शादी में चूसा कज़न के दोस्त का लंड-5

(Shadi Me Cousin Ke Dost Ka Lund Chusa-5)

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रात के करीब 1 बजे का समय रहा होगा कि अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई भारी भरकम वज़न मेरे ऊपर आकर गिर गया है..
एकदम से आंख खुली तो रवि नशे में धुत्त मेरे ऊपर गिरा हुआ था.. उसका 80 किलो का भार मुझे टस से मस नहीं होने दे रहा था।

हालांकि मुझे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी फिर उसके बदन का मेरे पूरे बदन को स्पर्श करना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. उसका जिप वाला भाग मेरे लंड के ऊपर टिका हुआ था जिससे मुझे अति आनंद की अनुभूति हो रही थी..
मैंने पेट पर रखे अपने हाथ बाहर निकाले तो उसने भी अपनी मजबूत बाजुओं मेरे दोनों हाथों बेड पर दबा लिया।

मैंने उसकी मोटी मोटी सख्त उंगलियों में अपनी नरम कोमल उंगलियाँ डाल दीं जिससे उसे मेरी तरफ से सहयोग का इशारा मिल गया।
उसके छाती से पसीने की खुशबू आ रही थी जो मुझे अजीब सुरूर की तरफ लिए जा रही थी। उसकी सासों आती शराब की महक मुझे
गुलाबों सी लगने लगी थी जो सीधा मेरी सासों में घुल रही थी और उसकी हर सांस को मैं अपनी सांस के साथ जानबूझ कर अंदर ले जा रहा था ताकि उसको जी सकूं..

मैंने पतली सी कॉटन की निक्कर पहन रखी थी जो सिर्फ मेरी जांघों तक को ढके हुए थी। मैंने अपनी दोनों टांगें हल्के से बाहर निकालीं और रवि की गांड पर दोनों तरफ से रख दीं जिससे उसका जिप का उभार मेरी जांघों के अंदर तक चला गया और मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी।

अब उसने मेरी गर्दन पर हल्के से चूमना शुरू किया और मेरी टांगों की पकड़ उसके मोटे मोटे कूल्हों पर बढ़ने लगी, मेरे हाथों को बेड पर दबोचे हुए वो धीरे धीरे अपने उभार को मेरी जांघों के अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा।
मैं भी अपनी टांगों से उसकी गांड को दबाते हुए उसका साथ देने लगा।

अब वो हुआ जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..
उसने एकदम से अपने गाजरी होंठ, जिनमें से नशीली महक आ रही थी, मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे निचले होंठ को चूसने लगा।
मेरी आंखें हैरानी से खुलीं तो देखा तो उसकी आंखें बंद हैं और वो नशीला मर्द अपने लाल लाल होठों से मेरे होंठ चूसने में मदहोश है।

मेरे आनंद का ठिकाना नहीं रहा और मैं नागिन की तरह अपने चंदन से लिपटने लगा..

होंठ छोड़कर वो फिर से मेरी गर्दन पर चूमने लगा और मेरी आहें निकलना शुरु हो गईं। मैंने उसको कसकर बाहों में भर लिया और उसको अपने अंदर समाने के लिए बेताब हो उठा, उसकी छाती से आती पसीने की खुशबू.. उसकी महकती सासें और मेरी जांघों के बीच में उसके लंड का अहसास.. इन तीनों के तालमेल से मैं बेकाबू होता जा रहा था।

मैंने उसको उठाने की कोशिश की तो उसने मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरी छोटी छोटी चूचियों को अपने मजबूत हाथों से मसल दिया। अब वो अपनी भुजाओं से मुझे ऊपर उठाता हुआ खुद पीठ के बल लेट गया और मुझे अपनी पैंट की जिप पर बैठा दिया और उसी कातिल मुस्कान के साथ आंख मार दी।

