मेरा गुप्त जीवन-106

(Tanvi Bhabhi Ka Garbhadhan)

यश देव 2015-11-26 Comments

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तनवी भाभी का गर्भाधान

फिर सब कार में बैठ कर हवेली लौट गई और सब लड़कियाँ बड़ी खुश थी आज के प्रोग्राम से…
मैं अपनी बाइक पर घर पहुँचा थोड़ी देर बाद!

सब लड़कियाँ डाइनिंग टेबल पर बैठी भोजन कर रही थी ज़ोर ज़ोर से मम्मी जी को बता रही थी कि उन्होंने नदी में कितना आनन्द लिया। खाने में पर्बती ने बड़े ही स्वादिष्ट व्यंजन बनाये थे जिनमें कीमा मटर, चापें और एक सब्ज़ी और मीठे में गाजर का हलवा था जो सबको बहुत ही पसंद आया।

खाने के बाद हम थोड़ी देर के लेट गए जिसमें तनवी भाभी और मैं एक कमरे में थे और बाकी सब अपने अपने कमरों में थे।
क्यूंकि कमरे का दरवाज़ा खुला था तो हम दोनों अपनी हद में ही रह रहे थे लेकिन फिर भी मेरे हाथ भाभी के जिस्म पर रेंग रहे थे चाहे वो कपड़ो के ऊपर से ही था पर भाभी को यह बहुत ही अच्छा लग रहा था, भाभी भी यदा कदा मेरे लंड को छू लेती थी।

थोड़ी देर बाद कम्मो आई और बोली- चलो फिर कॉटेज चलते हैं।
मैं और भाभी उठ कर चलने के लिए तैयार होने लगे, भाभी को कम्मो बाथरूम ले गई और थोड़ी देर बाद निकली और फिर हम सब कार में बैठ कर कॉटेज पहुँच गए।

चौकीदार ने मुझको बड़ी भावभीनी नमस्ते की और पूछा कि मैं कैसा रहा लखनऊ में…
मैंने भी उसके परिवार के बारे में पूछा।

कम्मो भाभी को लेकर अंदर जा चुकी थी, मैं भी उनके पीछे अंदर आ गया।
कॉटेज बिल्कुल वैसी ही थी जैसे मैं छोड़ गया था।
भाभी और कम्मो शायद बैडरूम में जा चुकी थी, वहाँ पहुँचा तो देखा कि भाभी बिल्कुल नंगी खड़ी थी और कम्मो उसके मुम्मों को चूस रही थी।

मैंने अंदर जाते ही पहले कम्मो को भी साड़ी उतारने के लिए कहा और खुद ही उसको भी नंगी करने लगा, साड़ी उतार कर उसका पेटीकोट भी खींच दिया और फिर उसके ब्लाउज और ब्रा को भी हटा दिया।

भाभी कम्मो के मुम्मों की चुसाई से गर्म होना शुरू हो गई थी लेकिन अभी भी उसकी आँखें मेरे लंड को ढूंढ रही थी और मैंने भी जल्दी से अपनी पैंट कमीज उतार दी और कच्छे को उतारने जा ही रहा था कि भाभी ने कहा- सोमू रुको, इसको मैं उतारूंगी।
मैं रुक गया और भाभी नीचे बैठ कर मेरे कच्छे को उतारने लगी तो मेरी और कम्मो की नज़रें मिली और हम दोनों ही हंस रहे थे कि देखो भाभी को कितने ज़ोर का थप्पड़ पड़ेगा।

भाभी इस खतरे से बेखबर हुई अंडरवीयर को उतारने में लगी हुई थी, और जैसे ही उसने अंडरवीयर को नीचे किया कि लंड लाल ने सीधा मुंह पर ज़ोर का थप्पड़ मारा और भाभी एकदम हैरान हुई नीचे गिर गई।
कम्मो तो इसके लिए तैयार बैठी थी, उसने फ़ौरन भाभी को उठा कर बिठा दिया और उसको सहारा देकर मेरे पास ले आई।

तब मैंने कहा- भाभी, यह लंड ससुर बहुत ही हरामी है रे, कुछ भी देखता भालता नहीं और झट से थप्पड़बाज़ी पर उतर आता है। आपको चोट तो नहीं लगी ना?
अब जब भाभी को समझ आई तो वो बड़े ज़ोर से खिलखिला कर हंस दी, हँसते हुए बोली- वाह रे सोमू यार तेरा यह लंडवा तो बड़ा ज़ालिम है रे? अभी चुतवा में तो डंडाबाज़ी करेगा ही, साथ में थप्पड़ भी मारता है।

