मेरा गुप्त जीवन-104

(Mera Gupt Jeewan-104 Nadi Me Nahati Ganv Ki Aurten)

यश देव 2015-11-18 Comments

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नदी में नहाती गाँव की औरतें

रात को मैं बड़ी गहरी नीद में सोया था लेकिन मुझको यह अहसास हो रहा था कि रात को मुझ पर भाभी और प्रेमा ने कई बार चढ़ कर अपनी खूब चुदाई की।

अगले दिन कम्मो को मैंने सुझाव दिया कि सब लड़कियों का नदी में नहाने के लिए जाने का प्रोग्राम बना लो ताकि कुछ को नदी की अपनी स्पेशल जगह में चुदाई के लिए ले जाएँगे और बाकी को अपनी कॉटेज में ले आना! इस प्रोग्राम में मुझको भी कुछ गाँव की लड़कियों को नग्न देखने का भी मौका मिल जायेगा।
कम्मो हंसने लगी- छोटे मालिक, आप भी ना… औरतों के ही दास हो! इसमें कोई शक नहीं है।
मैंने भी हँसते हुए कहा- यह सब तुम्हारा ही सिखाया हुआ है, अगर तुम मुझको चुदाई का पाठ नहीं पढ़ाती तो मैं अभी तक साधू हो गया होता, जोगी बन गया होता, बैरागी बन गया होता और हिमालय की कंदराओं में भटक रहा होता।

कम्मो बड़े ज़ोर से हंस दी और मुझसे लिपट गई और मुझको चुम्बन देती हुई बोली- वाह रे मेरे जोगी, तुम तो बन गए चूत के भोगी।

कम्मो ने सब लड़कियों को पूछा कि क्या वो नदी स्नान करने जाना चाहती हैं?
तो सबने हामी भर दी और काफी प्रसन्न लग रही थी।
कम्मो ने मम्मी जी से भी पूछा तो उन्होंने भी इजाज़त दे दी और कहा- कार का ड्राइवर आप सबको ले जाएगा और वापस भी ले आएगा।

सब लड़कियाँ और भाभियाँ भी तैयार हो गई और सबको दो चकर में कार नदी के कनारे छोड़ आई।
उनके पीछे पापा की बाइक लेकर मैं भी नदी पर पहुँच गया और एक नज़र नदी के किनारे पर डाल कर मैं अपनी झाड़ियों में जाकर छुप गया।

हमारे घर से आई लड़कियाँ और कई और गाँव की स्त्रियाँ मज़े में नहा रही थी नदी के शीतल जल में!
गाँव की औरतों में कुछ तो अधेड़ उम्र की थी, कई काफी जवान भी थी।
सबके नहाने के कपड़े कम से कम थे उनके शरीर पर!
ज़्यादातर धोती को शरीर के चारों और लपेट कर नहा रही थी और उनकी धोती जब गीली हो जाती थी तो उनके शरीर के अंग गीली धोती में से साफ़ झलक रहे थे।

एक सांवली औरत पर मेरी खास नज़र टिक गई थी क्योंकि उसके मोटे और गोल मुम्मे उसकी गीली धोती से साफ़ दिख रहे थे और गीली धोती जब उसकी चूत पर पड़ती थी तो उसकी चूत के काले बाल साफ़ दिख रहे थे।
यह दृश्य देखते ही मेरा लौड़ा एकदम तन गया और मेरी पैंट में तम्बू बन गया।

वो सांवली औरत बार बार अपनी गीली धोती को ऊपर कर के पानी निचोड़ती थी लेकिन धोती पुनः उसके मुम्मों पर चिपक जाती थी और नीचे का हिस्सा चूत पर होने के कारण चूत का दृश्य साफ़ दिख रहा था।
उसके साथ ही एक नई दुल्हन भी नहा रही थी जिसके हाथों की मेहँदी साफ़ चमक रही थी, उसने भी एक सफ़ेद मलमल की धोती पहन रखी थी जिसमें से उसका सारा जिस्म साफ झलक रहा था।
वो रंग की काफी गोरी थी तो उसके गोरेपन के बीच में उसकी चूत के काले बाल उसकी गीली धोती में चमक रहे थे।

