भतीजी ने जीते जी स्वर्ग दिखाया

(Bhatiji Ne Jeete Ji Swarg Dikhaya)

कमल किशोर 2016-02-27 Comments

नमस्कार दोस्तो,
मैं आपका किशोर एक बार फ़िर हाज़िर हूँ नये अनुभव के साथ ! मैं कितना ठरकी हूँ आप जानते ही हैं।
यह कहानी मेरी भतीजी के साथ यौन सम्भोग की है, वो मेरी दूर की भतीजी है जिसे मैंने उसकी शादी के बाद चोदा!

मेरी भतीजी का नाम सुमन है, वह राजस्थान में हनुमानगढ़ में रहती है। उसकी फिगर को देखकर कोई भी उस पर मर मिट सकता है, इतना मस्त फिगर है उसका 34-30-36, रंग एकदम गोरा है लम्बाई 5’5″ है, पेट बिल्कुल अंदर की ओर धंसा है और इतनी कामुक अदायें हैं कि पूछो ही मत… बाल काले और चूतड़ों से नीचे तक लम्बे हैं।
मैं भी बांका खूबसूरत हूँ और 5’8″ लम्बा जवान हूँ, मेरी उम्र इस समय 29 है।

अब सीधे कहानी पर आता हूँ !
सुमन को मैं पहली बार आज से सात वर्ष पहले किसी शादी में मिला था, उस समय मैं 22 साल का था और वो 18 साल की कमसिन हसीना थी। उसे देखते ही मेरी नज़र उस पर आ गई थी, मुझे वो बेहद पसंद आई और वो भी बार बार मुझे ही देख रही थी!
हमारी आपस में बार-बार निगाह मिल रही थी पर हम शादी के अपने अपने काम में लगे हुए थे, मैं तो उससे शादी के सपने संजोने लगा था!

मेरे चाचा जी की लड़की की शादी थी, उन्हीं दीदी ने मुझे किसी काम से बुलाया। वो भी वहीं आ गई, हम एक दूसरे की आँखों में देख कर मुस्करा दिये पर हम पर बिजली तब गिरी जब उसने (दीदी ने) हमारा परिचय कराते हुए बताया कि वो मेरी दूर की भतीजी लगती है!
हम ऐसे हो गये थे कि ‘काटो तो खून नही!’

खैर दीदी ने कुछ काम बताया, छत वाले कमरे में से कुछ लाना था, तो मैंने जाते समय उसे इशारा किया तो वो भी मेरे पीछे पीछे आ गई।
ऊपर वाले कमरे में किस्मत से कोई नहीं था, उसने आते ही मुझे छेड़ा- बोलो चाचा जी?
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला- सुमन, मैं नहीं जानता क्या सही है, पर तुम्हें देखते ही प्यार करने लगा हूँ।

वो बोली- प्यार तो मुझे भी है, पर आप मेरे चाचा हो।
मैंने कहा- तो क्या हुआ… प्यार होते समय हमें पता नहीं था, हम अब भी प्यार कर सकते हैं।

उसने अपनी गरदन झुका ली और कुछ नहीं बोली!
मैंने उसे अपनी बाँहों के घेरे में जकड़ लिया। उस समय उसने पंजाबी सूट पहन रखा था! गुलाबी सूट में वो गुलाब का फूल लग रही थी!
मेरी बांहों में वो मोम की तरह पिघलने लगी थी, हम एक दूसरे की आँखों में खो गये थे, पता नहीं कब मेरे लबों ने उसके मुलायम लबों को अपने अंदर समा लिया।
अचानक ही किसी के कदमों की आहट ने हमें अलग कर दिया पर अब तक हम एक दूसरे के हो चुके थे।फ़िर हम दीदी का लहंगा अलमारी से निकाल कर अलग अलग नीचे चले गये!