हम तीनों हंस दिए, मैं और कम्मो, भाभी को तैयार करने में लग गये, जैसे उसकी चूत में उंगली करना और मुम्मों को चूसना और भग को मसलना।
कम्मो ने मुझको इशारा किया और मैं भाभी की टांगों में बैठ कर उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा और फिर उसके भग को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
भाभी मेरी चूत चुसाई से एकदम पगला गई क्यूंकि आज तक उसके साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था और जीभ और मुंह की चुसाई से वो बहुत जल्दी ही सर को इधर उधर पटकने लगी और मेरे लौड़े को खींचने लगी।
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कम्मो ने मुझको उसको घोड़ी बना कर चोदने का इशारा किया, मैंने बेड पर आते ही भाभी को घोड़ी बनने के लिए कहा और जब वो घोड़ी बन गई तो वो मुड़ मुड़ कर पीछे की तरफ देख रही थी, थोड़ी घबरा के बोली- यह क्या कर रहे हो सोमू?
मैं हैरान होकर बोला- तुमको घोड़ी बना कर चोद रहा हूँ और क्या? कभी ऐसे नहीं चुदवाया अपने पति से?
भाभी बोली- नहीं सोमू, वो तो हमेशा एक तरीके से ही चोदते थे और वो भी मुझको सीधे लिटा कर, उनको तो और कोई तरीका नहीं आता।

कम्मो बोली- देखो तनवी भाभी, यह घोड़ी वाले तरीके से चोदने से गर्भ जल्दी ठहरता है इसलिए तुमको घोड़ी बनवा रहे हैं, चलो घोड़ी बन जाओ, तुमको मज़ा भी बहुत आयेगा इस तरीके से।
फिर कम्मो ने भाभी को घोड़ी बना दिया और मुझको अपना लौड़े को घोड़ी की खुली चूत में डालने के लिए कहा।

मैंने ऊँगली लगा कर देखा तो चूत तो बहुत रसीली हो रही थी, मैंने लंड को चूत के मुंह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का मारा और लौड़ा फटाक से टाइट चूत में चला गया।
ज़ोर से लौड़े के चूत के अंदर जाने से भाभी को थोड़ा सा दर्द हुआ, वो बिदके घोड़े की तरह हिलने लगी लेकिन मैंने भी उसके गोल और उभरे हुए चूतड़ों को कस कर हाथ में पकड़ा हुआ था और अपने आहिस्ता धक्कों को शुरू कर दिया, पूरा निकाल कर सिर्फ लौड़े की टिप को अंदर रख कर मैंने पुनः धक्का मारा और अब बिना किसी हिचकिचाहट के लौड़ा अंदर बाहर होने लगा और मैं एक हाथ से उसके गोल मुम्मों को भी टीपने लगा और साथ ही एक उंगली उसकी चूत में डाल कर उसकी भग को भी छेड़ने लगा।

अब भाभी के चूतड़ अपने आप आगे पीछे होने लगे और हम दोनों एक दूसरे के धक्कों को समझ कर चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगे।
अब भाभी को पूरा आनन्द आने लगा और मेरी चुदाई की स्पीड भी बहुत तेज़ होने लगी, मैं उसके चूतड़ों को कस कर पकडे हुए उसको धक्के पर धक्के मारने लगा।

थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद मुझको लगा कि भाभी की प्यासी चूत में कुछ हलचल होने लगी और कुछ ही क्षणों में उसकी चूत ने मेरे लंड को ज़ोर से पकड़ा और वो एकदम खुल गई, उसमें से काफी पानी निकलने लगा और साथ ही भाभी को भी एक झुरझुरी सी हुई और नीचे लेटने लगी लेकिन कम्मो ने उसको रोक दिया और उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसके भग को सहलाने लगी।

भाभी घोड़ी बनी हुई थी और में अपने घोड़े को फिर से रेस के लिए तैयार करने लगा, पहले धीरे धीरे घुड़ चाल शुरू की और फिर धीरे धीरे उसको बढ़ाते हुए तेज़ चाल में ले आया और भाभी को चुदाई का फिर से आनन्द आने लगा, वो भी बराबर जवाब देने में लगी हुई थी। फिर मैं उसके चूतड़ों को हाथ से सहलाने लगा और उनकी मुलायमता को महसूस करके आनन्दित हो रहा था।

थोड़ी देर और ऐसे चोदा तो भाभी फिर से छूटने की कगार पर पहुँच गई थी, मैंने अब घोड़े को सरपट दौड़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही मिन्ट में भाभी का फिर छूट गया।