काफी देर तक मेरी नज़रें इन दोनों महिलाओं पर टिकी रही और अब मैंने अपने घर आई मेहमान लड़कियों और भाभी को ढूंढा तो वो सफ़ेद पेटीकोट और सफेद ब्लाउज पहन कर नहा रही थी, उनके मुम्मे तो झलक रहे थे लेकिन चूत के बाल नहीं दिख पा रहे थे।
दोनों भाभियाँ एक साथ थी और कुंवारी लड़कियाँ थोड़ी दूर नहा रही थी, लड़कियों के वस्त्र भी पारदर्शी थे और मैं मज़े में उनके जिस्म की सुंदरता देख रहा था और हल्के से अपने लंड पर हाथ फेर रहा था।

थोड़ी देर में देखा, वो सांवली औरत अपने सूखे कपड़े हाथ में लिए हुए मेरी वाली झाड़ी की तरफ आ रही थी और झाड़ी के पास आकर उसने कपड़े नीचे रख दिए और इधर उधर देख कर अपनी गीली धोती को उतार कर तौलिये से अपने शरीर को पौंछने लगी।
जैसे ही उसकी गीली धोती हटी तो मैंने बड़ी साफ़ तौर से उसके मुम्मे और उसकी काली चूत पर काले बालों को देखा।
तभी देखा कि कम्मो उस सांवली औरत के पास आ गई और उससे बातें करने लगी और वो जान बूझ कर उसकी चूत और मुम्मों वाली साइड मेरी तरफ खड़े कर के मुझको पूरा नज़ारा दिखाने लगी।

सांवली औरत अभी कपड़े बदल ही रही थी कि वो गोरी दुल्हन भी अपने कपड़े लिए हुए वहाँ आ गई और वो भी कम्मो के आगे खड़ी होकर अपनी धोती उतार रही थी और उसका भी शरीर पूरा झाड़ी की तरफ था, मैं बड़े मज़े में उस के भी मुम्मों और चूत के खुले दर्शन करने लगा.

उन दोनों के जाते ही दो और औरतें वहाँ अपने कपड़े बदलने के लिए आ गई और कम्मो उनके साथ भी बातें करती रही और उन दोनों को भी गीली धोती उतारने और सूखे कपड़े पहनने में उनकी मदद करने लगी।
इन दोनों औरतों के शरीरों से लगता था वो एक या फिर दो बच्चों की माँ हैं क्योंकि उनके पेट पर बच्चा पैदा होने के निशान पड़े हुए थे और उनके मुम्मे भी थोड़े ढलके हुए लग रहे थे लेकिन उनकी चूत और चूतड़ अभी भी काफी सेक्सी लग रहे थे और उनकी चूत पर छाई हुए काले बालों की लताएँ भी काफी घनी थी।

थोड़ी देर बाद उन दोनों ने आपस में कुछ बातें की और फिर दोनों नंगी ही बैठ गई और दोनों की चूत मेरी तरफ थी और दोनों ने एकदम पेशाब की धार छोड़ दी।

बाईं वाली की धार बहुत तेज़ थी और वो मेरे से थोड़ी दूर तक आ रही थी लेकिन जो दूसरी औरत थी उसकी धार तो पतली थी लेकिन उसकी दूरी काफी आगे तक थी।
जब दोनों का मूती प्रोग्राम खत्म हुआ तो एक बोली- मैं जीत गई, मेरी धार तो बहुत दूर तक गई थी।
लेकिन दोनों एक दूसरी से बहस करने लगी लेकिन कम्मो जो वहीं खड़ी थी, ने फैसला सुनाया कि दूसरी औरत जीत गई थी।

अभी वो सांवली और गोरी भी वहीं थी तो कम्मो ने उन दोनों को भी कहा कि वो भी मूती प्रतियोगिता रख लें और देखें कौन ज़्यादा दूर तक धार फ़ेंक सकता है।

वो दोनों भी हंस पड़ी और कम्मो ने उनको भी मेरी छुपने वाली जगह की तरफ मुंह करके मूती करने को कहा।
वो भी अपनी साड़ी उठा कर बैठ गई और कम्मो ने एक दो तीन कहा और दोनों ने भी अपने पेशाब की धार छोड़ दी और दोनों की धार भी काफी तेज़ी से निकली और मेरे काफी निकट तक आ गई।
लेकिन जो दुल्हन थी उसकी धार ज़्यादा दूर तक निकल गई और साथ ही उसकी चूत में से एक सीटी भी बज रही थी जिसको सुन कर कम्मो हैरान हो रही थी।
कम्मो ने पूछा- यह सीटी कैसी बज रही तेरी चूत से?
दुल्हन थोड़ी शरमाई और फिर बोली- वो क्या है मेरी अभी चूत की खुलवाई नहीं हुई, मेरा पति रोज़ कोशिश करता है लेकिन उसका लंड इसके अंदर नहीं घुस पाता तो मैं रोज़ ही आधी अधूरी रह जाती हूँ।

