बीवी या बहन.. क्या कहूँ

(Bivi Ya Bahan.. Kya Kahun)

सभी दोस्तों को नमस्कार.. मैं धीरज.. आप सबके सामने अपने जीवन में घटित एक सच्ची घटना प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।

अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है.. अतएव आपसे अनुरोध है कि छोटी-मोटी त्रुटियों पर ध्यान न दें। इसमें सेक्स नहीं है फिर भी आशा है कि आपको कहानी पसंद आएगी।

बात आज से करीब एक साल पुरानी है। उस समय मेरी पोस्टिंग गुजरात के राजकोट शहर में हुई थी।

कुछ दिन होटल और फिर कुछ दिन दोस्त के घर बिताने के बाद बड़ी मुश्किल से एक सिंगल रूम का इंतज़ाम हुआ था।

मकान मालकिन तो चौंतीस-पैंतीस साल की बिन ब्याही आंटी थी।
बेडौल शरीर और न ही ढंग की शक्ल.. पर मेरी कहानी की नायिका से मेरी मुलाकात इन्हीं के घर में हुई।

उसका नाम रागिनी था।
देखने में कोई बाइस साल की लगती थी.. पर बात करने पर पता चला कि वो छब्बीस की है।

रंग थोड़ा सांवला.. लम्बाई 5 फुट 2 इंच.. फिगर 34-28-36 की। कुल मिला कर देसी माल.. या फिर यूं कहिए कि गुजराती बम थी।

उसे देखते ही किसी का भी मन कर जाए कि वहीं उसको दबोच ले और उसकी चूचियाँ मसल डाले।

पहली मुलाकात के अगले ही दिन उसका जन्मदिन था.. जिसे वो अपने परिवार के साथ मनाने घर जाने वाली थी।
जब मैंने उससे पार्टी मांगी.. तो वो तुरंत राज़ी हो गई और कहा- घर से लौट कर पार्टी जरूर दूँगी।

फिर मैं मकान-मालकिन से अपने कमरे के लिए पानी का जग ले कर वहाँ से चला गया।

यह थी हमारी पहली मुलाकात।

एक महीने तक उसका कोई पता नहीं रहा।
मैं उसे देखने के बाद से उसे दोबारा मिलने को बेचैन था।

तभी अचानक एक दिन वो मुझे फिर मकान-मालकिन के घर बैठी मिल गई।

काम से वापस आते ही उसे देख मैं खुश हो गया और मिलते ही सबसे पहले बकाया पार्टी मांग ली।

उसने सन्डे का प्रोग्राम बनाया।

हालांकि मैं मकान-मालकिन को साथ ले जाना नहीं चाहता था.. पर क्यूंकि सब प्लानिंग मकान-मालकिन के घर हुई थी.. तो वो भी साथ हो ली।

हम तीनों एक ऑटो में बैठ कर साउथ इंडियन रेस्टोरेंट में गए और सबने अपनी पसंद का खाना खाया।

फिर कुछ दिन यूँ ही बिना मुलाकात के बीत गए।

मेरे कमरे की खिड़की गली में खुलती थी.. तो मैं हमेशा इसी ताक में रहता था कि कब वो देखने को मिल जाए.. पर ऐसा कभी हुआ नहीं।

कुछ दिन और बीते तो मेरा मकान-मालकिन से कई बार फ़िज़ूल की औरतों वाली बातों की वजह से झगड़ा हो गया और मैं वहाँ से अपने दोस्त के फ्लैट पर शिफ्ट हो गया।

उसी मोहल्ले में रहने की वजह से एक दिन फिर मेरी उससे रास्ते में ही कई बार मुलाकात हो जाती और वो मुस्कुरा कर चली जाती।

कभी हम अगर एक समय पर निकलते तो एक ही ऑटो में जाते।
यह सिलसिला कुछ दिन तक चला।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

फिर अचानक उसने एक दिन मुझसे एक रूम देखने के लिए कहा।
कारण कि जिनके घर वो किराये पर रहती थी.. उनका परिवार वहाँ आ रहा था.. तो उन्हें और जगह की जरूरत थी।

मैंने मौके को समझते हुए कहा- मैं भी अपने लिए रूम देख रहा हूँ..
तो उसने तपाक से कहा- मेरे लिए भी साथ में ही देख लेना। अजनबी शहर में मैं बस आप ही को जानती हूँ। आपका साथ होगा तो सेफ रहूंगी।

और मैंने भी हामी भर दी।

इस मुलाकात में उसने मेरा मोबाइल नंबर ले लिया और फिर शुरू हुआ मुलाकातों का सिलसिला।

एक दिन सन्डे को सारा दिन अपने-अपने कमरे पर बिताने के बाद शाम को उसका कॉल आया।
खालीपन की वजह से और बेतहाशा गर्मी की वजह से हम दोनों ने प्लान किया कि कहीं घूम कर आते हैं।

