सलहज की चूत रगड़ाई चुदाई

(Salhaj Ki Chut Chudai Ragdai)

लकी सिंह 124 2015-11-08 Comments

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा सादर प्रणाम।

मेरा नाम राजवीर सिंह है और लोग प्यार से मुझे लकी भी कहते हैं। मैं मध्य-प्रदेश के ग्वालियर शहर से हूँ और अन्तर्वासना का गत 5 वर्षों से नियमित पाठक हूँ.. पर अपने अनुभव साझा करने का सौभाग्य आज मिला है।

वैसे तो मेरे कई लोगों से सेक्स अनुभव हुए हैं.. जिसमें मेरी चाची, मेरी मामी, नौकरानी.. सहकर्मी.. नेट-फ्रेंड.. पड़ोसन.. नई छात्राएँ.. सभी शामिल हैं.. पर आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ.. वो मेरे और मेरी हमउम्र सलहज (साले की बीवी) के बीच की है।

मेरी शादी को लगभग 3 वर्ष हो चुके हैं जबकि मेरे साले (जो उम्र में मुझसे बड़ा है) की शादी अभी डेढ़ वर्ष पूर्व ही हुई है।

उसकी बीवी यानि मेरी सलहज गाँव से है। मैं तो बचपन से ही सेक्स के लिए बहुत उत्साहित रहता हूँ और जब मैं उनके गाँव दुल्हन विदा कराने गया तो दुल्हन की भाभियों के द्विअर्थी मजाक और गन्दी बातें सुनकर अपनी सलहज और उसकी भाभियों को चोदने का प्लान बनाने लगा।

खैर.. वहाँ ऐसा संभव नहीं हो पाया और हम लोग दुल्हन को विदा कराके ले आए।

हालाँकि मेरी ससुराल भी ग्वालियर में ही है.. लेकिन मेरी बीवी और उसके माता-पिता बड़े ही शक्की किस्म के लोग हैं। इसलिए मुझे अपनी नवविवाहित सेक्सी सलहज को चोदने का कोई मौका नहीं मिल पा रहा था। मैं बस उसके सेक्सी और चिकने बदन को जिसका उभार लगभग 36-32-38 था.. को देख-देख कर.. उसके फोटो पर हस्तमैथुन करके और उससे चुहलबाजी और द्विअर्थी मजाक करके ही काम चला रहा था।

फिर एक दिन मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया और मेरी बीवी की नानी की तबियत बहुत ख़राब हो गई और मेरी बीवी और उसके माँ-पिताजी को उनके ननिहाल चले गए और मेरी ससुराल में बस साला-सलहज और उनकी फुलटाइम बाई रह गई।

फिर एक दिन मैं दोपहर के समय जब मेरा साला दफ्तर में होता है.. उसी वक्त मैं अपनी ससुराल पहुँच गया। उस समय वहाँ सिर्फ मेरी सलहज और वो बाई थी। मेरी सलहज बन्दिशों की वजह से सिर्फ साड़ी ही पहनती थी। आप लोग तो जानते ही हैं कि साड़ी में नवविवाहिता कैसी लगती है।

तो शुरुआती आवभगत के बाद मैंने बाई को स्नेक्स लाने के बहाने थोड़ी दूर की दुकान पर भेज कर अपनी सलहज से (जिसे मैं भाभी कहता हूँ) बात शुरू की।

मैं- और बताइए भाभी क्या मजे चल रहे हैं?
सलहज उदास होकर- जीजू हमारे क्या मजे चलेंगे.. हमारी तो किस्मत ही ऐसी है।
मैं- क्यों भाभी क्या हुआ.. कोई दिक्कत है?
सलहज- नहीं जीजू छोड़िए ना।

मैंने भाभी के पास जाकर उनकी पीठ पर हाथ रखकर सहानभूति पूर्वक सहलाते हुए पूछा- बताइए ना भाभी.. क्या परेशानी है.. मैं आपका ख्याल रखूंगा।
सलहज- कुछ नहीं ये (मेरा साला) शादी के दूसरे दिन से ही मारते हैं।

मैं- हे भगवान.. कोई आपके जैसी प्यारी बीवी पर कैसे हाथ उठा सकता है.. मैं होता तो इतने आराम से रखता कि आप भी पागल हो जातीं।

सलहज- अरे जीजू हमारी ऐसी किस्मत कहाँ दीदी के तो भाग्य खुल गए।
उसे मालूम था कि मैं अपनी बीवी को बहुत अच्छे से रखता हूँ।
मैं- भाभी आपने मम्मी से क्यों नहीं कहा?
सलहज- कहा था.. पर वो तो कुछ नहीं कहतीं।
मैं- तो आपको मुझे बताना चाहिए था.. ना?

