मेरा गुप्त जीवन -66

(Mera Gupt Jeewan-66 Bhaiya Bhabhi Chut Chudai Khel)

यश देव 2015-09-26 Comments

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भैया भाभी का चूत चुदाई खेल

मैं भी मस्ती में था, कम्मो को एक मीठा सा चुम्बन दिया और कहा- कम्मो मेरी जान, आज इतवार है, कहीं भी नहीं जाना है। सिवाए तुम लोगों की चुदाई के और क्या काम है मेरे पास?
कम्मो अब हंसने लगी और मुझको आलिंगन में ले लिया और खूब मुंह चूमने लगी।

शाम होते ही भैया भी वापस आ गए, जब वो नहा धोकर फ्रेश हो गये तो मैं बैठक में जा कर बैठ गया।
भैया से उनका हाल चाल पूछा और ‘कैसा रहा उनका ट्रिप…’ ये बातें होती रहीं।

फिर कम्मो चाय ले आई हम सबके लिए, भाभी सबको चाय देने लगी और थोड़ा सा नाश्ता भी किया।
फिर भैया आराम करने की खातिर अपने कमरे में चले गए और भाभी फिर बैठक में आ कर बैठ गी।

तब कम्मो ने भाभी को कहा कि आज रात को भैया को नींद की गोली मत खाने देना वरना सारा प्लान चौपट ही जाएगा।

रात को भैया और हम सबके लिए पारो ने पाये का शोरबा बनाया था और साथ में बटेर का मीट बनाया था और जाफरानी पुलाव के साथ मखनी दाल बनाई थी उसने!

भैया खाने के बाद बोले- मज़ा आ गया, आज से पहले कभी इतना स्वादिष्ट खाना नहीं खाया।
भाभी भी बोली- वाकयी इतना लज़ीज़ खाना आम तौर पर नहीं मिलता।

पारो को बुला कर भाभी भैया ने खाने की बड़ी तारीफ की। फिर कोकाकोला पी कर हम सब अपने कमरों में चले गए।
भाभी जाते हुए आँख मार गई कि सब प्लान के मुताबिक चल रहा है।

कम्मो दरवाज़े बंद करके मेरे कमरे में आ गई, उसने बताया कि आज खाना खाते वक्त भैया ने उसके चूतड़ पर हाथ फेरा था और हल्के से आँख भी मारी थी।
कम्मो ने यह भी बताया कि जब से वो आये हैं, उसको अजीब नज़रों से देख रहे हैं।
मैंने कहा- कम्मो रानी, भैया तुम पर आशिक हो गए हैं और वो आज रात तुमको चोदने की कोशिश करेंगे।
यह कह कर मैंने कम्मो को अपनी तरफ खींच लिया और उसके लबों पर एक प्रगाढ़ चुम्बन दे दिया।

कम्मो बहुत खुश हो रही थी कि चलो भैया की मदद हो जायेगी।
फिर हम दोनों ने धीरे धीरे एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये और मैंने कम्मो के मोटे मम्मों को चूसना शुरू किया। कम्मो के मम्मे मेरे द्वारा रोज़ चूसे जाने के बाद भी ज़रा भी ढीले नहीं पड़े थे और वैसे ही सख्त और सॉलिड बने हुए थे।

इसी तरह उसके मोटे और गोल चूतड़ भी सख्त और मोटे थे, उसको नंगी देख कर कोई भी मर्द जिसके लंड में दम है, उसके लिए पागल हो जाये।
वो ज़रूर अपने मम्मों की ख़ूबसूरती को बढ़ाने और क़ायम रखने के लिए जड़ी बूटियों का इस्तमाल करती होगी।
मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और उसकी बालों से भरी चूत को चाटने लगा, उसके भग को जीभ से गोल गोल चूसने लगा।
कम्मो के चूतड़ अपने आप ही मेरे मुंह को घेर रहे थे और उसको दबा रहे थे।

