चूत एक पहेली -79

(Chut Ek Paheli- Part 79)

पिंकी सेन 2016-04-29 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

इंस्पेक्टर- ओये रतन सिंग.. के होरा रै.. कौण है ये छोरा.. मन्ने आना पड़े कै थारे कणे?
रतन सिंग- ऊउ साब जी या छोरा थोड़ा टेढ़ा लगे सै मन्ने..
रतन सिंग की बात सुनकर इंस्पेक्टर जीप से उतरा और उनकी तरफ़ आने लगा।
इंस्पेक्टर करीब 32 साल का हट्टा-कट्टा लंबे कद का इंसान था।

इंस्पेक्टर उनके पास आकर रुक गया और पुनीत को ऊपर से नीचे तक घूर कर देखने लगा।
इंस्पेक्टर- म्हारो नाम पता है कै.. म्हारो नाम बदलसिंग सै.. कै होरा है रे छोरे.. कै चाहवे है तू?

ये हैं बदल सिंग.. इसका बाप राजस्थान का था.. और माँ हरियाणा की.. दोनों के प्यार का ये नतीजा निकला कि ये पैदा हुआ.. अब इसकी भाषा आधी हरयाणवी तो आधी मारवाड़ी है।

अब आगे..

पुनीत- वो वो.. सर मैं अपना लाइसेन्स घर भूल आया हूँ.. ये हवलदार समझने को तैयार ही नहीं हैं.. मैं कोई ऐसा वैसा लड़का नहीं हूँ।
रतन सिंग- ओ साब जी.. ना डीएल है.. ना कागज.. साथ में लौड़ा पिया हुआ भी है.. और भीतर एक छोरी भी डाल रखी है ससुरे ने..
पुनीत- ज़ुबान संभाल के बात करिए आप.. वो मेरी बहन है।

बदल सिंग- ओये छोरे कै नाटक सै यो.. हाँ.. यो थारा..पता लगा सकै.. जो थाने जान देगो ना.. थारे कन गाड़ी के काग़ज हैं.. ना डीएल.. और बावले पीकर गाड़ी चला रा है.. यो और भी बड़ा गुनाह है.. थारे पर तो इब बेरा कोनी कौण-कौणसी धारा लगेगी क़नून की.. और तेरी भें लंगड़ी सै.. कै जो भीतर बैठी सै.. बाहर बुला भाई.. ज़रा मैं भी तो देक्खूं तरी भें न..

बदल सिंग की बात सुनकर पुनीत को थोड़ा गुस्सा आया.. मगर वो जानता था यहाँ गुस्सा करना ठीक नहीं है.. यहाँ उसकी दाल गलने वाली नहीं।

पुनीत- देखिए आप समझ नहीं रहे.. हम पार्टी में गए थे.. वहाँ थोड़ी दोस्तों ने जबरदस्ती पिला दी।
बदल सिंग- अब तू बुलावे है या मैं काड़ दूँ बाहर?

उनकी बात सुनकर पायल थोड़ी घबरा गई और बाहर आकर खड़ी हो गई।

दोनों के दोनों बस पायल को देखते ही रह गए.. दोनों की आँखों में उस टाइम हवस साफ नज़र आ रही थी। अगर पुनीत ना बोलता.. तो शायद वो दोनों का ध्यान ना हट पाता।

पुनीत- सर प्लीज़ हमें जाने दीजिए देर हो रही है।
बदल सिंग- ले भाई रतन सिंग या छोरा तो क़ानून ने अपने बाप की जागीर समझे सै.. ना काग़ज.. ना डीएल.. दारू ये पी रखा.. और साथ में लौंडिया भी और हमें उल्लू बना के जाना चावे है।
रतन सिंग- साब जी मन्ने तो झोल लगे सै.. या गाड़ी भी इसकी ना लागे.. और या छोरी तो कड़े ही ईकी भैन ना सै..
पायल- एक्सयूज मी.. ये मेरे भाई हैं ओके.. और हम आपको किधर से चोर लगते हैं. हम अच्छी फैमिली को बिलांग करते हैं. मेरे पापा इस शहर के नामी गिरामी इंसान हैं।
बदल सिंग- आ छोरी.. ज़्यादा चपर चपर ना कर.. थारे पास कोई सबूत है कि लगा फोन तेरे बाप ने.. इब दूध का दूध और पानी का पानी हो जागा..

