मेरी अन्तर्वासना, मेरे जीवन की कुछ कामुक यादें -2

(Meri Antarvasna, Mere Jiwan Ki kuchh Kamuk Yaden- Part 2)

अब तक आपने मेरी जिन्दगी के रंगों के बारे में जाना.. कि मेरी जिन्दगी में मेरे देवर के बाद सर जी आए और अब पड़ोसन का भांजा सुंदर मेरे जिस्म की आग को बुझाने के लिए तत्पर था।

मैं सुंदर को लेकर बाथरूम में आ गई, उसके सारे कपड़े मैंने उतार दिए और सुंदर के बदन से खेलने लगी, पूरा बदन चूम डाला.. वो काफ़ी उत्तेजित हो रहा था, उसका लण्ड खड़ा हो गया और वो मेरे मम्मों को मुँह में लेकर दूध की तरह पीने लगा।
मुझे सच में बहुत आनन्द आ रहा था। उसने मेरी चूत में मुँह लगा दिया और मुँह से चूत को चूसने लगा, मेरी चूत में मज़ा आ रहा था।

काफ़ी देर तक चूसने के बाद मेरी चूत के रस को पीने लगा, मेरा बदन मस्ती से हिल रहा था.. मेरे मुँह से मीठी-मीठी आवाजें निकल रही थीं।
मैं बिस्तर पर लेट गई.. वो चूत को चाट-चाट कर मुझे मज़ा दे रहा था.. मैं फड़फड़ा रही थी और ज़ोर-ज़ोर से उचक रही थी… सच में बहुत मज़ा आ रहा था।

आज भी सुहागरात का मज़ा आ रहा था। मेरी चूत का पूरा रस पीने के बाद वो उठ गया.. तो मैंने भी उसका लण्ड हाथ से मसल कर मुँह में रख लिया, धीरे-धीरे चूस कर उसको मज़ा दिया, सुंदर का गाढ़ा रस निकल रहा था, उसे मैंने एक गिलास में ले लिया.. करीबन 30 एमएल रहा होगा।
मैंने अपने पति की व्हिस्की की बोतल से 2 पैग व्हिस्की उसमें मिला कर सुंदर को पिलाया और मैंने भी पिया।
सुंदर ने बाद में मेरी जोरदार चुदाई की।

उसी समय डोर बेल बज उठी, मैं हड़बड़ा कर कपड़े ठीक करके उठी और मैंने सुंदर को ऊपर जाने को कहा, फिर दरवाज़ा खोला तो पति थे.. बोले- बड़ी देर लगा दी.. क्या कर रही थीं?
मैं बोली- जरा नींद लग गई थी और आपकी याद कर ही रही थी कि आप आ गए.. सच में आपकी उमर बहुत लंबी है। मैं चाय बनाती हूँ.. आप बाथरूम में जाकर फ्रेश हो जाओ।
वो बोले- मुझे बाथरूम जाना था.. इसलिए जल्दी थी..

इधर पति बाथरूम में गए.. उधर मैं जल्दी से ऊपर जाकर सुंदर को धीरे-धीरे निकल कर बाहर जाने को बोली। वो चला गया.. मेरी जान में जान आ गई।
पति बाथरूम से बाहर आए.. तो मैंने चाय पिला कर कहा- अब आप मत जाओ.. अभी दिन में ही बेडरूम में चलते हैं।
वो खुश हो गए और बोले- आज अब कहीं नहीं जाना है.. बच्चों को आने में भी अभी समय है।

वे बिस्तर पर लेट गए.. मैं बोली- मैं बाथरूम हो कर आती हूँ।
मैं अपनी चूत को साबुन से धोकर क्रीम लगा कर आ गई, चूत से भीनी-भीनी महक आ रही थी, मैं कपड़े उतार कर पति के साथ लिपट गई और उनको चूमने लगी।

वो बोले- क्या बात है.. जो मदहोश हो रही हो?
शायद मुझे व्हिस्की का नशा आ रहा था.. जो मैंने सुंदर के लण्ड के रस में मिला कर पी थी।
मैं कुछ नहीं बोली और पति के लण्ड को अपनी चूत में रखने लगी, उनका लण्ड खड़ा हो गया था.. एक ही झटके में चूत के अन्दर चला गया और 2 मिनट से कम समय में झड़ गया।
मुझे पूरा आनन्द नहीं आया.. पति ढीले पड़ गए।