अब तक मैंने भाभी की कमर में हाथ डालकर उन्हें खुद से सटा लिया था।
सलहज- आपसे बोलने में तो मेरी आफत आ जाएगी। दीदी तो वैसे ही कहती रहती हैं कि ये मेरे पति पर डोरे डालती है।

ये सुन कर मैं समझ गया कि अब रास्ता साफ़ है।
मैंने गुस्सा दिखाते हुए- अच्छा ऐसा कहा.. आप चिंता मत करो.. आने दो उसको.. मैं देखता हूँ।
यह बोल कर मैंने उन्हें गले से लगा लिया।

सलहज ने डरते हुए कहा- नहीं जीजू प्लीज.. आप कुछ भी बोलोगे तो मेरी खैर नहीं..
मैं- अरे भाभी आप चिंता मत करो.. आपसे कोई कुछ भी बोले तो मुझे बताना, मैं आपका पूरा ख्याल रखूँगा।
यह बोलकर मैंने उनके मुलायम गाल पर एक किस कर लिया।

सलहज ने हाथ जोड़ते हुए कहा- नहीं जीजू प्लीज.. हम आपके हाथ जोड़ते हैं.. नहीं तो वो लोग हमें घर से ही भगा देंगे।
मैंने उनके हाथ पकड़ कर कहा- अरे भाभी बड़ी मुश्किल से इतनी प्यारी सलहज मिली है.. उससे हाथ थोड़ी जुड़वायेंगे.. उसे तो हम खूब प्यार करेंगे।

यह बोलकर उसके गाल पकड़कर चूम लिया.. तो वो थोड़ा अलग सी हुई।
मैं- क्या हुआ भाभी? लगता है आप हमसे प्यार नहीं करतीं?
सलहज- नहीं जीजू आप हमारे इकलौते जीजाजी हैं.. हम तो आपका सम्मान करेंगे ही।

ये सुनते ही मैंने एक हाथ जो उसकी कमर में डाला था.. उसको कस लिया और कंधे से दबा कर लिटा दिया और खुद ऊपर लेटकर गले पर किस करने लगा।

सलहज ने बहुत धीमी आवाज में साथ ही हटाने की कोशिश करते हुए कहा- जीजू ये क्या कर रहे हैं.. आभा(बाई) आ जाएगी.. तो हम तो मर जायेंगे।

जैसे ही मैंने अपनी सेक्सी सलहज के ऊपर लेट कर उसे प्यार करना शुरू किया.. इतने में ही बाई आ गई और मुझे उसे चोदे बिना हटना पड़ा।
फिर कुछ देर बाद मेरा साला भी आ गया और फिर मैं घर वापिस आ गया।

उसी रात को मेरी बीवी और सास भी वापिस ग्वालियर आ गईं और मुझे फिर मौका ही नहीं मिल पा रहा था। पर अब मैं जान चुका था कि मेरी सलहज भी चुदने को तैयार हो जाएगी.. तो बिना चोदे रहना मुश्किल था। वैसे भी जिस इन्सान पर ज्यादा बंदिशें हों.. वही बिगड़ता है।

फिर एक दिन मेरी बीवी.. सास और साले को अपने एक रिश्तेदार की शादी में दो दिन के लिए बाहर जाना पड़ा। मेरी ससुराल में सिर्फ मेरे ससुर और सलहज ही बचे थे क्योंकि उनकी बाई भी छुट्टी पर 15 दिन के लिए अपने गाँव गई थी।

तो मैंने एक प्लान बनाया और अपने ससुर को अपने साथ एक सामाजिक कार्यक्रम में लेकर गया और वहाँ वो जैसे ही लोगों के साथ व्यस्त हो गए.. मैं वहाँ से चुपचाप गाड़ी लेकर अपनी ससुराल आ गया।

मैंने घन्टी बजाई और मेरी गदराई बदन की मालकिन सलहज ने गेट खोला और मुझे देखकर चौंक गई और बोली।
सलहज- जीजू.. पापा कहाँ हैं?

मैंने अन्दर घुसते हुए और गेट लगाते हुए कहा- मैं उन्हें वहीं छोड़ आया.. क्योंकि मुझे आपसे कुछ बात करनी थी। अब कैसी हो आप? अब तो कोई दिक्कत नहीं ना?

