आखिर सुप्रिया को मना कर चोद ही दिया -1

(Akhir Supriya Ko Mana Kar Chod Hi Diya-1)

दोस्तो, एक बार फिर आप सबके सामने आपका प्यारा शरद एक नई कहानी के साथ हाजिर है।
आप तैयार हैं न.. इस नई कहानी को पढ़ने के लिए..

मैंने एक पार्ट टाइम जॉब पकड़ लिया जिसकी टाईमिंग शाम को 4 बजे से 8 बजे तक की है, उसमें मैं एक कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम करता हूँ। वहाँ पर जो मेरी मैनेजर है.. उसका नाम सुप्रिया है, मेरा और उसका केबिन एक ही है.. बस बगल-बगल में ही हम दोनों की टेबिल लगी हैं.. और दोनों टेबल के बीच की दूरी एक फिट से ज्यादा नहीं होगी।

इसका मतलब मैं उसके एक-एक अंग को बड़े ही करीब से देख सकता था। एक बार मैं अपने कम्प्यूटर पर कुछ काम कर रहा था.. तभी उसने एक पेन उठाया और धीरे से नीचे ले जाकर अपनी बुर को खुजलाने लगी।

चूँकि मैं नया था, तो चुपचाप उसकी हरकत को देखकर चुप रहा।
सुप्रिया एक साधारण नाक-नक्श वाली लड़की है। उसके लम्बे बाल उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देते हैं।

उसकी फिगर का नाप शायद 30-28-32 का होगा.. क्योंकि उसकी गाण्ड पीछे से कुछ ज्यादा ही उभार लिए हुए थी। उसकी गाण्ड कुछ अंडाकार किस्म की उठी हुई थी.. जिसके कारण उसमें कुछ ज्यादा ही सेक्स अपील थी।
मुझे नहीं लगता कि कोई मर्द उसको देखे.. खासकर उसके पीछे के हिस्से को देखे.. और उसका लण्ड उसके गाण्ड को सलामी न दे।

जब वो जींस और टॉप पहन कर आती थी.. तो और कयामत लगती थी.. क्योंकि तब उसके एक-एक अंग का आकार समझ में आता था। उसकी कमर के नीचे का हिस्सा यानि उसकी चूत भी उठी हुई दिखती थी.. क्योंकि पेट अन्दर की ओर घुसा हुआ था।
कुल मिलाकर उसकी जींस से ही उसके चूत के आकार का पता चल जाता था।

हाँ.. उसके अंदाज में एक खास बात यह थी कि वो बातों को बड़े ही हल्के ढंग से लेती थी.. शायद उसे ये पता था कि जिस जगह भी वो जॉब करेगी.. उस जगह पर मर्दों की संख्या ज्यादा होगी.. इसलिए वो द्विअर्थी बातों का जबाव भी वो द्विअर्थी संवाद से देती थी।

लेकिन इस सब के बावजूद भी.. क्या मजाल कि कोई उसके जिस्म को टच कर पाए। उसका कहना था कि लड़कियाँ जब तक न चाहें.. तब तक कोई उसको स्पर्श भी नहीं कर सकता है।
हमारे ऑफिस में कई जनाब ऐसे भी हैं.. जो उससे द्विअर्थी बातें करते थे और वो उसका जबाव भी उसी अंदाज में दे दिया करती थी.. पर किसी की हिम्मत उससे आगे बढ़ने की नहीं होती थी।

धीरे-धीरे मैं भी उससे खुलने लगा.. मेरे घर और उसके घर का रास्ता एक ही था.. मैंने बहुत कोशिश की.. लेकिन वो कभी मेरे साथ नहीं आई.. फिर भी मैंने कोशिश नहीं छोड़ी।

एक दिन वो स्लेक्स और टॉप पहन कर आई थी.. जिसका गला काफी खुला हुआ था। उसके टॉप में से उसकी चूचियों के दीदार बड़े आराम से हो रहे थे।
मैंने मुस्कुराते हुए बोला- आज आप बड़ी क्यूट और सेक्सी लग रही हैं..

उसने भी मुस्कुराते हुए ‘थैंक्स’ कहा.. लेकिन आज मेरा मन उसको छेड़ने का हो रहा था.. सो मैं उसकी तरफ देख कर अपने लौड़े को खुजाने लगा।

उसकी नजर मेरी हरकत पर पड़ी.. तो बोल उठी- पब्लिकली मत खुजलाओ.. टॉयलेट चले जाओ.. वहाँ खुजला कर आओ।
मैंने तुरन्त ही कहा- यह क्या बात हुई.. तुम खुजलाती हो.. तो मैंने तो कुछ नहीं बोला और मेरे खुजाने में आबजेक्शन?
‘ओहो.. तो तुम्हारी नजर मेरे पर ज्यादा और काम पर कम रहती है?’
‘तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि किसी की मजाल कि उसका काम में मन लग पाए!’