भाभी थक कर लेटना चाहती थी लेकिन मैंने उसको लेटने ही नहीं दिया और अब कम्मो के इशारे पर मैं उसको दुबारा धक्के मारने लगा, अब मैं उसकी चूत में अपनी धार को छोड़ने के लिए तैयार हो गया था तो मैंने उसके गर्भ का मुंह लंड के द्वारा ढूंढने की कोशिश शुरू कर दी और जल्दी उसको ढूंढ कर मैंने अपना फव्वारा छोड़ने के लिए तैयार हो गया और कम्मो को भी इशारा किया कि मैं फव्वारा छोड़ने के लिए तैयार हूँ।

जब उसने इशारा किया कि वो भी तैयार है, तभी मैंने एक ज़ोर की हुंकार भर कर उसके चूतड़ों को कसकर अपने हाथों में पकड़ कर फव्वारा छोड़ दिया।
गर्म पानी का लावा जब भाभी की चूत में गिरा तो वो हैरान होकर सर इधर उधर करने लगी और फिर एक बार उसका छूट गया।

उधर कम्मो ने एक मोटा तकिया तैयार किया हुआ था, वो उसको भाभी की चूत के नीचे रख कर वहीं बैठ गई और भाभी को उठने नहीं दिया जब तक सारा वीर्य अंदर नहीं समा गया।

मैं उठ कर एक कोक की बोतल पीने लगा और कम्मो और भाभी को भी एक एक बोतल दे दी।
थोड़ी देर में भाभी सामान्य हो गई।

आज मौका अच्छा था तो मैंने कम्मो को आँख मारी- आ जाओ जानी, बहुत दिनों से तुम्हारी ली नहीं!
और वो मुस्कराते हुए ना करने लगी।

लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, अपनी तरफ खींच के लबों पर एक हॉट किस कर दी, उसको आलिंगन में लेकर मैंने अपना खड़ा लौड़ा उसकी चूत के ऊपर रख लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा और एक हाथ से उस को मोटे सॉलिड मुम्मों को छेड़ने लगा।
उधर भाभी की तरफ देखा तो वो आँखें बंद करके सोई थी।

कम्मो तो काफी गर्म हो चुकी थी लेकिन मैं चाहता था कि मेरी गुरुआनी खुद कहे ‘अब और नहीं, अंदर डालो ना प्लीज!!’
तो मैं उसके मुम्मों को चूसता रहा और भग में ऊँगली डाल कर उसको तैयार करता रहा। अब मैंने महसूस किया कि वो भी धीरे धीरे चुदवाने के लिए राज़ी हो रही है लेकिन मैं चाहता था कि वो खुद कहे तो मैं शुरू करूँ!
और कम्मो शायद यह सोच रही थी कि मैं स्वयं ही पहल करके उसकी चुदाई शुरू करूँ।

इस कश्मकश में तनवी भाभी जागने लगी थी अब कम्मो ने हार कर बोला- छोटे मालिक, सोच क्या रहे हो? शुरू कर दो!
मैं सीरियस होते हुए बोला- पक्का शुरू करूँ क्या?
अब कम्मो हंस पड़ी और बोली- छोटे मालिक, मैं आप को अच्छी तरह से समझती हूँ, आप चाहते हो कि मैं आपसे कहूँ कि चुदाई शुरू करो मेरे छोटे से सोनु-मोनु!
मैं खुश होकर बोला- वही तोह… फिर क्या आज्ञा है गुरुदेवी?
कम्मो बोली- सोनु मोनु, जल्दी करो प्लीज… अब और नहीं रुका जाता।

मैं अब लंड को हाथ में लेकर कम्मो की टांगों के बीच बैठ गया और बेहद गीली चूत में अपना लोहे की तरह सख्त लंड डाल दिया जो एक ही धक्के में पूरा का पूरा अंदर चला गया।
धीरे धीरे चुदाई करते हुए मैं अपनी स्पीड बढ़ाने लगा लेकिन कम्मो तो मेरी गुरु थी, वो नीचे से भी तेज़ी से धक्के मार रही थी और मुझको विवश कर रही थी कि मैं भी तेज़ धक्कों की स्पीड पर आ जाऊँ।

मैं भी एक आज्ञाकारी पति की तरह से स्पीड से धक्के मारने लगा, हर धक्के का जवाब कम्मो रानी दे रही थी और जल्दी ही इस धक्का शाही में कम्मो का तीव्र स्खलन हो गया ऐसा होना ही था क्योंकि इतने दिनों से वो चुदाई का तमाशा देख रही थी लेकिन उस बेचारी को एक बार भी चुदवाने का मौका नहीं मिला था।

