कुछ इस तरह दिलाई मेरे मोबाइल ने चूत-2

(Kuchh Is Tarah Dilayi Mere Mobile Ne Chut- Part 2)

अरुण22719 2016-08-10 Comments

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अब तक आपने जाना कि मैं बेसब्री से सुबह का इंतज़ार कर रहा था। मुझे लग रहा था कि अब मेरा कुछ हो जाएगा.. साथ में डर भी था कि कहीं वो कुछ उल्टा-सीधा न कर बैठे।
यह सब सोचते हुए मैं कब सो गया.. मुझे पता ही नहीं चला।

सुबह मैं उठा और फ्रेश होकर अच्छे से तैयार होकर उसके घर की तरफ बढ़ गया।
मुझे डर भी लग रहा था.. लेकिन उत्तेजना भी ज़्यादा थी।

उसके बताए पते पर पहुँच कर मैंने उसे कॉल किया, करीब 2 मिनट बाद वो आई।
ये 2 मिनट मेरी लाइफ से सबसे लंबे 2 मिनट थे।

जैसे ही उसने दरवाजा खोला.. मैं बस उसे ही देखता रह गया.. उसने लाल साड़ी पहन रखी थी।

एक बार मैंने उससे कहा था कि मुझे साड़ी में लड़कियाँ ज़्यादा पसंद आती हैं। इसीलिए उसने पहनी थी। ये सब बाद में उसने मुझे बताया भी था।

तो वो लाल साड़ी और उसके साथ में उसके कोमल लबों को गहरे लाल रंग की लिपस्टिक और भी सेक्सी बना रहे थे।
आज उसने एक नोजपिन भी पहना हुआ था और उसकी साड़ी में से झाँकती उसकी कमर से मुझे लग रहा था कि आज मैं मर ही जाऊँगा।

मैं उसे ऐसे ही देखे जा रहा था.. तभी उसने मेरा कंधा पकड़ा और मुझे होश में लाई।
उसने पूछा- क्या देख रहे हो?
मैंने भी बोल दिया- कुदरत का बनाया हुआ नायाब हुस्न..

उसने एक स्माइल दी और हम दोनों अन्दर आ गए।
घर पर सिर्फ़ हम दोनों ही थे और कोई नहीं था।

मैं सोफे पर बैठ गया और वो मेरे लिए पानी लाई।
अब हम लोग साथ में बैठ गए।
करीब 5 मिनट तक कोई नहीं बोला एकदम सन्नाटा छाया रहा था।

फिर मैंने हिम्मत करके उसे रात के लिए सॉरी कहा।
उसने कहा- इट्स ओके..

लेकिन मुझसे पूछा- आख़िर मुझमें ऐसा क्या है.. जो तुम एक शादीशुदा औरत से प्यार कर बैठे?
मैंने कहा- तुम्हारी मासूमियत और ये प्यारी सी स्माइल।

यह सुनते ही उसने मुझे गले से लगा लिया।
सच में दोस्तो दुनिया में प्यार से किए हुए आलिंगन से बढ़कर कुछ नहीं होता है।

वो बात अलग है कि मेरे मन में वासना भी थी.. लेकिन कहीं किसी कोने में प्यार भी आ गया था।

हम करीब 15 मिनट ऐसे ही एक-दूसरे से आलिंगनबद्ध होकर बैठे रहे। फिर जब हम अलग हुए तो मैंने देखा उसकी आँखों में आँसू थे।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं.. आज तक लगता था कि प्यार कुछ नहीं होता.. लेकिन तुमने प्यार का एहसास करा दिया।

मैंने भी उसके आँसू पोंछे और उसकी आँखों पर किस किया और कहा- अब ये आँखें सिर्फ़ मुझे देखने के लिए हैं.. इनमें ये आँसू नहीं रहना चाहिए।

ऐसे ही मैं उसे उसके चेहरे पर चुम्बन करता रहा।
अचानक से उसने मुझे फिर से ज़ोर से हग कर लिया और हम एक-दूसरे की बांहों में समा गए।

फिर उसने मुझसे कहा- आज तुम मुझे पूरा अपना बना लो।
मुझे तो यही चाहिए था.. मैंने उसे अपनी बांहों में लिया और उसके बेडरूम की तरफ जाने लगा।
उसे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया।

वो मुझे ही देखे जा रही थी।

मैं भी उसके पास लेट गया और हम फिर से एक-दूसरे से चिपक गए, उसका हाथ मेरी पीठ पर घूम रहा था, उसकी साँसें भारी हो गई थीं।

फिर मैंने उसके माथे पर चुम्बन किया.. उसकी आँखों पर चूमा.. गाल फिर.. धीरे से अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और मैं उन गुलाब की पंखुड़ियों का रस पीने लगा।

वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। कभी वो मेरी जीभ चूसती.. कभी मैं उसकी जुबान का रस पीता।

हमने बहुत देर तक चूमा-चाटी की, हम दोनों सिर्फ़ साँस लेने के लिए अलग होते थे.. फिर शुरू हो जाते।

फिर मैंने उसके कानों से पास किस करना शुरू किया.. मैं जैसे-जैसे वहाँ जुबान फेर रहा था.. वो और मदहोश होती जा रही थी। मैं उसकी गर्दन पर चाटने लगा, वो जल-बिन मछली की तरह मचल रही थी और ऐसे ही मैं उसके बदन को साड़ी के ऊपर से चूमता रहा।
तब मैंने उसकी साड़ी निकाल दी, अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी, क्या गजब लग रही थी।
उसकी नाभि देखकर लग रहा था कि खा जाऊँ उसे!

