ट्रेन में चाण्डाल चौकड़ी के कारनामे-2

(Train Me Chandal Chaukadi Ke Karname-2)

राहुल मधु 2016-05-27 Comments

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मधु बोली- आपको उसी औरत को किस करना है जिसके अभी नीलेश भैया ने मम्मे दबाये हैं। और हाँ अगर आप जीत गए तो आपकी मर्जी, जो आप चाहोगे, करूँगी।
‘मैं तुम्हारी चुनौती स्वीकार करता हूँ। जीत कर ही बताऊँगा कि मैं क्या करवाऊँगा तुमसे!’

अब मैं मन मन सोच रहा था आखिर मैं यह करूँगा कैसे? बीवी के सामने अफलातून वाली इमेज को बनाए रखने के लिए ज़रूरी था की इस टास्क तो पूरा करूँ… पर कुछ नहीं सूझ रहा था।
इतना सोचते हुए में बाहर तो आ गया और ट्रेन के गेट पर खड़ा होकर सिगरेट पीने लगा।
सभी लोग मेरे पीछे आ ही गए थे देखने के लिए कि मैं ऐसा क्या करूँगा जिससे वो बंदी मुझे चूम ले।
पर कहावत है न अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान… ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ!

सभी लोग मेरे बगल मैं आकर खड़े हो गए थे और बातें कर रहे थे। नीलेश ने मेरे हाथ से सिगरेट ली और कश लगाने लगा। तभी मैंने देखा की वही खूबसूरत औरत हमारी तरफ ही देख रही थी, वो हमें गुस्से में देख रही थी।
नीलेश ने मुझे सिगरेट दिया और अपने कम्पार्टमेंट की तरफ हो लिया। नीता और मधु भी नीलेश के पीछे हो लिए।

मैंने उस महिला को देखकर कहा- देखिये, आप जो सोच रही हैं वो बिलकुल सही है।
उसके थोड़ा और करीब गया और कहा- हम सभी लोग एक गेम खेल रहे हैं, उसमे आप बिना बात के मोहरा बन गई हैं। पर सबको तो मैंने जिता दिया और अब यह चाल मेरे ऊपर है और मैं ये बाज़ी हारने वाला हूँ।

महिला थोड़ी नाखुश सी बोली- आप समझते क्या हैं अपने आप को? मैं कोई चीज़ हूँ जिसके ऊपर आपने शर्त लगा ली?
मैंने कहा- एक बात सुनिए, आपको किसी ने चीज़ नहीं बनाया। खुद खुदा ने आपको हमारे बीच इस खेल के लिए चुना है। हमने सिर्फ इतना ही कहा था कि यहाँ से जाते समय जो पहली लड़की दिखे उसके साथ अपना टास्क पूरा करना है। अब बताइए हमने कहाँ, खुद ईश्वर ने आपको हमारे खेल का हिस्सा बनाया है।

महिला बोली- अब आपका क्या टास्क है?
मैंने कहा- मुझे आपको किस करना है बस!
महिला बोली- और तुम ये कैसे करने वाले हो?
मैंने कहा- शायद मैं ये टास्क पूरा न कर सकूं पर मैंने सोचा अगर मैं आपको सब कुछ साफ़ साफ़ बताऊँगा तो आप मेरा साथ देंगी।
महिला एक पल को सोच में पड़ गई फिर हल्की मुस्कान से बोली- और वो लोग जिन्होंने आपको टास्क दिया है वो कैसे मानेंगे कि आपने टास्क पूरा कर लिया?
मैंने पीछे देखा तो सब कम्पार्टमेंट में घुस गए थे।
मैं बोला- आप आइये न हमारे कम्पार्टमेंट में!

कम्पार्टमेंट में घुसते ही देखा, सभी लोग चुप और एकदम डरे हुए से थे।
मैंने कहा- ये देखिये, मैं अपना टास्क पूरा करता हूँ तुम सबके सामने।
मैंने उस औरत के होंठों पर होंठ रख दिए।
मेरे होंठ से होंठ मिलते ही उसे करंट सा लगा और वो बुरी तरह मुझसे चिपक गई और मुझे स्मूच करने लगी।

मैंने भी अपना हाथ उसके ऊपर घुमाना शुरू कर दिया, उसकी पीठ सहलाते हुए मेरा हाथ उसके मस्त बूब्स पर चला गया। मैंने उसके बूब्स भी सहलाना शुरू कर दिया और वो मुझे किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं कर रही थी जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ती जा रही थी।
अब मैंने अपने दूसरे हाथ से उसके कूल्हे भी सम्भाल लिए, अभी तक हमारा चुम्बन चल ही रहा था कभी वो मेरे ऊपर के होंठ को चूसती तो कभी में उसके निचले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच रखकर चूसता।

