ट्रेन में गूंगी की चूत की खुजली

(Train Me Gungi Ki Chut Ki KHujli)

मेरा नाम मुहम्मद ए.अली है। मैं 20 साल का साधारण सा लड़का हूँ और लड़कियों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देता हूँ इसी वजह से मेरी कोई गर्लफ्रेण्ड भी नहीं है।

मैं म.प्र. के इंदौर शहर में रहता हूँ। मुझे एक महीने पहले किसी काम से बिलासपुर जाना था.. सो मैंने मेरे भाई-भाभीजान के साथ अपना टिकट बुक करवा लिया।

हमारी ट्रेन 26 नवंबर को रात 8 बजे थी। हम तय समय पर प्लेटफार्म पर पहुँच गए। वहाँ पर एक औरत अपने एक दस साल के बच्चे और अपनी सास के साथ बैठी थी और बार-बार हम सबको घूर रही थी.. पर हमने उस पर ध्यान नहीं दिया।

फिर 8:30 बजे हमारी ट्रेन प्लेटफार्म पर आ गई.. ट्रेन में बहुत भीड़ थी.. परन्तु हमको रिजर्वेशन होने के कारण जगह मिल गई। उस औरत ने भी हमारे पैरों के पास जगह बना ली और लेट गई, उसकी सास और बेटा भी वहीं लेट गए।

वो औरत मेरे पैरों के ठीक नीचे अपने चूतड़ मेरे पैरों की उंगलियों पर टिकाकर लेट गई थी। मैं कुछ नहीं बोला.. क्योंकि मुझ मज़ा आया, मैं भी यही चाहता था।

ट्रेन रात के 9 बजे चल दी.. आधे घंटे के बाद उस औरत ने अपने ऊपर कंबल ओढ़ लिया.. जिस कारण मेरे पैर का अंगूठा उसकी गाण्ड की तरफ था और उस कंबल के ढकने से हमें कोई भी देख नहीं सकता था।
मेरी गाण्ड फटने लगी कि एक अजनबी औरत मुझसे ऐसे बर्ताव कर रही है।

ऐसे ही यह सिलसिला दो घन्टों तक चला फिर रात के एक बजे जब सब सो गए तो उस औरत ने अपने सर को ऊपर करके मेरे पैर का अंगूठा उसकी चूत पर रखकर रगड़वाने लगी।
मैं हक्का-बक्का रह गया और मुझे डर भी लग रहा था।
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फिर उसने अचानक आँखें खोलकर मुझे बाथरूम में आने का इशारा किया।
मैंने उसको इशारों में थोड़ी देर से आने का इशारा किया, वो इशारा समझ कर बाथरूम में चली गई।

थोड़ी देर बाद मैं भी बाथरूम में चला गया। वो औरत एक ग़रीब घर की थी.. जरा सांवली सी भी थी.. पर उसका फिगर मस्त था।

औरत ने बाथरूम में जाकर दरवाजा बंद कर दिया। फिर मैं उसके पीछे जाकर इधर-उधर देखने लगा.. और झट से बाथरूम में घुस गया और अन्दर से दरवाजा लगा दिया।

जैसे ही मैं अन्दर घुसा.. उस औरत ने मुझे चूमना स्टार्ट कर दिया.. जिससे मैं गरम हो गया। वो औरत मेरा लंड ऊपर से दबाने लगी.. जिससे मेरा 6 इन्च का लंड खड़ा हो गया। मैं धीरे-धीरे उसके उभारों को दबाने लगा.. कोई पाँच मिनट के बाद मैंने उसको पूरा नंगी कर दिया और नीचे झुक कर उसकी चूत चाटने लगा।
कुछ ही पलों में मैंने उसकी चूत का उसका पानी निकाल दिया।

फिर मैं उठा और मैंने उसको लंड चूसने का इशारा किया.. वो झट से नीचे झुक कर मेरा लंड चूसने लगी।
बस पांच मिनट बाद मेरा माल भी निकल गया।

फिर मैंने उसको खड़ा कर दिया और उसके होंठों पर चूमने लगा।

कुछ देर बाद मेरा फिर से खड़ा हो गया फिर मैंने देर ना करते हुआ उसका पैर वहीं कमोड पर रख दिया.. जिसकी वजह से उसकी चूत खुल गई। फिर मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया।
लौड़े के घुसते ही उसकी सिसकारी निकल गई.. उसकी चूत टाइट होने के कारण मेरा लंड फिसल रहा था। ऐसा लग रहा था कि वो बहुत सालों से चुदी नहीं हो।

फिर धीरे-धीरे मैं धक्के पे धक्के लगाने लगा। उसकी सिसकारियाँ निकलती जा रही थीं और फिर मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया.. ताकि कोई सुने नहीं..

अब मैं हचक कर धक्के पर धक्के लगा रहा था और उसकी चूत ने दो बार पानी छोड़ दिया, फिर अचानक मेरा भी पानी चूत गया, मैंने उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया।
फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए और एक-दूसरे को किस करने लगे। कोई आ ना जाए इसलिए मैं जरा डर रहा था तो फिर धीरे से मैंने दरवाजा खोलकर इधर उधर देखा और बाहर निकल आया।
मैं आकर अपनी सीट पर बैठ गया।

कोई 5 मिनट बाद वो आ गई और अपने ऊपर कम्बल लपेटकर सो गई, सुबह तक हम दोनों सोते रहे।
सुबह मुझे मालूम पड़ा कि वो औरत गूंगी है.. और बोल नहीं सकती थी। मैं ये जानकर बहुत दुखी हुआ और फिर सबेरे 7 बजे वो और उसकी किसी स्टेशन पर सास उतर गए।

जाते हुए उसने मुझे स्माइल पास की और ‘बाय’ का इशारा करके वो चली गई।
मैं जब आज भी वो लम्हा याद करता हूँ तो बहुत इमोशनल हो जाता हूँ।

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