दोस्त की मम्मी और उनकी सहेली की चूत चुदाई -2

(Dost Ki Mummy Aur Unki Saheli Ki Chut Chudai-2)

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा..

मुझे थोड़े-थोड़े साइड में से निशी आंटी के चूचे दिखे.. हाय.. क्या मस्त सीन था वो..
उन्हें भी शायद पता लग गया था.. तो वो भी जानबूझ कर थोड़ा और मेरी तरफ दिखने वाली साइड में हो गईं और अपने शरीर पर हाथ फेरने लगीं।
फिर उन्होंने अपनी सलवार भी उतार दी और मेरे सामने उनकी बड़ी-बड़ी गाण्ड दिखने लगी।
उन्होंने काले रंग की पैन्टी पहन रखी थी और उसमें वो बिल्कुल पोर्नस्टार लग रही थीं। मेरा मन कर रहा था कि अभी जाकर उसको चोद दूँ।
अब आगे..

आंटी ने अपनी कमीज़ नीचे गिरा दी और अब उन्होंने अपनी पैन्टी थोड़ी नीचे की। उनका ऐसा करते समय भाव कुछ ऐसा था.. जैसे कि वो कुछ दिक्कत सी महसूस कर रही हों।
अब वे कमीज़ उठाने के लिए नीचे झुकीं तो उनकी गुलाबी गाण्ड की दरार दिखाई देने लगी।
फिर उन्होंने कमीज़ उठाई और सलवार और कमीज़ दोनों पहन लीं। अब बाहर आकर आंटी को दिखाने लगीं और कहा- थोड़ी टाइट लग रही है.. और अभी तो नीचे कुछ पहना भी नहीं है.. तब फंस सी रही है।

तो मंजू आंटी बोलीं- वो नीचे पहन के देख ले..
मंजू आंटी ने अलमारी में से अपनी ब्रा और पैन्टी निकाल कर उन्हें दे दी। अब निशी आंटी फ़िर ट्राई करने चली गईं।

मैं इस बार थोड़ा और साइड हो गया ताकि वो मुझे अच्छी तरह दिख जाएँ।

निशी आंटी ने ब्रा पहनी और मंजू आंटी को आवाज़ लगाई- एक बार आना जरा.. हुक बन्द नहीं हो रहा..
मंजू आंटी भी मुझे देख रही थीं कि कैसे मैं निशी को पीछे से देख रहा था।
तो उन्होंने मुझे आवाज़ दी.. पर मुझे सुनाई ही नहीं दिया.. क्योंकि मैं तो उन्हें देखने में मस्त था।

फिर आंटी ने मुझे जोर से आवाज़ लगाई और बोलीं- कहाँ खोया हुआ है.. जो सुनाई नहीं दे रहा?
तो निशी आंटी ने बोला- ये अपने सपनों में ही डूबा हुआ है।

मैं कुछ नहीं बोला.. बस सकपका कर रह गया।
तो मंजू आंटी ने कहा- जा आंटी की मदद कर दे।
मैं तो खुश ही हो गया.. मैं जैसे ही खड़ा हुआ.. तो मंजू आंटी ने मेरे खड़े लण्ड को देख कर बोला- निशी नीचे देख.. इसके सपने साफ दिखाई दे रहे हैं।

निशी शीशे में से देखने लगी और फिर दोनों हँसने लगीं।

मैं परदे के पीछे गया तो आंटी ने बोला- ये हुक बन्द कर..
आंटी के चूचे इतने मोटे थे कि ब्रा बहुत ज्यादा टाइट हो रही थी।
तो मैं हुक बन्द करने के बहाने उन्हें टच करने लगा और मेरा लण्ड उनके शरीर पर रगड़ने लगा।

अचानक से मेरे हाथ से ब्रा छूट गई और नीचे गिर गई.. तो मुझे उनके पूरे चूचे दिख गए, मेरा लण्ड तो जैसे पैंट फाड़ कर बाहर आने को हो गया।
अब आंटी नीचे ब्रा उठाने को झुकीं.. तो मेरा लण्ड उनकी गाण्ड पर लग गया.. मैंने भी एक झटका मारा.. तो आंटी थोड़ा आगे को हुईं.. और गिरते-गिरते बचीं।

अब उन्होंने भी मुझे पीछे धक्का दिया और बोलीं- पागल हो गया है क्या तू?
वे मुझ पर गुस्सा होने लगीं.. तो मंजू आंटी ने कहा- छोड़ो कोई बात नहीं..
लेकिन वो बोलीं- मैंने इससे थोड़ा मजाक क्या कर लिया.. ये तो मेरे ऊपर ही चढ़ गया।
मेरा भी मूड खराब हो गया और मैं वहाँ से चला गया। फिर मैं 2-3 दिन उनके घर नहीं गया।

