पहली बार लण्ड चुसवाने का मज़ा

(Pahli Baar Lund Chuwane Ka Mazza)

write2author 2016-04-02 Comments

जवानी के दौर में हर लड़के के दिमाग में चुदाई के अलावा कोई ख़याल आता ही नहीं है। यह वह समय होता है जब उसका लंड उसका सबसे प्रिय खिलौना होता है। मौका मिलते ही वो उसके साथ खेलने लगता है।

यह कहानी भी मेरे जीवन के उसी दौर की है। मैंने जीवन में सेक्स पहली बार अपनी चाची के साथ किया था।
मेरी उम्र उस समय 18 वर्ष के आस-पास की थी, जवानी की गर्मी पूरी बदन पर छाई हुई थी.. लेकिन मेरे जीवन की सेक्स यात्रा का आरंभ कई वर्ष पहले ही हो चुका था।
मैं इन कहानियों के द्वारा अपने जीवन के प्रत्येक अनुभव को आपके साथ शेयर करूँगा.. आपकी प्रसंशा या टिप्पणी दोनों ही मेरे लिए बहुमूल्य हैं।

चलिए अब अपने बारे में कुछ बता दूँ।

मेरा नाम राज है.. मैं अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में रहता था। हम निम्न मध्यम वर्गीय हैं और मेरे दादा आज़ादी के बाद इंदौर से अहमदाबाद शिफ्ट हुए थे, मेरे पिताजी के चार भाई और तीन बहनें हैं। हमारा परिवार बड़ा धार्मिक माहौल वाला था। हालाँकि मैं बचपन से ही बहुत कामुक स्वभाव का था.. मुझे याद है मैं अपनी कुछ दोस्तों के साथ घर घर खेलता और हम गुड़िया को अपने लंड पर दबाकर रखते.. उसमें बहुत आनन्द मिलता था।

खैर.. जैसे होता है.. पिताजी के सभी भाई अलग-अलग रहने लगे और हम अहमदाबाद के साबरमती इलाके में रहने आ गए। मेरे पिताजी की दोनों बड़ी बहनों का ब्याह एक गाँव में हुआ था.. केवल छोटी बुआ अहमदाबाद में थीं। मेरे बड़े पापा (ताऊ जी) सूरत में जॉब करते थे और दूसरे वाले राजस्थान के जोधपुर में रहते थे।

मेरे सबसे छोटे चाचा भी अहमदाबाद में ही रहते थे.. चाचा ड्राइवर हैं और इसी कारण उनका अधिकतर समय शहर के बाहर गुजरता था।
चाचाजी और पिताजी में आयु का काफ़ी अंतर है और उन्होंने शादी भी देर से की थी। मेरी छोटी चाची मुझसे केवल आठ या दस वर्ष ही बड़ी हैं।

जैसे मैंने बताया कि मैं शुरू से ही कामुक प्रकृति का हूँ.. मैं छोटी आयु से ही सेक्स को लेकर उत्सुक था। हमारे आस-पास रहने वाले लड़कों में भी कुछ लड़के ऐसे ही रंगीन मिज़ाज के थे। कई बार हम एक-दूसरे का लंड पकड़ कर सहलाते थे और हिला देते थे।

साथ होमवर्क करने के बहाने हम चार दोस्त एक कमरे में बंद हो कर बैठते और एक-दूसरे के लंड हो सहलाते थे। उसी वक्त से मुझे पता चल गया था कि मेरा लंड सबसे स्पेशल है।

मुझे याद है मेरे दोस्त आलोक.. जिग्नेश और दिपेन के लंड मुझसे काफ़ी छोटे थे और वो सब मेरे लंड को छूने को हमेशा तैयार रहते थे।
आलोक हम तीनों से एक साल आगे था और उसने लंड को मुँह में लेने के बारे में सुना था। हालांकि हम में से कोई भी ‘गे’ गांडू नहीं था.. इसीलिए किसी ने किसी का मुँह में नहीं लिया।

कई दिनों तक ऐसा चलता रहा.. फिर हम सबने इस खेल को कम करना शुरू कर दिया।
वैसे भी अब सभी ट्यूशन जाने लगे थे और अकेले मिलने के मौके भी कम होने लगे।

तब हमारे पड़ोस में एक पटेल परिवार रहने आया। उनके एक लड़का और एक लड़की निलय और स्नेहा थे, दोनों मुझसे छोटे थे। मैं पढ़ाई में अच्छा था इसलिए उनके माता-पिता ने बच्चों को मेरे साथ पढ़ने का कह दिया।

जैसे मैंने बताया कि अब हम दोस्तों का खेल बंद हो चुका था और मुझे अपने लंड को खुद ही हिला कर आनन्द लेना पड़ता था।

जब निलय और स्नेहा मेरे पास पढ़ने आने लगे तो मेरे लंड को एक और मौका मिल गया। दोनों भाई-बहन एकदम गोरे-चिट्टे थे.. निलय गोल-मटोल और स्नेहा दुबली-पतली।

