मेरी बीवी का जवाब नहीं -2

(Meri Biwi Ka Jawab Nahi-2)

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दोस्तो, मैं सुनील, अभी कुछ दिन पहले ही मैंने अपने कहानी भेजी थी, जिसका शीर्षक था, मेरी बीवी का जवाब नहीं!
उस कहानी में मैंने आपको बताया था, अपनी पत्नी के बारे में जो मेरी हर ख़्वाहिश को पूरा करती है, यहाँ तक कि अगर मैं कहूँ कि मुझे किसी और औरत के साथ सेक्स करना है तो वो उसका भी बुरा नहीं मानती, बल्कि हमारी पड़ोसन रिंकू को उसने ही मेरे लिए पटाया था, जिसके कुँवारे यौवन को मैंने अपनी पत्नी के ठीक सामने भोगा, उसके साथ की गई मेरी हर कामुक क्रिया की मेरी पत्नी गवाह है।
उसी कहानी में मैंने यह भी ज़िक्र किया था कि मैंने अपनी साली के साथ भी सेक्स किया था और मेरी बीवी को इस बात की जानकारी थी।
अब मैं आपको अपनी साली स्मिता के साथ सेक्स की बात बताता हूँ।

जब मेरी शादी हुई, तो शादी में ही मैंने अपनी छोटी साली स्मिता को देखा, गोरा चिट्टा रंग, कसा हुआ बदन, अति सुंदर नयन नक्श! मतलब दिमाग में हरामीपन का कीड़ा तभी काट गया कि इसको अगर नहीं चोदा तो जिंदगी साली झंडवा है।
मगर अभी तो यह मुमकिन नहीं था, तो मैंने अपना ध्यान अपनी पत्नी की तरफ ही रखा, शादी हुई, गौना हुआ, सुहागरात भी हो गई। उसके बाद तो चल सो चल। बीवी ऐसी जोरदार मिली के उसने मुझे कभी ना ही नहीं कहा।
अब तो बात मेरी क्षमता की थी कि मैं अपनी बीवी सविता को कितना चोद सकता हूँ।

स्मिता की उम्र उस वक़्त 20 एक साल रही होगी और वो गाँव से करीब 70-80 किलोमीटर दूर दूसरे कस्बे में अपने दादा दादी के पास रह कर पढ़ रही थी। वो अपने गाँव से दूर थी मगर मेरे शहर के पास थी।
मेरी शादी के बाद उससे मिलना जुलना तो होता ही रहता था मगर मैंने कभी उससे कोई गलत हरकत या गंदी बात नहीं की थी।

शादी के बाद एक बार ससुराल गया। मैं अपने ससुर जी के पास बैठा था, शाम का वक़्त था, अब हम शुद्ध शाकाहारी बंदे तो और तो कोई प्रोग्राम होता नहीं कि कोई खाने पीने का या घूमने फिरने का हो, तो घर में ही खाली बैठे थे तो चाय को कह दिया।
जब स्मिता चाय के दो कप लेकर आई तो मैं दूर से ही उसको आती को देख रहा था। कद 5 फुट 4 इंच, छाती 32 इंच, कमर 28 इंच, और कूल्हे 36 इंच, इस हिसाब से उसकी जांघें भी 26 इंच से कम की नहीं रही होंगी। साड़ी में बहुत सुंदर दिख रही थी।

जब उसने आकर हमारे आगे चाय रखी तो मैं कोशिश कर रहा था कि उसके झुकने पर उसकी चूचियों के दर्शन कर सकूँ, मगर उसने अपनी साड़ी बहुत तरीके से बांध रखी थी तो उसके ब्लाउज़ के गले से तो उसकी चूची नहीं दिखी, मगर साईड से उसके चुची का पूरा आकार देख लिया।
अच्छा मेरी इस कमीनी हरकत को मेरे ससुरजी भी ताड़ गए, मगर अब अपने दामाद से वो क्या कहते।

स्मिता चाय रख कर चली गई और मैं उसको कूल्हे मटकाती को जाती देखता रहा। मगर इतना ज़रूर था कि उसकी चढ़ती जवानी और कुँवारे यौवन और मदमस्त सौंदर्य ने मुझे मोहित कर लिया था, सोते जागते मैं उसके बारे में ही सोचता।
फिर सोचा चलो इसे पटा कर देखते हैं, देखें कितना बोझ सहारती है।

इस बात को लेकर मैं अक्सर उससे छेड़खानी करने लगा। जब बाहों में भरने को, यहाँ वहाँ हाथ लगाने को और कभी कभी गाल पे चूमने का उसने बुरा नहीं मनाया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
एक दिन मौका देख कर मैंने उसे पीछे से बाहों में भर लिया और उसकी दोनों चूचियाँ पकड़ के दबा दी।

‘अरे जीजाजी, यह क्या कर रहे हो?’ वो एकदम से चिहुंकी।
‘अरे पूछो मत स्मिता रानी, जब से तुम्हें देखा, दिल पर काबू नहीं रहा!’ मैं उसके कंधे पे एक छोटी सी पप्पी ले कर बोला।
वो बोली- अच्छा जी, शादी दीदी से और प्रेम मुझसे?