मधु बोली- मान गई आपको यार, आप सच में अफलातून ही हो।
उस औरत को थोड़ा होश आया, फिर थोड़ी शर्म भी आ गई, बोली- मैं थोड़ी ज्यादा ही बह गई थी, सॉरी।
मैंने उसे कहा- कोई बात नहीं, आप थोड़ी देर हमारे साथ बैठ जाइये, कुछ पानी या कोल्ड ड्रिंक्स वगैरह लेंगी।
वो बोली- हाँ थोड़ा पानी मिल जाता तो अच्छा होता।

उसको पानी देने के बाद मैंने और नीलेश ने पैग उठाया और बोले- चियर्स… एक और टास्क पूरा कर लिया।
‘हाँ तो मधु डार्लिंग, अब कहो, अब है तुम्हारी बारी और शर्त वाली बात तो में बाद में ही बताऊँगा।’

पानी पीने के बाद वो औरत बोली- अब मैं अपनी सीट पर जाती हूँ।
मैंने कहा- आप चाहो तो आप भी हमारे साथ खेल सकती हो।
पर वो नहीं रुकी और बोली- नहीं आप लोग खेलिए, मैं अपनी सीट पर ही जा रही हूँ।
और वो अपनी सीट पर चली गई।

मधु बोली- तो बताओ अब क्या आदेश है मेरे आका?
‘तुमने मुझे बहुत टेढ़ा काम दिया था करने को, अब तुम्हें भी कुछ ऐसा ही काम बताऊंगा जिससे तेरी गांड में बम्बू हो जाये।’
मधु इठलाते हुए बोली- आय हाय… मजा आ जायेगा जब गांड में बम्बू जायेगा। बताओ न क्या करना है मुझे?

मैंने कहा- तुम्हें सबसे पहले स्ट्रिप टीज करना है, उसके बाद जब पूरी नंगी हो जाओगी तब ट्रेन के गेट पर 2 मिनट तक खड़े रहना है। ट्रेन के बाहर के लोग अगर कमेंट्स या गालियाँ दे तो उन्हें अपने बूब्स पकड़ के हिला हिला के दिखाना है।

मधु के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी, वो बोली- यह तो नाइंसाफी है। ट्रेन के बाहर के ही नहीं, ट्रेन के अंदर के लोग भी तो देखेंगे न मुझे? मेरा टास्क चेंज करो।
नीता बोली- हाँ भैया, यह टास्क तो बहुत कठिन है, थोड़ा रियायत तो बरत ही सकते हैं न?

नीलेश बो-ला तेरे बोलते बोलते मैंने तो अपनी प्यारी सी नंगी भाभी को कल्पना में देख भी लिया था। पर ठीक है अपन खेल खेल रहे हैं, कुछ थोड़ा आसान सा टास्क दे दे जिससे इनके बदन का दीदार हो सके बहुत देर से भाभी को नंगा नहीं देखा।

मैंने कहा- चलो टास्क को थोड़ा सा आसान कर देते हैं। तुम्हें नंगे होने के बाद कम्पार्टमेंट से बाहर जाना है और एक बाथरूम से लेकर दूसरे बाथरूम तक दौड़ लगा कर आ जाना है।
नीलेश बोला- हाँ, अब तो ठीक ही है।
नीता बोली- ये भी है तो मुश्किल लेकिन हमारी भाभी भी एक्सपर्ट हैं, कर ही लेंगी। चिंता मत करो भाभी में आपके साथ हूँ। इनके टास्क में यह कहीं भी नहीं है कि मैं आपकी मदद नहीं कर सकती। मैं करुँगी आपकी मदद टास्क पूरा करने में।
मधु बोली- ठीक है। मैं कोशिश करती हूँ।

मधु दोनों बर्थ के बीच खड़ी होकर धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने लगी, चेहरे पर थोड़ी शिकन साफ़ दिखाई पड़ रही थी जो इस बात का आभास करा रही थी कि वो कपड़े तो उतार लेगी पर बाहर कैसे जाएगी।
मैंने नीता से कहा- तुम वहाँ बैठी बैठी क्या कर रही हो, इधर आओ और मेरा लंड चूसो।