मंजू आंटी ने एक-दो बार फ़ोन भी किया लेकिन मैंने उठाया ही नहीं।
फिर अगले दिन उन्होंने मम्मी को फ़ोन किया.. तो मम्मी ने मुझे बोला- जा उनके घर चला जा.. और सूट ले आ।
मैं आंटी के घर चला गया.. तो आंटी ने बोला- तू फ़ोन क्यों नहीं उठा रहा था?
तो मैंने कोई जवाब नहीं दिया.. वो मेरे पास आईं और बोलीं- उस दिन की बात पर नाराज है?

मैंने कुछ नहीं कहा.. तो आंटी बोलीं- अब मान भी जा.. मैंने तेरे लिए एक मस्त सी गर्लफ्रेण्ड भी ढूँढ़ रखी है।
तो मैं झट से बोला- सच में?
मैं उत्तेजनावश आंटी के गले से लग गया.. पर 2 मिनट बाद मुझे पता लगा दो मैंने उन्होंने छोड़ा और ‘सॉरी’ बोला तो आंटी बोलीं- कोई बात नहीं..
आंटी के चेहरे पर उस समय अलग ही नशा सा झलक रहा था।

फिर आंटी बोलीं- मैं तो मजाक कर रही थी.. इतनी जल्दी कहाँ से ढूँढ कर लाती।
तो मैंने कहा- मुझे नहीं पता.. अब आपने बोला है.. तो मुझे गर्लफ्रेण्ड चाहिए.. नहीं तो आप खुद ही बन जाओ।
तो आंटी बोलीं- अच्छा.. लेकिन तू तो मेरे बेटे का दोस्त है.. मैं तेरी गर्लफ्रेण्ड कैसे बन सकती हूँ?
इस पर मैंने भी बोल दिया- अगर मैं आपके बेटे का दोस्त ना होता.. तो आप मेरी गर्लफ्रेण्ड बन जातीं?

तो आंटी चुप हो गईं और मुझे देखने लगीं। मैंने सोचा यही मौका है.. और मैंने आंटी का हाथ पकड़ लिया।
मैं बोला- आंटी आई लव यू.. क्या आप मेरी गर्लफ्रेण्ड बनोगी?
तो आंटी कुछ नहीं बोलीं ओर मुझे देखती रहीं और फिर उन्होंने ‘हाँ’ कर दी।

फिर मैं वहाँ से चला गया और आंटी और मैं फ़ोन पर बात करने लग गए। मैं आंटी से सारा दिन मैसेज पर बात करता रहता था और कभी-कभी उनसे कॉल करके भी बात कर लेता था।

फिर एक दिन आंटी ने मुझे एक जोक भेजा.. तो मैंने भी जवाब में जोक भेज दिया।
फिर आंटी ने मैसेज किया- और भेज..
तो अब मैंने एक अडल्ट जोक भेज दिया.. जिसका आंटी ने कोई जबाव नहीं दिया।
तो मैंने उन्हें कॉल किया और पूछा- क्या हुआ.. जोक पसंद नहीं आया क्या.. जो जवाब नहीं कर रही हो?
तो बोलीं- नहीं ऐसी बात नहीं है.. तेरे अंकल के लिए खाना बना रही हूँ.. इसलिए जबाव नहीं दे पाई हूँ।
तो फिर मैं और अडल्ट मैसेज आंटी को करने लगा.. तो आंटी बोलीं- मैंने मना नहीं किया.. तो इसका मतलब ये थोड़ी है.. कि तू सारे ही अडल्ट मैसेज भेजता रहेगा।

तो मैंने कहा- मुझे लगा.. आपको पसंद आ रहे हैं.. इसलिए भेज रहा हूँ।
आंटी बोलीं- बेटा, मुझे सब पता है..
तो मैंने भी कहा- जब पता है.. तो इतना भाव क्यों खा रही हो.. सीधे-सीधे दे दो ना..
आंटी ने बोला- क्या बोला तूने?

मंजू आंटी और उनकी सहेली निशी की काम पिपासा ने मुझे इस चूत चुदाई के खेल में कहाँ तक भोगा, उसकी यह मदमस्त कहानी आपके चूतों और लौड़ों को बेहद रस देने वाली है।
मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए और मुझे अपने प्यार से लबरेज कमेंट्स जरूर दीजिएगा।
नमस्कार दोस्तो.. अगले भाग में मिलते हैं।
[email protected]

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