मैं वहाँ 4-5 दिन और रहा, हम पूरा दिन मस्ती करते रहते! जब भी मौका मिलता हम एक हो जाते और चुम्बन लेते! मैं उसके खूबसूरत गोल, सफेद, बड़े-बड़े उभारों को दबा देता या मौका मिलने पर एक दो बार चूस भी लिया था, पर इससे ज्यादा करने का मौका ही नहीं मिला।

एक दिन तो मेरी बड़ी सगी बहन (जो मेरे साथ आई थी) ने हमें चुम्बन लेते देख लिया पर बोली कुछ भी नहीं!

फ़िर हम घर आ गये पर मैं महीने में एक बार उसके शहर ज़रूर जाता था और उससे किसी रेस्तरां में मिलता था!
पर हमें सम्भोग सुख ना मिला!

इसी तरह पांच साल निकल गये और मेरी शादी हो गई पर मेरे मन से उस से सम्भोग की इच्छा नहीं ख़त्म हुई और अब तक तो मैं पूरा ठरकी बन गया था!

अब हम दोनों पति पत्नी कुछ महीने पहले, मेरी पत्नी के ननिहाल चुरू गये हुए थे, तो मुझे पता चला कि सुमन की शादी भी यहीं हुई है।
मेरे बारे में सुनते ही वो भी दौड़ी चली आई और मेरी धड़कनें बढ़ चली थी, मन बल्लियों उछल रहा था!

जब मेरी जान मेरे सामने आई तो, मैं तो खड़े खड़े फनाह हो चला था!
क्या रूप निकल आया था!
जैसा हमारे रिवाज़ है, उसने साड़ी पहन रखी थी ! क्या सितम ढा रही थी उसकी जवानी… काली साड़ी कमर से नीचे बँधी थी उसकी नाभि दिख रही थी, नितम्बों का उभार बढ़ गया था, उसका एकदम दूधिया सफेद बदन काली साड़ी में चमक रहा था, स्तन और भी बड़े हो गए थे, ब्लाउज भी डीप कट था… आआआह्हह… जो उसके स्तनों की घाटी को स्पष्ट दिखा रहा था।
उसकी पतली कमर लचक लचक जा रही थी… उसे देखते ही लन्ड महाराज खड़े हो गये थे जिसे मैंने बड़ी मुश्किल से छुपाया था। उसका गोरी कमर और पेट मुझे मदहोश कर रही थी उसका गोरा वक्ष स्थल मुझे पागल कर रह था… आआआह्हह…

खैर उसने मुझे और मेरी पत्नी को रात्रिभोज पर बुलाया और मैंने झट से हाँ कर ली हालाँकि मेरी पत्नी सहमत नहीं थी क्योंकि वो अपने माता पिता और परिवार के साथ रहना चाह रही थी।
शाम को मेरी पत्नी ने जाने से मना कर दिया था पर मैंने जाना ठीक समझा और मन ही मन अपनी पत्नी को धन्यवाद दिया!

उसका घर बहुत ही सुंदर और उसकी तरह ही सलीके से सज़ा हुआ था।
मुझे जाने पर पता चला वो दोनों ही बस पति पत्नी थे घर पर… बच्चा उसे कोई हुआ नहीं था और सास ससुर उसके पोते की मन्नत ले कर तीर्थ पर गये थे!

उसके पति रमेश ने मेरी अच्छी आवभगत की थी, वो पर वो शराबी था मुझे बाद में पता चला!
रमेश ने मेरे साथ भोजन नहीं किया।
मेरे भोजन करने के बाद दोनों ने मुझे रात को रुकने का आग्रह किया।
मैं तो यही चाहता था, मैंने अपनी पत्नी को फोन करके बता दिया।

हम लोग बरामदे में बैठे थे, इसके साथ ही रसोई थी।
थोड़ी देर में रमेश बोला- चाचा जी, मैं अभी आता हूँ!
और चला गया!