मैं सुंदर के बारे में सोचने लगी और अपने हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी।
थोड़ी देर बाद मैं कोसती हुई उठ गई.. पति सो गए थे।

अब अगले दिन मेरा मासिक चालू हो गया.. सुंदर आया तो मैंने अपनी चूत खोलकर दिखाई.. तो उसमें से खून निकल रहा था।
वो खुद बोला- मासिक चालू है.. अब तो 2-3 दिन कुछ नहीं कर सकते और मुझे 3 दिन बाद वापस घर जाना है। मामा-मामी के यहाँ फिर आऊँगा तो मिलूँगा।
मैं बोली- अभी तुम चले जाओ.. जल्दी वापस आना.. मैं कुछ सोच कर रखती हूँ ताकि तुम यहीं रह सको।
सुंदर बोला- भाभी मेरे लण्ड को आज शांत कर दो.. कल की तरह..

मैं उसके लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी, सुंदर बिस्तर पर लेट गया था, मैं लण्ड चूस रही थी.. तो वो भी मेरे मम्मों को चूमने लगा।
मुझे आनन्द आ रहा था उसके लण्ड से गाढ़ा रस निकल रहा था। मैंने कल की तरह गिलास में लेकर उसमें पेशाब करने को कहा। सुंदर की पेशाब से पूरा गिलास भर गया।
मैं व्हिस्की की बोतल ले आई और 2 गिलास में 1-1 पैग व्हिस्की डालकर सुंदर की पेशाब को सोड़ा की तरह मिला दिया और हम दोनों ने मजे से पी लिया.. सच में बहुत मज़ेदार स्वाद था..

अब सुंदर मेरे बदन से खेलने लगा और चूत में हाथ लगाने की कोशिश करने लगा.. तो मैंने उसे मना कर दिया, वो मान गया, उसके लण्ड को चूसकर शांत किया.. तो वो खुद बोला- भाभी आपके साथ जो मज़ा आता है.. वो मज़ा मामी के साथ नहीं आता।
मैं चौंक गई..

वो बोला- मामा-मामी के यहाँ मैं 4 साल से आ रहा हूँ। मामी की उम्र 30 साल की है और मामा की 35 साल की है। मैं 22 साल का हूँ.. शादी के बाद 3 साल तक मामी माँ न बन सकी.. तो मैं मामा के घर आया हुआ था। एक रात चुपके से मामी ने मेरे साथ संभोग किया.. तो वो उसी माह में पेट से हो गई थीं। उनका जो बेटा अब 4 साल का है.. वो मेरा है। जो बेटी दो साल की है.. वो भी मेरी है। अब मामी ने नसबंदी करा ली है। मामी ने सिर्फ़ बच्चों के लिए मेरे साथ संबंध बनाए और जब भी मैं मामी के यहाँ रहता हूँ.. वो आनन्द नहीं आता.. जो आपके साथ आया है। मामी ने कल मुझसे पूछा.. तो मैंने बहाना बना कर कह दिया कि नई फिल्म की सीडी देख रहा था।

मुझे नशा आ रहा था और चुदाई का मन हो रहा था.. पर मासिक के कारण मज़बूर थी। सुंदर के बदन को चाट-चाट कर अपना मन बहलाया..

अब फिर अगले दिन मेरी मासिक का दूसरा दिन था.. खून गिरना कम हो गया था.. पर पूरी तरह बंद नहीं हुआ था। मैं ऊपर गई.. तो वो अपने मामा की छत पर था।

मैंने उसे बुलाया तो उसकी मामी ने देख लिया।
कहानी जारी रहेगी।
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Meri Antarvasna, Mere Jiwan Ki kuchh Kamuk Yaden- Part 3
मेरी अन्तर्वासना, मेरे जीवन की कुछ कामुक यादें -3
अब फिर अगले दिन मेरी मासिक का दूसरा दिन था.. खून गिरना कम हो गया था.. पर पूरी तरह बंद नहीं हुआ था। मैं ऊपर गई.. तो वो अपने मामा की छत पर था।

