गैर मर्दों के लण्ड से चूत चुदाई -1

(Gair Mardon Ke Lund Se Chut Chudai-1)

This story is part of a series:

हाय दोस्तो.. मेरा नाम अंजलि है.. मैं एक विवाहित औरत हूँ और मैं ग़ाज़ियाबाद उत्तरप्रदेश में रहती हूँ।
मेरे पति बाहर जॉब करते हैं। मेरे घर में बस मैं और मेरी सासू माँ रहती हैं। मेरे दो बच्चे हैं.. उन दोनों की हॉस्टल में पढ़ाई चल रही है।

मेरी उम्र 32 साल की है.. मेरा रंग बिल्कुल फेयर है.. मेरा फिगर 38-30-40 का है और मेरी हाइट 5’6″ इंच की है।

कहने का मतलब ये कि मैं दिखने में पूरी माल हूँ.. और मैं अपने जिस्म का पूरा फायदा भी उठाती हूँ।
मैंने अपनी लाइफ में बहुत सेक्स किया है और सेक्स में तो मैं बहुत ‘वाइल्ड’ हो जाती हूँ.. यूँ समझो.. चुदते वक्त मैं एकदम पागल सी हो जाती हूँ।

अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है.. कोई ग़लती हो.. तो माफ़ कीजिएगा।

तीन महीने पहले की ही बात है.. मुझे एक फ्रेंड की बर्थडे पार्टी में आगरा जाना था। पार्टी शाम की थी.. तो मैं सुबह ही कार लेकर निकल गई।
वहाँ पहुँच कर हमने खूब गप्पें लड़ाईं.. फिर पार्टी में मैंने एक गाउन पहना हुआ था.. जो कि डार्क नेवी ब्लू कलर का बहुत ही सेक्सी था। उसका गला बहुत गहरा था जिसमे मेरे मम्मों की दूधिया घाटी लोगों के लौड़े खड़ा कर देती थी।

मैंने अपने बाल भी खुले ही रखे थे.. मैं पार्टी में बहुत मस्त माल जैसी लग रही थी। बहुत लोगों ने मुझ पर लाइन मारी लेकिन मैंने सभी को नजरंदाज किया।
पार्टी 5 बजे शुरू हुई थी.. और 9 बजे ख़तम हो गई थी।

मैं वहाँ से रात को ही निकली.. क्योंकि मुझे वहाँ रुकना ठीक नहीं लगा था। फ्रेंड्स के भी परिवार के लोग थे.. सो मैं 8:30 पर उधर से वापस चल दी।
मैंने पार्टी में ड्रिंक तो बहुत कम ही की थी.. बस दो पैग ही पिए थे।
खैर.. रात में सुनसान सा था.. थोड़ा डर लग रहा था.. लेकिन मैं आराम से कार चलाती गई।

रास्ते में मुझे बहुत तेज़ पेशाब लगी.. तो मैंने कार एक ढाबे पर रोकी और पूछा टॉयलेट कहाँ है?
ढाबे पर एक ही काला मोटा सा आदमी था.. ढाबा पूरा खाली था.. क्योंकि रात हो गई थी।
उसने मेरे मम्मों को देखते हुए कहा- अन्दर है।

मैं अन्दर गई.. वहाँ मैं टॉयलेट ढूँढ रही थी.. पीछे काफ़ी खुला एरिया था.. कमरे भी बने हुए थे।
खैर.. मुझे टॉयलेट मिल गया.. मैं अन्दर जा कर सूसू करने लगी।

जब मैं टॉयलेट से बाहर आई.. हाथ धोने के लिए वाशबेसिन की तरफ मुड़ी.. तो अचानक कमरों की तरफ से कुछ आवाज़ आई। मैं वहाँ देखने के लिए इधर-उधर देखने लगी।

फिर आवाज़ तेज हो गई.. मैं समझ गई कि अन्दर क्या चल रहा है।
मेरा मन देखने का हुआ.. तो मैं गेट के ठीक ऊपर की जाली से झाँकने लगी।
अन्दर कुछ नहीं दिख रहा था.. घुप्प अंधेरा छाया था और जाली पर कुछ कपड़े भी लटक रहे थे।

मैं वहीं खड़ी होकर देखने की कोशिश करने लगी.. थोड़ी देर बाद मुझे अँधेरे में हल्का-हल्का दिखना शुरू हो गया।
मैंने देखा अन्दर दो लड़के एक लड़की को चोद रहे हैं और लड़की मजे से चुदवा रही है।

अन्दर का गरम सीन देख कर मैं मचल गई.. और कब मेरा हाथ मेरी चूत की तरफ चला गया.. पता ही नहीं चला।
मैं मस्ती में आ गई और हल्का सा गाउन उठा कर अपनी चूत में उंगली करने लगी।

मेरा अब चुदने का मन हो रहा था। कुछ देर बाद मैं झड़ने ही वाली थी कि अन्दर से वो दोनों लड़के बाहर आने लगे।
मैं जल्दी से टॉयलेट की तरफ भागी और टॉयलेट में घुस कर हल्के से गेट खोलकर देखने लगी।

मैंने देखा कि वे दोनों लड़के जा रहे थे.. पर लड़की अन्दर ही थी और फिर दो लड़के और घुस गए। मेरी तो मानो हालत खराब होने लगी.. मेरा मन कर रहा था.. मैं भी अन्दर जाकर चुदवा लूँ।

