रशियन गोरे मिखाईल से रेखा की चूत चुदाई -2

(Russian Gore Mikhail Se Rekha Ki Chut Chudai-2)

हम दोनों 15-20 मिनट चुदाई करते रहे और झड़ गए।
जब तक उसका लंड सिकुड़ नहीं गया तब तक मिखाईल ने लंड चूत के अन्दर ही रखा और मेरे ओंठों को चूमता रहा, मुझे परम सुख की अनुभूति हो रही थी।
मिखाईल ने उठ कर तौलिये से मेरी चूत और अपने लंड को साफ किया, वह फ्रिज में से दो गिलास संतरे का जूस लाया, फिर हम दोनों ने जूस पिया।

मैं मिखाईल का लंड और देखना चाहती थी इसलिए मैं उसके पैरों की तरफ अपना सर करके लेट गई। मैं मिखाईल का सिकुड़ा हुआ लंड ध्यान से देखती रही, मुझे यह देख कर आश्चर्य हुआ कि उसका टोपा अभी भी खुला हुआ है। अब मैंने उसका सिकुड़ा हुआ लंड अपने मुहँ में लेकर लोलिपाप जैसे चूसना चालू किया।
उधर मिखाईल ने मेरी चूत के दाने को उंगली से मसलना चालू किया। मैं सिकुड़ा हुआ लंड अपने मुँह में रख कर उसे हल्के हल्के चुइंग गम जैसा चबाती रही क्योंकि सिकुड़ा हुआ लंड रबर जैसा नरम लग रहा था।

मगर जल्दी ही लंड धीरे धीरे तनने लगा और मेरा मुंह भर गया। जब वह पूरा तन गया तो मेरे मुख में नहीं समा रहा था और अब मुझे वह एक मूली जैसा कड़ा लग रहा था।
जब तक मिखाईल का लंड तैयार हुआ, मेरी चूत भी मिखाईल के हाथों गर्म हो चुकी थी। मेरा ध्यान तो उसके लंड पर ही था जो कि अभी भी तन कर उछल रहा था, मानो मुझे रिझा रहा हो।

इसके बाद मिखाईल और मैं आलिंगन करके एक दूसरे के शरीर को जगह जगह चूमते रहे, हम दोनों के ओंठ एक दूसरे को चूमते चाटते रहे।
मिखाईल ने मुझे फिर उठा कर गोद में लिया, खड़े खड़े उसने मेरी दोनों टांगों को फैला कर अपनी कमर के दोनों बाजू में किया और मुझे गले में हाथ डालकर लिपटने को कहा।
अब मैं उसके ऊपर लटक रही थी, उसने अपने लंड को नीचे से मेरी चूत की सीध में लाकर चूत में पहना दिया, ऊपर मेरे और उसके ओंठ सीध में थे, हम दोनों ने लब जोड़े हुए थे, नीचे उसके लंड के ऊपर मेरी चूत पिरोई हुई थी।

मिखाईल ने अपने दोनों हाथों से जो कि मेरे नितंब को संभाले हुए थे, मुझे ऊपर नीचे करना शुरू किया। उसका लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई रॉड अन्दर बाहर हो रहा हो। इस तरह मिखाईल मेरे को 15-20 मिनट चोदता रहा और हम दोनों झड गए, मेरे पूरे शरीर में आनन्द की तरंगें उठ रही थीं।

सुबह के साढ़े नौ बजे से साढ़े बारह बजे तक चुदाई करते रहने से हम थक गए थे इसलिए बिस्तर पर जैसे ही हम एक दूसरे के गले में हाथ डाल कर नंगे ही लेटे, हमें झपकी लग गई।
करीब एक घंटे बाद जब दरवाजे की घंटी बजी हमारी नींद टूटी। उसने मुझे वहीं लेटे रहने को कहा, ‘खाना आया है’ बोल कर, गाउन पहन कर दरवाजे पर गया, लड़के से खाना लेकर वह अन्दर आ गया।
मिखाईल ने टेबल पर खाना लगा कर मुझे बुलाया।