मैंने एक ऊँगली उसकी गांड के अंदर भी डाल दी और ऊँगली को अंदर बाहर करने लगा।

जब कम्मो एकदम मस्त गीली और तड़फड़ाने लगी, तभी मैंने अपने हाथों को उसके चूतड़ों के नीचे रख दिया और उसको अपनी बाँहों में उठा लिया और अपने लंड को उसकी खुली चूत के अंदर धकेल दिया।
अब वो मेरे हाथों को झूला बना कर अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और खूब मस्ती से मुझको चोदने लगी, मैं भी उसको उठा कर कमरे के बाहर तक ले आया यह देखने के लिए कि भाभी भैया क्या कर रहे हैं।

तभी भाभी के कमरे का दरवाज़ा खुला और भाभी अचानक सामने आ गई, हमको इस तरह चुदाई करते देख के वो फिर कमरे में जल्दी चली गई और खूब हँसते हुए फिर आ गई, आते ही पूछा- यह क्या हो रहा है बच्चो?
मैंने कहा- भाभी, कम्मो कह रही थी कि झूला झूलना है तो मैं इस छोटे बच्चे को झूला झूला रहा था।

भाभी मेरे कमरे में आकर बहुत ज़ोर से हंसी और बोली- झूला छोड़ो और प्लान के मुताबिक ज़ोरदार चुदाई की आवाज़ों को निकालो नहीं तो मेरा मियां तो गहरी नींद में सो जायेगा।

मैंने कम्मो को बिस्तर पर पटक दिया और खुद उसकी टांगों में बैठ कर अपने लम्बे लंड को कम्मो की चूत में फिर से डाल दिया और ज़ोरदार चुदाई करने लगा।
कम्मो ने भी ‘हाय हाय मर गई रे… फाड़ देगा ससुरा हमार चुतऱिया को… ऊह्ह ओह्ह्ह… हाय हाय…’ थोड़ी देर ही ऐसे आवाज़ें निकाली।

भाभी भैया को हाथ से पकड़ कर ले आई हमारे कमरे में, हम दोनों ने चुदाई क्रम जारी रखा और मैं और भी ज़ोर ज़ोर के धक्के मारता रहा।
मैंने चोर आँखों से देखा कि भैया की नज़रें तो कम्मो के नंगे जिस्म पर अटकी हुई थी और उसकी चूत में जा रहे मेरे लंड को ही देख रहीं थी।

भाभी ने भैया का पायजामा नीचे खिसका दिया था और भैया के खड़े लंड को पकड़ रही थी।

भैया ने अपना लंड भाभी के हाथ से छुड़ा लिया और खुद ही उसकी मुट्ठी मारने लगे थे। यह देख कर मैं कम्मो के ऊपर से उठ गया और पलंग के नीचे आ गया।

भैया ने आव न देखा ताव और झट से कम्मो की खुली चूत में अपना लंड डाल दिया जो 5- 6 इंच लम्बा था और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे।
कम्मो ने अपने टांगें बंद कर ली और भैया से कहा- धीरे धीरे करो आप!
और जब भैया थोड़ा आहिस्ता हुए तो उसने धीरे धीरे अपनी टांगें पूरी खोल दी।

भाभी ने भैया की कमर पकड़ ली और उनको स्पीड तेज़ नहीं करने दी।
उधर मैं अपना तना हुआ लंड भाभी की नाइटी को ऊपर उठा कर पीछे से उसकी उभरी हुई चूत में डाल दिया और धीरे से धक्के मारने लगा।

कम्मो ने भाभी को इशारा किया कि भैया की कमर को छोड़ दें।
अब कम्मो ने धीरे से अपनी चूत की पकड़ को तेज़ किया और भैया उस हिसाब से अभी भी धीरे धक्के मार रहे थे।
तब कम्मो नीचे से चूतड़ हिलाने लगी और भैया की हर धक्के का जवाब देने लगी।

मैंने भाभी को बाकायदा तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया। भाभी बेतहाशा गीली हो चुकी थी और वो भी घोड़ी बन गई थी, उन्होंने अपने दोनों हाथ पलंग पर रख दिए थे और पीछे से मैं खड़ा होकर उनकी ज़ोरदार चुदाई कर रहा था।

उधर देखा कि भैया अब काफी तेज़ी से कम्मो को चोद रहे थे और कम्मो भी झड़ने के करीब पहुँच गई थी। इधर भाभी एक बार झड़ चुकी थी और दूसरे झड़ाई की तैयारी में थी।