मैंने उसका पेट चूसना शुरू किया, मेरे स्पर्श मात्र से ही वो आहें भरने लगी थी।
क्या कमाल का अनुभव था।
जैसे ही मैंने उसकी नाभि को स्पर्श किया.. मुझे ऐसा लगा जैसे उसको कोई करेंट सा लगा हो।

मैं आइसक्रीम की तरह उसकी नाभि को चाटने लगा.. उसकी ‘आहें बढ़ती जा रही थीं, वो अपने जिस्म को पूरी तरह उछाल रही थी। बहुत देर तक उसकी नाभि चूमने के बाद अब बारी उसके रसीले आमों को चूसने की थी।

मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उसके आमों को दबाना शुरू किया। वो आँखें बंद करके लेटी थी.. ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बरसों की मुराद पूरी होने जा रही हो।

मैं उसके आम मसल रहा था और साथ में उसके क्लीवेज को चाट रहा था।
मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने उसका ब्लाउज भी उतार दिया।

क्या मस्त मम्मे थे.. काली ब्रा में क़ैद चूचे बाहर आने को तैयार थे।
मुझे पोर्न स्टार मीया खलीफा की याद आ गई।

मैंने ब्रा भी उतार दी… उसके दूध आज़ाद हो गए… एकदम तोप से तने हुए चूचे.. आह्ह.. उसके निपल्स बहुत टाइट हो गए थे, मैं उन्हें चूसने लगा।
मेरा मन तो उन्हें पूरा खा जाने को चाह रहा था.. लेकिन वो मेरे मुँह में आ ही नहीं रहे थे। कभी मैं एक चूसता.. दूसरा मसलता.. कभी दोनों को भंभोड़ने लगता।

इस तरह बहुत देर तक उसके आमों का रस पीने के बाद मैं धीरे-धीरे नीचे की तरफ आ गया, अब मैंने उसके कोमल पेट को चुम्बन करना शुरू किया।
क्या अहसास था.. मानो जन्नत यही है।

फिर मैं उसकी सेक्सी नाभि की तरफ को फिर चला गया और उसकी नाभि में अपनी जीभ फिराने लगा और उसे चाटने लगा।

उसकी ‘आहह..’ और तेज हो गईं, वो मेरा सिर अपनी नाभि में घुसाने लगी।

बहुत देर तक मैं ऐसा करता रहा।

अब बारी असली खजाना देखने की थी, मैंने उसका पेटीकोट उतार दिया।
क्या चिकनी टांगें थीं.. मैं तो देखते ही उसे चाटने लगा.. मज़ा आ गया।

उसकी पैन्टी पूरी गीली थी.. जैसे सदियों से पानी रोक रखा था.. आज बह गया।
मैंने उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ लगाया, मेरा हाथ लगाते ही उसने ज़ोर का झटका दिया जैसे तेज करेंट लगा हो।

मेरा सपना अब पूरा होने वाला था.. मैं पहली बार कोई चूत देखने वाला था।
मैं धीरे-धीरे उसकी पैन्टी उतारने लगा, जैसे-जैसे वो नीचे आ रही थी.. मेरी दिल की धड़कन तेज़ होती जा रही थीं।

फिर वो पल आया जिसका इंतज़ार हर लड़के को होता है। क्या चिकनी चूत थी एकदम गोरी.. पूरी क्लीन शेव.. जैसे मेरे लिए ही हो।
अपने ही कामरस में भीगी हुई.. मुझे बुला रही थी कि आ जाओ.. आज मुझे खा जाओ।

मैं पहले उसे महसूस करने लगा, जैसे ही मैंने हाथ लगाया.. उसने एक ‘आअहह..’ भरी।
धीरे से मैंने उसकी चूत के होंठों को खोला.. और जन्नत के दरवाजे को देखने लगा.. क्या गुलाबी होंठ थे वो..

मैं तो पागल हो गया और मेरा लंड को जैसे बेकाबू हो उठा था, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने झट से अपना मुँह लगा दिया और उसकी चूत चाटने लगा, उसका सारा रस पीने लगा.. उसकी ‘आहें..’ पूरे कमरे में गूँज रही थीं।

पता नहीं.. मैं कितनी देर तक उसकी चूत को चाटता रहा और वो कितनी बार पानी छोड़ चुकी थी.. लेकिन ऐसा मज़ा कहीं नहीं है।

फिर मैंने उसे मेरा लंड चूसने को बोला लेकिन उसने मना कर दिया, मैंने भी फोर्स नहीं किया।
मैंने सोचा अब तो मौका हाथ में आ ही गया है.. बस माल को गर्म देखा और मैं उसके ऊपर चढ़ गया।

मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत पर टिकाया और पेल दिया। उसकी एक हल्की सी आह निकली और एकाध धक्के के बाद ही उसने मेरे लौड़े को आत्मसात कर लिया।

फिर मैंने उसकी खूब चुदाई की।
वो दिन मेरी जिन्दगी का सबसे प्यारा दिन था।

चुदाई की डिटेल नहीं लिख रहा हूँ। क्योंकि आप सब दोस्तो को पता ही है उसमें क्या हुआ होगा।

इस तरह मैंने अपना ख्वाब पूरा कर लिया।

मैंने अगली कहानी में हमारी अगली मुलाक़ात के बारे में बताऊँगा.. तब तक लंड वालों अपना लंड हिलाते रहें.. चूत वालियों अपनी चूत चुदवाते रहो।

आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा.. मुझे मेल करें।

यह मेरी लाइफ का पहला अनुभव है तो शायद उत्तेजनावश मैं कोई ग़लती कर गया होऊँ.. तो प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना।
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