हमारी बातें यहीं खत्म हो गईं.. मैं अपने काम में और वो अपने काम में व्यस्त हो गए।
इस तरह से तीन महीने बीत गए।

एक दिन अचानक सुप्रिया चीखते हुए मेरे ऊपर गिर पड़ी। मैंने उसे सम्भालने के लिए उसे जकड़ लिया और मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर.. दूसरा उसके नितम्ब को सहला रहा था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अचानक से जैसे सुप्रिया को याद आया और वो झटके से हटी और मुझे घूरते हुए बोली- क्यों मिस्टर.. ये क्या हो रहा था?
मैंने उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए बोला- वो जाने दो.. तुम चीखी क्यों?
उसने दीवार की ओर इशारा करते हुए कहा- छिपकली है वहाँ.. और वो मुझ पर गिरने वाली थी।

मैंने हँसते हुए कहा- इसका मतलब मुझे उस छिपकली का अहसान मानना चाहिए.. जिसकी वजह से हुस्न की मलिका मेरे ऊपर गिर पड़ी।
‘ही ही ही.. सो फन्नी..’ अपने दाँत दिखाते हुए वो बोली।

मेरे नीचे वाले साहब ने अपना काम बाथरूम में जाकर लगा लिया। मैं जैसे ही बाहर आया.. वो समझ चुकी थी कि मैं मुठ्ठ मार कर आ रहा हूँ।

‘पता नहीं तुम लड़कों को क्या मिलता है.. जो हर समय एक ही सोच रखते हो।’

लेकिन उस दिन के बाद से हमारी नजदीकियाँ बढ़ती गईं। अब वो मुझसे अपनी बातें शेयर करने लगी। एक दिन वो पेशाब करने गई.. लेकिन 2 मिनट में ही वापस आ गई।

थोड़ी देर बाद वो मुझसे वाशरूम से छिपकली को हटाने के लिए बोली।
मैंने कहा- चलिए.. देखते हैं।

मैं उसके साथ वाशरूम में गया और छिपकली को हटा दिया लेकिन अब ये मसला लगभग हर दूसरे या तीसरे दिन का हो गया।
आखिर एक दिन जब वो मुझसे वो छिपकली हटाने के लिए बोली.. तो मैंने ‘मेहनताने’ की फरमाईश रख दी।

लेकिन बिना कुछ बोले मुझसे वो छिपकली को हटाने की जिद करने लगी। मैंने भी मौके की नजाकत को समझते हुए बाथरूम से छिपकली हटा दी और अपने काम पर लग गया।

जब सुप्रिया फ्री होकर आई तो मुस्कुराते हुए बोली- मैं भी काम करते-करते थक गई हूँ। कल हम दोनों साथ में घूमने चलते हैं।

दोस्तो.. यहाँ पर मैं एक बात बताना चाहता हूँ.. कि जब से मैंने उस नौकरी को ज्वाईन किया था.. न तो मैंने और न ही सुप्रिया ने.. एक भी दिन छुट्टी ली थी।

फिर बातों ही बातों में हम दोनों का प्रोग्राम सैट हो गया। बस सुप्रिया की तरफ से शर्त इतनी ही थी कि ऑफिस आवर्स में हम लोग एन्जॉय करेंगे।

मैंने भी हामी भर दी, दूसरे दिन कार लेकर मैं सुप्रिया की बताई हुई जगह पर इंतजार करने लगा।
थोड़ी देर बाद सुप्रिया आ गई, रोज की तरह उसने कपड़े पहने हुए थे।
‘चलो.. आज मैं फ्री हूँ..!’

मैं एक बार चौंका.. पर आते ही उसने वही द्विअर्थी वाक्य दुबारा बोला- चलो आज मैं फ्री हूँ और तुम्हारी बात मान रही हूँ.. कल को ये मत बोलना कि मैं ‘चूक’ गया था।
जैसे ही उसने ‘चूकने’ वाला शब्द बोला.. मैंने उसको पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिया।
‘गूँ-गूँ..’ की आवाज उसके गले में अटक गई.. लेकिन वो छूट नहीं पाई और उसने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए।

मैं अपने आप उससे अलग हो गया। अलग होते ही वो गुस्सा दिखाते हुए कार से उतरने लगी। मैंने उसकी बाँहों को पकड़ कर बोला- तुम गुस्सा क्यों कर रही हो?