सलहज- अरे जीजू.. अब वो तो हमारी किस्मत ही है। आप अभी जाइए.. नहीं तो पता चला तो हमें मार ही डालेंगे.. उस दिन भी सब बहुत चिल्लाए थे.. जब बाई ने बोला कि हम दोनों घर में अकेले थे।
मैं- अच्छा डरिए नहीं.. पानी तो पिला दीजिए।

वो पानी लेने चली गई और जैसे ही पानी लेकर आई मैंने उसका हाथ पकड़कर अपनी गोद में बैठा लिया और उसके गाल चूम लिए और ‘आई लव यू’ कहा पर वो चुप रही।
मैं- क्या हुआ भाभी.. आप हमसे प्यार नहीं करतीं?
सलहज- आप इकलौते जीजाजी हैं.. आपसे प्यार क्यों नहीं करेंगे।
मैं- तो आई लव यू बोलिए न..
सलहज ने शर्माते हुए- आई लव यू!

ये सुनते ही मैंने उसको ड्राइंग रूम के दीवान पर पटक दिया और उसके गले और पेट को चूमने लगा।
सलहज- जीजू छोड़िए.. ये कैसा मजाक हुआ..

मैंने कुछ नहीं बोला और उसके ब्लाउज के ऊपर के हुक तोड़ कर उसके मम्मों को चूसने लगा। अब वो भी मस्त होकर मेरे बाल पकड़ कर ‘आहें..’ भर रही थी।

फिर मैंने उसकी साड़ी का हटाकर उसके गदराये हुए जिस्म को चूसना और काटना चालू कर दिया। अब उसकी सिसकारियाँ तेज हों गई थीं और मैंने अपना पैन्ट भी उतार दिया।
वो बार-बार बोल रही थी- जीजू प्लीज ये कैसा मजाक है.. कोई आ जाएगा तो मुझे तो मार ही डालेंगे।

मुझे भी अन्दर से थोड़ा डर लग रहा था इसलिए मैंने पूरे कपड़े नहीं उतारे और उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर कर ज्यों ही उसकी चूत पर ऊँगली लगाई तो पता चला कि वो बिना पैन्टी के है और मेरी आशा के विपरीत उसकी चूत एकदम साफ़ थी।

तो मैंने उसकी चूत में दो उँगलियाँ अन्दर तक झटके से घुसा दीं, वो एकदम चिहुँक गई।
उसकी चूत एकदम भट्टी की तरह जल रही थी।

अब मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा तो उसने हटाने की कोशिश की.. लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ कर दुबारा रखा तो उसने लंड को कस के दबा दिया। उधर उसकी चूत इतने में ही झड़ गई थी और वो बहुत जोर से छटपटा रही थी।

अब मैंने उसको दीवान के किनारे करके अपने लंड को उसकी चूत पर रख कर एक कसके झटका मारा और उसकी चीख निकल गई- अई दैयाआआ.. रेएए.. मर गई.. जीजू मार डाला रे मम्मी..
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वो अपने हाथ से मुझ पीछे धकेलने की कोशिश करने लगी और फिर कुछ ही पलों बाद कहने लगी- थोड़ा धीरे.. थोड़ा धीरे..

पर मैंने उसके हाथों को पकड़ कर पूरी ताकत से धक्के लगाना चालू कर दिए। वो अपना सर इधर-उधर पटकने लगी.. तो मैं उसके मम्मे चूसने लगा।
फिर 5 मिनट में वो झड़ गई.. पर मैं तो पहले ही उसके नाम की मुठ मार कर आया था.. तो अभी झड़ने वाला नहीं था।
अब मैंने उसे घोड़ी बना दिया और कुतिया की तरह चुदाई करने लगा।
वो कह रही थी- आह जीजू मार डाला रे.. थोड़ा धीमे करो ना..

पर मैं नहीं माना और वो दुबारा झड़ गई। फिर मैंने उसकी गांड मारने की सोचा और जैसे ही पीछे से गांड पर लंड लगाया.. तो वो मना करने लगी- जीजू वहाँ नहीं..

वो रुआंसी हो गई.. तो मैं मान गया और उसको चूत तरफ से ही चोद-चोदकर उसकी चूत में ही पूरा माल छोड़ दिया।
उसके बाद वहाँ से निकल कर कार्यक्रम स्थल पर पहुँचा और थोड़ी देर बाद अपने ससुर को छोड़ कर घर वापिस आ गया।
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