सुमन जान बोली- चले गये शराब पीने!
और उदास होकर बोली- रोज़ बहुत ज्यादा शराब पीते हैं।

वो रसोई में चली गई।
मैं तो पहले ही मौके पे चौके का उस्ताद हूँ, धीरे से उसके पीछे पीछे रसोई में चला गया।

वो मेरी तरफ़ पीठ करके खड़ी थी, क्या चूतड़ थे दोस्तो !
मैंने पीछे जाकर उसकी चिकनी सफेद कमर पर अपने दोनों हाथ बढ़ा दिये, मेरे हाथ फिसल कर आगे पेट की तरफ़ बढ़ गये!
क्या मुलायम और चिकना पेट था, बता नहीं सकता!
मैं उसके पीछे बिल्कुल सट कर खड़ा था और मेर लिंग उसकी गांड को छू रहा था।

मेरे होंठों ने उसकी गरदन को अपनी गर्मी देनी शुरू कर दी थी… उमम्म हह!

अब वो भी पीछे हट गई, उसका गोरा, कामुक गर्म बदन मेरे बदन से चिपक गया था, वो पिंघल कर मेरे अंदर अंदर समा जाना चाहती थी!
हमारी वर्षों की तमन्ना पूरी हो रही थी!

मेरा एक हाथ उसके मुलायम पेट को सहला रहा था, उसकी नाभि से खेल रहा था और दूसरा हाथ उसके बड़े वक्ष को मसल रहा था।
मैं अपना हाथ उसके डीप कट बलाउज में डालकर उसके एक उरोज बूब को मसलने लगा… कितना मखमली अहसास था आआ आह्हह!

अब वो भी काम वेग से बोझिल हो रही थी, अपना सारा वजन मुझ पर डाल रही थी, मेरे होंठ अब भी उसके कान से होते हुए उसके पीछे गरदन और बड़ी गले की ब्लाऊज से पीठ पर घूम रहे थे, उसके दोनों हाथ मुझे कमर के पास से पकड़ कर खींच रहे थे, उसकी आँखें बँद हो चली थी और वह अपने होंठों काट रही थी।

मेरा लिंग कपड़ों को चीर कर उसमें घुसने की नाकाम कोशिश कर रहा था!

मैंने उसकी साड़ी को पीछे से ऊपर उठा दिया, देखा कि उसने पेंटी नहीं पहनी थी, मेरी पेंट की जीप खोल कर मैंने लिंग उसके चूतड़ों की दरार में चिपका दिया।
मेरे लिंग की गर्मी उसे पागल कर रही थी।
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इसके साथ ही मैंने दायें हाथ से उसके आगे की साड़ी उठाई और उसकी चूत पर हाथ लगाया।
‘ऊम्म्म्म आअह ह्हह…’ क्या मुलायम फूली हुई क्लीन शेव चूत थी, मेरी पयारी सेक्सी भतीजी की चिकनी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उसका रस जांघों पर फैलने लगा था!

अब वो एकदम पलटी और उसका मुँह मेरे मुँह के बिल्कुल सामने था, उसकी आँखें वासना से लाल हो चुकी थी, लबों से रस टपक कर आने को आतुर लग रहा था, उसका चेहरा गुलाबी हो गया था, ऐसा लग रहा था कि दूध में केसर उढ़ेल दिया हो।

उसके कामुक जिस्म की मादक खुशबू ने मुझे पागल कर दिया था, अब मेरे लबों ने उसके लबों को चूसना शुरू कर दिया, उसकी जीभ मेरे मुँह में आ गई जो मिश्री सा मीठा स्वाद दे रही थी।

मेरे दोनो हाथ उस कामदेवी का चेहरा थामे हुए थे कि अचानक उसके पति के लड़खड़ाते कदमों की आहट हुई और हम अलग हो गये। रमेश लडखड़ाते हुए रसोई में आया।
‘आ गये आप? चाचाजी बैठे बोर हो रहे थे तो किचन में आ गये बात करने!’
यह सुमन की आवाज़ थी।

