कॉलेज हॉस्टल में लेस्बियन सेक्स

(College Hostel Me Lesbian Sex)

आप सभी अन्तर्वासना के पाठकों का तहेदिल से धन्यवाद.. आप सभी का बहुत प्यार मिला। मैं श्रद्धा.. फिर एक बार आपके सामने हाजिर हूँ अपनी एक और कहानी के साथ। यह कहानी मेरी और मेरी सहेली स्नेहल की है।

आप सभी ने मेरी पहली कहानी को जो ढेर सारा प्यार दिया.. इसी वजह से मैं अपनी नई कहानी आपके सामने रखने जा रही हूँ। आप यह कहानी antarvasna3.com पर पढ़ रहे हैं।

मैं और स्नेहल बहुत अच्छी सहेलियां बन गई थीं। हमारी दोस्ती बहुत गहरी हो गई थी। सभी काम हम साथ में ही करती थीं.. जैसे खाना खाना.. कॉलेज जाना.. एक साथ बैठना.. मतलब लगभग हर काम साथ में करना। यहाँ तक कि हॉस्टल में हमने अपने बिस्तर एक साथ जोड़ लिए थे और हम साथ में ही सोते थे। सब हमें पक्का जोड़ वाली सहेलियां कहते थे.. और क्यों ना कहें.. हम दोनों थे ही ऐसे.. और आगे भी हम ‘बेस्ट फ्रेन्डस’ ही रहेंगे। हम दोनों का एक रूटीन बन गया था.. सुबह उठना.. साथ में नहाना.. कॉलेज जाना.. वापस आना.. आने के बाद थोड़ी मस्ती करना और रात में एक-दूसरे के साथ नंगे सोना। रोज यही रूटीन और छुट्टी के दिन लेस्बियन सेक्स करना।

एक दिन ऐसे ही स्नेहल ने कहा- इस छुट्टी को कुछ अलग तरीके से एन्जॉय करते हैं।

मैंने पूछा- क्या अलग..?
उसने कहा- कुछ भी..
मैंने कहा- ठीक है..

रात को हमने ब्लू-फिल्म देखने का प्लान तय किया। एक लेस्बियन सेक्स हमने देखा… उसे देख हम भी रह नहीं पाए और फिर एक-दूसरे को किस करने लगे। हम दोनों ने सोच लिया था कि इस फिल्म की तरह ही कुछ करेंगे।

उस फिल्म में डिल्डो का इस्तेमाल किया गया था। हमने डिल्डो लाने की सोची.. मगर कहाँ से लाएं..
तो स्नेहल ने कहा- तुम कॉलेज से टेस्ट-ट्यूब चुरा लाओ.. मैं मार्केट से केले ले लाती हूँ..

बस.. इस तरह हमारा डिल्डो तैयार हो गया।

अगले दिन मैंने लैब से एक टेस्टट्यूब चुरा ली और स्नेहल भी केले खरीद कर लाई। अब बस रात का इंतजार था..।

रात को खाना खाकर हम दोनों कमरे में आए। आज हम दोनों भी बड़े खुश थे। मैंने दरवाजे को बंद कर दिया और टेस्ट-ट्यूब निकाली और उसने केले निकाले। मैंने कहा- बहुत मजा आएगा आज..

उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया। हम एक-दूसरे के गले लग गए।

स्नेहल ने टी-शर्ट पहनी थी और थ्री क्वार्टर पैन्ट.. वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। उसके मम्मे मुझे बड़े आकर्षित कर रहे थे। मैंने भी ट्रान्सपरेंट नाईट ड्रेस पहनी थी.. जिसमें से मेरी ब्रा साफ नजर आ रही थी।

फिर हम दोनों पागलों की तरह किस करने लग गए.. दोनों ही मदमस्त होकर एक-दूसरे के होंठों को चूस रही थीं।

खूब मजा आ रहा था.. फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसके जीभ के साथ खेलने लगी। फिर स्नेहल ने जीभ चचोरते हुए मेरा थूक चाट लिया। मैं उसकी गर्दन को किस करते हुए चाटने लगी। मेरा हाथ कब उसकी कमर पर चला गया और कब उसे सहलाने लगा.. मुझे पता ही नहीं चला।

फिर उसने मेरी नाईट ड्रेस निकाल फेंकी और मैंने भी उसकी टी-शर्ट निकाल दी। उसके 34 साइज़ के मम्मे मुझे बुला रहे थे। मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही उन्हें दबाने लगी।

