मेरा गुप्त जीवन- 17

(Mera Gupt Jeewan-17 Fulwa Aur Bindu Ki Chut Chudai)

यश देव 2015-07-26 Comments

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फुलवा और बिंदू की चूत चुदाई

यह प्रसंग कोई 10 मिन्ट तक चला और तब तक बिंदू की झिझक काफ़ी दूर हो गई थी। अब वो बेझिझक मेरे लंड पर हाथ फेरने लगी और मेरा लंड और अकड़ गया।
फुलवा ने जानबूझ कर मेरा पयजामा लंड के ऊपर से खिसका दिया और लंड एकदम आज़ाद होकर लहलहाने लगा।
दबी आँख से मैंने देखा कि लंड को बिंदू बड़े अचरज से देख रही है और तब फुलवा के इशारे पर उसने लंड को हाथ में ले लिया और उसको अच्छी तरह देखने लगी और अपने हाथ को ऊपर नीचे करने लगी।

फुलवा एक हाथ से मेरे अंडकोष से खेल रही थी और दूसरा उसने अपनी धोती में डाल दिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी।
उसने इशारे से बिंदू को भी ऐसा ही करने को कहा, तब बिंदू ने भी एक हाथ अपनी धोती के अंदर डाल दिया।

फुलवा ने मौका देख कर मुझ को इशारा किया और मैंने भी एक हाथ बिंदू की धोती में डाल दिया और सीधा उसकी चूत को छूने लगा।
उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी।
मेरे हाथ को बिंदू ने रोकने की कोई कोशिश नहीं की और मैं उसके भगनासा को हल्के हल्के रगड़ने लगा।
बिंदू अपनी जांघों को बंद और खोल रही थी और काफी गरम हो चुकी थी।

तब फुलवा ने बिंदू को पलंग से नीचे उतारा और उसके कपड़े उतारने लगी, पहले ब्लाउज उतार दिया और फिर धोती खींच दी और फिर पेटीकोट भी उतार दिया।
बिंदू ने अपना एक हाथ स्तनों पर रखा और दूसरे से चूत को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
अब तक फुलवा भी पूरी नंगी हो चुकी थी और मैं भी एकदम नंगा हो चुका था और मेरा लौड़ा पोरे जोबन में अकड़ा था।
मैंने देखा कि बिंदू की नज़र मेरे खड़े लौड़े पर टिकी थी।

तब फुलवा ने बिंदू का हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया और मेरा हाथ उसको मोटे और गोल स्तनों पर। तब मैंने बिंदू को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसको होटों को बार-बार चूमना शुरू कर दिया।
मैंने अपनी जीभ उसके मुख में डाल दी और उसकी मुंह में गोल गोल घुमाने लगा। एक हाथ मैं उसको मोटे और गोल नितम्बों पर रख कर उनको दबाने लगा।

तब फुलवा हम दोनों को धीरे धीरे पलंग की और ले आई और जैसे ही बिंदू लेट गई मैंने उसकी जांघों को चौड़ा किया और अपने खड़े लंड को उसकी चूत के मुंह पर टिका दिया और धीरे से एक हल्का धक्का मारा और लंड एक बेहद टाइट चूत में पूरा चला गया, उसकी चूत की पकड़ गज़ब की थी।

फुलवा भी अपने मुंह से बिंदू के मम्मे चूस रही थी। तभी बिंदू के मुंह से आहा ऊह्ह्ह के आवाज़ें आने लगी और फुलवा ने झट मेरा रुमाल उसके मुंह पर रख दिया ताकि कोई आवाज़ न निकल सके।
बिंदू की चूत इतनी प्यासी हो रही थी कि अब तक वो 3-4 बार छूट चुकी थी लेकिन अभी भी वो नीचे से चूतड़ ज़ोर ज़ोर से ऊपर उठा उठा कर लंड को अंदर लेती थी। उसकी आँखें पूरी तरह से बंद थीं और शायद उसको याद भी नहीं था उसको कौन चोद रहा है।
उसका केंद्र बिंदू उस वक्त सिर्फ उसकी चूत थी जिसकी 2 साल की प्यास वो बुझा रही थी.