मैंने उसे बुलाया तो उसकी मामी ने देख लिया।
सुंदर मामी को लेकर आ गया।
मेरा प्रोग्राम फेल होता नज़र आया.. तो सुंदर बोला- भाभी.. ये मेरी मामी हैं.. और मैं इनका दूसरा पति भी हूँ।
मामी हड़बड़ा गईं.. बोलीं- क्या बकता है?
सुंदर बोला- मामी मैं आपके 2 बच्चों का बाप हूँ कि नहीं.. बोलो?

मामी चुप रहीं.. सुंदर बोला- मामी आप भाभी से कुछ सीखिए.. तब आपको जिंदगी का पूरा आनन्द आएगा।
मैं समझी नहीं कि वो क्या कहना चाह रहा है।

वो मामी और मुझे मेरे घर के बाथरूम में ले गया और अपने सारे कपड़े उतार दिए और मामी से बोला- मामी, आज भाभी के साथ मिलकर आनन्द लीजिए।

ऐसा कहकर मामी से लिपट गया और मामी के कपड़े उतार दिए। मामी जिनका नाम कमला था.. वो कुछ नहीं बोली और मुझको अपने पास बुलाकर बोली- भाभी, सच में सुंदर मेरा दूसरा पति है। यदि सुंदर साथ न देता.. तो मैं माँ नहीं बन सकती थी और सबके ताने सुन रही होती। मेरे पति में कमी है.. उनका साथ तो हमेशा रहेगा.. पर जो सुंदर ने दिया है वो अनमोल है। सुंदर जैसा चाहे.. मेरे साथ वैसा करे.. मुझे उससे कोई शिकायत नहीं है।

यह कह कर वो सुंदर को चूमने लगी, उसके लण्ड को मेरे सामने ही पकड़ कर मसलने लगी, सुंदर भी अपनी कमला मामी की चूत चाटने लगा।
तो कमला बोली- ये गंदा काम क्यों कर रहे हो?
सुंदर बोला- मैं इसीलिए मामी.. आपको यहाँ लाया हूँ कि देखो जिंदगी का मज़ा कैसे लेते हैं।

उसने मेरे सामने मामी की चूत को चाटा.. तो मामी को मज़ा आया।
सुंदर ने अपना लण्ड मुँह में लेने को कहा.. तो मामी को गंदा काम लग रहा था.. पर चूत चुसवाने में आनन्द आने के कारण सुंदर का लण्ड मुँह में ले लिया.. पर इस काम में मामी को उल्टी हो गई।उसका लण्ड को मुँह में लेने का पहला दिन था। उसने दुबारा कोशिश की.. तो मुँह में रख लिया.. पर चचोरा नहीं.. सुंदर खुद ही लण्ड को आगे-पीछे करने लगा।

कुछ ही पलों में मामी के मुँह में गाढ़ा रस चला गया, वो पहले तो पीने में संकोच कर रही थी.. पर चाटा तो उसे अच्छा लगा।
मैंने भी उसकी मामी की चूत को चाटा.. तो चूत के चाटने का मज़ा अलग ही था, मैंने कमला को कहा- दिन में आ जाया करो.. सुंदर तो कल चला जाएगा.. फिर हम दोनों मज़े लेंगे।

अब फिर तीसरे दिन मासिक का खून निकलना बंद हो गया। रात को पति के साथ संभोग किया.. तो ज़्यादा मज़ा नहीं आया.. बस चूत में मीठी-मीठी खुजली होने लगी थी।
दोपहर को पड़ोसन सुंदर की मामी कमला को अपने घर बुला लिया। दोनों ने एक साथ खाना खाया। सुंदर के बारे में बातें हुईं.. सुंदर ने कमला को पहली बार कब चोदा.. आदि इत्यादि..

