प्यासी आंटी की संतुष्टि के लिए बना कॉलबॉय-1

(Pyasi Aunti Ki Santushti Ke Liye Bana Callboy Part-1)

This story is part of a series:

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मेरा नाम लकी है, मैं नासिक (महाराष्ट्र) का रहने वाला हूँ और इस समय इंजीनियरिंग कर रहा हूँ।
मेरी उम्र 21 साल है। मैं 5 फुट 8 इँच का हैंडसम लड़का हूँ।

सब मेरी पर्सनालिटी की बहुत तारीफ करते हैं। मेरे लण्ड की लम्बाई भी बहुत ज्यादा है। मैं बहुत रूमानी लड़का हूँ.. इसलिए सब मुझे पसंद करते हैं।
लड़कियाँ.. औरतें.. सभी को मैं बहुत पसंद आता हूँ.. यदि किसी ने मुझे एक बार देख लिया तो उनकी नजरें नहीं हटतीं।

आज मैं अन्तर्वासना के माध्यम से आपको मेरे पहले सेक्स की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है, इस कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैं एक कॉलबॉय बना।

मैं 12वीं का एग्जाम दे चुका था, मेरे घर वालों ने इंजीनियरिंग की प्री स्टडी के लिए मुझे मेरे मामा के यहाँ मुम्बई भेजा।

यह शहर मेरे लिए नया नहीं था.. क्योंकि मैं अक्सर छुट्टियों में मामा के घर आता था और इसी वजह से मेरी वहाँ पर थोड़ी पहचान भी थी।

वहाँ पहुँचते ही मैंने क्लास में प्रवेश लिया और मेरी पढ़ाई शुरू हो गई।
मैं रोज सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर 11 बजे तक क्लास में रहता।

दोपहर में ज्यादातर घर में कोई नहीं रहता था.. क्योंकि मामा-मामी तो काम पर चले जाते और उनका बच्चा दिन भर स्कूल में रहता था।
मैं घर पर अकेला ही रहता.. मुझे पहले से ही सेक्स की वासना होने के कारण.. मैं कम्प्यूटर पर ब्लू फ़िल्में देखता था।

वो सब देख-देख कर उन दिनों मुझे सेक्स करने की इच्छा बहुत होती थी।
जिस भी लड़की.. औरत को मैं देखता.. तो मेरी नजरें पहले सीधे उसके स्तनों पर ही पड़ती थीं, उन्हें देखते ही मेरी नियत बिगड़ जाती.. और मेरा लण्ड झट से उन्हें सलामी देता था.. जैसा कि आज भी है।

मेरे मामा वहाँ ‘ए’ इमारत के 7 वें माले पर रहते थे.. तो वहाँ बेडरूम के छज्जे से सुन्दर दृश्य दिखता था।

एक दिन दोपहर को मैंने सोचा टेरेस में घूम कर आऊँ.. कब से वहाँ आया हुआ था.. पर अब तक नहीं गया था।

टेरेस से हमारी सोसायटी की ‘बी’ इमारत के फ्लैट में मैंने एक सुन्दर दृश्य देखा आह्हा.. एक सुन्दर सेक्सी अप्सरा सिल्क की गुलाबी साड़ी पहने छज्जे वाली बेडरूम की दीवार पर कुछ लगा रही थी, शायद कुछ काम कर रही थी।

उसे देख कर तो कोई यह नहीं कह सकता कि वो 35 साल की है.. जो कि मुझे बाद में पता चला।

दोस्तो, मैं आपको क्या बताऊँ.. उस आंटी की खूबसूरती.. वो 36-28-36 की साइज की फिगर.. खुले हुए लम्बे-लम्बे बाल.. आम की तरह तने हुए स्तन.. आह्ह्ह… और उसके उठे हुए मोटे कूल्हे!