मैं मुँह हाथ धोकर कपड़े पहनने जा रही थी, उसने मुझे रोका और ‘नो नो नेकेड आओ…’ कह कर अपना गाउन भी उतार दिया।
खाना खाकर मैंने टेबल साफ कर दिया और बाकी सब चीजें किचन में रख दी, ये सब काम मैंने नंगे ही किये।

मिखाईल ने फ्रिज से आइसक्रीम निकाली और मुझे देकर अपनी प्लेट में भी ली, बोला- खाओ!
मैंने ‘ऐसे नहीं’ कहकर आइसक्रीम हाथ में लेकर मिखाईल के आधे सिकुड़े लंड पर लगाना और चाटना चालू किया।
मेरे हाथ और मुँह के लगने से उसका लंड फिर खड़ा होना चालू हुआ।
मैं आइसक्रीम लगा लगा कर लंड को काटती और चूसती गई। उसके लंड से फिर नमकीन पानी निकल रहा था, उसे भी मैं चाटती गई। मिखाईल को बहुत आनन्द आ रहा था, और वो कुछ बोले जा रहा था।

जब मैंने आइसक्रीम ख़त्म कर दी तब उसने मुझे टेबल पर लेटा दिया और उठकर उसने मेज़ पर से एक केला उठा कर छीला और मेरी चूत में डाला जो अब तक मेरे नमकीन पानी से गीली हो चुकी थी।
केला सटाक से अन्दर चला गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
कुछ देर केले को लंड जैसा अन्दर बाहर करने के बाद उसने आधा केला खा लिया और आधा मुझे भी खाने के लिए दिया।
हम दोनों फिर से परम आनन्द में डूब गए।

अब मिखाईल ने टेबल पर मेरी चूत की सीध में अपना लंड लाकर मेरे दोनों पैर मेरे ऊपर कर दिए और खड़े खड़े चोदना चालू किया।
मैं अपने पैरों को बारी बारी से चौड़ा और सिकुड़ा रही थी जिससे मेरी चूत में खूब संकोचन होता रहे।
मैं अपने चूतड़ उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी, उधर मिखाईल धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ता रहा।
करीब बीस मिनट बाद हम दोनों एक फिर झड़ गए।

मिखाईल ने तौलिये से मेरी चूत और अपना लंड पोंछा।
उसने मुझे उठा कर बेडरूम में बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी मुझे आगोश में लेकर सो गया।

दोपहर साढ़े चार बजे हम दोनों उठे, मैंने उसके लंड को आखिरी बार मुँह में लेकर चूसा, उसने भी मेरी चूत को चूस कर थैंक यू कहा।

मेरे बाथरुम में जाने के पहले मिखाईल ने लंड को मेरे हाथ में देकर पूछा ‘हिंदी में क्या?’
मैंने कहा- लंड!
वो बोला- लंडन?
मैंने कहा- नो ‘लंड’
फिर उसने मेरी चूत पर हाथ फेर कर पूछा- यह क्या?
मैंने कहा- चूत!
वो बोला- छुत?
मैंने फिर दो बार ‘चूत’ कहा तब वो समझा।

मैं बाथरूम से फ्रेश होकर आने के बाद मिखाईल फ्रेश होने गया और मैं चाय बनाने गई।
हम दोनों ने 7-8 घंटे बाद कपड़े पहने। चाय पीने के बाद गुड बाय कह कर जाने को निकली तो मिखाईल ने मेरे हाथ में हजार रुपये थमाए और थैंक यू कहा।उसने कहा- हर रविवार और दूसरी छुट्टी के दिन हम सेक्स करेंगे।
मैंने कहा- मैं ख़ुशी से आऊँगी।