स्नेहल भी मेरे मम्मों को दबा रही थी। उसे बड़ा मजा आ रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया.. उसकी ब्रा खोल दी..।

क्या मस्त मम्मे थे उसके.. मैं तो देखती ही रही और सीधा मुँह से चूसने लगी।

फिर उसके निप्पल से दूध चूसने लगी और एक निप्पल हल्का सा काट लिया.. वो चिल्लाई- धीरे यार..।

उसके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे.. क्या बताऊँ.. कितना मजा आ रहा था।

दोनों मम्मों को चूसने के बाद मैं पेट को जीभ से चाटती हुई नीचे गई। उसकी पैन्ट खोल दी.. उसकी मदहोश करने वाली टाँगों को चाटने लगी।

जांघों को किस करते हुए चूत तक पहुँच गई। उसकी पैन्टी के ऊपर से ही चूत को सूंघने लगी। चूत की खुश्बू सूंघ कर मैं तो बेहोश होने लगी थी.. आह्ह.. क्या नशा था उसमें..।

उधर स्नेहल बेकाबू होते जा रही थी.. हल्की सी सिसकारियाँ ले रही थी।

फिर मैंने उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही किस किया और पैन्टी को दाँतों से पकड़ कर धीरे से नीचे तक खींच लिया।

अब वो पूरी नग्न थी.. उसका कामुक शरीर.. मुझे बेहाल कर रहा था।

मैंने उसकी चूत पर थूक दिया और चूत को चाटने लगी.. स्नेहल के मुँह से मदमस्त आवाजें आ रही थीं.. जो मुझे और उत्तेजित कर रही थीं।

फिर स्नेहल ने कहा- अब रहा नहीं जाता.. जल्दी से कुछ कर..।
मैंने कहा- ठीक है..

मैंने एक केला निकाला.. केले के छिलके फेंक दिए और केले को स्नेहल के मुँह में डाल दिया। एक ओर से वो.. और दूसरी ओर से मैं.. केले को लंड की तरह चाटने लगे। थोड़ी देर चाटने के बाद मैंने वो केला उसकी चूत में डाल दिया और चूत को केले से चोदने लगी। उसे बड़ा मजा आने लगा और वो मस्त आवाजें निकालने लगी।

“आआआहह… आआअहह.. जोर से श्रद्धा और जोर से.. बहुत मजा आ रहा है.. करती रह.. रूक मत.. अअआआहहह..।”

मैं अन्दर-बाहर करती रही.. एक हाथ से उसके मम्मों को भी दबाती.. तो कभी चूत में थूक कर फिर से केले को अन्दर-बाहर करती रही और वो चिल्लाती रही।

कुछ देर बाद वो चरम सीमा तक पहुँच गई और चिल्लाती हुई झड़ गई।

केला उसके पानी से गीला हो गया था। मैंने उसका पूरा पानी चाट लिया.. आह्ह.. मस्त टेस्टी था।

फिर मैं उसके ऊपर आ गई.. उसे किस किया और हम दोनों ने मिल कर वो केला खा लिया। चूत के रस से उस केले का टेस्ट भी मस्त लग रहा था।

फिर स्नेहल ने मुझे झट से नीचे गिरा दिया और मेरे बदन को पागलों की तरह चाटने लगी। मेरे पूरे बदन में बिजली दौड़ने लगी। उसने टेस्टट्यूब ली और सीधी मेरी चूत में घुसा दी। मुझे अंदाजा भी नहीं था.. मैं जोर से चिल्ला पड़ी। वो पागल हो गई थी.. जोर-जोर से मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रही थी।

मैं चिल्ला रही थी.. पर वो सुनने को तैयार ही नहीं थी। बीच-बीच में कभी मेरे मम्मों को दबा देती.. नहीं तो किस करती.. और फिर से चूत को टेस्टट्यूब से चोदती..

ऐसा करते-करते मैं झड़ गई। उसने पूरा पानी पी लिया। फिर हम दोनों किस करने लगे और थोड़ी देर में एक-दूसरे से चिपक कर नंगे ही सो गए।

मेरी यह कहानी कैसी लगी… जरूर बताईए.. आप सभी को मेरा ढेर सारा प्यार.. अपना प्यार भेजना मत भूलिए धन्यवाद.. मेरा मेल है।
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