अब बारी मेरी थी, मैं सीधा उसकी गर्दन पर टूट पड़ा, उसे पागलों की तरह चूमने लगा।
उसने अपनी शर्ट के बटन खोले और मैंने बनियान में से बाहर आ रहे उसकी छाती के बालों में मुंह दे दिया और उनको चूमने लगा।

मैंने उसकी बनियान निकालने में मदद की जिससे उसकी पहलवानों जैसी छाती नंगी हो गई और छाती के उभारों के बीच में हल्के भूरे रंग के उसके निप्पल देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया, मैंने झट से उनको मुंह में लिया और चूसने लगा।
उसकी छाती के पसीने का नमकीन स्वाद उसके निप्पलों में मिल रहा था जो मुझे पागल किए जा रहा था।

अब मैं उसके पेट के बालों के चूमता हुआ नीचे नाभि तक पहुंचा तो उसकी फॉर्मल पैंट का हुक बीच में आ गया जिसमें कुछ हल्के हल्के
छोटे झाटों के बाल ऊपर आ रहे थे।
उसकी फॉर्मल ग्रे पैंट में उसका लंड बाईं तरफ अकड़ा हुआ झटके मार रहा था और प्रीकम की बूंदें पैंट को लंड की टोपी के पास से गीली कर रही थीं।

मैंने पैंट के ऊपर से प्रीकम को चाटा और लंड को किस कर लिया जिससे लंड ने जोर का झटका मारा और मैंने हाथ में लंड को भर
लिया।

आनंद से उसके रसीले होंठों से सिसकी निकल गई।
मेरे हाथ पैंट के हुक पर पहुंच गए, उसकी पैंट का हुक खोलते समय मेरे मुहं से लार गिरने लगी थी।
हुक खुलते ही उसने पैंट घुटनों तक सरका दी और ग्रे जॉकी के अंडरवियर में उसका लंड फुक्काड़े मारता हुआ फ्रेंची को उसकी बालों भरी जांघों से एक इंच ऊपर की ओर उठाता हुआ तंबू बना रहा था।

जांघों पर फ्रेंची की लाइन के साथ साथ बालों में प्रीकम लगा हुआ था जिसे मैं जीभ से चाट गया और फ्रेंची में से ही लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा।
उसने अपने हाथों से मेरे बाल पकड़े और फ्रेंची में तने लौड़े पर मेरे होंठों को फिराने लगा.. कभी आंडों में घुसाता और कभी दांतों में फंसा देता।

अब मेरे सब्र का बांध टूटा और मैंने फ्रेंची का जांघों तक खींच दिया और उसका 9 इंच का प्रीकम से सना लंड मेरी नाक पर जा लगा जिससे वीर्य की खुशबू आ रही थी और टोपी की भीग चुकी थी। स्किन के अंदर दिख रहे लाल सुपारे में मूत्र मार्ग की दरार पर ताजी चमकीली प्रीकम की बूंद आई थी जिसे मैं चाट गया..
और लंड को अपने गर्म मुंह में भर लिया..
उसका हथियार लोहे जैसा तप रहा था और मैं उसे बेतहाशा चूसे जा रहा था।

उसने पेंट पूरी निकाल दी थी और अब वो मर्द मेरे सामने घुटनों तक आ चुकी फ्रेंची में नंगा लेटा हुआ अपना 9 इंच का लौडा मुंह में पेले जा रहा था।

एकाएक उसने सिरहाने पड़ा तकिया उठाया और अपनी कमर के नीचे रख दिया जिससे मेरी नाक उसकी बालों भरी गांड में जा घुसी और होंठ उसकी गांड के छेद पर..
मुझे भी होश नहीं था कि क्या हो रहा है और मैं पसीने में गीले हो चुके उसकी गांड के बालों को सूंघता हुआ उसके छेद को चाटने लगा।

उसने अपनी भारी भरकम टांगें मेरी कमर पर डाल दी और हाथों से मेरा सिर पकड़कर गांड में दबाया और चटवाने लगा।
उसकी गद्देदार बालों भरी गांड में मुंह देकर चाटने में जो मजा मुझे आ रहा था वो शायद दुनिया की किसी चीज़ में नहीं आ सकता था..
मैं जीभ को नुकीली करके उसकी गांड में घुसाने की कोशिश कर रहा था और दाएं हाथ से उसके लंड की मुट्ठ मार रहा था।