फ़िर हम वापिस बरामदे में आ गये, रमेश ने जैसे तेसे खाना खाया और सोने चला गया।

हम फ़िर अकेले हो गये, उसने मेरा बिस्तर अपने ससुर के कमरे में लगाया जहाँ दो सिंगल बेड पड़े थे, जिसमें से एक मुझे दिया।
यह कमरा उसके कमरे से लगभग सामने था।

मैं फ़िर उसके नज़दीक जाने लगा तो उसने मना कर दिया, बोली- चाचा जान, ना छेड़ करो, थोड़ा सब्र करो, फ़िर मैं आपकी ही हूँ!
अब तो एक एक पल एक साल सा गुजर रहा था।

फ़िर उसने बर्तन साफ किए और बाकी काम करके अपने कमरे में चली गई।

करीब एक घंटे के बाद वो मेरे कमरे में आई और बताया कि उसका पति रात में दो बजे से पहले कभी नहीं उठता। और फ़िर भी वह बाहर से कुंडी लगा आई है!

वो नहा कर आई थी, गुलाबी बदन पर उसने पर्पल नाईटी पहनी थी, क्या कयामत लग रही थी!
मैं तो पहले ही अपने कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर में था।

वो तो जैसे कामवासना की अग्नि में जल रही थी, उसने अंदर से कुंडी लगा दी और सीधे मेरे ऊपर लेट गई थी, उसकी चूत को मेरा लन्ड रगड़ रहा था।
उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, उसके हाथ मेरे सिर को सहला रहे थे!
उसका पूरा शरीर तप रहा था।

अब उसने अपनी नाईटी भी उतार कर फैंक दी थी, वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी।
उस वक़्त अगर कोई मुझे स्वर्ग दे तो उस अप्सरा के लिए मैं वो भी ठुकरा दूँ!

वो मेरे घुटनों के पास ही बेड पर ही खड़ी थी, ऐसे एल.ई.डी. सी चमक रही थी वो… उम्म्म्म आआआह्हह!

अब वो फ़िर से मेरे ऊपर लेट गई और हमने 5 मिनट तक एक दूसरे की जीभ को रगड़ा, मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे!
अब मैंने उसको ऊपर से अपनी दाईं तरफ़ लुढका दिया और फ़िर उसके ऊपर आ गया।
फ़िर मैंने उसके पैरों के बीच बैठ कर उसके दोनो पैरों को अपनी कमर के दोनों तरफ़ से निकाल लिया।

अब मैं मेरे अंडरवीयर के छेद में से लन्ड निकल कर उसकी चूत पर रगड़ने लगा और दोनो हाथों से उसके बूब्स दबाने लगा!
अब वो ‘आह्ह्ह आम्मम्म एउउउईई आह्ह्ह्ह्ह…’ करने लगी पर मैं कोई जल्दी नहीं करना चाहता था।
मैं 4-5 मिनट तक में उसके पेट, कंधे, बूब्स उसकी बगलों पर अपने हाथ घुमाता रहा और वो ‘आअह्ह हह्हह ऊम्म्म आअह्ह ह्हह्हह’ करती रही।

अब मैंने उसे पलट दिया और उसकी पूरी पीठ को सहलाते हुए कभी चाट रहा था तो कभी काट रहा था।
उसकी सिसकारियाँ बढ़ गई थी।
फ़िर मैंने उसके कूल्हों, जांघों और पैरों को भी चाटा। बिल्कुल चिकनी और सफेद टांगें थी उसकी!

अब मैंने उसे फ़िर पलटा, वो सीधी हो गई, इतनी मस्त लग रही थी कि मन कर रहा था कि बस खुद में उतार लूँ…
खैर वो ‘आआह्ह ह्ह्ह्ह ऊम्म्म आआऊऊऊच इम्म्म्म उह हुहुह्ह…’ किये जा रही थी, उसकी चूत लगातार टपक रही थी।

अब मैंने उसको माथे पर चूमा और बड़ी काली आँखों, तीखे नाक भरे और गुलाबी सफेद गाह्ल लम्बी गोरी गर्दन, कंधों को सहलाते हुए चाट गया था!