कम्मो का स्खलन हुआ, उसने मुझ को बड़ी बेदर्दी से कस कर अपनी बाहों में बाँध लिया और मुझको लगा कि मेरा सांस रुक जाएगा। फिर उसने मुझको बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।

जब कम्मो संयत हुई तो हमने देखा कि तनवी भाभी बड़े ध्यान से हमारी चुदाई का नज़ारा देख रही थी और अपनी ऊँगली अपनी चूत में डाल कर अपनी भग को सहला रही थी।
भाभी ने एक बड़ी हसरत भरी नज़र से मुझको देखा, मैंने कम्मो के ऊपर से उठ कर भाभी को सीधा लिटा कर उसकी चूत में अपना गीला लंड डाल दिया और उसको चूमते हुए धक्का शाही शुरू कर दी।

भाभी के मोटे उरोजों को चूमते हुए, चुचूकों को मुंह में चूसते हुए मैंने भाभी को काफी ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया।
भाभी को अब काफी आनन्द आ रहा था और वो मुझसे चिपट कर बड़े ही प्यार से चुदवा रही थ॥
मुंह से मुंह जोड़ कर, छाती से छाती मिला कर और चूत से लंड को मिला कर चोदने का मज़ा ही और है।

कम्मो भी बाथरूम से निकल कर आ गई थी, मुझसे पूछ रही थी कि मैं क्या भाभी के अंदर छुटाऊंगा?
मैंने चुदाई जारी रखते हुए हाँ में सर हिला दिया।
मैं चाहता था कि भाभी का गर्भाधान पक्का हो जाए उसके गाँव से जाने पहले।
और अब भाभी पूरी तरह चुदाई का आनन्द ले रही थी, जिस स्पीड से मैं लंडबाज़ी कर रहा था, वो जल्दी ही अपना पानी छोड़ते हुए झड़ गई।

उसके झड़ते ही मुझको कम्मो का इशारा मिला कि मैं भी जल्दी करूँ और कम्मो के हुक्म की तामील करते हुए मैंने बेहद स्पीड से चोदना चालू रखा और कुछ ही क्षणों में भाभी की चूत की तह तक मेरा गाढ़े वीर्य का फव्वारा छूट गया।
कम्मो ने भाभी को लेटे रहने के लिए कहा और उसके चूतड़ों के नीचे मोटा तकिया रख दिया और टांगें भी ऊपर उठा दी।

मैं भाभी के ऊपर से उठ कर नंगा ही सारी कॉटेज का चक्कर लगा आया और देख कर खुश हुआ कि सब कुछ वैसे ही पड़ा है जैसे कि मैं छोड़ गया था।

वापस आया तो मैंने कम्मो से पूछा- भाभी को बताया कि घर पहुँचते ही अपने पति से चुदवाना है उसको?
भाभी बोली- लेकिन मेरा पति तो कुछ कर नहीं सकता न, उससे कैसे चुदवाऊँगी?
कम्मो ने पूछा- क्या तुम्हारा पति कभी भी तुमको नहीं चोदता? या फिर कोशिश तो करता है लेकिन वो तुमको पूरी तरह से तसल्ली नहीं दे पाता?

भाभी बोली- कई बार वो अपने आधे खड़े लंड से चढ़ने की कोशिश तो करता है लेकिन मेरे को कोई मज़ा नहीं आता है।
कम्मो बोली- यानि उसका लंड खड़ा तो होता है लेकिन वो तुम्हारी चूत में भी डाल देता है लेकिन वो तुम को कोई मज़ा नहीं दे पाता। ऐसा है क्या?
भाभी बोली- हाँ ऐसा ही है।
कम्मो बोली- अच्छा घर चलो, मैं तुम को सारी बात समझाऊंगी और एक दवाई भी दूंगी उससे तुम्हारा काम ठीक हो जाएगा। यह बेहद ज़रूरी है कि तुम घर पहँचते ही अपने पति से ज़रूर चुदवाओ, नहीं तो वो तुम पर शक करेगा कि किसी और का बच्चा पेट में लेकर आई हो तुम! समझ गई ना?

कम्मो ने मुझसे भी कहा कि मैं भी कपड़े पहन लूँ ताकि यहाँ से निकल चलें।
कपड़े पहन कर हम वहाँ से निकले लेकिन मैंने जाने से पहले चौकीदार को 10 रूपए इनाम में दिये।
घर पहुँचे तो देखा, सब सो रहे हैं, मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया।

कहानी जारी रहेगी।
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