दोस्तो, जब रेखा मुझे अपनी आपबीती सुना रही थी तब हम सोफे पर बैठे थे, मैं रेखा की चूत से और वह मेरे लंड से खेल रही थी।
रेखा जब कुछ बातें शब्दों कह नहीं पाती तो मेरे को करके दिखाती।
मेरा लंड बल्लियों उछल रहा था, उसकी चूत और मेरे लंड से चिकना पानी रिस रहा था।
रेखा मुझे चित लिटा कर कहानी ख़त्म होने तक मेरे लंड को अपनी चूत में पिरो कर मेरे ऊपर बैठी रही, हम दोनों ने भी चुदाई पूरी की और अपने अपने काम ज्वार को शांत किया।

रेखा ने एक और मजेदार बात बताई, उसने कहा- आज सुबह आपके यहाँ आने से पहले मैं जब मिखाईल के यहाँ गई तो उसने घर में जाते ही मुझे आगोश में लेकर चूम लिया, बोला कल बहुत अच्छा किया!
मिखाईल को प्लांट जाना था इसलिए वह नहाने चला गया और में काम कर रही थी।

नहाकर और तैयार हो कर जब वो नाश्ते की टेबल पर आया तो उसने कहा- इधर आओ!
उसने ज़िप खोलकर अपना लंड बाहर निकाला।
घर में मेरी मौजूदगी से ही उसका लंड तना हुआ था। मिखाईल बोला- देखो!
मैंने देखा कि उसके लंड पर कई जगह मेरे दांत के लाल-लाल निशान बन गए थे। शर्म से मेरी आंखें झुक गई।
वह मुस्कुराकर बोला- चिंता मत करो, ये तो कल के तुम्हारे प्यार की मुहरें (स्टैम्प्स ऑफ़ लव) हैं।
फिर मैंने भी अपने उरोज खोल कर उनके ऊपर उसके दांत की मुहरें दिखाई, हम दोनों एक साथ हंस पड़े और एक दूसरे को बाय कह कर चल दिए।

मिखाईल के लंड के प्रति रेखा की जिज्ञासा अभी भी गई नहीं थी, उसने मुझे बताया कि मिखाईल का लंड काफी अच्छा है।
उसने पूछा- उसके लंड का टोपा आप लोगों (मैं, बतरा, उसका पति) जैसा सिकुड़ने पर चमड़ी से ढक क्यों नहीं जाता? आप लोगों के तो खड़े लंड का टोपा भी चमड़ी खींचने से भी बंद हो जाता है, और तो और मेरे पति का टोपा तो लंड खड़ा होने पर भी बाहर नहीं निकलता। सिर्फ टोपे का मूत्र छिद्र ही नजर आता है?

मैंने रेखा को बताया- कई देशों और धर्मो में यह प्रथा है कि बचपन में ही बच्चे के लंड की टोपे के ऊपर की चमड़ी काट कर इस तरह सिल देते हैं कि टोपा हमेशा चमड़ी के बाहर खुला रहता है। जहाँ तक लंड के साइज़ का सवाल है, दुनिया में अलग अलग नस्ल के लोग हैं, हर एक नस्ल के चूत और लौड़ों का रंग, आकार और साइज़ अलग अलग होता है। झांट के बालों का नक्शा (pattern) भी अलग अलग होता है। हमारे देश के लौड़ों की लम्बाई और चूत की गहराई न बड़ी होती है न छोटी, यूरोप के लौड़े हम लोगों के लौड़ों से बड़े और चूत थोड़ी ज्यादा गहरी होती है। सब में बड़े लौड़े अफ्रीकन के और सब में छोटे चीनी जापानियों के होते हैं। यूरोपियन लोगों (जैसे कि मिखाईल) के लंड लाल गाजर टमाटर जैसे होते हैं, जबकि अफ्रीकन लोगों के लौड़े कोयले जैसे काले होते हैं। हम हिन्दुस्तानियों के लौड़े न तो बहुत गोरे न ही बहुत काले होते हैं। मैं ये सब तरह के लौड़े और चूत के फोटो मैं तुम्हें किसी दिन कम्प्यूटर पर दिखाऊंगा।
रेखा यह सब सुन कर अचंभित हुई और बोली- अब मुझे समझ में आया!
वह मुझे थैंक यू बोलकर घर चली गई।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top