वो काम करते समय जैसे-जैसे अपने हाथ ऊपर करके हिला रही.. थी वैसे उसके स्तन जोर-जोर से हिल रहे थे।

मैं बड़ी उस्तुकता से उसे देख रहा था।

वो दृश्य देखकर मेरा तो खुद से नियंत्रण ही हट गया था.. क्योंकि मेरा लण्ड तुरंत खड़ा होकर उसे सलामी देने लगा था।
उसके मोटे कूल्हे देख कर तो ऐसा लग रहा था कि जाकर मसल दूँ।

मैं मन ही मन सोच रहा था कि अगर इस आंटी के साथ एक रात बिता सकूँ तो मेरा लौड़ा धन्य हो जाएगा। उसे प्यार करूं.. चूमूँ.. उसके कपास जैसे नर्म-नर्म स्तनों को मुँह में लूँ.. उन्हें मसलूँ।

मैं बहुत देर तक उसे देखते हुए टेरेस पर खड़ा रहा।

तब अचानक से वो आंटी बाहर को आई और उसकी नजरें मेरे ऊपर पड़ी।

मैं एकटक उसे देख रहा था तो वो मुझे शक भरी नजरों से देखने लगी.. पर मैंने मेरी वासना भरी नजरें उसके ऊपर से नहीं हटाईं।

मुझे तो बहुत शर्म सी आ रही थी.. पर मैंने मन में ठान लिया था कि अब इस आंटी को तो पक्का पटाऊँगा।

ऐसा लग रहा था कि मुझे देख कर वो कुछ इम्प्रेस हो गई हो.. पर बात आगे बढ़ने से पहले ही विलेन का आगमन हुआ..

मतलब उस आंटी का पति.. साला इतना मोटा और गंजा.. सचमुच का विलेन ही लग रहा था, वो वहाँ आ गया और आंटी को कुछ कहने लगा।

आंटी बहुत घबड़ाई सी होकर अन्दर चली गई, शायद आंटी उसे बहुत डरती हों।

थोड़ी ही देर में विलेन की नजरें मुझ पर पड़ीं और मुझे वो घूरने लगा।
मैंने भी सोचा कि यहाँ से कट लूँ।

उसके बाद मैं वापस अपने कमरे में आ गया.. और आते ही सेक्सी आंटी के नाम की मुठ मार ली।

एक विचार मेरे मन में बार-बार आ रहा था कि विलेन आंटी को कैसे खुश रख पाता होगा।

मैंने मालूम किया वो बहुत अमीर था.. तो पैसा.. इज्जत वो भरपूर दे सकता था.. मगर शारीरिक सुख कैसे दे पाता होगा? अगर दिया भी तो पूरी तरह की खुशी नहीं दे पाता होगा क्योंकि वो ना दिखने में अच्छा था.. ना शरीर से.. और ना अपने स्वभाव से।

तब से मेरे मन में खयाल आने शुरू हुए कि ‘दुनिया में ऐसी कितनी औरतें होंगी.. जो विवाह के बाद अपनी सेक्स लाईफ से संतुष्ट नहीं रहती होंगी। अगर मुझे कोई ऐसा मौका दे.. तो मैं उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर दूंगा।’

शायद आंटी का भी यही हाल था। सोचता आंटी मुझे चोदने का मौका दें.. तो मैं उसकी पूरी प्यास बुझा दूँगा।

उस दिन से मानो मेरा रोज का काम ही हो गया था। मैं हर 5-10 मिनट में खिड़की से या अपने बेडरूम के छज्जे में जाकर आंटी को देखता रहता।

कई बार मैंने आंटी को कपड़े बदलते हुए देखा था.. क्योंकि हमारे फ्लैट से उनके बेडरूम के अन्दर का सब दृश्य दिखता था।

आंटी के पुष्ट स्तनों को देखकर मेरा लण्ड तो रॉड की तरह हो जाता, तब मैं वहीं मुठ मार लेता।

एक शनिवार को शाम को 5 बजे मैं अपने मामा की बाईक लेकर घूमने निकल रहा था। बाईक घर पर थी क्योंकि मामा को शनिवार और रविवार कम्पनी में ऑफ रहता है।

मैंने देखा पार्किंग में से वही मेरे सामने वाली आंटी अपनी कार में बैठ रही थीं।
आंटी ने बड़ा सा चश्मा लगाया हुआ था, जिम्नास्टिक वाले स्किन टाईट कपड़े पहने हुए थे।

यही मौका था.. मैं तुरंत आंटी का पीछा करता गया।
आंटी ‘जिम एंड फिट्नेस क्लब’ में जाकर रुकीं।

अब मैं समझा आंटी की खूबसूरत फिगर का राज।

कार से उतरते ही उसने मुझे देखा और नकारार्थी गर्दन हिलाते हुए छोटी सी स्माइल देकर अंन्दर चली गई।