कम्मो शरारतन बोली- किसी और को चांस दे तो शायद तेरा काम बन जाए?
दुल्हन हँसते बोली- किसको चांस दूँ? कोई नज़र ही नहीं आता जो मेरी चूत के काबिल हो!
कम्मो बोली- बहुत हैं चूत के माहिर… अगर तू राज़ी हो तो अभी इंतज़ाम कर देती हूँ?

दुल्हन पहले हिचकी फिर बोली- कोई है नज़र में तुम्हारी दीदी?
कम्मो बोली- नज़र में तो है लेकिन तुमको वायदा करना पड़ेगा कि किसी को बताएगी तो नहीं?
दुल्हन बोली- मैं पक्का वायदा करती हूँ लेकिन तुमको भी वायदा करना पड़ेगा कि किसी को नहीं बताओगी और सील तोडू भी नहीं बताएगा?
कम्मो बोली- हमारी तरफ से पक्का वायदा। कोई है तेरे साथ या अकेली है?
दुल्हन बोली- मौसी आई थी लेकिन वो दिख नहीं रही शायद घर चली गई होगी।

कम्मो बोली- तो फिर चल मेरे साथ लेकिन यह जो औरतें नहा रही हैं इन में से कोई तुझको जानता है क्या?
दुल्हन ने चारों तरफ देखा और कहा- नहीं दीदी, इन में तो कोई नहीं जानता मुझको!

कम्मो उसको लेकर मेरे छुपने वाली जगह की तरफ आ रही थी और मैंने घबरा कर वो नदी की तरफ वाली साइड पर झाड़ी को आगे कर दिया ताकि वो देख न सके कि मैं नदी में नहाती हुई औरतों को देख सकता हूँ और झट ही अपने मुंह पर रुमाल रख कर के सोने का नाटक करने लगा।

थोड़ी देर में कम्मो ने मुझको उठाया- उठिए ना, देखो कौन आया है आप से मिलने?
मैं भी अंगड़ाई लेते हुए उठा और कम्मो से बोला- काहे उठावत हो हमका? बहुते ही गहरी नींद में सो रहे थे हम… और यह कौन हैं?
कम्मो बोली- यह दुल्हन हैं और आपसे मदद मांग रहीं हैं यह।
मैं बोला- कैसी मदद?

कम्मो मुस्कराते हुए बोली- इनकी शादी को दो महीने हो गए लेकिन इनके पति से इनकी सील नहीं टूट रही है तो वो सील तोड़ने में आप इनकी थोड़ी सी मदद कर दीजिये ना!
मैंने कहा- पहले पूछो तो सही कि हम इनको पसंद हैं या नहीं?

कम्मो ने जब पूछा तो वो एकदम से बोली- हाँ, पसंद तो बहुत हैं यह हम को लेकिन दीदी यह तो लड़के से लगते हैं, क्या यह काम इनसे हो सकेगा?
कम्मो बोली- ऐ जी, ज़रा अपना हथियार तो इनको दिखाइए ना!

मैं उठा और अपनी पैंट को नीचे किया और अपने खड़े लौड़े को इनको दिखाया और पुछा- क्या यह ठीक है या फिर इससे भी लम्बा चाहिए?
दुलहन शरमा गई और मुंह नीचे कर लिया और मैं भी अपना लौड़ा पैंट के अंदर डालने लगा और बोला- शायद यह इनको पसंद नहीं, कल जब दूसरा लाऊँगा तो ही काम बनेगा।
दुल्हन एकदम से घबरा के बोली- नहीं नहीं हमको तो यह बहुत ही पसंद है, बोलिए हम को क्या करना है?

