लिफ्ट देकर चूत मिली

(Lift Dekar Chut Mili)

स्वप्निल 2015-08-02 Comments

दोस्तो.. मेरा नाम नील है और मैं पुणे का रहने वाला हूँ। मैं आपको अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बताने जा रहा हूँ।

बात लगभग 4 साल पुरानी है.. जब मैं एक गर्ल्स हॉस्टल के एरिया में रहता था। वहाँ पर बहुत सी लड़कियाँ थीं। मैं हमेशा से अपने लौड़े के लिए एक चूत को ढूँढ रहा था.. पर मैं दिखने में इतना खास नहीं था.. तो कोई लड़की मुझे घास नहीं डालती थी।

एक दिन मैं अपने जॉब से रात को बहुत देर से आ रहा था.. उस वक्त रात के करीब साढ़े बारह बजे होंगे। एक लड़की ने मुझे लिफ्ट के लिए इशारा किया। वैसे मैं रात को किसी को भी लिफ्ट नहीं देता था.. पर एक सुनसान रास्ते पर एक लड़की को खड़े देख कर उसे लिफ्ट देने का विचार आया और मैं मुड़ कर वापस उसके पास आ गया।

मैंने पूछा- कहाँ जाना है?
उसने उसकी जाने वाली जगह का नाम बताया.. तो मैंने कहा- ये तो मेरे घर के बाजू में ही है।
उसने सलवार सूट पहना था.. तो वो दोनों तरफ पैर डाल कर बैठ गई।

रास्ते में हम इधर-उधर की बातें करने लगे.. तो पता चला कि वो एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है और दो साल से तलाक़शुदा है।
थोड़ी ही देर में हम उसके घर के पास आ गए।
उतरने के बाद उसने मुझे ‘थैंक्स’ कहा और चाय के लिए ऑफर किया।
कोई चूतिया ही होगा.. जो ये ऑफर ठुकराए।

जब हम अन्दर आए तो उसने पूछा- तेरे पास टाइम है ना?
मैंने कहा- हाँ.. कल छुट्टी है.. तो कोई जल्दी नहीं हैं।
वो अकेली रहती थी.. वो अन्दर गई और मेरे लिए चाय लेकर आ गई।
चाय पीते-पीते हम एक-दूसरे के जीवन के बारे में बहुत कुछ जान गए थे और मैं उसकी तरफ आकर्षित हुए जा रहा था।

मेरी नजरें उसको ऊपर से नीचे तक तराश रही थी, मेरा ये सुलूक उसने देख और समझ लिया था।
वो मेरी तरफ कटीली नजर से मुस्कुराती हुई बोली- नील, मैं ज़रा चेंज करके आती हूँ।
वो अन्दर चली गई और मैं उसकी नशीली अदा से उसको चोदने की सोच में डूबा रह गया।

जब वो वापस बाहर आई.. तो कयामत ढाने लगी.. उसने पिंक रंग का नाइट सूट पहना था.. जो बहुत ही छोटा सा था।
उसे इस रूप में देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए।
मेरा वो हाल देखकर बोली- क्या हुआ नील?
‘कुछ नहीं तुम्हें देखकर थोड़ा बहक सा गया।’

मेरा सीधा जवाब देने से वो सिर्फ़ मुस्कुराई और बोली- कुछ करने का इरादा मत बनाओ.. कुछ नहीं कर पाओगे..
मैंने कहा- इरादा तो नहीं.. अगर इजाज़त मिल जाए तो कुछ भी हो सकता हैं।
‘सही में.. तुम कुछ भी कर सकते हो?’
मैंने कहा- हाँ..

