हसीन सफर और तन का मिलन

(Haseen Safar Aur Tan Ka Milan)

अन्तर्वासना के सभी नियमित पाठकों को कुशल का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तो, मेरा नाम कुशल है.. और मेरी उम्र 27 वर्ष है। मैं झाँसी का रहने वाला हूँ और अभी दिल्ली में जॉब करता हूँ।
मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है.. मेरे लंड की लंबाई 7 इंच है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।

मेरे प्यारे पाठक एवं पाठिकाओं.. यह तो था मेरा परिचय.. अब मैं आपको मेरे साथ हाल ही में घटित एक घटना के बारे में बता रहा हूँ आनन्द लीजिएगा।

मुझे ऑफिस के काम से अक्सर शहर से बाहर भी जाना पड़ता है और मैं आप लोगों को बता दूँ कि मेरा इंदौर जाना तो बहुत ज्यादा होता है।

यह बात नवम्बर के महीने की है.. जब हल्की सी सर्दी पड़ती है। मेरा सफर दिल्ली से शुरू हुआ और हल्की सर्दी होने के कारण आप लोगों को पता ही है लोग जल्दी सो जाते हैं।
गाड़ी में बहुत ज्यादा भीड़ होने के कारण मुझे कुछ देर गैलरी में ही खड़ा रहना पड़ा। फिर अगले स्टेशन पर ही गाड़ी कुछ खाली हुई और मुझे एक सीट इंदौर तक के लिए मिल गई।
मैं टीटी को धन्यवाद देकर अपनी सीट पर जा पहुँचा।

मैंने देखा कि मेरे सामने वाली सीट पर एक बहुत ही साधारण एवं सुन्दर लड़की बैठी हुई थी। मेरी नज़र उस पर पड़ी.. मैं तो उसे देखकर पागल सा हो गया था। क्या लग रही थी मानो आसमान से कोई परी उतर आई हो। उसका फिगर 36-24-36 का था.. बिल्कुल दूध जैसी सफ़ेद थी.. इतनी नाजुक कि एक कंकड़ फेंककर मार दिया जाए.. तो मानो खून ही निकल आएगा।

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दोस्तो, मेरी नज़र बार-बार उस पर पड़ रही थी और उसने कई बार मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा भी दिया था।
अब रात के करीब 11:30 बज रहे थे, लगभग सभी लोग सोने ही वाले थे। मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो मैंने हिम्मत करके उस लड़की से बातें करना शुरू कर दीं।
उसने अपना नाम नेहा बताया। बातें करते-करते हम दोनों ने एक-दूसरे के बारे में बहुत कुछ जान लिया था।

उस लड़की से बात करते समय उसने बताया था कि वो भी इंदौर जा रही है और दिल्ली में कुछ दिनों के लिए अपने रिश्तेदार के यहाँ आई थी।
मैं इंदौर जाने की बात सुनकर बहुत खुश हो गया। बहुत सर्दी लगने के कारण उसे भी नींद नहीं आ रही थी। उसको सर्दी लगने कारण.. मैंने उसे अपने कंबल में आने का ऑफर दिया और वो मान गई।

हम दोनों एक ही सीट पर कंबल ओढ़कर बैठ गए। उसके बार-बार स्पर्श से मेरा लंड खड़ा हो गया था और पैन्ट फाड़कर बाहर निकलने लिए तैयार था।
अचानक मेरा एक हाथ उसकी जांघ पर चला गया.. उसने कोई आपत्ति नहीं जताई.. बल्कि मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी।

दोस्तो, मेरी खुशी का ठिकाना ना था, फिर उसे चोदने की इच्छा प्रबल हो गई क्योंकि उसने आपत्ति ना जताकर रास्ता साफ कर दिया था।
धीरे-धीरे हाथ-पैर चलते रहे और हँसी मज़ाक करते-करते सुबह हो गई और हम दोनों इंदौर स्टेशन पर उतरने के तैयार हो गए।
हम दोनों ने एक-दूसरे को अपने मोबाइल नम्बर दिए और गले लगकर एक-दूसरे से विदा ली।