फुलवा भी उसको उकसा रही थी, कभी उसकी गांड में उंगली डाल कर कभी उसके होटों को चूस कर।
तभी बिंदू एक आखिरी झटके से ऐसी छूटी कि ढेर सारा पानी उसकी चूत से निकला और सारे बिस्तर की चादर पर फैल गया।
बिंदू अब एकदम ढीली पड़ गई और बिस्तर में आँखें बंद करके पसर गई।

मेरा लंड तो अभी भी खड़ा था, तो मैंने लण्ड मेरे साथ लेटी हुई फुलवा की एकदम गीली चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा क्यूंकि फुलवा बिंदू की चुदाई देख कर बहुत गरम हो चुकी थी और जल्दी ही झड़ गई, तब मैंने अपना भी छूटा दिया।

बिंदू अभी भी आँखें बंद किये लेटे हुए थी और उसके होटों पर पूरी तरह से यौन सुख की मुस्कान थी।

मैं दोनों के बीच लेट गया और बिंदू के एक सख्त स्तनों को दबाने लगा और धीरे धीरे उसके निप्पल खड़े होने शुरु हो, उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो फिर गीली होनी शुरू हो गई थी।
तब मैंने उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रख दिया और वो उसको सहलाने लगी। उसने आँख खोल कर मुझ को देखा और मुस्करा कर मेरा शुक्रिया अदा किया।
मेरे लंड को खींच कर बताया- आ जाओ, फिर चढ़ जाओ।

मैं भी झट उसकी टांगों के बीच आ गया और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। फिर 10 मिन्ट की चुदाई के बाद वो 2 बार झड़ गई।

फुलवा ने उससे पूछा- कैसे लगी छोटे मालिक की चुदाई?
उसने शर्म के मारे मुंह पर हाथ रख लिया।

मेरा लंड अभी भी खड़ा था सो मैंने फुलवा को सीधा किया और उसके ऊपर चढ़ गया।
फुलवा ने बिंदू का हाथ अपनी चूत के पास रख दिया और लंड के अंदर बाहर जाते हुए उसको महसूस करवाया।
फुलवा की चुदाई खत्म करने के बाद मैंने उससे पूछा- आखरी बार तेरे पति ने कब तुझको चोदा था?

वो बोली- 2 साल से ऊपर हो गए हैं, इस बीच मैंने किसी की ओर आँख उठा कर भी नहीं देखा लेकिन छोटे मालिक आपको देख कर पता नहीं क्यों मेरा मन किया कि आप मुझ को चोदें। और आप ने शरीर दबवाने का बहाना बना कर मेरी दिल की मुराद पूरी कर दी।

फुलवा बोली- अगर तू हमारे साथ रहेगी तो रोज़ रात को 3-4 बार चुदेगी छोटे मालिक से। लेकिन याद रख, किसी से कुछ भी नहीं कहना और मन लगा कर छोटे मालिक और मालकिन का काम करती जा… तो बहुत सुखी रहेगी। धन कपड़ा लत्ता और अच्छा खाना मिलता रहेगा। मालकिन खुश होकर इनाम में बड़ी अच्छी साड़ी भी देती हैं और छोटे मालिक भी इनाम देते हैं हम सबको।

थोड़ी देर बाद हम तीनों सो गए और फिर कोई आधी रात को मुझको लगा कि कोई मेरे लंड को छेड़ रहा है।
आँख खोलकर देखा तो बिंदू थी जो मेरे लंड के साथ खेल रही थी।
मैंने भी उसकी चूत को हाथ लगा कर देखा तो एकदम गीली थी, मैं समझ गया कि इसकी अभी तृप्ति नहीं हुई है और फिर मैंने उसको पहले धीरे और फिर तेज़ी से चोदा, और तब तक नहीं उतरा जब तक उसने तौबा नहीं की।

इस सारी हलचल में फुलवा भी जाग गई और अपनी चूत को रगड़ने लगी। उसकी गर्मी को देखकर मैंने उसको भी चोदा। तब फुलवा ने बिंदू का हाथ मेरे अंडकोष पर रख दिया और उनको दबाने का इशारा करने लगी।

मैं चोद रहा था फुलवा को लेकिन मेरा मुंह तो बिंदू के मम्मों पर था और उसके मोटे निप्पल मेरे मुंह में गोल गोल घूम रहे थे।
इस सेक्सी नज़ारे पर मेरा लंड और भी सख्त हो गया था और तब मैंने महसूस किया कि फुलवा भी छूट गई है।

मैं उतर कर बिस्तर पर लेट गया लेकिन मेरे लौड़ा सीधा तना खड़ा था। यह देख कर शायद बिंदू से रहा नहीं गया और वो मेरे लौड़े पर चढ़ बैठी, ऊपर से धक्के मारते हुए उसको कुछ मिन्ट ही हुए होंगे कि वो भी झड़ कर मेरे ऊपर पसर गई।

जल्दी ही सुबह हो गई और वो दोनों मेरे कमरे से निकल कर अपने दैनिक कार्यकर्म में लग गई और मैं बड़ी गहरी नींद में सो गया।
कहानी जारी रहेगी।
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