वो फिर से मुस्कुराई और एकटक मुझे देखने लगी। मेरी आँखों में पहले से ही वासना भरी पड़ी थी और उसको देखकर और भी बढ़ गई थी.. पर वो मुझसे इज़हार नहीं कर पाई और अपने आप को रोकते हुए बोली- मैं वॉशरूम होकर आती हूँ..
मैं जानता था कि यह पिछले दो साल से भूखी हैं।

उसके बाथरूम में घुसने के बाद मैं भी बगल वाले टॉयलेट में घुस गया और उसको लैट्रिन से देखने लग गया। उसने एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी की पूरी नंगी हो गई।
उसके चूचे उतने बड़े नहीं थे.. पर मस्त और प्यारे-प्यारे थे। उसकी चूत भी दिखी जो एकदम साफ़ थी और एक बाल भी नहीं था।

वो मूतने लगी और मैंने अपना लौड़ा हिलाना शुरू कर दिया। उसके मूतने तक मैं झड़ चुका था.. तो मैंने अपने कपड़े पहन लिए और बाहर निकल गया, मैं बाहर जाकर टीवी देखने लग गया और थोड़े देर के बाद वो भी गाउन पहन कर आ गई।

उसका यह गाउन बहुत पतला था.. तो हल्का-फुल्का अन्दर का नजारा दिख रहा था।
उसने नीचे कुछ नहीं पहना था.. उतना मुझे भी पता चल गया था।
वो आकर मेरे सामने बैठ गई और मैं उसे देख रहा था और देखते-देखते मेरा फिर से खड़ा हो गया।
जब मेरा लंड खड़ा हुआ.. तो वो उसे भी पता चल गया था।

वो उठी और मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- नील.. तुम्हें पता है.. जब तुम मुझे देख रहे थे.. तब मैं भी तिरछी नजरों से तुम्हें देख रही थी।

इतना सुनते ही एक पल के लिए मेरी फट गई कि साला ये क्या हो गया, पर उसके बाद जो हुआ.. तब मेरी गाण्ड में जान आ गई। उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर अपने मम्मों पर रख दिया।
मुझे तो पहले कुछ समझ ही नहीं आया.. पर फिर मैं उसके चूचों को भरपूर दबाने लग गया और वो सोफे पर सर रख कर बैठ गई।
नम्रता भी अब मुझे अपने अंगों को मसलवाती हुई रोमाँटिक पलों के मज़े लेना चाहती थी।

तभी उसने अपने होंठ आगे बढ़ा दिए और मैं उसके होंठों को चूसते उसके नाइट गाउन से चूचों को बाहर निकाल कर चूसने लगा।
उसके चूचों को दबाने पर वो भी मुझे मस्त वाला सहयोग दिखाती हुई मेरी पैन्ट पर हाथ रख कर मेरे लंड को सहला रही थी।

अब मैंने उसके आमों के ऊपर के कपड़ों को भी उतार दिया और देखा कि उसने गाउन के अन्दर पैंटी भी नहीं पहनी थी।
मैंने फिर उसके एक निप्पल को मुँह में भर लिया और दूसरे को हाथ से दबाते रहा, उसके निप्पल धीरे-धीरे एकदम कड़क हो गए।
मैं अपने मुँह से उसके निप्पल के साथ खेलता रहा और अपने दूसरे हाथ को उसकी जांघों पर फेरता रहा।

मैंने उसके चूचों को छोड़ दिया और फिर उसके जांघों को मसलने लग गया। जांघों को मसलते-मसलते मैं फिर से चूत के पास आ गया और अब वो जोर-जोर से कराहने लग गई।
मैंने अब अपना ध्यान उसकी चूत पर किया और उसकी चूत में उंगली करने लगा, मैं उसकी चूत की फांकों में अपनी उँगलियों को उसकी चूत के अन्दर पेलते हुए आगे-पीछे करने लगा और वो भी मेरे लंड को निकाल कर अपने हाथ में मसल रही थी।

उसकी चूत बहुत ही कसी हुई थी.. क्यों कि वो दो साल से नहीं चुदी थी.. इसीलिए उसकी चूत एकदम कसी हुई थी। मैं उसकी चूत के ऊपरी हिस्से को अपनी उंगली से गोल-गोल करके मसलने लगा.. और वो कराहने लगी- और जोर से.. आह्ह..
अब वो खुद ही अपने चूचों को मसलने लग गई।