कम्मो ने आगे बढ़ कर उसके ब्लाउज को उतार दिया और उसकी साड़ी भी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट में ही उसको लिटा दिया और मेरे को इशारा किया कि मैं शुरू हो जाऊँ।
मैंने उसके पेटीकोट को ऊँचा किया और उसकी टांगें चौड़ी करके मैं अपने खड़े लंड को ले कर बैठ गया और उसकी बालों से भरी हुई चूत के कुंवारे मुंह पर लंड को रख दिया और एक दो बार लंड को अंदर बाहर किया तो वहाँ काफी मोटी दीवार पाई।

कम्मो ने अपना बैग खोला और उसमें से वैसेलिन की शीशी निकाली और ढेर सारी दुल्हन की चूत के बाहर और अंदर लगा दी और थोड़ी से मेरे लंड पर भी लगा दी और फिर दुल्हन के कान में कहा- थोड़ा दर्द होगा, बर्दाश्त कर लेना। ठीक है ना?
दुल्हन बोली- ठीक है।

अब मैंने फिर से लंड को दुल्हन की चूत में डाला और धीरे धीरे से उसको अंदर धकेलने लगा और जब दीवार महसूस की तो एक ज़ोर का धक्का मारा और एक ही झटके में लंड पूरा का पूरा दुल्हन की चूत में चला गया और दुल्हन के मुंह से हल्की सी चीख निकली तो कम्मो ने अपने रुमाल को उसके मुंह पर रख कर दबा दिया।

और अब मैंने धीरे से लंड को निकाला और फिर एक हल्का सा धक्का मारा और अब लंड बिना किसी रोक टोक अंदर चला गया।
मैंने महसूस किया कि दुल्हन का शरीर जो एकदम से अकड़ा हुआ था, अब काफी रिलैक्स हो गया और उसकी जांघें पूरी तरह से खुल गई थी।

तब मैं धीरे से धक्कों की स्पीड बढ़ाने लगा और साथ ही उसके मम्मों को चूमने और चूसने लगा, उसके लबों पर एक बड़ी हॉट किस जड़ दी और अपना मुंह उस के मुँह पर रख कर उसकी जीभ के साथ अपनी जीभ से खेलने लगा।
उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर अब ज़ोर से धक्काशाही शुरू कर दी और कुछ ही मिन्ट में ही दुल्हन का जीवन में पहली बार पानी छूटा।
मैंने कम्मो की तरफ देखा, उसने आँख के इशारे से कहा- लगे रहो!

और अब मैंने उसको अपनी गोद में बिठा कर उसकी टांगों को अपने दोनों तरफ कर दिया और लंड को चूत में ही रखे रखे धक्के मारने लगा, साथ ही उसके गोल और सॉलिड मुम्मों को मुंह में लेकर चूसने लगा और उसकी चूचियों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने लगा।

अपने हाथों को उसके चूतड़ों के नीचे रख कर अब गहरे धक्के मारने लगा और जैसे जैसे ही मैं तेज़ी पकड़ रहा था दुल्हन मेरे से और भी ज़्यादा चिपक रही थी और अब वो खुद ही मुझको चूमने और चाटने लगी थी।

मेरे धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ होती गई कि थोड़ी ही देर में दुल्हन फिर एक बार हाय हाय… करते हुए झड़ गई और उसका शरीर एक अजीब सी झुरझुरी से कम्पित हो गया।
हालाँकि वो झड़ चुकी थी फिर भी उसकी बाहें मेरे गले में ही थी और वो मुझसे बुरी तरह से चिपकी हुई थी।

अब मैंने उसको अपने से अलग किया और फिर मैंने उससे पूछा- क्यों दुल्हनिया जी, मज़ा आया या नहीं?
दुलहन थोड़ी सी शरमाई और बोली- बहुत मज़ा आया आप से, आप तो वाकयी में जादूगर हैं।

कम्मो ने उसको उठाया, उसके शरीर पर लगे खून को साफ़ किया और कहा- आओ दुल्हन, एक बार फिर से स्नान कर लो तो सब ठीक हो जाएगा। वैसे तुम्हारा नाम क्या है?
दुल्हन बोली- मेरा नाम है जूही।

कम्मो उसको लेकर जाने लगी तो उसने मेरी तरफ देखा और फिर आकर मुझसे लिपट गई और चुंबनों से मेरा मुंह भर दिया और एक हाथ से मेरे खड़े लौड़े को फिर पकड़ लिया और बैठ कर उसको चूम लिया।

फिर कम्मो ने उसको उठाया और उसको लेकर झाड़ी के बाहर चली गई।
कहानी जारी रहेगी।
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