इस पर सुप्रिया बोली- यह गलत बात है.. साथ में घूमने की बात हुई थी और तुम फायदा उठा रहे हो।
‘लेकिन तुमने यह भी तो कहा था कि आज मत चूकना.. आज मैं तुम्हारी बात मान रही हूँ। चलो फिर भी मैं तुम्हारे सामने अपनी बात रखूँगा.. तुम जिस पर रजामन्द होगी.. वो ही मैं करूँगा।’
इस बात पर उसका गुस्सा शान्त हुआ।

‘अच्छा.. आज भी रोज ही वाले कपड़े पहनोगी या कुछ लाई हो?’
‘नहीं.. मैं कुछ नहीं लाई हूँ।’
‘ठीक है..’ मैंने कहा।

तभी मेरी नजर उसके पैरों पर पड़ी.. वहाँ पर काफी बाल थे। मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रही थी कि किस अनाड़ी लौंडिया के चक्कर में पड़ गया.. इसने तो वैक्सिंग तक नहीं कराई है।

मैंने बिना झिझक एक ब्यूटी पार्लर पर गाड़ी रोकी.. सुप्रिया से कहा- देखो आज तुमने मेरी बात मानने का वादा किया है और जो मैं कहूँगा वो तुम मानोगी।

‘हाँ बोलो.. क्या मानना है?’
‘कुछ नहीं.. ये 2000 रूपए लो और पार्लर में जाकर वैक्सिंग वगैरह करा लो.. ताकि तुम और सेक्सी दिखो।’

बिना कुछ बोले उसने मुझसे पैसे लिए और कार का गेट खोलने लगी।
तभी मैंने उससे कहा- अपना साइज बता दो.. ताकि तुम्हारे लिए कुछ सेक्सी ड्रेस ले लूँ।

’30-28-30..’ वो बोली।
अब मेरी हिचक खत्म हो गई थी और शायद उसकी भी खत्म हो गई थ इसलिए वो मुस्कुराते हुए बोली- और कुछ?
‘हाँ.. नम्बर बता दो।’
‘मेरा नम्बर.. वो तो तुम्हारे पास है।’

‘अरे वो नम्बर नहीं.. अपनी पैन्टी और ब्रा का नम्बर पूछ रहा हूँ.. आज तुम मेरे साथ हो तो तुम्हारे जिस्म पर मेरा ही एकछत्र अधिकार है।’
‘ओके..’
यह कहकर उसने ’85 सेमी..’ बोला और पार्लर की तरफ चल पड़ी और एक बार मेरी तरफ मुस्कुराते हुए घूमी।

अब मैं एक मॉल पर खड़ा था और अपनी सुप्रिया के लिए ऐसे कपड़े खरीद रहा था कि उसके ऊपर जचें।
मैंने उसके लिए सफेद रंग का जालीदार टॉप लिया.. एक हाफ कैपरी ली और सफेद रंग की ही पैन्टी और ब्रा ली.. इसके साथ ही एक उँची हील की सैन्डल भी खरीद ली। जितनी देर मैं मैंने ये कपड़े खरीदे उतने ही देर मे उसने वैक्सिंग वगैरह करा ली थी।
अब उसके शरीर से भीनी-भीनी खूशबू आ रही थी।

मैंने उसे कपड़े दिए।
‘अब मैं इनको कहाँ बदलूँ..?’ सुप्रिया मुझसे बोली।
‘कार में पीछे चली जाओ।’
‘हूँ.. अगर मुझे कार में ही कपड़े बदलने हैं.. तो क्यों नहीं तुम ऐसी जगह चलते.. जहाँ पर मैं इत्मीनान से अपने कपड़े तुम्हारे सामने बदलूँ।’
मैंने तपाक से कहा- ठीक है जानेमन.. मेरे घर चलो।
मुझे चिकोटी काटते हुए बोली- चलो ठीक है.. तुम्हारे घर ही चलते हैं।

उसका इतना कहना ही था कि मैंने तुरन्त ही गाड़ी घर की ओर मोड़ दी और अगले दस मिनट में मैं और सुप्रिया मेरे घर में थे।
घर के अन्दर पहुँच कर उसने कपड़े लिए और बोली- अब बताओ कहाँ बदलने हैं?
‘पूरा घर तुम्हारा है.. तुम चाहे जहाँ चाहो बदल सकती हो।’

अब बिना किसी झिझक के सुप्रिया मेरे सामने अपने कपड़े उतारने लगी। सबसे पहले उसने अपना टॉप और जींस उतारा। और जैसे ही उसने अपने शरीर से ब्रा को अलग किया.. उसकी दो नाशपाती जैसी चूचियाँ सामने उगी हुई दिखाई दीं।
इसका मतलब साफ था.. जिस लड़की को मैं पाने के लिए तड़प रहा था.. वो बिल्कुल कुंवारी थी।

अब उसने अपने काले रंग की पैन्टी उतारी.. वैसे मैंने उसके हाथ से पैन्टी ली, पैन्टी थोड़ी सी गीली थी। मैं पैन्टी को सूँघने लगा.. उसने तुरन्त ही मुझसे पैन्टी छीन ली और बोली- यह क्या कर रहे हो?

तो दोस्तो, यह मेरी कहानी का पहला भाग.. अगले भाग में आपको बताऊँगा कि सुप्रिया की कुँवारी चूत की चुदाई कैसे हुई।
आप सभी को कहानी कैसी लग रही है.. मुझे ईमेल पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर भेजें।
कहानी जारी है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top