मैं अपने जेठ की पत्नी बन कर चुदी -7

(Me Apne Jeth Ki Patni Ban Kar Chudi- Part 7)

नेहा रानी 2016-02-08 Comments

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अन्तर्वासना के पाठकों को आपकी प्यारी नेहारानी का प्यार और नमस्कार।

अब तक आपने पढ़ा..

जैसे ही उनके होंठ मेरी प्यासी चूत पर गए, मैं मचल उठी ‘आहह्ह सीइइइ’ मेरी मादक सिसकारी कुछ तेज निकल गई, जेठ जी ने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख कर इशारा किया कि उनके और मेरे सिवा कोई और है और फिर मेरी चूत को चपड़ चपड़ चाटने लगे और मैं चूत उठकर चटवाती रही।
मैं सिसकारियों को अपने होठों से दबाकर जेठ से अपनी बुर की सन्तरे की सी फांकें चुसवा रही थी।

अब आगे..

रात में जेठ से चुदने का नतीजा सुबह मेरी नींद पति के जगाने पर खुली.. और मैं सीधे बाथरूम में घुस गई और नहाकर फ्रेश होकर मैं रसोई में चली गई।

क्योंकि पति को ऑफिस जाने के लिए देरी हो रही थी और उधर जेठ के लिए भी चाय-नाश्ता बनाना था।
तभी जेठ जी किसी काम से रसोई में आए.. पर वह जैसे मुझसे गुस्सा हों.. क्योंकि वह कुछ बोल नहीं रहे थे।
मैं बोली- क्या हुआ मेरे जानू.. रात में तो खूब मस्ती से मेरी..

तभी मेरे नजदीक आकर जेठ जी मेरी बात को बीच में काटते हुए बोले- मत कहो मुझे जानू.. रात को मैं इन्तजार करते-करते थक गया और फिर ना जाने कब मुझे नींद आ गई.. पर तुम तो आई ही नहीं?

‘ओ माई गाड.. फिर मुझे रात में किसने चोदा.. और अगर जेठ जी मेरी बात को रोककर यह बात ना कहते.. तो मैं यही बोलने जा रही थी कि रात में मेरी चूत चोदकर फुला दिए हो तो.. अब क्यों मुँह फुलाकर घूम रहे हो.. और अगर मैं ऐसा बोल देती तो क्या होता.. यानि मेरी बुर को नायर ने चोदा.. साला बोला भी नहीं बस मेरी चूत चोदता रहा।’

फिर मैं बात बनाते हुए बोली- भाई साब.. मैं बस डर के मारे नहीं आई.. कमरे में नायर जी भी सो रहे थे.. जाग जाते तो क्या होता? और मैं यह भी तो नहीं जानती थी कि आप कहाँ सोए थे।
मैं यह जानबूझ कर बोली ताकि शक को कन्फर्म कर लूँ..

‘मैं तो वहीं दरवाजे के पास ही चारपाई पर सोया था कि तुम को चोदकर इधर से ही बाहर निकाल देता.. बिस्तर की तरफ जाना ही नहीं पड़ता.. इसलिए मैंने नायर को बिस्तर पर सुला दिया था।’

मैं बात को बनाकर बोली- लो अच्छा ही हुआ जो मैं नहीं आई.. नहीं तो आप की जगह नायर मेरी चूत चोद देता.. मैं तो बिस्तर पर ही जाती और वहाँ तो नायर थे।
अब मैं कैसे कहती कि मेरी चूत की चुदाई आप के गफलत में नायर ने कर दी है।
जेठ- हाँ यह तो मैं सोचा ही नहीं और मैंने बताया भी नहीं कि मैं कहाँ सो रहा हूँ.. तुम ठीक नहीं आई.. नहीं तो नायर चोद देता और मेरी तुम्हारी पोल खुल जाती.. कि मैं तुमको चोदता हूँ।

मैं मन ही मन बड़बड़ाई कि पोल और चुदाई दोनों खुल गई है.. बचा ही क्या है..
‘जी भाई साब.. मैं इसी लिए नहीं आई.. आज आप एक काम कीजिए.. आज आप बाहर सोना और नायर जी को अन्दर सुलाना.. कोई डर भी नहीं रहेगा और हम लोग खुल कर चुदाई का मजा भी ले लेगें..’
‘ओके मेरी जान.. आज मैं बाहर ही सोऊँगा..’ यह कहते हुए जेठ जी बाहर निकल गए।

मैंने नाश्ता टेबल पर लगा दिया, पति पहले से ही बैठे थे.. तभी जेठ और नायर भी आ गए।
मैंने नाश्ता लगाते हुए गौर किया कि नायर कुछ ज्यादा ही खुश था..