कमला ने बताया- शादी के बाद 2 साल तक बच्चा नहीं हुआ.. तो पति ने मेरी जाँच करवाई.. तो मैं पूरी तरह से बच्चा पैदा करने में फिट थी.. पर पति ने अपनी जाँच नहीं करवाई। मैंने इस बात का फायदा उठाकर सुंदर के साथ संबंध बनाए.. तो उसी महीने में पेट से हो गई।

इस तरह सुंदर का आना-जाना शुरू हो गया। अभी तक ये बात घर में किसी को नहीं पता है और इस तरह मैं सुंदर को अपना दूसरा पति मानने लगी हूँ।

ये बातें करते-करते हम दोनों बेडरूम में आ गए।
मुझे कमला की बातों से आनन्द आ रहा था। मैंने कमला के दोनों मम्मों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया.. तो वो उत्तेजित होने लगी, कमला ने भी मेरे दोनों मम्मों को मसलना चालू कर दिया, इससे मुझे भी मज़ा आने लगा, मैंने कमला के कपड़े उतार दिए, उसका पूरा बदन मखमल की तरह चिकना था।
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मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, हम दोनों आपस में लिपट गई और एक-दूसरे को चाटने लगी।
मैंने कमला की चूत में हाथ लगाया.. तो उसकी चूत गीली हो गई थी। कमला ने मेरी चूत में हाथ लगाया.. तो चूत से पानी निकल रहा था।
मैंने कमला की चूत को मुँह लगाया.. तो उसकी चूत का स्वाद अच्छा लग रहा था। कमला बिस्तर पर लेट गई.. तो मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी।
कमला को मज़ा आ रहा था और वो ज़ोर-ज़ोर से उचक रही थी, काफ़ी देर तक फड़फड़ाने के बाद वो ठंडी पड़ गई।

अब मैं बिस्तर पर लेट गई.. कमला ने मेरी चूत को सूंघा और बोली- भाभी आपकी चूत से अच्छी महक आ रही.. क्या लगाया है?
मैंने बताया- डिटॉल के पानी से धोकर क्रीम लगाई है.. तुम भी मेरे से वो क्रीम ले जाना।
अब उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया… तो उसको मजा आया और वो चाटती ही रही..
उसके चाटने से मेरा सारा बदन उचक रहा था.. सुंदर से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था।

काफ़ी देर तक चाटने के बाद मैं भी ठंडी पड़ गई, मुझे ज़ोर की पेशाब आ रही थी।
मैंने कमला से पूछा.. तो वो बोली- भाभी, पेशाब तो मुझे भी आ रही है।

मैं जल्दी दो मग ले आई और बोली- एक मग में तुम मूतो.. एक में मैं मूतती हूँ।
तो बोली- इस मूत का क्या करेंगे।
मैं बोली- जल्दी मूतो फिर बताती हूँ।

हम दोनों ने अलग-अलग मग में मूता.. दोनों के मग आधे से ज़्यादा भर गए थे। मैंने उसका मग लेकर उसका सारा मूत पी लिया।
अब मैं बोली- तुम मेरा मूत पियो..

उसको कुछ संकोच हो रहा था, आधा गिलास पीने के बाद रुक वो गई।
बोली- भाभी आप तो करामाती हैं.. सच में सुंदर को आपने तीन-चार दिन में ही.. लगता है सब सिखा दिया है। मैं हँसती रही.. मैं बचे हुए मूत को लेकर में रसोई में चली गई और उसकी चाय बनाकर ले आई।

कमला ने चाय पी ली उसको पता ही नहीं चला.. हम दोनों ने चाय पी.. तो कमला बोली- भाभी आपने चाय में क्या डाला है.. जो इतनी स्वादिस्ट लग रही है।
मैं बोली- चाय का मसाला डाला है।
मैंने नहीं बताया कि मेरे मूत की चाय है।
हम दोनों फिर से लिपट गए और एक-दूसरे को हाथ से चूत रगड़ कर मज़ा लिया।

यह कहानी अनवरत यूँ ही चलती रही…
मुझे अपनी जिन्दगी से कोई शिकवा नहीं है।

मुझे लगता है कि मेरी सीधी सपाट भाषा से आपको लुत्फ़ आया होगा। यदि उचित लगे तो ईमेल कीजिएगा।
फिर कभी मिलेंगे..
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