अब मैंने उसके स्तनों को चूसना, चाटना शुरू किया जिससे उसकी सिसकारियाँ तेज हो गई, जिस्म अकड़ने लगा, उसकी गर्दन पीछे को मुड़ गई, सीना तन गया… उसके हाथ कभी बेड शीट को पकड़ते तो कभी मेरे बालों को सहलाते, कभी मेरी पीठ को नोचते!

उधर मैं एक हाथ से उसके बड़े स्तन को मसल रहा था, दूसरे हाथ से चूत के ऊपर छोटे से दाने को रगड़ रहा था, मेरा लन्ड चूत के निचले हिस्से को घिस रहा था।

फ़िर मैंने उसके पेट को दबाया, सहलाया और चाट लिया!
फ़िर मेरा मुँह उसकी चूत को चाटने लगा, अब वो बहुत जोर से सिसक उठी और ढेर सारा पानी बह निकला जिसे मैंने सारा चाट लिया था।

अब मैं उसके पैरों की तरफ़ लेट गया और उसके पैरों को चाटते हुए उसकी चूत की तरफ़ बढ़ने लगा।
वो बोली- जान अकेले ही मजे लेते रहोगे?
और मुझे चित लेटा कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी और मेर लन्ड को लॉलीपॉप बना कर चूसने लगी।

अब मेरा भी छुटने वाला था, हम दोनों ‘आआह्हह आअह्ह ह्हह्हह आह्ह ह्ह्ह उह हूउ ह्ह्ह्ह’ कर रहे थे।
मैंने अपना पानी छोड़ दिया और वो सारा गटक गई, फ़िर बोली- मेरे दिल के राजा, आ जा मेरी प्यास बुझा… मुझे और ना तड़फा!
मैं बोला- तुम खुद कर लो!

फ़िर उसने मेरे अंडरवियर को उतारा क्योंकि अब तक लन्ड अंडरवीयर के छेद से ही निकला हुआ था। कुछ देर मेरे मुरझाए लन्ड को चूस कर उसमें जान डाली और वो मेरे 6″ लम्बे लन्ड पर बैठी और घुटने मोड़ कर हिलने लगी, उसके हाथ मेरी छाती पर थे और मेरे हाथ उसके चूचों को मसल रहे थे।

करीब 5-7 मिनट में वो निढाल हो गई, बोली- हो गया!

अब मैंने उसे नीचे लिटाया और बीच में आकर उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसकी चूत में अपना लन्ड डाला और धक्के मारने लगा।
वो फ़िर ‘आह्ह ह्ह्ह्ह आह ह्ह्ह ऊऊ ऊम्म्म्म्म माआआह्ह्ह ह्ह्ह…’ करने लगी।

‘आअह्ह ह्हह्हह उम्म्म्म्हह्ह…’ के साथ उसकी चूत में मैंने अपना लावा छोड़ दिया और कुछ देर हम उसी पोजिशन में रहे।

अब मैं और मेरी दिलरुबा भतीजी साथ साथ लेटे, उसने कहा- जान, जिंदगी में पहली बार मैंने इतना परम आनन्द पाया है।
हमने समय देखा, एक बज गया था, वो खड़ी होकर कपड़े पहनने लगी तो मैंने रोका और उसकी कुछ तस्वीरें ली फ़िर वो कपड़े पहन कर अपने पति के साथ सो गई और मैं अकेला रह गया।

अगले दिन वो बहुत खुश थी और मैं मेरी पत्नी के साथ वापिस आ गया।
फ़िर कुछ दिन बाद उसकी काल आई और बताया कि वो गर्भवती है और बच्चा मेरा है।

यह था मेरा और उसकी सात साल की तपस्या का फल !

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