नर्स ने लौड़ा चूसा, चूत चुदवाई

(Nurse Ne Lund Chusa, Chut Chudwai)

दोस्तो, आज आपको एक बहुत ही प्यारी सी कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उम्मीद है आपको पसंद आएगी।

बात करीब चार साल पुरानी है। मैं अपनी कार से दिल्ली जा रहा था, रात का वक़्त, सर्दी का मौसम!
पानीपत के आस पास मुझे काफी कोहरा मिला। धुंध के कारण मैं ठीक से देख नहीं पा रहा था और अचानक एक ट्रक आकर मेरी कार से टकरा गया।
एक्सीडेंट बहुत भयानक था, मैं तो समझो मर कर ही बचा। आधे से ज़्यादा जिस्म की हड्डियाँ टूट गई, दोनों टाँगों में, दोनों बाजुओं में और पसलियों में न जाने कहाँ कहाँ फ्रेक्चर आ गए।
मुझे नहीं पता मुझे हॉस्पिटल कौन लेकर गया।

जब होश आया तो दिल्ली के एक बड़े हॉस्पिटल में था। घर वाले सब आते और देख कर चले जाते क्योंकि नर्स मेरी देखभाल कर रही थी। बोल तो मैं सकता नहीं था। एक बूढ़ी सी नर्स हर वक़्त मेरे पास रहती।
फिर करीब 4-5 दिन बाद मैं बोलने के लायक हुआ। यार दोस्त भी आते, कोई दुःख जताता, कोई मज़ाक करता।

फिर एक दिन मैंने अपने एक दोस्त से कहा- यार, यह क्या बूढ़ी सी नर्स बैठा रखी है, इसके होते तो मैं ठीक ही नहीं होऊँगा, कोई ठीक ठाक सी नर्स नहीं क्या यहाँ पर?
वो बोला- भोंसड़ी के… सर से पाँव तक टूटा पड़ा है, सारी हड्डियाँ तुड़वा कर भी लंड की अकड़ नहीं गई तेरी, जो सेक्सी नर्स मांग रहा है?
हम दोनों मुस्कुरा पड़े।

अगले दिन मेरे कमरे में नई नर्स थी। नर्स क्या थी, बॉम्ब थी बॉम्ब, बहुत हॉट… भरवां बदन, कटीले नयन नक्श।
दोस्त ने फोन पे बात की- ये जो भेजी है, ठीक है या और कोई देखूँ?
मैंने उसे बता दिया कि नर्स मुझे पसंद है।

वो सुबह से लेकर रात तक मेरे पास रहती, अब मैं तो कहीं आ जा नहीं सकता था, तो मेरा सारा ख्याल वो ही रखती थी, घर वाले तो थोड़ी देर को आते, मिलते, चले जाते। मेरा खाना पीना, हगना मूतना सब वही देख रही थी। जितना जिस्म मेरा प्लास्टर से बाहर था उस सारे बदन को वो स्पोंज से साफ करती, रोज़ मेरी दवा दारू का ख्याल रखती।

धीरे धीरे मेरी उस से अच्छी मित्रता हो गई। उसका नाम सविता था। मैं अब 46 साल का आदमी और वो करीब 26-27 साल की थी। शादीशुदा एक बच्चे की माँ थी, बेटा उसका स्कूल में पढ़ता था।
अब सारा दिन मेरे पास ही बैठना था तो टीवी देखने के इलावा हम बातें भी करते रहते थे। अब मैं तो ठहरा कमीना, सो मैंने धीरे धीरे उसे कच्चे रूट पे उतारना शुरू किया।

करीब 10 एक दिन में मैंने उसे इतना खोल लिया के वो मुझे अपने बारे में हर बता चुकी थी, शादी से पहले, शादी के बाद के उसके सारे किस्से मुझे मालूम हो गए।
हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए।
मैंने भीउसे अपनी सब कहानियाँ सुना दी और बता दिया कि मैं कितना कमीना हूँ।

ऐसे ही एक दिन, दिन के करीब 10 बजे, वो मुझे स्पोंज करने आई। अब हाथों पैरों पर तो प्लास्टर था, नहा तो सकता नहीं था मैं।
सबसे पहले उसने मेरा चेहरा साफ किया, जब वो मेरे चेहरे पे स्पोंज कर रही थी तो तब कई बार उसके बूब्स मेरे कंधे को छू गए।
बेशक मुझे उसके छूने से मज़ा आ रहा था मगर मैं ऐसे शो कर रहा था जैसे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, और वो भी ऐसे कर रही थी जैसे यह उसकी रूटीन जॉब थी।