पुनीत ने जेब में देखा फोन नहीं मिला फिर उसने गाड़ी भी चैक की.. मगर फ़ोन वहाँ भी नहीं था। वो सोचने लगा आज ये क्या हो गया.. पर्स नहीं है.. फ़ोन नहीं है अब कैसे इनसे पीछा छुड़ाऊँ.. अगर पैसे पास में होते.. तो भी इनको देकर निकल जाता।

बदल सिंग- ओ छोरे कै हो गया सै.. रे भाई फ़ोन होवेगा तो मिलेगा न.. चल भाई अब या रमायन बन्द कर.. और जीप में बैठ जा.. अब थाने चलकर ही थारी पूछताछ करनी पड़ेगी।
पुनीत- सर प्लीज़ आप बात को समझो मैं सच बोल रहा हूँ.. हम भाई-बहन ही हैं. मैं फोन और पर्स भूल आया हूँ।
बदल सिंग- रे चुप कर.. भैन का टका.. म्हारे को लल्लू समझे है कै.. कद से भैन का राग अलाप रिया सै.. मैं अच्छी तरह जानू हूँ.. तू इसके साथ रासलीला करके आया है.. या करने जा रा है.. ये कोई भैन बैन ना है थारी..

बदल सिंग का गुस्सा देख कर पुनीत की हवा निकल गई थी।
पायल- सर सच्ची में हम..
बदल सिंग- चोप्प.. तू फेर बोली.. छोरी तेरे मुँह से भी शराब की बू आ री सै.. अब तू बता.. यो कैसा भाई है जो तू आधी नंगी और शराब पी रखी है.. बो भी अपने भाई के साथ.. अब बोल इको कै मतलब सै?

उसकी बात का पायल के पास कोई जबाव नहीं था.. वो बस वहीं पर नजरें झुकाए खड़ी रही।
रतन सिंग- साब जी अब कै करना है .. दोनों का?
बदल सिंग- रे करना कै है .. धर ले ससुरा नै थाने जाकर पूछंगे.. ईनका रिस्ता..
पुनीत- सर प्लीज़ हमें माफ़ कर दो दोबारा ऐसी ग़लती नहीं करेंगे।
बदल सिंग- मन्ने लगे है छोरा कान कोई 2 नम्बर का माल है .. तभी यो बड़ी जल्दी में है .. रतन सिंग तलाशी ले भाई..
रतन सिंग ने पुनीत की तलाशी शुरू कर दी.. पैन्ट में तो कुछ नहीं मिला.. मगर उसकी जैकेट की एक जेब में हनुमान चालीसा और दूसरी जेब में 2 कन्डोम और एक ड्रग्स की पुड़िया निकली.. जिसे देख कर पुनीत की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई।
रतन सिंग- लो साब जी.. यो देखो छोरा तो बड़ा तेज निकला.. ड्रग्स की पुड़िया निकली है .. और ससुरा कन्डोम के साथ हनुमान चालीसा भी रखे है..

बदल सिंग ने ड्रग्स और कन्डोम हाथ में लेकर पुनीत की ओर गुस्से से देख कर पूछा- ये क्या है?
पुनीत कुछ कहता उसके पहले रतन बोला।

रतन सिंग- साब जी कन्डोम.. हिन्दी में बोले तो निरोध..
बदल सिंग- रे तू घना होसियार ना बण.. मैं जानू हूँ कन्डोम का मतलब निरोध होवे है।
ये चीजें देख कर तो पायल के पैर काँपने लगे कि अब क्या होगा।

पुनीत- सर प्लीज़ यकीन करो ये मेरे नहीं है.. पता नहीं मेरी जेब में कहाँ से आए।
बदल सिंग- ले भाई जो चीज जेब में रखनी चाहिए.. बिका तो नाम निसाण ना सै.. और ये अफ़ीम और कन्डोम रखे है .. छोरा..?
पुनीत- मैं सच कह रहा हूँ.. मुझे नहीं पता.. ये मेरे पास कहाँ से आए.. आप मेरा यकीन करो।

बदल सिंग- चुप कर ते ते कर्ण लग रा है मन्ने तू ये बता.. छोरा हनुमान चालीसा और कन्डोम का कै चक्कर सै?
रतन सिंग- साब जी आप ना जानो कै आजकल का छोरा कै बोले हैं कि भूत और चूत का कै भरोसा.. कद भी मिल जावें.. जड़ इंतजाम तो साथ में रखना पड़े सै कै ना..
बदल सिंग- चुप कर बावले.. कुछ भी बक देवे.. देखे कोनी छोरी खड़ी है पास में..

