामने थी। क्या जिस्म था यारों उसका.. बिल्कुल एक परी की तरह थी.. पतले गुलाबी होंठ.. काली आँखें.. पतली सी गर्दन.. लम्बे काले खुले हुए बाल.. गोल-गोल मस्त चूचियां.. गोरे पेट पर छोटी सी नाभि.. गोल-गोल कसे हुए नितम्ब.. बिल्कुल चिकनी और सुडौल जांघें और पैरों में ऊँची हील के सैंडल देखकर मेरा मन ऐसा कर रहा था कि उन पैरों की उगलियों को उसी समय अपने मुँह में लेकर चूसने लगूँ।

उसने जब मुझसे कहा- नवीन, अन्दर आओ।
तो उसकी सुरीली आवाज सुन कर तो मैं वहीं पर मानो पत्थर हो गया। जब उसने अपने हाथों से मेरे गालों को छू कर मुझे हिलाया.. तो मुझे होश आया और वो मुझे पकड़कर अन्दर ले गई।

मैं सोफे पर बैठ गया और वो रसोई में चली गई।
वो चाय लेकर आई और एक कप देखकर मैंने कहा- आप चाय नहीं पीती क्या?
तो उसने कहा- क्या मैं आपके साथ एक कप में चाय नहीं पी सकती क्या.. शायद आपको मैं पसन्द नहीं आई।

मैं अब भी उससे शर्मा रहा था।
शायद वो मेरी इस बात को भांप गई थी.. और अचानक वो आकर मेरी गोद में बैठ गई, उसने मेरे होंठों में अपनी उंगली दे दी और मेरी उंगली अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।

इस तरह से वो मेरी उंगली चूस रही थी कि मैं बहुत उत्तेजित हो रहा था।
वो बोली- जब आप मेरी उंगली चूसकर ही मुझे इतना उत्तेजित कर रहे हो.. तो आपके साथ चाय पीने में तो बहुत मजा आएगा।
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वो मेरी गोद से उठ कर मेरे साथ उसी कप से चाय पीने लगी। अब चाय का कप उसने अपने हाथों से ही मेरे होंठों पर लगा दिया और मुझे चाय का घूंट भरना पड़ा।
ऐसे ही हमने वो चाय का कप खत्म किया। इसके बाद वो पुनः आकर मेरी गोद में बैठ गई और मेरे होंठों को चूसने लगी, वो बड़े प्यार से अपने हाथों से मेरे बालों को सहला रही थी।

मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि मैं अपने आप उसके होंठों को चूसने लगा। इसी बीच उसका हाथ कब मेरी पैंट के अन्दर जा चुका था.. मुझे पता ही नहीं चला।

अब मैं उसकी साड़ी को खोल रहा था, साड़ी उतारने के बाद वो मेरे सामने पैंटी और ब्रा में थी।
मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाकर बेड पर बिठाया। मैंने उसके पैरों को उठाया और बारी-बारी से उंगलियों को चूसने लगा। इन नाजुक अंगों को चूसने के कारण वो सिसकारियाँ भरने लगी थी।

वो बोली- नवीन.. मैं मर जाऊँगी.. प्लीज मुझे और मत तड़पाओ आ आह.. नवीन प्लीज..
मैंने उसके पैरों को छोड़ा और उसकी ब्रा और पैंटी को उतार दिया। अब मैंने उसकी मदभरी चूचियों को चूसना शुरू किया और अपना लण्ड निकाल कर उसके हाथों में पकड़ा दिया.. जो कि तन कर 8 इंच का हो चुका था।

उसे देखकर वो एकदम से उछली और बोली- ओह माय गॉड.. इतना बड़ा.. ये तो मुझे मार डालेगा।
तब मैंने उसे समझाया- यह तुम्हें और भी ज्यादा मजा देगा।

फिर मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत को चूसना शुरू किया, धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत को चूस चूस कर लाल बना दिया।
मैं जब भी उसकी चूत के अन्दर तक जीभ लेकर जाता.. वो अपने नितम्बों को ऊपर की ओर उठा देती और एक लम्बी सिसकारी लेती।

मैं ऑफ़ कंट्रोल हो चुका था और मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। वो इस कदर मेरे लण्ड को चूसने लगी कि मेरी सांस बिल्कुल रुकने को हो जाती।
जब वो मेरे लण्ड को अन्दर की तरफ लेती.. तो अपने होंठों से मेरे लण्ड को बिल्कुल भींच देती.. जिससे मेरा माल वहीं पर निकलने को हो जाता।