चेहरे के बाद उसने मेरी कमीज़ के बटन खोले और मेरे सीने पे स्पोंज से साफ किया। सीने पर हाथ फेरते हुये मुझे लगा जैसे उसकी आँखों में एक चमक सी आई हो।
जब सीना और पेट साफ हो गए तो मैंने उसे कहा- सुनो, क्या तुम मेरी जो बाकी बॉडी रह गई है, उसे भी साफ कर सकती हो?
बाकी बॉडी क्या अब मेरी कमर और जांघें ही तो बची थी, और खास बात यह इसका मतलब था कि क्या तुम मेरे लंड को भी साफ कर दोगी।

मैंने उसकी तरफ देखा तो वो बोली- यह प्राइवेट हॉस्पिटल है, यहाँ हर काम के पैसे लगते हैं, जितने पैसे मुझे मिलते हैं, उतने का काम मैं कर चुकी हूँ।
उसके जवाब ने सारी बात साफ कर दी थी।
मैंने कहा- पैसे की कोई चिंता तुम मत करो, सर्विस पूरी मिलनी चाहिए।
उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और बोली- तो क्या खिदमत करूँ मैं आपकी?
मैंने कहा- जो जो भी खिदमत कर सकती हो, सब कर दो! महीना भर हो गया बेड पे लेटे, बस मज़ा आ जाये ज़िंदगी का।

वो गई और दरवाजे की चिटखनी लगा कर वापिस आ गई।
मेरे पास आ कर पहले उसने पानी वाला बाउल उठाया और बाथरूम से गरम पानी भर कर लाई, उसके बाद मेरी चादर को उठाया, अब दोनों टाँगों पर प्लास्टर लगा था तो नीचे से तो मैंने नंगा ही था। चादर उठा कर उसने मेरी जांघों और कमर को गर्म पानी से स्पोंज करना शुरू किया।

‘सविता…’ मैंने उसका नाम लेकर पुकारा।
‘हूम्म…?’ वो अपना काम करते करते बोली।
‘क्या तुम ये फालतू के बाल भी साफ कर सकती हो?’ मैंने पूछा।
‘जी, कर दूँगी, अभी करूँ क्या?’ उसने पूछा।
‘हाँ, कर दो यार!’ मैंने कहा तो वो मुझे फिर से चादर से ढक कर चली गई और 5 मिनट बाद आई तो उसके हाथ में रेज़र सा कुछ था।
अंदर आकर फिर से दरवाजा लॉक करके वो मेरे पास आई और मेरी चादर हटा कर मेरी झांट के बाल साफ करने लगी।
वो अपना काम बड़ी सफाई और तल्लीनता से कर रही थी।

मगर जब उसने बाल साफ करते करते मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसके हाथों के नरमी से मेरे लंड ने तो होशियारी पकड़ ली।
देखते देखते मेरा लंड उसके हाथ में तन गया।
‘इसको क्या हो रहा है?’ उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा कर पूछा।
‘अरे बड़े दिनों के बाद इसे किसी ने इतने प्यार से छुआ है तो ये भी मस्ती में आ गया।’

मगर उसने इस बात का बुरा नहीं माना और आफ्ना काम करती रही, मेरी झांट, कमर और मेरे आँड के बाल भी बड़ी सफाई से साफ कर दिये।
लंड मेरा तन के लोहा हुआ पड़ा था।
जब उसने अपना काम निपटा लिया और मेरी सारी सफाई कर दी और पानी वाला बाउल लेकर जाने लगी तो मैंने पूछा- यह काम तो हो गया, अब इसका क्या करूँ?
मैंने अपने लंड की तरफ इशारा करके उससे पूछा।
‘यह तो आपकी प्रोब्लम है।’ कह कर वो बाथरूम में चली गई।

जब बाहर आई तो मैंने कहा- हाँ, प्रोब्लम तो मेरी है, मगर इसका हल तो तुम्हारे पास है।
वो मेरे पास आई और बोली- आप तो आगे ही आगे बढ़ते जा रहे हैं।
मैंने कहा- अब तुमने हालात ही ऐसे कर दिये हैं।
‘तो ठीक है!’ वो बोली- आओ और मुझे पकड़ लो अगर पकड़ लिया तो!
उसने मोहक मुस्कान दी।

मैंने कहा- तुम जानती हो, इस हालत में मैं चल भी नहीं सकता, पर कोई बात नहीं है, अपना हाथ मेरे हाथ में दो।
उसने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया।
‘लो मैंने तुम्हें पकड़ लिया है, अब बोलो!’ मैंने कहा।
‘अच्छा जी, बड़े चालाक हो आप तो?’ वो बोली।
‘प्लीज यार, अब सताओ मत!’ मैंने विनती की।

वो हंस दी और मेरे बेड के पास ही खड़ी रही।
‘पकड़ो तो इसे!’ मैंने कहा तो उसने थोड़ा सा नखरा दिखते हुए मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया।

