मेरी पाठिका की चुदाई का नया अनुभव

(Meri Pathika Ki Chudai Ka Naya Anubhav)

हैलो दोस्तो.. मैं विशाल हाज़िर हूँ आप सबके सामने अपनी एक और कहानी के साथ।
आप सबने मेरी कहानियों को सराहा.. उसके लिए आप सबका धन्यवाद।

आज की कहानी में जिसके बारे में मैं बता रहा हूँ.. वो मुझे मेल के द्वारा ही मिली थी, उसका नाम अदिति है और मेरी उससे मेल से ही बातें शुरू हुईं।
पूरे दिन घंटों तक हम लोग बातें करते रहते और कई बार तो चैट सेक्स भी कर लेते थे.. पर आप तो जानते ही हो कि इस सेक्स में वो बात कहाँ.. जो लण्ड पेल कर मजा आता है।

खैर.. उसकी जरूरत को तो मैं भी समझ गया था।
इसीलिए मैंने जल्द से जल्द उससे मिलने का प्रोग्राम बनाया और हम दोनों दिल्ली के कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर मिले।
लड़की जरा सांवली थी.. पर साड़ी में उसका फिगर तो यार.. पूछो मत.. एकदम क़यामत लग रही थी।

मैंने उसके गले लगना चाहा.. तो उसने मना कर दिया और कहा- जो करना है.. घर पर करना।

वहाँ से हम उसके फ्लैट में शालीमार बाग़ में गए।
उसने गेट बंद करते ही मुझे पकड़ लिया.. स्मूच करने लगी। उसने अपने हाथ मेरे गाल पर रख दिए और मेरे हाथ अपने कूल्हों पर रखवा लिए।
मैं भी उसका पूरा साथ देने लगा और करीब दस मिनट तक हम स्मूच ही करते रहे।

फिर जैसे ही मैंने उसकी साड़ी खोलने शुरू की..
तो अदिति बोली- बहुत जल्दी में लगते हो।
मैंने कहा- इस काम में कपड़ों का क्या काम औऱ अगर ऐसी ही बात है.. तो लो मैं तुमसे पहले निकाल देता हूँ।

मैंने अपनी टी-शर्ट और बनियान एक साथ निकाल दिए और उसे फिर से स्मूच करने लगा।

अब मैंने उसकी साड़ी निकाल दी और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाने लगा।
उसे भी मज़ा आने लगा और उसने मेरे नीचे वाले होंठ पर काट लिया।
मुझे जरा गुस्सा सा आया और मैंने उसके मम्मों का दाना जोर से दबा दिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

वो मस्त होने लगी और उसने मुझे नीचे फर्श पर ही लिटा दिया और मेरी छाती चूमने लगी।
यह मेरा पहला अनुभव था और मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने भी उसके ब्लाउज और पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में बहुत मस्त आइटम लग रही थी।

मैंने उसे पकड़ कर नीचे लिटाया और उसे ऊपर से नीचे तक चूमने लगा। वो और ज्यादा मस्त हो गई। उसके मुँह से अज़ीब सी आवाज आने लगी। मैंने भी अपनी जींस निकाल दी और उसकी पैन्टी और ब्रा को भी आज़ाद कर दिया।

उसने कहा- अब और ना तड़पाओ.. अपना लण्ड मेरी प्यासी चूत में डाल दो।
मैं भी उसे चोदना चाहता था। इसी लिए मैंने भी उसे और ना तड़पाते हुए उसकी चूत में लण्ड डाल दिया।
लण्ड की खुराक मिलते ही वो सिसकारियां भरने लगी।

मैं अब उसे जोर लगा कर चोदने लगा और उसके मम्मों को दबाने लगा। मैंने उसके मम्मों को दबा-दबा कर लाल कर दिए। वो एक बार झड़ चुकी थी.. पर मेरा अभी हुआ नहीं था.. तो मैंने उसे उल्टा लिटाया और उसकी गाण्ड में अपना मूसल डाल कर उसको जोर-जोर से चोदने लगा और कुछ ही मिनट बाद उसकी कसी हुई गाण्ड में ही झड़ गया।

तभी उसका फ़ोन रिंग करने लगा.. उसके पति का था और वो अदिति को सरप्राइज देने के लिए.. अगली फ्लाइट से दिल्ली आ रहा था।
अदिति ने मुझे बताया तो मेरी तो फट कर हाथ में आ गई।

फिर हम दोनों ने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और उसने मुझे मेट्रो पर छोड़ दिया और खुद अपने पति को लेने चली गई।

तो दोस्तो, एक विवाहित लड़की को चोदने का ये मेरा पहला और छोटा सा अनुभव था। उसके बाद की कहानी फिर कभी।
आपके मेल का इंतज़ार रहेगा।
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