अगले ही दिन नेहा का फोन आया और हमने बहुत देर तक बात की। काफी दिन बीत गए यूँ ही बात करते-करते.. फिर मैंने एक दिन उससे प्यार का इज़हार किया और वो मान गई।
हम दोनों ने मिलने का प्रोग्राम बनाया, मैंने नेहा को मेरे साथ रुकने के लिए बोल दिया और वो मान गई।
हम लोगों को नए साल यानि एक जनवरी को मिलना था और हम लोग मिले भी।

मैं सुबह इंदौर स्टेशन पर उतरकर बाहर ही एक होटल में रूम लेकर तैयार हो गया और नेहा के आने का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा। जैसे ही दरवाजे की घंटी बज़ी.. मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई और मैंने लपक कर दरवाज़ा खोला.. तो मेरे सामने एक परी (नेहा) खड़ी हुई थी।

मैंने उसे देखते ही गले लगा लिया और एक ज़ोर का चुंबन दिया। फिर हमने दरवाज़ा लगाया और मैं नेहा को बिस्तर पर ले जाकर बेहताशा चूमने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने धीरे से उसके टॉप को उतारना चाहा तो उसने मना कर दिया और बोली- मुझे शर्म आती है।

मेरे बहुत देर तक मनाने पर वो मान गई और मैंने उसका टॉप उतार दिया। फिर मैंने उसकी जीन्स भी उतार दी। उसने लाल रंग ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी.. वो क़यामत लग रही थी।
हम दोनों एक-दूसरे के साथ चूमा-चाटी करने लगे। मैंने उसकी चूचियां दबानी शुरू कर दीं.. जिससे वो ज्यादा गर्म होने लगी और उसने मेरे कपड़े भी उतार दिए।

अब हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए, मैं उसकी चूत और वो मेरा लंड चूसने लगी।
मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और अपने होंठ उसकी चूत पर टिका दिए। उसकी चूत से पानी निकल रहा था।
नेहा मस्त होकर ‘आआआहह.. उउउहह.. उउह..’ की आवाजें निकाल रही थी।

मेरे बहुत देर तक उसकी चूत चाटने से नेहा दो बार झड़ चुकी थी, वो ज़ोर-ज़ोर से ‘फक मी.. फक मी..’ कहकर चिल्ला रही थी।
मेरा लंड भी पैन्ट के अन्दर पूरी तरह से तन चुका था और नेहा की चूत में जाने के लिए बेचैन था।

वो पहली बार किसी से चुदने जा रही थी, मैंने किसी तरह का खतरा मोल लेना उचित नहीं समझा। मैंने पास में पहले से ही रखी हुई क्रीम को अपने लंड पर लगा ली और अपना लंड उसकी चूत पर रखकर हल्का सा झटका दिया।
वो चिल्ला उठी.. दर्द के मारे उसके आँसू निकलने लगे।

थोड़ी देर बाद जब उसको दर्द से आराम मिला.. तो मैंने देर ना करते हुए ज़ोर का झटका दिया। इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समाता चला गया.. और वो दर्द के मारे बेहोश गई।
थोड़ी देर मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा.. फिर मैंने तेज़ी से धक्का देने शुरू किए। वो कमर उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी।
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दोस्तो, मैं आपको बता नहीं सकता.. उस समय मैं आनन्द की चरम सीमा पर था। हम दोनों काफ़ी देर तक चुदाई करते रहे.. फिर एक साथ झड़ गए।
उसके बाद हम दोनों ने एक साथ नहाते वक़्त फिर चुदाई की और फिर तैयार होकर हम दोनों ने खाने का ऑर्डर दिया। हम लोगों ने साथ मिलकर खाना खाया।

अब रात होने को आई थी.. उसे घर पर भी जाना था.. तो हमने एक बार और बहुत मजे से चुदाई की और एक प्रगाड़ चुम्बन के बाद एक-दूसरे को नए साल की शुभकामनायें दे कर अलविदा कहा।
दोस्तो.. अब लोग जब भी मिलते हैं खूब मजे से चुदाई करते हैं।

मेरे प्रिय पाठक एवं पाठिकाओं अगर आपको मेरी यह आपबीती अच्छी लगी हो.. तो मुझे जरूर मेल कीजिएगा।
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