‘अब पकड़ कर खड़ी ही रहोगी या कुछ करोगी भी?’ मैंने कहा।
‘क्या करूँ?’ वो शरारत से बोली।
‘इसे अपने मुँह में लेकर चूसो!’ मैंने कहा तो बड़ी अदा से उसने मेरे लंड को पहले अपने होंठों से चूमा और उसके बाद अपनी जीभ से चाटते हुये अपने मुँह में ले लिया।
‘आह, क्या आनन्द है!’ मेरे मुख से अपने आप ही निकल गया, सच में इतने दिनों बाद किसी से लंड चुसवा कर बड़ा मज़ा आया था।

वो थोड़ी देर तो मेरा लंड चूसती रही, मगर अब मैं और मज़ा चाहता था, मैंने कहा- इसे अपनी चूत में ले लो सवी!
‘मगर उसके लिए तो मुझे आपके ऊपर बैठना पड़ेगा!’ वो बोली।
‘तो आ जाओ यार!’ मैंने कहा तो उसने अपनी साड़ी ऊपर उठाई, दूध जैसी गोरी और गोल मजबूत टाँगें मांसल जांघों वाली।
उसने अपने सेंडिल उतारे और बेड पे चढ़ गई।

मैंने देखा उसने अपनी चूत बिल्कुल साफ कर रखी थी।
मैं तो नहीं हिल सकता था, पर वो ऊपर आकर मेरी कमर पे बैठ गई, पर उसने अपना पूरा वज़न नहीं डाला। थोड़ी सी सेटिंग करके उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पे रख लिया और धीरे से अंदर लिया, मेरे सीने की दोनों तरफ उसने अपने हाथ टिकाये और बड़े आराम आराम से आगे पीछे होने लगी, जिस वजह से मेरा लंड कभी उसकी चूत के अंदर तो कभी बाहर आता।मुझे चुदाई का भरपूर सुख मिल रहा था।

उसकी साड़ी का पल्लू मेरे सीने पे गिरा हुआ था जिस वजह से मुझे उसके गोल गुदाज़ बूब्स अपने चेहरे के पास दिख रहे थे।
‘सवी, अपना ब्लाउज़ उठाओ, मुझे तुम्हारे दुद्दू पीने हैं।’ मैंने कहा तो उसने अपना ब्लाउज़ और ब्रा उठा कर अपने दोनों बूब्स बाहर
निकाल दिये।
अब जब वो मुझे ऊपर चढ़ कर चोद रही थी तो उसके बूब्स मेरे होंठों को छू रहे थे, जिन्हें मैं बारी बारी से चूस चूस कर मज़े ले रहा था।

‘ओहह सवी, बहुत मज़ा आ रहा है, और तेज़ करो!’ मैंने जोश में आकर कहा।
‘नहीं इसी तरह करना पड़ेगा, वर्ना कहीं और अपना नुकसान मत करवा लेना!’ वो धीरे धीरे कितनी देर मुझे चोदती रही। फिर मेरे ऊपर ही लेट गई, और मेरे होंठ और गाल चूमने चाटने लगी।
मैंने भी अपनी तरफ से उसे नीचे से चोदने की कोशिश की, मगर मेरी टाँगों में दर्द होने लगा तो मैंने कोशिश छोड़ दी।

‘सवी अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा, निकाल दो मेरा पानी ताकि राहत मिल सके!’ मैंने कहा।
सविता नीचे उतर गई।
‘मैं तुम्हारी चूत चाटना चाहता हूँ।’ मैंने कहा तो सविता वापिस मेरे ऊपर उल्टी तरफ को सवार हो गई, अब उसने अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दी और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

सिर्फ एक दो मिनट में ही मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ दी। जिससे मेरी कमर, उसका मुँह और कपड़े खराब हो गए।
मेरा हो गया तो वो नीचे उतर गई।
‘अरे तुम्हारे तो हुआ नहीं, लाओ मैं चाट चाट के तुम्हारा पानी भी छुड़वा देता हूँ।’ मैंने कहा।
मगर वो हंस कर बोली- नहीं, उसकी कोई ज़रूरत नहीं है।
उसने अपने कपड़े सेट किए, बाथरूम से दोबारा गरम पानी लाकर मेरी सफाई की और सारी सेटिंग करके चली गई।

करीब 3 महीने मेरा इलाज चला और पूरे तीन महीने उसने मेरी भरपूर सेवा की।
आज चार साल बाद, अब मैं बिलकुल स्वस्थ हूँ और सविता आज भी मेरी बहुत अच्छी दोस्त है, हम अक्सर मिलते हैं, एक दूसरे
के घर भी आना जाना है, सेक्स कोई ज़रूरी नहीं पर एक बहुत अच्छी और मीठी मीठी दोस्ती है। कभी कभी सेक्स भी कर लेते हैं, मगर ज़्यादातर तो सिर्फ एक दोस्त के रूप में ही मिलते हैं।
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