हमने मूवी देखने जाने का प्लान बनाया और एक मॉल में पहुँच गए।

हमने ‘गो गोआ गॉन’ के टिकट लिए क्यूंकि कोई और कुछ देर में शो शुरू हो गया।

मूवी थोड़ी हॉरर कॉमेडी होने की वजह से वो काफी डर भी रही थी.. पर एन्जॉय भी कर रही थी।

काफी एडल्ट सीन होने के कारण वो थोड़ा शर्मा भी रही थी।

हमें अपर साइड कार्नर वाली सीटें मिली थीं.. तो कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं था।

मूवी के दौरान आलम ये हो गया था कि वो सिमट कर लगभग मेरी ही सीट पर आ गई थी, उसका पूरा बदन मुझसे छू रहा था।

हम मूवी एन्जॉय करके एक रेस्टोरेंट में पहुँचे।
यहाँ मैं अक्सर अकेले खाने आया करता था.. तो वहाँ का स्टाफ मुझे अच्छे से जानता था।

हमें साथ देख एक वेटर.. जो हमेशा मुझे सर्व करता था.. ने पूछ ही लिया- क्या ये आपकी वाइफ हैं?
तो इस पर हम दोनों मुस्कुरा दिए और एक-दूसरे को देखने लगे।

खाना खाने के बाद वापसी रास्ते में मैंने उससे कहा- अगर एक ही मकान में रहने के लिए तुम्हें मेरी बीवी का नाटक करना पड़ा.. तो क्या तुम कर पाओगी?

इस पर उसने हिचकिचाहट जताते हुए सोचने को कहा।
मुझे लगा शायद उससे नहीं होगा।

फिर रात उसने एक किस्सा बताया.. जब वो एक बार बारिश में कीचड़ में फिसल गई थी। सफ़ेद कपड़े और वो भी झीने से होने के कारण वो सड़क पर काफी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी.. पर फिर वो सही सलामत घर पहुँच गई।

जो कुछ मूवी हॉल में हुआ उसके बाद उसकी इन सब बातों से मेरी हालत और भी खराब हो गई थी।
मैंने मन ही मन सोचा कि कैसे इसे पाऊँ और जल्द से जल्द एक ठिकाने का इंतज़ाम करने में लग गया।

आखिर हमें एक दो कमरे का फ्लैट मिल ही गया और कुछ दिन बाद हम उसमें शिफ्ट हो गए।

जब हम वहाँ शिफ्ट हुए तो मैंने मकान-मालिक से कहा- ये मेरी दूर की बहन है.. और इसी शहर में काम करती है।
इसके विपरीत रागिनी ने हमारे नए पड़ोसियों को ये बोल दिया कि हम दोनों पति-पत्नी हैं।

जब मुझे इस बात का पता चला तो मेरा दिमाग घूम गया और मैंने घबड़ाहट में उसे कह दिया- तुम हम दोनों को सोसाइटी से निकलवाओगी।

पर खुद को सँभालते हुए फिर हम दोनों ने किसी एक कहानी पर टिकने का निर्णय लिया।

उसके घर में किसी कि तबियत खराब होने की वजह से शिफ्ट होने के अगले ही दिन वो अपने घर चली गई।
एक हफ्ते बाद जब वो लौटी तो फिर दो दिन बाद जाने का कहने लगी।

उन दिनों काम का ज्यादा प्रेशर होने की वजह से मैं ज्यादा देर फ्लैट पर नहीं टिक पा रहा था।

इस बार वो अपने बाथरूम में अपनी पैन्टी छोड़ गई थी। मैंने उसको गौर से देखा.. महसूस किया और मुठ भी मारी।

एक महीने तक इसी तरह चलता रहा और फिर उसने एक दिन मुझसे कहा- मुझे ये फ्लैट छोड़ के घर जाना पड़ेगा क्यूंकि उसकी माँ की तबियत बहुत खराब है।

मैंने उससे कुछ नहीं कहा और मकान-मालिक को बता दिया कि हम महीना खत्म होते ही फ्लैट खाली कर देंगे।

आखिरी दिन मैं अपने जूते साफ़ कर रहा था.. तो मुझे एहसास हुआ कि वो मेरे पीछे खड़ी मुझे घूर रही है। मैंने उससे कारण पूछा.. तो उसने ‘कुछ नहीं..’ कह कर टाल दिया और बस एक हल्की सी कातिलाना मुस्कराहट से बात को खत्म कर दिया।

मैं जानता था कि आग दोनों तरफ बराबर लगी थी.. पर हालत ऐसे थे कि कोई कुछ कह नहीं पा रहा था।

कुछ दिन बाद मुझे खबर मिली कि उसकी सगाई हो गई।
उसके बाद मैंने उसे कभी फ़ोन नहीं किया.. पर अब बस एक टीस सी है.. किसी से सम्बन्ध बनाने की।

इस उम्मीद में कि शायद फिर कोई बीवी या बहन बनने का नाटक खेलने को राज़ी हो जाए।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, अपनी प्रतिक्रिया मुझे अवश्य भेजें।

[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top