वो अब और अपने आप को नहीं रोक पा रही थी और अंत मैं उसने अपना मुँह खोल ही दिया और बोली- नहीं..ईई.. मुझे कुछ हो रहा है.. नील ये तू क्या कर रहा है… उम..म्म.. अह्ह्ह्ह्ह्ह..
वो ऐसे ही बोले जा रही थी और मैं उसकी चूत के ऊपर दाने को गोल-गोल करके उंगली से छेड़ता जा रहा था।

मैंने फिर अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और अपने होंठों से उसकी चूत की पंखुड़ियों को खींचने लग गया। उसकी चूत के दाने को अपने होंठों से काटने लग गया।
वो बेहद चुदासी हो कर मचलने लगी।

उसके बाद मैं खड़ा हो गया.. उसे किनारे पर लेटा दिया और उसकी कमर पकड़ कर अपने लंड की तरफ खींचा। फिर लंड उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लग गया।
वो अब फिर से कराहने लग गई.. और मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी.. पर मैंने उसे कसके पकड़ रखा था।

मैंने झुक कर उसके चूचों को पकड़ लिया और जोर-जोर से उसकी चूत पर लंड रगड़ता रहा.. लौड़ा रगड़ते-रगड़ते मैंने अचानक से उसकी चूत में लंड डाल दिया और वो एकदम से चिल्ला पड़ी- आआआ.. ईईई.. ओह्ह.. ओह्ह.. फट गई.. ओह्ह.. ओह्ह..
वो रोने लग गई.. बहुत दिनों से उस ज़मीन पर बरसात नहीं हुई थी न..

मैंने मेरा लंड एक ही झटके में आधा अन्दर डाल दिया था। मेरा लंड क़रीब तीन इंच तक अन्दर चला गया था.. फिर धीरे-धीरे मेरा पूरा छः इंच का लण्ड उसकी चूत में चला गया।
कुछ पलों की तड़फन के बाद वो शांत सी लगी तो मैंने फिर पूरी ताक़त से धक्का लगाया… तो वह दर्द से कहने लगी- प्लीज़.. मत करो.. दर्द हो रहा है।
पर मैं रुका नहीं और लगातार धक्के मारता गया.. साथ ही चूचियों को भी दबाता जा रहा था।

अ वो मस्ती से चुदने लगी.. लेकिन तभी वह चिल्ला उठी- आआआाहहहह… मैं गई… और तेज़ करो…
मैं भी अब ख़ुद पर नियंत्रण पा चुका था और लगातार चोदे जा रहा था।
थोड़ी देर के बाद वह कहने लगी- अब मुझे छोड़ दो.. नीचे जलन हो रही है.. मैं दो बार झड़ चुकी हूँ।
मैंने कहा- पर अभी मेरा तो रुका हुआ है।

फिर मैंने उसे लगातार दस मिनट और चोदा और उसके अन्दर ही झड़ गया।
अगले दस मिनट मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा।

जब हम दोनों शांत हो गए तो मैं उठा तो बोली- क्या हुआ.. कहाँ जा रहे हो?
‘कुछ नहीं हुआ.. मजा आ गया..’
मैंने हँस कर जवाब दिया.. उसके चेहरे पर बहुत सारी खुशी झलक रही थी।
‘तुमने आज मुझे बहुत दिनों के बाद ढेर सारा प्यार दिया हें.. थैंक्स आ लॉट..’
मैंने कुछ नहीं बोला उसके पास जाकर उसके होंठों पर होंठ रख दिए और उसको बाँहों में लेकर वहीं पर सो गया।

हम एक साल तक साथ में रहे थे.. बाद में उसके पिताजी ने उसकी शादी कहीं करवा दी और वो मुझे छोड़ कर चली गई। मैंने बहुत सारी औरतों को बहुत प्यार दिया है.. और आगे भी देना चाहूँगा।
मेरी कहानी के बारे में बताने के लिए मुझे ईमेल करें।
[email protected]

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