कुछ इस तरह दिलाई मेरे मोबाइल ने चूत-1

(Kuchh Is Tarah Dilayi Mere Mobile Ne Chut- Part 1)

अरुण22719 2016-08-09 Comments

This story is part of a series:

दोस्तो.. मुझे तो आप सब पहले से ही जानते हो, मेरा नाम अरुण है.. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और अन्तर्वासना का पुराना पाठक और लेखक हूँ।

इस साइट पर मेरी कई कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं.. जिससे मुझे कुछ मेल भी मिले हैं और कुछ दोस्तो ने यह भी कहा है कि मैं उनकी कहानी भी पोस्ट करूं। उन्हीं कहानियों में से एक कहानी मैंने आज पोस्ट की है।

अब आगे की कहानी मेरे अन्तर्वासना पर बने दोस्त राहुल के शब्दों में आपके सामने है, आप सभी पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।

मैं सेक्स स्टोरी और पोर्न बहुत दिनों से देखता और पढ़ता आ रहा हूँ और अपने हाथ से खुद को शांत कर लेता था।
कई बार लड़कियों के दूध दबाने के मौके मिले.. चूमा-चाटी भी की है.. पर कभी चुदाई का मौका नहीं मिल सका।

यह कहानी है दो अप्रैल की है, उस दिन मेरा ऑफ था और मैं हमेशा की तरह अलग-अलग चैट साइट्स पर चैट कर रहा था कि शायद कोई लोकल लौंडिया.. भाभी या आंटी मिल जाए.. लेकिन मुझे लगता है कि इस मामले में मेरी किस्मत खराब है।

ऐसे ही एक साइट से एक नया पॉपअप आया.. तो मैंने जैसे ही ट्राई करने के लिए ओपन किया, मेरा मोबाइल क्रॅश हो गया।

मैंने उस साइट को 2-4 गाली बकीं और फिर तैयार होकर मोबाइल ठीक करवाने ‘बोनी ब्लाज़ा’ की ओर चला गया।
मुंबई वाले लोग जानते ही होंगे.. वहाँ की भीड़-भाड़ कैसी होती है।

खैर.. मैं जब मोबाइल लेकर वहाँ पहुँचा तो एक शॉप पर अपना मोबाइल दिया। उसने कहा- अभी बहुत काम है.. इसे रख जाओ.. और 3 घंटे बाद आना।

मेरे पास कोई विकल्प नहीं था.. तो मैंने उसे वहीं रख दिया लेकिन अब मुझे 3 घंटे टाइम पास करना था.. क्योंकि वापस रूम’ पर आना और जाना बहुत लंबा पड़ने वाला था।
तो मैं वहीं पास ही में अंधेरी स्टेशन की तरफ चला गया।

वहाँ पर मैकडोनाल्ड्स देखा तो सोचा कुछ खा लेता हूँ… साथ ही कुछ ‘नैन-चोदन’ भी कर लूँगा।

मैं वहाँ गया.. उस दिन शायद थोड़ी ज़्यादा भीड़ थी।

मैं सोच रहा था.. उसके आसपास की टेबल मिल जाए.. लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

मैंने ऑर्डर किया और अपना ऑर्डर लेकर उसकी तरफ बढ़ने लगा। मैंने देखा कहीं कोई सीट खाली नहीं है.. तो सोचा यही मौका है।
मैंने उससे कहा- एक्सक्यूज मी.. मैं यहाँ बैठ सकता हूँ?
उसने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.. बस कहा- ओके।

मुझे लगा वो रयूड है.. शायद मेरे हाथ नहीं आएगी.. फिर से केएलपीडी होगी।
खैर.. अब मैं उसके सामने था।

वो बहुत सुंदर तो नहीं थी.. लेकिन उसमें एक आकर्षण था.. कुछ तो ऐसा था.. जिसे देखकर दिल कह रहा था कि इसे अपनी बाँहों में भर लूँ।

उसका रंग सांवला था.. लेकिन चेहरा बहुत क्यूट था। लंबे रेशमी बाल.. झील सी गहरी आँखें.. लंबी सुराहीदार गर्दन.. मैं बस उसे ही देखे जा रहा था।

उसने भी यह नोटिस किया और मुझे एक बार गुस्से से देखा.. तो मैंने एक पल के लिए आँखें हटा लीं।

मुझे फिर से यहा कहानियों वाली बातें याद आ गईं कि थोड़ी हिम्मत करना ज़रूरी है.. वरना हाथ ही हिलाता रहूँगा।

मैं फिर से खाने लगा लेकिन मेरा ध्यान खाने पर कम.. उस पर ज़्यादा था।
थोड़ा डर भी था कि अगर इसने कुछ बोल दिया या थप्पड़ मार दिया तो पब्लिक में पिटाई हो जाएगी।