रतन सिंग- साब जी छोरी की आँखों में मन्ने चोर नज़र आवे है.. लगे है बाकी का माल छोरी के पास सै..
बदल सिंग- बदल सिंग नाम सै म्हारा.. तन्ने पता ना है.. म्हारी नजरां सै कोई ना छुप सकै.. आ छोरी चल सीधी खड़ी रह… तेरी भी तलाशी होगी.. अब तो देखूँ तो कितना माल छुपा रखा सै तन्ने।
पायल- मेरे पास कुछ नहीं है.. प्लीज़ आप मेरी बात का यकीन करो।

बदल सिंग- चुप कर छोरी जादा घनी स्यानी ना बण.. मैं जानू हूँ.. कीपे यकीन करना है .. कीपे नहीं..
पुनीत- सर ये ग़लत है.. एक लड़की की तलाशी ये हवलदार कैसे ले सकता है कोई लेडी कांस्टेबल होती तो कोई बात नहीं होती।
बदल सिंग- रै बावले.. इब थारे खातिर लेडी कांस्टेबल साथ में लेके घूमू कै.. चल थाणे चल्ल.. वहाँ दे देना तलासी..
पायल- भाई प्लीज़ कुछ करो.. वहाँ गए तो बात और बढ़ जाएगी।

बदल सिंग- देख भाई थाणे चलेगा.. तो रात भर वहाँ की हवा भी खानी पड़ेगी तू यही तलाशि दे दे और कुछ ना निकला तो चले जाणा.. और इस हवलदार से तन्ने एतराज है.. तो मैं तलाशी ले लूँगा।
पायल- ओके सर आप मेरी तलाशी ले लीजिये.. मेरे पास कुछ नहीं होगा तो आप हमें जाने दोगे।
बदल सिंग- देख छोरी एक पुड़िया तो ये छोरे के पास मील गी.. अगर तेरे पास भी निकली तो बहुत लंबी लगेगी थाने और हाँ अगर ना निकली तो मैं सोचूँगा कि थारा के करणा है।

पायल समझ गई कि अब तलाशी के बाद भी ये नाटक करेगा.. मगर जैसे-तैसे वो उसको मना लेगी.. यही सोच कर वो तलाशी के लिए रेडी हो गई।
बदल सिंग तो खुश हो गया। उसको ऐसी हुस्न परी के जिस्म को छूने का जो मौका मिल रहा था।

बदल सिंग पायल के करीब आया और गले से हाथ को ले जाता हुआ उसके मम्मों पर जाकर रुक गया और धीरे-धीरे उनको दबाने लगा।
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पुनीत- हैलो.. वॉट आर यू डूयिंग सर.. ये कैसी तलाशी है.. आपको शर्म नहीं आती.. एक लड़की के साथ ऐसा करते हुए.. हाँ?
बदल सिंग- ओये भैन के टके.. ज़्यादा होशियारी ना कर.. नहीं इस छैलछबीली को यही नंगी करके तलाशी लूँगा मैं..
पायल- भाई प्लीज़ आप चुप रहो..
पुनीत- मगर पायल ये तुमको कैसे गंदी तरह से टच कर रहा है।

पायल- भाई प्लीज़ कीप क्वाइट.. आपको नहीं पता ये बात पापा तक गई तो क्या हो जाएगा.. इनको अपना काम करने दो एंड प्लीज़ आप बीच में ना बोलो।
बदल सिंग- ये छोरी तो घनी स्यानी सै.. रतन सिंग तू ऐसा करियो.. इस छोरे का ध्यान रखियो.. मैं वहाँ जीप के पास इस छोरी की अच्छे से लेता हूँ.. यहाँ तो ये छोरा ठीक से लेने नहीं देगा इसकी..

रतन सिंग- के साब जी.. के लेन नहीं देगा ये छोरा आपको?
बदल सिंग- रे बावले तलाशी लूँगा.. तू और के लेवे था.. अब धर ले इस छोरे नै.. मैं आऊँ तलाशी लेकर..

पुनीत का गुस्सा सातवें आसामान पर चला गया था.. अगर पायल साथ ना होती तो वो उस पुलिस वाले को पीट ही देता.. मगर उसको पता था अगर उसने ये किया तो ये बात उसके पापा तक चली जाएगी और पायल की ऐसी हालत का उनको पता लग जाएगा। इसलिए वो खून का घूँट पीकर वहीं खड़ा रहा और पायल को जाने को कह दिया।

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