जब मैंने देखा कि वो खुद को मेरी बाहों से छुड़वाने की कोई खास कोशिश नहीं कर रही है तो मैंने अपनी कमर भी उसके कूल्हों से सटा दी- अरे स्मिता रानी, अब तुम भी तो मेरी आधी घर वाली हो, आधा प्रेम तो तुम से कर ही सकता हूँ।
कह कर मैंने अपना लंड उसके चूतड़ों की दरार में घिसाया।

वो छिटक कर अलग जा खड़ी हुई- हय दैया, यह क्या कर रहे हो आप?
उसने पैंट में अकड़े हुए मेरे लंड की तरफ देख कर मुझसे कहा।
मुझे लगा कि यह एक अच्छा मौका है, इसे लंड दिखाने का, मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसको हिलाते हुए स्मिता की तरफ बढ़ा।
‘आगे मत बढ़ो जीजू, मैं शोर मचा दूँगी।’ उसने धमकी दी।

मैं और तेज़ी से आगे बढ़ा और उसे फिर से अपनी बाहों में ले लिया, वो छटपटाई, मगर मैंने जोश में भर के उससे कहा- देखो छम्मक छल्लो, तुम पर हमारा दिल आ गया है, या तो अपनी मर्ज़ी से मान जाओ, या फिर हम तुम्हें उठा के ले जाएँगे।
कह कर मैंने अपनी कमर ज़ोर से चलाई और मेरे तने हुए लंड ने उसके पेट पे ज़ोर से चोट की।
वो दर्द से बिलबिला उठी- आई, मर गई!
और वो नीचे ज़मीन पर ही बैठ गई।

मैं उसके सामने जा खड़ा हुआ और अपना लंड उसके मुँह के आस पास घुमाने लगा, वो मेरे लंड को देखती रही, जब मैंने देखा कि उसका पूरा ध्यान मेरे लंड पर है तो मैंने अपना लंड उसके होंठों से लगा दिया।
उसने मुँह घूमा लिया और थूक दिया।

मैं उसके पीछे जाकर बैठ गया और अपने हाथों में उसके दोनों स्तन पकड़ लिए और खूब ज़ोर ज़ोर से दबा दिये, सिर्फ यही नहीं, मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए मैंने उसकी गांड पर हाथ फेर दिया।

वो उठी और भाग गई, दरवाजे के पास रुकी और बोली- बहुत कमीने हो आप!
और एक बड़ी सी मुस्कुराहट मेरी तरफ फेंक कर चली गई।
मेरा तो दिल उछल कर मेरे मुँह में आ गया ‘अरे यार, यह तो पट गई!’
मैं तो खुशी से झूम उठा।

अब मेरे सामने समस्या यह थी कि हम दोनों अकेले कैसे मिले, ताकि मैं उसे चोद सकूँ।
मैंने अपना लंड अपनी पैंट में डाला और कमरे से बाहर आ गया।

उसके बाद मैं भी इसी फिराक में था के कब मौका मिले और कब मैं स्मिता के कुँवारे जिस्म का रस पी सकूँ।
उधर स्मिता भी जब भी मेरे आस पास से निकलती, कनखियों से मुझे झाँकती, मंद मंद मुसकुराती, चेहरे पे शरारत लिए, होती, मैं भी समझ रहा था कि इसकी कातिल जवानी मुझसे चुदने को बेकरार है, मगर मौका ही नहीं मिल रहा था।

फिर एक दिन मौका मिल गया।
जब मैं अपने ससुराल अपनी पत्नी को लिवाने गया तो उसने कह दिया कि स्मिता भी हमारे साथ ही जाएगी।
भला मुझे क्या इंकार हो सकता था, मैंने हाँ कह दी।
अब तो रास्ते भर हम तीनों हँसते बोलते, मस्ती करते आए।

अब जब स्मिता हमारे घर आई हुई थी तो मेरे पास बहुत से मौके थे उससे नज़दीकियाँ बढ़ाने के।
सबसे पहले काम मैंने क्या किया कि जिस दिन हम वापिस घर आए उसी रात मैंने अपनी बीवी की दो बार ली, और जानबूझ कर उसके साथ ऐसे सेक्स किया कि वो तड़पती रहे, क्योंकि जब मेरी बीवी मस्त हो जाती है और काम की ज्वाला में जल उठती है तो वो बहुत शोर मचाती है।
मैं चाहता था कि जब मैं अपनी बीवी को चोदू तो उसकी सिसकारियाँ, उसकी चीखें स्मिता के कानो में ज़रूर पड़ें, ताकि वो हमारी काम लीला की कमेंटरी सुन कर गर्म हो और उसकी मन में भी सेक्स करने की चाहत जगे।

मेरा यह फार्मूला सेट बैठा और अगले ही दिन सुबह स्मिता ने मेरे बीवी से पूछा- रात तो जीजाजी बहुत तंग कर रहे थे आपको?
बीवी बोली- अरे तंग कहाँ, बस यूं ही मस्ती मार रहे थे।
‘अच्छा जी, मस्ती मार रहे थे, तुम्हारी चीखें तो मेरे कमरे तक आ रही थी।’ वो शरारती अंदाज़ में बोली।
‘तो तू हमारी बातें सुन रही थी कमीनी?’ मेरी बीवी ने कहा।
‘अब इतनी ज़ोर ज़ोर से हाय हाय, मैं मर गई, मैं मर गई, धीरे करो धीरे करो, का शोर मचाओगी, तो मुझे क्या पड़ोसियों को भी सुनेगा।’ वो थोड़ा और शरारत से बोली।

मैं बाथरूम में नहा रहा था और मुझे उनकी सब बातें सुन रही थी। जब मैं नहा कर आया तो स्मिता मुझे चाय देने आई।
मैंने उसकी बाजू पकड़ ली- अगर दीदी का दर्द सहन नहीं होता तो थोड़ा दर्द तू बाँट ले उसका!
मैंने उसे कहा।
‘छोड़ो मुझे!’ कह कर वो किचन में चली गई मगर उसके चेहरे की मुस्कान और आँखों की चमक बहुत कुछ कह गई।
कहानी जारी रहेगी।
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