भाभी भैया की चुदाई को बड़े ध्यान से देख रही थी और काफी खुश लग रही थी कि भैया इतनी देर कम्मो की चूत में टिक गए थे।
फिर भैया एक ज़ोरदार हुंकार भर कर कम्मो की चूत के अंदर झड़ गए और उसके ऊपर पसर गए, उनकी आँखें बंद थी और वो ज़ोर ज़ोर से सांस ले रहे थे।

कम्मो उनके नीचे से उठी और उसकी जगह भाभी लेट गई।
जब भैया ने आँखें खोली तो बगल में भाभी को पाया।
यह देख कर कर वो थोड़ा चकराए फिर संयत होते हुए बोले- तुम कहाँ से आ गई सुमी डार्लिंग, मैं तो कम्मो को चोद रहा था ना?
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भाभी बोली- हाँ वही तो, आप इतना बढ़िया चोद रहे थे उसको, कि बेचारी का दो बार छूट गया। ऐसा तो आपने कभी किया ही नहीं मेरे साथ?
यह कहते हुए भाभी भैया के लंड के साथ खेल रही थी और थोड़ा ही उसको छेड़ने पर ही भैया का लंड एकदम तन गया और भाभी एकदम से उस पर चढ़ बैठी और भैया को ऊपर से चोदने लगी।
भैया का आत्मविश्वास जागृत हो गया और वो अब मज़े से भाभी को चोदने लगे कभी धीरे और कभी तेज़, भाभी का जल्दी अपने पति के साथ भी छूट गया और भैया का भी उनके अंदर छूट गया।

दोनों बड़े प्रसन्न हो गए।

फिर कम्मो बोली- भैया को अब अगला कदम सिखाना है कि कैसे वो अपने पर पूरा कंट्रोल रख सकते हैं। भाभी और भैया आप मुझको और छोटे मालिक को चोदते हुए देखेंगे। जब भी भैया, आपका खड़ा हो जाये, छोटे मालिक मेरे ऊपर से हट जाएंगे और आप उनकी जगह ले लेना। ठीक है? कोई ऐतराज़ तो नहीं किसी को?

फिर मैंने और कम्मो ने बढ़िया चुदाई का खेल खेला और बीच में ही भैया अपने खड़े लंड को लेकर मुझ पर चढ़ गए और मैं भाभी पर चढ़ गया। कम्मो भैया को तेज़ और फिर आहिस्ता चोदने की कला सिखाने लगी और उनको जैसे ही उनका छूटने वाला होता तो एकदम रोक देती और फिर धीरे से फिर चुदाई का खेल शुरू कर देती।

कम्मो ने भैया के साथ यह खेल 3-4 बार किया और उनको छूटने से हर बार रोक दिया।
अब भैया को इतना आत्मविश्वास हो गया था कि वो जब चाहे तेज़ और जब चाहे आहिस्ता चुदाई कर सकते थे।

फिर कम्मो ने भैया को भाभी के साथ भिड़ा दिया और दोनों ‘रोको और फिर चलो’ का खेल बड़ी अच्छी तरह से खेलने लगे।
भैया हैरान थे कि उनका इतनी देर कैसे रुक गया।

अंत में कम्मो ने मुझको और भाभी के साथ यही खेल करने के लिए कहा, इस खेल की डायरेक्टर कम्मो ही थी, उसने कहा- छोटे मालिक भाभी को घोड़ी बना कर चोदेंगे क्योंकि इस अवस्था में चूत लंड को सख्ती से पकड़ कर रखती है और गाय की तरह दूध दोहती है लंड से!

मैंने भाभी को ऐसे ही चोदा और कम्मो ने भाभी को चूत को सिकोड़ना भी बताया और कैसे लंड से दूध निकालते हैं वो भी सिखाया।
भाभी इस सारे काण्ड में 4-5 बार झड़ गई थी।

कम्मो हम सबके लिए ख़ास तौर से बनाया हुआ दूध ले कर आई जिसको पीकर हम सब में एक नया जोश भर गया।
भैया ने ख़ास तौर पर कहा कि कल वो कम्मो के साथ यही सबक दोबारा खेलेंगे।

फिर हम सब काफी थक चुके थे तो वो हम सब फर्श पर गद्दे बिछा कर एक दूसरे की बाँहों में सो गए।
कहानी जारी रहेगी।
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