अब मेरी उत्तेजना काबू के बाहर हो चुकी थी और मैंने अपने लण्ड को उसके मुँह से खींचा और एकदम से उसकी चूत पर लगा कर जोरदार झटका मारा।
मेरा लण्ड आधे से ज्यादा उसकी चूत में जा चुका था। वो कुछ समझ ही नहीं पाई और एक जोरदार चिल्लाई, वो अपने आपको मुझसे छुड़वाने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन मेरी पकड़ मजबूत होने के कारण वो नाकाम रही।

उसके दर्द को कम करने के लिए मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद जब वो सामान्य हो गई.. तो मुझसे बोली- नवीन मैं कहीं भाग कर नहीं जा रही थी.. जो तुमने एकदम से मेरी चूत में डाल दिया। पता है कितना दर्द हुआ था.. मैं मरते-मरते बची।

मैंने कहा- सॉरी.. मैं अपने आपको रोक नहीं पाया.. अगर कहो तो अब निकाल लूँ क्या?
वो बोली- तब तो मैं किसी तरह बच गई थी.. पर अब अगर तुमने कुछ नहीं किया.. तो मैं जरूर मर जाऊँगी.. प्लीज जल्दी से इसे अन्दर-बाहर करो।

मैंने उसकी जाँघों को अपने कन्धों पर रखा और उसकी चुदाई शुरू की। कुछ देर बाद वो अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थी ‘आहह आए.. मर गई राजा.. और जोर से.. चोद डाल मुझे.. उस साले से तो आज तक मेरी चूत शान्त ही नहीं हुई.. आह्ह.. तुम आज मेरी बरसों की प्यास बुझा दो..आह्ह…’

मैं अपनी पूरी ताकत से उसको चोद रहा था।
कुछ देर के बाद वो झड़ गई, मेरा भी काम होने वाला था, मैंने उससे कहा- मेरा काम तमाम होने वाला है।
उसने कहा- तुम्हारे वीर्य की एक बूँद भी बर्बाद नहीं जानी चाहिए।

उसके इतना कहते ही मेरे लण्ड ने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। इसके साथ ही मैं उसके ऊपर ही लेट गया और उसके होंठों को किस करने लगा।

कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और लेटे रह कर बातें करने लगे।
वो मुझसे बोली- नवीन मैं आज बहुत खुश हूँ.. शायद अब मेरी माँ बनने की इच्छा जरूर पूरी होगी.. थैंक यू वेरी मच।
इसके साथ ही वो मेरे लण्ड को फिर से सहलाने लगी।

मैंने उससे कहा- ये तो मुझे इसलिए करना पड़ा क्योंकि मेरी मजबूरी थी।
तो उसने कहा- अब तो हम दोनों की परेशानी दूर हो गई है। तुम बस अब इस आनन्द का मज़ा लो।
इसी के साथ ही उसने मेरे लण्ड को फिर से मुँह में ले लिया तथा चूस-चूस कर मुझे मजा दिया।

इसी तरह हमने उस रात को दो बार और अलग अलग मुद्राओं में सम्भोग किया।

कुछ दिनों बाद ही मुझे सर और मैडम ने बताया है कि मैडम एक बच्चे की माँ बनने वाली हैं। आज उस बात को करीबन आठ महीने बीत गए हैं।

दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची आत्मकथा.. जो कि मेरी मजबूरी थी। लेकिन आज भी जब मैं उस घटना के बारे में सोचता हूँ तो काफी शर्मिंदा होता हूँ कि मैंने किसी दूसरे की पत्नी के साथ सेक्स कर अच्छा नहीं किया, मेरा दिल आज भी मुझे उस घटना के लिए माफ़ करने को तैयार नहीं है।

मैंने अपनी आत्मकथा अन्तर्वासना पर इसलिए डाली है ताकि आप लोगों की इस बारे में राय जान सकूँ।

क्या मैंने अपनी होने वाली बीवी के साथ धोखा किया है..? क्या मैं खुदगर्ज हूँ? क्या आप लोगों भी मुझे दोषी मानते हो..?

प्लीज आप अपनी राय मुझे मेरी आईडी [email protected] पर जरूर भेजें। मुझे आपके सन्देश का इंतज़ार रहेगा।
बाय दोस्तो, अगर लिखने में कोई गलती हुई हो.. तो मुझे माफ़ करना।

अंत में मैं अपनी एक दोस्त वीणा शर्मा को मेरी इस कहानी के सम्पादित करने और उसे अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने में मुझे सहयोग देने के लिए आभार प्रकट करता हूँ।

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