सब लोगों ने नाश्ता कर लिया और पति के जाने के बाद नायर जेठ से निगाह बचाकर मेरे करीब आकर बोला- नेहा जी रात के लिए थैंक्स..
और फिर नायर और जेठ दोनों किसी काम से बाहर चले गए।

मैं घर में बैठ कर रात की नायर की चुदाई को याद कर रही थी कि ये साला नायर तो मस्त है.. उसे देख कर तो मेरी बुर चुदने के लिए सरसरा रही थी.. पर मैं नायर का लण्ड इतना जल्दी बुर में घुसवा लूँगी.. यह मैंने सोचा तक नहीं था।
नायर ने मेरी बुर की तो मस्त चुदाई की.. पर यह ठीक नहीं हुआ। वह मेरे और जेठ के सम्बन्ध को जान चुका था कि मैं उससे नहीं जेठ से चुदने गई थी.. गफलत से उससे चुद गई।
अब देखो नायर करता क्या है?!

मैं कोशिश करके उसे यह बताना चाहूंगी कि मैं तुमको देख कर रह नहीं पाई और रात चुदने चली आई.. यानि नायर जी आपके लण्ड से मैं खुद चुदी हूँ.. मेरा जेठजी से कोई सेक्स सम्बन्ध नहीं है।
बस यही सब सोचते हुए मुझे हल्की झपकी लग गई।

घन्टी की आवाज सुन कर उठी और गेट खोला तो जेठ और नायर थे, नायर मुझे देख कर मुस्कुराते हुए अपने होंठ पर जुबान फेर रहा था।
मैं वहाँ से हट गई और लंच तैयार करके जेठ और नायर को खाना खिलाकर फ्री होकर अपने कमरे में बैठ कर मोबाइल पर गेम खेल रही थी.. तभी आहट से मेरा ध्यान दरवाजे की तरफ गया।

नायर अन्दर आ रहा था.. वह सीधे मेरे बिस्तर के पास आकर मुझे एक पैकेट थमाकर बोला- नेहा जी.. यह आपका गिफ्ट है और हाँ आज रात मैं फिर इंतजार करूँगा।
मैंने आपके जेठ से बोल दिया कि बाहर मेरा बेड लगा देना.. मैं अकेला रहूँगा.. आप आएंगी ना.. मैं इंतजार करूँगा..

यह कहकर नायर बाहर चला गया.. मैंने पैकट खोल कर देखा कि दो सैट ब्रा-पैन्टी के थे, बिल्कुल लेटेस्ट डिजाइन के थे और साथ में एक कागज था जिस पर लिखा था- आज रात अपनी चूचियाँ और चूत पर.. इसमें से कोई एक जरूर पहन कर आना.. आई लव यू.. आपकी चूत का दीवाना- नायर।
मैं बस मुस्कुरा दी..

रात सब खा-पीकर जब सोने जाने लगे और मैं लाईट ऑफ कर रही थी.. तभी मेरी बगल से जेठ जाते हुए बोले- मैं कमरे में रहूँगा.. नायर बाहर रहेगा..

वे कहते हुए चले गए.. मैं कैसे कहती कि नायर सब बता चुका है और आपकी बहू की बुर पेल चुका है और आज रात दुबारा अपने लण्ड को आपकी बहू की बुर में डालना चाहता है।
मैं भी कमरे में गई तभी पति का फोन आया- मैं आज नहीं आ पाऊँगा.. तुम मेरा इन्तजार मत करना।
वे बोले और फोन रख दिया।

मैं कुछ देर बाद जेठ के कमरे में जाकर बोल आई- मैं आऊँगी.. पर आप अन्दर-बाहर मत करना.. नहीं तो नायर को शक होगा।
मैं इतना कहकर चली आई और आराम करने लगी।
अब मैं यही सोच रही थी कि पहले किसके पास जाऊँ.. क्या नायर से फिर से चुदना ठीक रहेगा?