नीलेश मुझे फटी आँखों से देख रहा था।
नीता उठी और मेरी टांगों के बीच बैठ गई, मैं खिड़की से तकिया लगाकर टाँगें चौड़ी करके बैठा था।
नीता ने मेरे जीन्स का बटन खोला, ज़िप खोली और लंड को बाहर निकालने लगी।

मैंने कहा- थोड़ा प्यार से नीता डार्लिंग, ज़रा नजाकत दिखाओ। वो देखो तेरी भाभी नंगी होने में बिजी है कैसे अपने जिस्म की नुमाइश कर रही है साली… मस्त लगती है न अपनी जान?
नीता बोली- हाँ भैया, भाभी का फिगर एकदम परफेक्ट है।
नीता मेरे लंड को मसल के प्यार करने लगी थी।

मधु अभी तक उधेड़ बन में ही लगी थी की आखिर वो टास्क पूरा कैसे करेगी। मैंने नीता का मुंह अपने हाथ से अपने लौड़े के पास ले गया। नीता को इशारा काफी था जिस से वो समझ जाए कि अब उसे लंड मुंह में ले लेना है।
नीता ने लंड मुंह में लेकर ऐसे चूसना शुरू किया जैसे कुल्फी आइस क्रीम हो।

मधु नंगी हो चुकी थी और अपने चूतड़ मटका के मुझे और नीलेश को उकसा रही थी।
मधु बोली- छोड़ इनके लंड को और एक काम कर बाहर जाकर देख, कोई है तो नहीं? और अटेंडेंट को पानी की बोतल लेने भेज देना। मैं फटाफट दौड़ के अपना टास्क पूरा कर लूंगी।

नीता लंड बाहर निकाल कर बोली- हाँ भाभी, यह मस्त जुगाड़ है। मैं अभी आई।
नीता एक चक्कर लगा के आई और बोली- भाभी, वो अटेंडेंट ही था, उसे भेज दिया है आप जल्दी से अपना टास्क पूरा कर लो।
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नीता बाहर गेट पे खड़ी हो गई मधु पूरी नंगी दौड़ती हुई पहले बाथरूम की तरफ गई जो सेकंड AC के डिब्बे की तरफ था और भागकर दूसरी और आई जिस तरफ से बोगी बन्द होती है।

वो उस बाथरूम के दरवाज़े को हाथ लगाकर लौट रही थी, थोड़ी रिलैक्स भी हो गयी थी क्योंकि वो लगभग अपना पूरा टास्क खत्म कर चुकी थी।
तभी उस बाथरूम का दरवाज़ा खुला, हाँ आप बिल्कुल सही पहचाने… अंदर से वही औरत निकली जिसके कुछ देर पहले नीलेश ने मम्मे दबाए थे और मैंने चुम्बन करके उसके बदन पर इधर उधर हाथ घुमाया ही था।
मधु उससे बिना आँखें मिलाये, तेज़ी से आकर कम्पार्टमेंट में आ गई।

मधु के अंदर आते ही, नीता ने कम्पार्टमेंट के अंदर आकर दरवाज़ा बंद किया और जोर जोर से हंसने लगी और मधु को हाय फाइव दिया।
मधु जल्दी जल्दी कपड़े पहनने लगी। मैंने मधु को पीछे से पकड़ा और जोर से बूब्स दबा दिए।
मधु बोली- छोड़ो मुझे, बाहर तुम्हारी वही आंटी खड़ी है।

मधु ने कपड़े पहन लिए थे। इधर शायद आंटी अपनी सीट तक जाकर बेचैन होकर वापस आई और गेट खटखटाया।
मैंने कड़क स्वर में पूछा- कौन है?
आंटी की आवाज़ आई- मैं…

मैंने दरवाज़ा खोला, आंटी बोली- क्या मुझे थोड़ी सी पेप्सी मिल सकती है? खैर मुझे समझ तो आ रहा था की आंटी को कौन सी पेप्सी चाहिए पर फिर भी औपचारिकता वश मैंने कहा- हाँ क्यू नहीं।
और में अंदर आकर पेप्सी उठा कर दे दी।
आंटी अंदर तक आ चुकी थी और कोने की सीट पर अपने चूतड़ टिका लिए थे।
पेप्सी के दो बड़े बड़े घूंट पीने के बाद आंटी बोली- क्या मैं यहीं बैठ जाऊँ? आप लोग अपना गेम कंटिन्यू करो, मैं खेलूंगी नहीं, पर देख तो सकती हूँ।