5 मिनट तक गांड चाटने के बाद अब मैंने फिर से लंड को गले तक मुंह में भरा और चूसने लगा लेकिन तुरंत ही मुझे उठाया और बेड पर कमर के बल पटक दिया.. उसने फ्रेंची उतार फेंकी और पूरा नंगा होकर घुटनों के बल खड़ा होकर मेरी निक्कर को निकाल फेंका और टी-शर्ट को फाड़ दिया।

अब उसने मेरी गर्दन को पकड़ा और अपनी तरफ खींचकर मुंह में एक बार लंड को घुसाया और दो धचके मार कर निकाल लिया जिससे पूरे लंड पर थूक लग गया।
अब उसने मेरी टांग ऊपर उठाई और गांड में थूक दिया और अपने लंड के अगले भाग से उस थूक को मेरी गांड पर फैला दिया।

अब उसने अपने 3 इंच मोटे लंड का 4 इंच की गोलाई वाला सुपाड़ा मेरी गांड पर रखा और धक्का दिया।
मैं कसमसा गया.. लेकिन लंड अंदर नहीं जा सका.. गांड काफी टाइट थी।
उसने थोड़ा और जोर लगाया और आधी टोपी अंदर चली गई लेकिन उस वक्त मुझे ऐसा दर्द हुआ कि मेरी आंखें बाहर निकल आईं और मैं आधा बेहोशी की हालत में पहुंच गया।

अब रवि का सब्र टूट रहा था, उसने दोनों हाथों में मेरी दोनों जांघों को दबोचा और एक जोर का धक्का लगा दिया और गांड को फाड़ता हुआ आधा लंड अंदर जा घुसा।
मैं कराह गया और रोने लगा..

उसने मेरे मुंह पर हाथ रखा और एक जोर के झटके में सार पूरा लंड गांड में उतार कर मेरे ऊपर लेट गया।
कुछ सेकेंड तक ऐसे ही रहने के बाद उसने मेरे मुंह पर से हाथ हटाया तो मेरी आंखों से पानी बह रहा था।
वो उठा और धीरे धीरे से लंड को गांड में हिलाना शुरु किया जिससे दर्द में कुछ कमी आई… और उसने हल्के हल्के धक्के मारने शुरु किए।

दोस्तो, जब उसका लंड मेरी गांड के छेद पर से रगड़ खाता हुआ अंदर बाहर जा रहा था तो उसके लंड की टोपी पर हो रही उत्तेजना से मिलने वाले आनन्द को मैं रवि के चेहरे पर साफ देख सकता था जिससे उसके होंठ खुल गए थे और वो जोशीले अंदाज में अपना औजार अंदर बाहर किए जा रहा था और जिससे देखकर मुझे अंदर खुशी मिल रही थी।

दर्द इतना था कि आंसू बनकर आंखों से बह रहा था लेकिन फिर भी उसके चेहरे को देखते हुए मैं मुस्कुराता हुआ उसके लंड को लिए जा रहा था।
धीरे धीरे गांड का दर्द और कम हुआ और मैं उसकी चुदाई का आनंद लेने लगा।

वो इंजन था और उसका लौड़ा पिस्टन.. जिसका रिदम ऐसा बन गया था कि उसको लंड को लेते समय मुझे स्वर्ग सा अनुभव होने लगा था।
उसने मेरे हाथ पकड़े और उनको चूमता हुआ बोला- आई लव यू अंश…

बस इतना कहना था कि मेरी आँखों से आंसुओं झड़ी बहने लगी.. अब तो वो जान भी मांगता तो भी हंसते हंसते दे देता… अब मेरा भी फर्ज था कि मैं भी उसको और आनंदित करूं..
तो मैंने अपनी गांड के छेद को टाइट कर लिया जिससे उसके लोड़े पर गांड की पकड़ और मजबूत हो गई और उसकी उत्तेजना दोगुनी हो गई।