यही सोचते हुए मुझे ना जाने कब नींद आ गई। फिर अचानक मेरी नींद खुलने का कारण बना किसी का हाथ… जो मेरे जिस्म पर चल रहा था।
‘कक्क्क्कौन.. हह्ह्ह्ह्है?’
‘मम्म्मैमैं.. ह्ह्ह्हूं.. नायर..’
‘अरे आप.. मेरे जेठ जी ने देख लिया.. तो..?’
‘नहीं मेरी रानी.. वह सो रहे हैं!’ और मेरी नाईटी ऊपर करके मुझे चूमने लगे और मैं भी कुछ देर बाद नायर का साथ देने लगी।
नायर ने मेरी नाईटी को निकाल दिया।

मैंने नायर के द्वारा लाए हुए ब्रा-पैन्टी को पहन लिया था। नायर भी अपने कपड़े उतार कर और अंडरवियर को भी निकाल कर एक गमछा लपेट कर आया था।
वह गमछा भी मेरे साथ मस्ती करते हुए छूट गया और नायर का लण्ड बाहर झूलने लगा। मैं नायर के मोटे-तगड़े लण्ड को पकड़ कर मुठियाते हुए मुँह में भर कर चूसने लगी, काफी देर तक मैं उसका लवड़ा चूसती रही।
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तभी नायर ने लण्ड मुँह से निकाल कर मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी जाँघों के बीच मेरी चूत पर मुँह रख कर मेरी चूत को चूम लिया।
‘आहह्ह्ह…’
नायर ने मेरी दोनों टांगों को कंधे पर रख लिया और वो अपनी जीभ लपलपाते हुए मेरी चूत में मुँह मारने लगा, अगले ही पल मेरी चूत की फांकों को कस कर चूसने लगा।

मैं नायर की चूत चटाई से गर्म होकर सिसकारियों को निकालते हुए चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह.. मेरे राजा.. यसस्स स्स्सस्स.. चूसो मेरी चूत को अहह.. साले नायर.. भेनचोद.. चाट मेरी चूत को.. पूरा चाट.. इसको.. लवड़े.. आहह सीसीसीइइ.. उंउंउंउआह्ह्ह्ह..

और नायर मेरी चूत की फांकों को अलग करके मेरी बुर में जीभ डाल कर मेरी चूत की प्यास को बढ़ाते हुए काफी देर तक मेरी बुर की चुसाई करता रहा।
फिर अपने लण्ड के सुपारे को मेरी बुर पर लगा कर और पैरों को अपने कंधों पर रख कर.. शॉट लगाते हुए मेरी बुर में अपना पूरा लण्ड जड़ तक डाल कर मेरी बुर चोदने लगा।

मैं भी नायर के हर शॉट पर बस कराह रही थी ‘आह.. उई.. आह.. ऊंऊंह… ऊंऊएस्स्स्स्स.. आह..’
मैं सीत्कार करती रही और नायर मेरी चूत की धज्जियां उड़ाता रहा.. हर शॉट पर मेरी छातियां भींच लेता।

नायर का लण्ड मेरी चूत में फूल गया था और नायर हर बार स्पीड बढ़ाकर दुगनी ताकत से लण्ड को मेरी बुर में पेल रहा था। मेरी हरामिन बुर भी लौड़े के शॉट खाकर पानी-पानी हो रही थी, इसी पानी में मेरी कामवासना का पानी भी करीब आता रहा।
अब तो मैं भी ‘आहें’ भरने लगी ‘आहह्ह्ह.. मजाआाआअ.. आह..सीईई.. और पेलो.. साले सांड.. लो मारो मेरी चूत..’

तभी नायर ने चुदाई का आसन बदल लिया। नायर ने बिस्तर के नीचे उतर कर मुझे बिस्तर के किनारे खींच लिया और पलट दिया। अब वो मेरी बुर में पीछे से लण्ड घुसाकर बुर चोदने लगा।
मेरी बुर एक आखिरी शॉट पर ही ‘फलफला’ उठी और मैं चादर भींच कर नायर के शॉट पर चूत दबाते हुए उसके लण्ड पर झड़ने लगी ‘आहसीईई.. आहह्ह्ह्.. मैं गई..’

पर नायर भी मेरी झड़ी हुई चूत की चुदाई काफी देर तक करता रहा।
फिर एक दौर ऐसा आया.. जब नायर मेरी पीठ से सट कर मेरी चूत में झड़ने लगा ‘ले नेहा.. साली छिनार.. आहह्ह्ह्.. मैंने भी तेरी चूत में अपना बीज डाल दिया.. आह्ह..’ वो यह कहकर हाँफने लगा।

मित्रो, मेरी कहानी आती रहेगी। आप सभी का प्यार जरूर चाहिए.. दोगे न?
आपकी चुदक्कड़ नेहारानी
कहानी जारी है।
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