सभी लोग चुप थे, आंटी बोली- तुम लोग कौन हो?
नीलेश बोला- हम दोनों भाई है और ये हमारी बीवियाँ है।
आंटी ने मधु की तरफ ऊँगली करके पूछा- ये किसकी बीवी है?
मधु मेरी तरफ ऊँगली करके बोली- मैं इनकी पत्नी हूँ।
आंटी ने अपनी नज़र झुका ली।

नीता बोली- आप इतने सवाल क्यूँ पूछ रही हैं?
आंटी बोली- मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी, सॉरी अगर आपको बुरा लगा हो तो।
मैंने कहा- देखिये, हम लोग थोड़े कामुक खेल खेल रहे हैं, आप यहाँ बैठेंगी तो शायद आपको सहज न लगे इसलिए अगर आप हम लोगो को अकेला छोड़ दें तो।

मेरी बात खत्म होने से पहले ही आंटी बोली- नहीं, मैं आप लोगो के गेम्स देखने ही आई हूँ।
नीता बोली- आप शायद सहज होंगी, पर हम लोग आपके सामने खेलने में सहज नहीं हों तो!
मैंने नीता की तरफ आँख मार के इशारा किया कि रहने दे इसके होने से हम लोगों को खेलने में किक मिलेगी।

मैं बोला- तो हाँ भई, अब किसकी बारी है?
नीलेश और मधु एक सुर में बोले- नीता!
मैंने कहा- कोई है जो टास्क देना चाहता है, या मैं दूँ?
नीलेश बोला- तू ही दे!

मधु बोली- इसको टास्क कैसे दूँ, इसने तो मेरी मदद की थी।
मैंने कहा- यह तो खेल है, मदद की थी तो कोई अच्छा सा टास्क दे दो, जो उसको भी अच्छा लगे।
मधु बोली- नहीं, अभी तो आप ही दो, मैं तो नीलेश भैया को दूँगी।
हमारी डबल मीनिंग बात और लहजे को देख आंटी की आँखें फटी पड़ी थी। पर कोई भी उन पर ध्यान नहीं दे रहा था, उन्हें ऐसा महसूस करा रहे थे जैसे वो यहाँ हो ही न।

मैंने नीता से कहा- तुम्हें ट्रेन में जो भी आदमी पसंद आये, उसकी मलाई अपने हाथ में लानी है।
नीता ने भवें तानी और बोली- मैं ये कैसे करुँगी।
मधु ने नीता के कान में कुछ कहा और नीता के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई, नीता आराम से मटक कर बाहर चली गई।

हम लोग भी जिज्ञासावश उसके पीछे पीछे गए पर एक दूरी बनकर रखी, जिससे देख सकें कि वो आखिर कर क्या रही है।
वो बाथरूम के बगल में जाकर खड़ी हो गई, काफी देर खड़े रहने के बावजूद नीता ने कुछ नहीं किया।
हम लोग वापस कम्पार्टमेंट में आ गये।

थोड़ी देर में नीता आई और बोली- आपसे एक गलती हो गयी भैया!
मैंने कहा- क्या गलती?
नीता आई और मेरी टांगों के बीच बैठ गई, फिर बोली- पूरी ट्रेन में तो आप भी आते हो। वैसे सबसे पसन्द आदमी तो मुझे मेरा नीलू ही है पर उसकी मलाई तो मैं लेती ही रहूंगी, अभी आपकी मलाई अपने हाथ में ले लेती हूँ।

आंटी मेरी वाली बर्थ पे ही बैठी थी, आंटी फुर्ती से सामने की सीट पर आ गई।
नीता ने दरवाज़ा बंद किया और बोली- क्यूँ भैया, हो गई न गलती आपसे?
मैंने कहा- अगर यह गलती है तो ऐसे गलती तो मैं बार बार करना चाहूंगा।

सभी लोग हंसने लगे, आंटी एक दबी मुस्कान हंस दी थी। आंटी ने थोड़ी हिचक के साथ पूछा- तुम दोनों मियां बीवी हो न?
मैंने तपाक से जबाब दिया- नहीं, ये मुझे भैया बोल रही है तो ये मेरे भाई की बीवी है।
आंटी मधु और नीलेश की और देख कर बोली- तो ये तुम्हारे सामने ये लोग…

इससे पहले की आंटी कुछ और कह पाती, नीलेश मधु की चूचियों को रगड़ते हुए बोला- आंटी देखो, मेरी भाभी की चूचियाँ इतनी मस्त हैं। अब इससे ज़िन्दगी भर सिर्फ एक ही आदमी खेलता तो ये नाइंसाफी नहीं होती?
आंटी शर्म से लाल हो रही थी।

कहानी जारी रहेगी।
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