मैं बहुत खुश हुआ.. सोचा यहाँ जिम ज्वाइन कर लूँ.. इसी बहाने आंटी से मुलाकात हो जाएगी।
तो मैंने अपने मामा से कहकर जिम जॉइन किया।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अगले दिन रविवार को भी मैं बाईक से आंटी के पीछे-पीछे ही जिम आया था।

शायद आंटी को इसकी खबर थी.. इसलिए आंटी ने जिम पहुंचते ही मुझे तिरछी नजर से देखते हुए स्माईल दी और अन्दर चली गईं।

मुझे आंटी से बात करनी थी.. पर मैं कुछ नहीं बोल पाया और उसे देखता ही रह गया।

जैसा कि मैंने आपको बताया था वो ‘जिम एंड फिटनेस् क्लब’ था तो वहाँ पर स्त्री.. पुरुष सभी आते थे।

फिटनेस क्लब में मैंने देखा कि आंटी अन्य औंरतों और लड़कियों के साथ स्ट्रेचिंग कर रही थीं।
आंटी ने अब मुझे देख लिया था।

मैंने सोचा आज तो पक्का आंटी से बात करूँगा.. यह ठानकर मैं आंटी की ओर बढ़ा।

हिम्मत तो नहीं हो रही थी.. पर आंटी के मस्त मखमली शरीर के वासना ने मुझे रुकने नहीं दिया।

मैं गया और जाते ही बोला- हैलो आंटी.. आप उस सोसायटी के उस इमारत ‘बी’ में रहती हो ना.. मैं भी वहीं ‘ए’ इमारत में रहता हूँ.. मैंने आपको वहाँ कई बार देखा है और मेरे खयाल से आप वहाँ 9वें माले पर ही रहती हो ना? मैं भी ‘ए’ इमारत के उसी मंजिल पर रहता हूँ। शायद हमारे फ्लैट आमने-सामने हैं। आपका नाम क्या है? आप भी यहाँ पर रोज आती हो?’

ऐसा.. जो मन में आया वो मैं बोलता गया और आंटी अपनी कातिल नजरों से देख कर मेरी बातें बड़ी शांति से सुन रही थीं।

फिर वो हँसकर मुझसे बोली- बच्चू.. बड़े चालू लगते हो पहली ही मुलाकात में इतना सब पूछ लिया।
मैं अपने मन में बोला- तेरे जैसी सेक्सी आइटम से बोलने के लिए मैं क्यों झिझकूँ?

मेरी नजरें तो आंटी के आम जैसे स्तनों पर ही टिकी थीं।
आह्ह.. उसके स्तन क्या लग रहे थे। ऐसा लग रहा था कि इतने टाईट कपड़ों में से उछल कर मेरे हाथ में आ जाएंगे।

‘क्या मैं आपको बच्चा लगता हूँ?’ मैं बोला।
वो बोली- क्या मैं तुझे आंटी लगती हूँ?

और हम दोनों हँसने लगे।

फिर वो कहने लगी- मैंने तो कब से फिटनेस क्लब ज्वाइन किया हुआ है.. पर तुम तो मुझे आज ही दिख रहे हो।

तो फिर मैंने अपनी स्टाईल में बालों को हाथ लगाते हुए कहा- हाँ.. आज ही ज्वाइन किया है।

फिर वो अपनी भौंहें ऊपर करके मेरे बारे में पूछने लगी।

मेरे सब बताने के बाद आंटी ने अपना नाम बताया- निहारिका!
वाह्ह.. कितना प्यारा नाम था, नाम में ही वासना भरी थी।

हम बहुत देर बातें करते रहे। मैं तो बोलने के मामले में बहुत एक्सपर्ट हूँ। मैं एक बार शुरू हुआ तो रुकता ही नहीं हूँ।
पर वो भी कुछ कम नहीं थी। काफी बोल्ड थी इसलिए मुझसे जल्द ही मैच हो गई।

मैं निहारिका की स्तुति पे स्तुति करते जा रहा था और शायद मेरी प्यार भरी बातें सुनकर वो बहुत इम्प्रेस हो रही थी.. इसलिए इतनी हँस रही थी।

अब वक्त हो चुका था।
जिम खत्म होने के बाद भी हम बोलते ही रहे.. क्योंकि निहारिका को भी अब मुझमें इंटेरेस्ट आने लगा था।

पर अब अलविदा कहने का वक्त आ गया था, मेरा तो उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था.. पर घर भी जाना था तो मैंने ‘बाय’ कहते हुए कहा- चलो कल मिलते हैं।

तो निहारिका ने कहा- हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. क्या कल भी तुम मेरा पीछा करते हुए जिम आओगे?