फिर कमरे का गेट बंद हुआ और अन्दर ठुकाई चालू हो गई।
मैं बाहर आई और देखने लगी और चूत में फिर से उंगली डालने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

तभी थोड़ी देर बाद वही मोटा आदमी मेरे पीछे से आया और मेरे हाथ पकड़ कर उंगली से मेरी चूत को तेज़-तेज़ रगड़ने लगा और मेरे मम्मों को दबाने लगा।
मैं एकदम से घबरा गई.. पीछे मुड़ी तो वो बिल्कुल काला आदमी अपना पेट निकाल कर खड़ा था.. और लुंगी में था। ऊपर से वो बिल्कुल नंगा हो गया था।

मैं बोली- हटो.. वरना मैं शोर मचा दूँगी..
वो कामुकता से बोला- मैं बहुत देर से देख रहा हूँ.. गर्मी बहुत है तेरे जिस्म में.. आ जा तेरी आग बुझा दूँ रानी।

वो मुझसे लिपट गया और मेरे होंठों को चूसने लगा और मेरी चूत में उंगली करने लगा।
मैं तो अब पूरी पागल हो चुकी थी.. उसने एक ही झटके में अपनी लुंगी खोल दी और मेरे हाथ में अपना लंड दे दिया और बोला- चल लण्ड हिला साली..

मुझे भी बहुत जोश चढ़ा हुआ था.. ऊपर से उसका भुजंग लौड़ा देखा.. तो पागल हो गई.. बहुत ही लंबा और मोटा-तगड़ा और काला मूसला जैसा लवड़ा एकदम खड़ा था।
मैं तो सीधा उसे पकड़ कर चूसने लगी.. वो तो पागलों की तरह मेरे मुँह को चोदने लगा।

उसने मेरे सर को उस दीवार के सहारे लगा कर पूरा लौड़ा मेरे गले तक घुसेड़ने लगा।
मेरी साँसें अटक गईं.. और इतने में तो उस हरामी ने अपना पानी मेरे मुँह में ही निकाल दिया.. जो थोड़ा बहुत मेरी ड्रेस पर भी गिरा।

अब उसने मुझे खड़ा किया और वहीं चूसने-चाटने लगा। मैं तो मदहोशी में पागल हो गई।

उसने मुझे गोद में उठाया और उसी कमरे के गेट पर एक लात मारी.. जिधर वो लौंडिया चुद रही थी।
गेट अन्दर से टूट गया और उसने मुझे वहीं ज़मीन पर लिटा कर नंगा करके चूमने लगा। वो मेरे मम्मों तो जैसे खा रहा था.. दोनों लड़के उस रंडी को बिस्तर पर धकाधक चोदे जा रहे थे.. इधर जमीन पर चुदते हुए मेरी हालत खराब होने लगी और मैं कब झड़ गई.. मुझे पता भी नहीं चला।

फिर उस आदमी ने मुझे उठाया और बिस्तर पर मेरा सर रख कर दोनों पैर ऊपर उठा दिए और मेरी चूत चाटने लगा।

इतने में उन दो लड़कों में से एक आया और मेरे मुँह में अपना लंड घुसा दिया, मैं भी उसका लवड़ा चूसने लगी।
अब बहुत ज़्यादा मजा आने लगा.. मैं ‘आअहह.. उऊहह..’ की आवाज़ के साथ चूत चटवा रही थी और दोबारा झड़ गई।

अब उसने काले गैंडे ने अपना लंड मेरी चूत पर रख कर एक ही झटके में पूरा घुसा दिया। मैं बहुत ज़्यादा तेज़ चीखी और मेरी आँखों में आँसू आ गए.. मगर वो हरामी नहीं रुका और पूरा मेरे ऊपर चढ़कर मेरी गुलाबी चूत चोदने लगा।
उसने मेरे मम्मों तो दबा-दबा कर और चूस-चूस कर लाल कर दिया था।

अब वो चूत में धक्के मारने लगा और चिल्लाने लगा.. मुझे चपाट मारने लगा.. और गाली देने लगा, बोला- भैन की लौड़ी.. साली रांड.. आज तुझे नहीं छोडूँगा.. साली कुतिया.. क्या माल है तू.. ले साली मेरा हलब्बी खा..

वो मुझे तेज़-तेज़ चोदने लगा.. मैं भी अब फुल जोश में आ चुकी थी और उसके हर धक्के पर अपनी गाण्ड उठा-उठा कर अपनी चूत बजवा रही थी।

दोस्तो, उस चूत चुदाई की कहानी से आज फिर से मेरी चूत में पानी आ गया है मैं अभी अपनी चूत में डिल्डो हिलाने की सोच रही हूँ। आप लोग भी अपनी मुठ्ठ मार लीजिए जब तक मैं फारिग हो कर आती हूँ और फिर इस दास्तान को आगे लिखूँगी।

आप जब मुठ्ठ मार लो तो मुझे ईमेल जरूर करना कि कितना पानी निकला..
बाय.. उम्माह..

अभी मेरी चुदाई की कहानी जारी है.. लण्ड हिला कर वापस आना। आगे की कहानी अगले पार्ट में लिखूँगी।
[email protected]

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