अंजलि की चूत और गाँव के गबरू -1

(Anjali Ki Chut Aur Gaanv Ke Gabru-1)

This story is part of a series:

हाय.. मेरा नाम अंजलि अरोड़ा है.. मेरी उम्र 32 साल है, मैं एक शादीशुदा औरत हूँ।
मेरे पति बिजनेस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं। मेरे घर में मेरे सास-ससुर और ननद रहती है। मैं शुरू से अलग ख्यालों की रही हूँ और चुदाई मेरे लिए एक शौक रहा है।

मेरा फिगर 36-28-40 का है.. कॉलेज के समय से ही मेरे काफ़ी ब्वॉय-फ्रेण्ड रहे हैं और मैंने शादी के पहले खूब जी भर के चूत और गाण्ड मरवाई है। यहाँ तक कि अपने प्रोफेसर्स तक के लौड़े खाए हैं।

मेरी जब शादी हुई तो पति को पता चल गया था कि मैंने खूब चुदवाया है। दिखने में मैं माल हूँ.. तो पति भी सब भूल कर मुझसे खूब मजे लेते हैं और अपनी ऐय्याशी भरी जिन्दगी में बाहर भी खूब गुलछर्रे उड़ाते हैं।
वे दो साल से दुबई में हैं उनका वहाँ 5 साल का कोई कॉन्ट्रेक्ट है.. तो उनका इंडिया आना मुश्किल होता है। मैं जानती हूँ कि वे भी बाहर खूब चोदम-चुदाई करते होंगे.. वे हैं ही पूरे ऐय्याश..

खैर.. ऐय्याशी में मैंने भी कसर नहीं छोड़ी है.. पति के ना रहने से मैंने दो ब्वॉय-फ्रेण्ड पाल रखे हैं। उनसे मैं अपनी चूत और गाण्ड खूब मरवाती हूँ। हम लोग कभी वॉटर पार्क जाते हैं.. कभी डिस्को.. तो कभी कहीं किसी हिल स्टेशन पर चले जाते हैं।

अब मेरे साथ दिक्कत यह हो गई कि मेरे ब्वॉय-फ्रेण्ड की शादी हो चुकी हैं.. तो वो कहीं बाहर सेटल हो गए हैं।
अब रहा मेरी चूत का सवाल.. जो लगभग 6 महीनों से प्यासी पड़ी है। कई बार उंगली डाली.. पर उससे क्या होता है.. लंड का काम तो लंड ही करेगा ना..
यह बात उसी दौरान की है.. जब मेरी चूत कुछ ज़्यादा ही आग उगलने लगी थी.. उस वक़्त तो मैं उतावली रहती थी कि कैसे भी हो.. बस लंड मिल जाए।
मैं हर वक़्त यही सोचती रहती थी कि किसे पटाऊँ.. मैं इसी चक्कर में मॉल में गई.. सिनेमा में गई.. वो भी सिर्फ़ लंड की तलाश में.. पर कहीं भी मेरी चूत का काम नहीं बना।

मैं आस-पास के लोगों से चुदवाने में जरा कतराती थी.. हालांकि पड़ोसी मर्द खूब लाइन मारते थे.. मगर किसी को पता चल जाता तो मेरी इज्जत खत्म हो जाती।
मैंने सोचा कि लंड भी खा लिया जाए और किसी को पता भी ना चले ऐसी कोई जुगत भिड़ानी पड़ेगी।

अब मेरा दिमाग़ चुदास की भड़ास निकालने के लिए चला कि किसी अंजान मर्द से ही चुदवाना सही रहेगा। मुझे तो वैसे भी अंजान मर्दो से चुदवाना पसंद है, साले ठोकते भी राण्ड की तरह हैं। प्यार-व्यार चुदाई में मुझे भी बिल्कुल पसंद नहीं है। चुदाई में तो दोनों तरफ से गालियाँ हों.. तभी चुदाई का असली मजा आता है।

इसलिए मैंने प्लान बनाया कि क्यों ना किसी प्लेब्वॉय से चुदवाया जाए। मैंने सुना था कि रात के 11 बजे हाइवे पर अक्सर प्लेब्वॉय खड़े रहते हैं। तो एक दिन मैंने घर पर बहाना किया कि मैं अपनी पुरानी फ्रेंड की बर्थडे पार्टी में जा रही हूँ.. और अगले दिन ही घर वापस आ पाऊँगी।