यह सुनकर तो मैं चौंक गया.. निहारिका तो ये जानती थी।

फिर मैं नॉटी स्माइल देते हुए कहने लगा- अरे नहीं.. ऐसा कुछ नहीं मैं तो बस… यूँ ही..
वो हँसने लगी।

‘कल पीछे नहीं आऊँगा.. मेरे मामा बाइक लेकर जाएंगे’ यह कहकर मैंने निहारिका को अपनी समस्या बताई।

फिर निहारिका बोली- कोई बात नहीं.. मैं तुम्हें पिक कर लूँगी।

यह सुनकर मैं बहुत खुश हो गया.. मेरी तो किस्मत ही जाग गई थी।
शायद वो मुझसे आकर्षित हो गई थी।

दूसरे दिन जैसी योजना बनाई थी वैसे ही मैं शाम को जिम जाने के लिए पार्किंग में खड़ा था।
तभी निहारिका का आगमन हुआ।

आह्ह्हाह.. क्या लग रही थी एकदम पलंग तोड़ माल.. ऐसा लग रहा था कि मेरे लिए ही इतनी सेक्सी बन कर आई हो।

आज तो निहारिका ने बहुत ही टाईट कपड़े पहने थे। उसका लाल रंग का स्लीवलेस टॉप इतना टाईट कि उसमें से उसके उभरे हुए गोरे गोरे स्तन आधे बाहर निकलने को हो रहे थे।

पीछे तो पूछो ही मत.. वाह्ह्ह… निहारिका के कूल्हे तो उस नीले रंग की स्किन टाईट पैंन्ट में तरबूज की तरह लग रहे थे, कूल्हों की दरार भी स्पष्ट दिखाई दे रही थी।

मेरा लण्ड तो कब से उसके वासना भरे शरीर को सलामी देकर टाइट हो गया था। ऐसा लग रहा था कि उसे यहीं चोद डालूँ।

फिर मैंने इश्कबाज होकर हाथ बढ़ाया और बोला- हैलो.. आज बहुत खूबसूरत दिख रही हो।
निहारिका बोली- सिर्फ खूबसूरत?

मैंने अपनी वासना भरी नजरों से देखते हुए कहा- सच कहूँ तो बहुत ही सेक्सी लग रही हो.. जैसे कि स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर कर आई हो।

वो मेरे गाल पर हाथ फिराते हुए हँसने लगी और कार में बैठ गई।
उसके मुलायम हाथों के स्पर्श से तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए।

निहारिका को भी कुछ होने लगा था, शायद मेरे स्पर्श से उसके भी रोंगटे खड़े हो गए थे.. क्योंकि उसके निप्पल पूरी तरह से ऊपर आ चुके थे और उन टाइट कपड़ों में से उसके निप्पल मुझे साफ दिखाई दे रहे थे।

मेरी नजरें बार-बार उसके स्तनों पर ही जा रही थीं। उसे देख कर मेरा तो नियंत्रण छूट रहा था और मेरा लण्ड रॉड की तरह टाइट हो चुका था। मैं हाथ रखकर छुपाने की कोशिश कर रहा था।

अब शर्म से मैं उसकी तरफ देख भी नहीं रहा था।

फिर निहारिका ने अचानक रास्ते में कार रोककर साइड में लगाई और बोली- आज क्यों इतनी शर्म आ रही है? रोज तो मुझे देखने के लिए तरस जाता है। कभी बेडरूम के टेरेस से.. कभी खिड़की से.. क्या रात-दिन मुझे ही देखता रहता है? और तेरी ये वासना भरी नजरें तो हमेशा मेरे स्तनों पर ही रहती हैं? तब शर्म नहीं आती तुझे?

मैं भौंचक्का सा उनकी तरफ देख रहा था एक बार तो मन में आया कि सब खेल खत्म हो गया।

पर आगे क्या होने वाला था ये कौन जानता था.. चलिए कल मिलते हैं तब तक आप मुझे अपने ईमेल जरूर कीजिएगा।

कहानी जारी है।
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