पर ऐसा कुछ हुआ नहीं.. फिर मैंने उससे टाइम पूछा.. तो उसने कहा- घड़ी नहीं है क्या?
तो मैंने भी हाथ दिखा कर बताया कि नहीं है।
वो बोली- मोबाइल तो होगा?
लेकिन मैंने बता दिया वो रिपेयर को दिया है.. उसी के सुधरने का वेट कर रहा हूँ।

उसने मुँह बनाया और टाइम बताया।

अब वो उठने लगी.. मुझे लगा कि गया मौका.. और वो निकल भी गई।

क्या गाण्ड थी उसकी.. लग रहा था कि अभी दबोच लूँ.. लेकिन क्या करूँ कंट्रोल करना पड़ा।

फिर मैंने सोचा एक बार और ट्राई किया जाए।
तो मैं उसके पीछे-पीछे जाने लगा, शायद उसने ये नोटिस कर लिया था.. इसलिए वो जानबूझ कर एक शॉप से दूसरी शॉप जा रही थी।

उसने एक बार मुझे घूर कर भी देखा.. लेकिन मैंने फिर से एक स्माइल पास कर दी और उसे ही देखता रहा।

थोड़े टाइम ऐसा ही चलता रहा.. फिर अचानक वो मेरी तरफ मुड़ी और मेरे पास आने लगी।
मेरी बुरी तरह फट गई… मैं भागना चाहता था.. लेकिन मेरे कदम मेरा साथ नहीं दे रहे थे और अगले ही पल वो मेरे सामने खड़ी थी।

उसने मुझसे धीरे से लेकिन गुस्से में बोला- मेरा पीछा क्यों कर रहे हो? मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ.. अभी शोर मचा दूँगी और तेरी पब्लिक्ली इन्सल्ट हो जाएगी।
मैंने डरते-डरते कहा- मुझे तुम अच्छी लगी.. और मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ।

दो मिनट के लिए वो चौंक गई.. उसे मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। शायद साथ में मैंने ये भी बोल दिया कि अगर मैं तुम्हें पसंद नहीं होता तो तुम अब तक मुझे भगा चुकी होतीं।

इससे वो थोड़ी नर्म पड़ी और कहने लगी- आख़िर तुम चाहते क्या हो?
मैंने कहा- तुमसे सिर्फ़ दोस्ती और कुछ नहीं।
वो बोली- मैं अजनबी से दोस्ती नहीं करती हूँ।

तो मैंने कहा- ठीक है.. एक कॉफी हो जाए.. अगर लगे कि मैं दोस्ती के लायक हूँ.. तो मुझसे दोस्ती कर लेना.. वरना चली जाना!
पहले तो वो थोड़ा हिचकिचाई.. लेकिन फिर बाद मैंने बोल दिया- ट्राई करने में क्या हर्ज है?

वो राजी हो गई।

फिर हम पास के ही एक रेस्तराँ में गए, वहाँ हम लोग बात करने लगे और वहाँ मैंने उसका नाम जाना रुखसार!
मैं भी उससे बात करता रहा और पता चला कि वो शादीशुदा है और उसका पति दुबई में काम करता है और पिछले दो साल से आया नहीं है।

मुझे लगा यहा चान्स है.. तो मैंने जान करके उसके पति का टॉपिक ले लिया.. जिससे वो थोड़ी इमोशनल हो गई।
मैंने भी मौका देखकर उसका हाथ पकड़ लिया.. और हम ऐसे ही बैठे रहे।

फिर हमने थोड़ी-बहुत बात की.. मैंने उससे पूछा- क्या मैं दोस्ती करने लायक हूँ?
तो वो बोली- बाद में बताऊँगी।
तो मैं बोला- मुझे ढूँढोगी कैसे?
वो बोली- यह तो तुम ही जानो।

तो मैंने जल्दी से टिश्यू पेपर पर अपना नंबर लिख कर दे दिया और बोला- अगर ‘हाँ’ समझो.. तो कॉल करना।

और यह कहकर मैं निकल गया।
मैंने अपना मोबाइल लिया और अब मैं वेट कर रहा था कि मुझे कॉल आए लेकिन फिर मुझे लगा हमेशा की तरह मेरी किस्मत मुझे धोखा देगी।

लेकिन एक दिन अचानक रात में मुझे एक अनजान नंबर से मैसेज आया।
वो- हाय कैसे हो?
मैं- हाय.. सॉरी मैं आपको पहचान नहीं पाया?
वो- मैं.. रुखसार..

मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई हो.. मैंने तुरंत उसे कॉल किया, उसने भी उधर से जबाव दिया।
क्या मीठी आवाज़ थी.. फिर हम बात करने लगे।

मैं- कैसी हो तुम?
‘मैं अच्छी हूँ..’
मैं- वैसे मैंने उम्मीद छोड़ दी थी कि तुम कॉल करोगी।
‘मैं भी नहीं करने वाली थी.. लेकिन सोचा दोस्ती करने में क्या बुराई है।’
मैं- फाइनली हम दोस्त हो ही गए।

और फिर हम ऐसे ही बतियाते रहे.. एक रात मैंने उससे पूछा- कोई सिनेमा देखने चलें?
पहले तो उसने मना कर दिया लेकिन मेरे जोर देने पर वो मान गई।

हम दोनों ने अगली सुबह का तय किया, मैंने ‘लव गेम’ के टिकट ले लिए।
हॉल भी लगभग खाली था, मैंने किनारे की सीटें लीं।

फिर मैं उसका इन्तजार करने लगा। जब वो आई.. तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं.. क्या लग रही थी।
चुस्त टॉप और लॉन्ग स्कर्ट में वो कयामत ढा रही थी, ऐसा लग रहा था.. इसको यहीं सीने से चिपका लूँ।

वो मेरे पास आई और उसने मुझे 2-3 आवाज़ दीं.. तब मेरा ध्यान टूटा।
वो बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं.. बस सोच रहा था कि तुमने इतनी जल्दी शादी क्यों की।

वो हँसने लगी, बोली- फ्लर्ट कर रहे हो।
तो मैं बोला- अब इतनी सुंदर लड़की साथ में होगी.. तो फ्लर्ट तो बनता है।

उसने कुछ नहीं कहा बस हँस दी।
फिर मैंने कहा- चलो शो का टाइम हो गया है।

अब हम अन्दर गए.. तब उसको पता चला कि ये ‘लव गेम’ है.. उसने एक नॉटी सी स्माइल दी और कहा- अच्छा इस फिल्म की टिकट ली हैं.. देखना कहीं बदमाश ना हो जाना।
मैंने कहा- मैं खुद पर तो कंट्रोल कर लूँगा लेकिन तुम कंट्रोल मत छोड़ देना।

हम ऐसे ही एक-दूसरे को छेड़ते हुए साथ में बैठ गए। सिनेमा में बहुत से हॉट सीन थे.. जब भी कोई सीन आता.. मैं उसको देखता और वो मुझे।

मैंने सोचा यही मौका है.. मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।
पहले वो थोड़ा झिझकी.. फिर उसने भी खुद को ढीला छोड़ दिया।
मुझे लगा मौका है.. मैंने अपना एक हाथ उसके कंधे पर डाल दिया।

वो मेरे और करीब आ गई, अब मैं उसकी साँसों को महसूस कर पा रहा था, वो बहुत तेज और लम्बी साँसें ले रही थी।
मैं उसे देख रहा था… वो मुझे देख रही थी।

इसी देखा-देखी में कब हमारे होंठ मिल गए.. पता ही नहीं चला।
हम दोनों ने देर तक किस किया.. लेकिन वो क्या किस था.. ऐसा लग रहा था.. बस करता ही रहूँ।

अचानक से वो मुझसे दूर हो गई और उठ कर जाने लगी।
मुझे समझ नहीं आया… मैंने उसे रोकने की कोशिश की.. लेकिन वो नहीं रुकी।

मैंने उसे कई कॉल किए.. लेकिन उसका कोई उत्तर नहीं मिला।

आखिर में मैंने उससे मैसेज किया कि मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था.. लेकिन पता नहीं क्यों.. मैं खुद को रोक नहीं पाया.. जब से तुम मिली हो.. मुझे हर वक़्त तुमसे मिलने की चाहत होने लगी है.. तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ।

और अंत में मैंने लिखा- आई लव यू रुखसार।
यह मैसेज भेज कर मैं उसके उत्तर का इन्तजार करने लगा।

आज तो आर या पार का मामला था।

करीब एक घंटे बाद उसका जबाव आया- क्या तुम कल मिल सकते हो?
मैंने तुरंत उत्तर लिखा- हाँ..
उसने कहा- तो ठीक है कल मेरे घर पर सुबह 11 बजे आ जाना।
नीचे उसका पता लिखा था।

मैंने उसे कॉल किया.. लेकिन उसने नहीं उठाया।
मैंने फिर मैसेज किया.. लेकिन कोई उत्तर नहीं।

बाद में मैंने फिर कॉल किया उसका फोन स्विच ऑफ था।

अब मैं बेसब्री से सुबह का इंतज़ार कर रहा था। मुझे लग रहा था कि अब मेरा कुछ हो जाएगा.. साथ में डर भी था कि कहीं वो कुछ उल्टा-सीधा ना कर बैठे।
ये सब सोचते हुए मैं कब सो गया.. मुझे पता ही नहीं चला।

अगले दिन क्या हुआ.. मैं अगले भाग में बताऊँगा.. तब तक आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।
यह मेरी जिन्दगी का पहला अनुभव है.. तो शायद उत्तेजनावश मैं कोई ग़लती कर गया होऊँ.. तो प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना।

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