बस मैंने सलवार सूट पहना और बाकी सेक्सी कपड़े बैग में डाले। करीब 8 बजे मैं घर से निकल गई.. जिससे लगे कि हाँ मैं बर्थडे पार्टी में ही जा रही हूँ.. क्योंकि अभी सेक्सी ड्रेस पहनती.. तो शक हो जाता।

अब मैं कार लेकर सबसे पहले डिस्को में गई.. वहाँ के वॉशरूम में जाकर ड्रेस पहनी। मैंने काले रंग की घुटनों से थोड़ा नीचे तक आने वाली जीन्स पहनी और डार्क पिंक रंग का शॉर्ट टॉप पहना.. बाल खुले किए और सुर्ख लाल लिपस्टिक लगा कर मेकअप वगैरह किया। फिर शीशे में खुद को देखा तो कसम से ऐसी लग रही थी सबका चोदने का मन करे।

अब मैंने ऊँची हील्स की सैंडिल पहनी और डिस्को में आकर थोड़ी सी ड्रिंक की।
फिर मैंने दो बियर की बोतलें कार में रखी और सिगरेट जलाकर कार चलाने लगी.. और प्लेब्वॉय के लण्ड की खोज में हाइवे पर चल दी।

अब 10 से 11 बज गए.. मगर हाइवे पर कोई नहीं दिखा.. तो कार साइड में लगा कर मैं बीयर और सिगरेट पीने लगी।
वहाँ से गुजरने वाले कुछ लोग कार की तरफ मुझे देखते जा रहे थे.. मगर मैं किसी की तरफ ध्यान नहीं दे रही थी।
अब मुझे थोड़ी चढ़ने लगी थी..

इतने में एक स्कॉर्पियो आई.. जिसमें 4 मर्द सवार थे और उनमें बियर सिगरेट चल रही थी।
वो मेरी कार की तरफ आए.. और एक बोला- चलती है क्या चिकनी.. दाम बोल?
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं चुप रही.. तो वो गाड़ी से बाहर आया.. उसकी कद-काठी देख कर मेरे होश उड़ गए। जब मैंने उन सबको ध्यान से देखा तो लगा सारे ही तगड़े मुस्टंडे हैं। सभी 6 फुट से ज़्यादा लंबे थे.. सबने कुर्ते पजामे पहने हुए थे।
वे सब गाँव के गबरू जवान लग रहे थे।

वो आदमी मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए बोला- कितना लेगी?

मैं समझ गई कि ये मुझे रंडी समझ रहे हैं.. तो मैं खुश हो गई कि चूत की प्यास भी बुझेगी और माल भी मिलेगा.. वाह..
मैं बोली- दस हजार एक बंदे के..

तो अन्दर से एक नोटों की गड्डी जो 50000 की थी.. मेरी तरफ आई और उस आदमी ने मुझे एकदम से अपनी गोद में उठाया और अपनी कार में बिठा कर कार चलाने को बोला।

चूंकि रास्ते भर मैंने अपनी कार में एक बियर पी थी.. जो अब बहुत चढ़ने लगी थी। अब मैं भी लौड़े मिलने की ख़ुशी में पूरे जोश में आ गई थी।

मैंने उनमें से एक आदमी की गर्दन पकड़ी और झक्कास वाली चुम्मी कर दी.. तो उसने एक झटके में मुझे हटा दिया और बोला- सबर कर राण्ड.. आज तुझे ऐसा चोदेंगे कि तू चुदाई भूल जाएगी।
मैंने भी उसका लंड पकड़ा और बोली- देखते हैं साले कितना दम है तेरे इस लौड़े में..!

इतने में कार रुकी और वे लोग मुझे गोद में उठाकर अन्दर ले गए।
अन्दर एक बहुत शानदार कमरा था एसी की ठंडक से मस्त माहौल था और पूरा कमरा एकदम सजा-धजा था।
उस आदमी ने मुझे एक दीवान पर पटक दिया और बाकी सारे सोफे पर बैठ गए।

अब मेरे पास एक मुस्टंडा आया और मेरे मम्मों को दबाते हुए बोला- साली क्या कड़क माल है.. पचास हजार में बुरा सौदा नहीं है.. अब साली राण्ड 24 घंटे में तेरा वो हाल करेंगे कि तू भी कहेगी कि हाँ.. किसी मर्द से चुदवाया है..