जिसका परिणाम यह हुआ कि उसने दोनों हाथों से मेरी चूची कस कर दबा ली और मुझे वहशी जानवर की तरह दांत भींच कर चोदने.. मैं भी उसका पूरा साथ देने लगा.. उसके आंड मेरे चूतड़ों से टकरा कर फट फट की आवाज करने लगे और इस क्रिया में उसका लौड़ा मेरी गांड की गुफा बना चुका था।

5 मिनट तक इसी स्पीड से चोदने के बाद उसकी गति एकदम से बढ़ी और वो पसीने से तरबतर मेरी गांड गर्म गांड में अपने गर्म वीर्य की पिचकारी मारता हुआ मेरे ऊपर आकर गिर गया, उसके वीर्य की बारिश ने मेरे तन मन को तृप्त कर दिया।
मैंने अपनी दोनों टांगें उसके चूतड़ों पर लपेट दी और उसको बाहों में कस कर भर लिया।

वो इसी मुद्रा में मेरे ऊपर ही सो गया.. रात भर मैं उसको प्यार करता रहा।
जिस रवि की एक छुअन के लिए सैकड़ों लड़कियाँ तरसती हैं, वो मेरी बाहों में था..
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दोस्तो, क्या बताऊं उस अहसास को.. मेरे पास शब्द नहीं हैं..
खैर मैं ऐसे ही उसके नीचे पड़ा रहा और सुबह के करीब 4 बजे होंगे जब मुझे नींद आई..

सुबह के 10 बजे उठा.. और उठा क्या.. मेरी तो जैसे दुनिया ही लुट गई थी.. मैं बेड पर अकेला पड़ा हुआ था.. कपड़े पहन कर उठ कर भागा.. हाथ मुँह धोया और सीधा छत पर..
मेरी नजरें रवि को ढूंढ रही थीं..
नीचे आया घर में यहाँ वहाँ देखा..
गली में निकला तो उसकी कार वहाँ नहीं थी।

मेरा दिल बैठने लगा.. धड़कन तेज हो गई.. भाग कर अंदर आया और मौसी से पूछा- मौसी रवि को देखा क्या? कहीं गया है क्या वो?
‘बेटा, रवि तो चला गया!’
‘कहाँ…’
‘अपने घर हिसार!’
‘क्या?’
‘हाँ, लेकिन तू ये सब क्यों पूछ रहा है?’
‘कुछ नहीं, बस ऐसे ही..’

कहकर मैं वापस छत की तरफ भागा और कमरे में जाकर उसी गद्दे पर गिर गया जिस पर पहली रात रवि के साथ सोया था.. मेरा कलेजा फटने को आ रहा था.. गद्दे को बाहों में भरकर फूट फूट कर रोने लगा.. रह रह कर उसका मुस्कुराता चेहरा नजरों के सामने घूम रहा था.. उसके साथ गुजारा हर पल.. उसकी हर बात की याद आखों से सैलाब बनकर बहने लगी।

वो चला गया… वो चला गया.. सोच सोच कर दिमाग की नसें फट रहीं थीं।
बड़ी मुश्किल से आँसुओं को छुपाता हुआ नीचे उतरा और बाहर निकलकर पास की नहर के किनारे जाकर चीख चीख कर रोया..
रवि… रवि… आ जा यार…

लेकिन वो कहाँ आने वाला था!
दो साल बीत गए उसकी याद में..
पिछले साल खबर मिली की उसकी बाइक को ट्रक ने टक्कर मार दी और सड़क पर गिरने से उसका सिर फट गया..

उस वक्त मेरी दुनिया उजड़ गई.. अपने आप को संभाल नहीं पाया..
और ऐसी राह पर चल पड़ा जिससे लौटना अब मेरे लिए नामुमकिन हो चुका है।

आपका अपना अंश बजाज..
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