उसने मुझे उठा कर खड़ा किया और मेरी गाण्ड दबाते हुए बोला- क़यामत लग रही है साली.. चल हम सबको दारू पिला।
मैं भी गाण्ड मटकाती हुई.. पैग बनाकर लाई और सबको अपने मम्मों का नज़ारे कराते हुए गिलास दिए।
फिर मैं उन चारों के सामने ज़मीन पर बैठ गई.. तो एक बोला- अरे जान.. तू यहाँ आ.. मेरी गोद में बैठ।

मैं उसकी गोदी में जाकर बैठ गई.. और उसका लण्ड महसूस करने लगी।
वो भी मुझे पैग पिलाने लगा। अब एक ने कहा- चल.. सबको नाच के दिखा और पैग पिलाती जा..

तो एक गाना लगाया- मुन्नी बदनाम हुई.. मैंने रण्डियों के जैसे ठुमके लगाने शुरू किये और सबको पैग देती गई।
उन्होंने एक-दो पैग मुझे भी पिलाए।

दारू और नाच के बाद.. अब चारों एक साथ खड़े हुए और मेरी तरफ बढ़ने लगे मैं भी नशे में टुन्न होकर अपनी गाण्ड उनकी तरफ करके नाचने लगी।

एक तो पागलों की तरह आया और आते ही उसने मेरे पीछे से गाण्ड पर कस कर थप्पड़ मारा। मैं दीवान पर जा गिरी और वो मेरे ऊपर चढ़ गया।
उसने मेरी जीन्स के बटन खोलकर खींच कर उतार दी।

मेरी दारू तो जैसे एकदम से उतर गई और फिर एक आदमी मेरे आगे आया और उसने सीधा अपना पजामा उतारा और कच्छे के ऊपर से ही लंड को सहलाने लगा।
वो मेरे बाल पकड़ कर बोला- उतार.. अपने दांतों से इस कच्छे को..

मैंने वैसा ही किया.. उसका कच्छा उतारा और कच्छा हटते ही.. एक मोटा काला लंड ठीक मेरे मुँह के सामने उछल कर आ गया था.. जिसे मैं भी चूसने लगी।
वो ‘आहह.. आहह..’ करते हुए मेरे सर को पकड़ कर मेरा मुँह चोदने लगा।
उसका लंड इतना लंबा नहीं था.. लेकिन जब खड़ा हो गया तो लंड की मोटाई बहुत हो गई.. मेरे मुँह में भी नहीं आ रहा था।

अब पीछे एक आदमी ने मेरी जीन्स और पैन्टी उतार कर मुझे नंगा कर दिया और मेरी चिकनी गाण्ड को चाटने लगा।
इसी के साथ वो मेरी चूत में अपनी उंगली घुसड़ेनी शुरू कर दी।

मेरी तो साँसें तेज़ होने लगीं और मुझे इस सब में मजा इतना अधिक आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती।

अब आगे वाला आदमी मेरे मुँह को बहुत बुरी तरह से चोदने लगा और मेरे मुँह में ही झड़ गया.. पर मैंने उसका पानी पिया नहीं.. साइड में थूक दिया।
अब उसने मुझे खड़ा किया और बाकी के सब तीनों भी आ गए। अब चारों मुझे चूसने-काटने लगे। मैं बहुत ही पागल हो गई थी। एक-एक करके सब लोग नंगे हो गए और मुझे भी नंगा कर दिया।

उन सब ने मुझे नीचे बैठा दिया.. मेरे चारों ओर उन सभी के भीमकाय लौड़े लहरा रहे थे.. जिन्हें मैं मस्ती से बारी-बारी से चूस रही थी।
अब मुझे लगने लगा था कि आज मेरी जबरदस्त ठुकाई होने वाली थी।

आगे की चुदाई की कहानी अगली बार लिखूँगी।
दोस्तो, ईमेल करके जरूर बताना.. कहानी कैसी लग रही है। मुझे आपकी ईमेल इंतज़ार रहेगा।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top