हालांकि स्नेहा के मम्मों की खिलने की शुरूआत हो रही थी। वैसे उस समय तक मैंने किसी लड़की के शरीर को नहीं छुआ था और सच बताऊँ तो इतनी हिम्मत भी नहीं होती थी।

खैर.. आप जानते ही हैं कि लंड और पानी अपना रास्ता ढूँढ ही लेते हैं। कुछ हफ्तों तक पढ़ाने के बाद मेरे लंड ने भी हरकतें करना शुरू कर दिया।
अब तक केवल मेरे मन में केवल निलय से अपना लंड को मज़ा दिलाने की ही विचार थे.. सो मैंने मौका देखना शुरू किया।

निलय पढ़ाई में कमजोर था.. सो मैं उसे बहुत पनिश करता था.. मेरे पनिशमेंट में अक्सर उसके चूतड़ पर मारना.. उसको लिटा कर उसके ऊपर बैठ जाना और उसको मुर्गा बनाने के बहाने उसका मुँह अपनी जाँघों के बीच दबा देना मुख्य थे। ऐसे कुछ और दिन चला.. फिर एक दिन मैंने ठान लिया कि आज अपने लंड की तड़प को मिटाकर ही रहूँगा।

वो शनिवार का दिन था और मेरे परिवार के सभी सदस्य मंदिर गए थे.. निलय से पढ़ाई में काफ़ी ग़लतियाँ हो रही थीं और मैं भी उसे पनिश कर रहा था।
कुछ देर बाद मैंने स्नेहा को घर भेज दिया.. लेकिन उसे रोका। मैं जानता था कि वो मुझसे बहुत डरता है और जो कहूँगा वो करेगा।

सो मैंने उसे एक गणित का सवाल दिया और कहा- अगर उसने सही किया तो उसे इनाम दूँगा और ग़लत किया तो पनिशमेंट मिलेगा।
मैं जानता था कि यह लड़का मेरे काम तभी आएगा.. जब उसे मेरी बात मानने में खुद मज़ा मिले।

इसीलिए मैंने उसे एक सरल सा प्रश्न दिया.. जो कि उसने तुरंत कर दिया। मैंने उसको उसकी चड्डी उतारने को कहा सो उसने डरते हुए उतार दी। फिर मैंने कहा- यह तुम्हारा इनाम है..

मैंने दरवाजा पहले ही बंद कर रखा था। मैंने उसके सोए हुए छोटे से लंड को अपने हाथ में लिया और प्यार से सहलाया। उसके चेहरे से साफ़ जाहिर था कि उसे इस काम में बहुत आनन्द आया।

मैंने उसको कहा- जब जब तुम सही जवाब दोगे.. मैं तुम्हें ऐसा ही इनाम दूँगा और गलत जबाव दिया.. तो ऐसा ही तुमको मुझे देना होगा।
उसने कहा- ठीक है भैया..
तुरंत मैंने एक कठिन प्रश्न दिया.. जो वो नहीं कर पाया।

मेरे लंड को इसी पल का इंतजार था। मैंने तुरंत अपना बरमूडा उतारा और अपने लंड को उसके सामने कर दिया। मेरे लंड पहले ही आधा टाइट हो रहा था। वो मेरे लंड को कुछ सेकेंड तक देखता रहा.. फिर उसने आगे बढ़कर उसको अपने हाथ में ले लिया।
मेरे मुँह से ‘आह’ सी निकल गई। कई महीनों बाद इस लंड को किसी और ने छुआ था।

मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे सही तरीके से लंड सहलाना सिखाया। थोड़ी देर तक वो चुपचाप मेरे लंड को हिलाता रहा। फिर मैंने उसे और भी कई प्रश्न दिए जो वो ना कर पाए और मैं आधे घंटे तक उससे अपने लंड को सहलवाता रहा।

यह मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव था.. जहाँ मैंने किसी को अपनी बात मनवाई थी.. और आगे जाकर यह मेरी मास्टरी बन जाने वाली थी.. फिलहाल तो मैं इस उपलब्धि से बहुत खुश था।

फिर से मुझे सेक्स के आनन्द के लिए एक ज़रिया मिल गया था। उस दिन के बाद से मैं हमेशा स्नेहा को जल्दी घर भेज देता था और निलय से अपने लंड को खुश करवाता था। पहले-पहले तो मैंने भी उसके लंड को भी सहलाया.. लेकिन कुछ दिनों के बाद निलय को भी उसमें आनन्द आने लगा और वो केवल मेरे लंड को सहला कर खुश होने लगा। मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं था।

इसी प्रकार कुछ महीने और बीत गए। मैंने मेरे पुराने दोस्तों को भी यह बताया तो उन्होंने भी अपना लंड हिलवाने की इच्छा जाहिर की। सो दिवाली के दिनों में मैंने उनका भी इंतजाम करवा दिया। एक-एक करके मैंने तीनों के लंड निलय से हिलवाए।

आलोक का आखरी नंबर लगा था। उसने अपना लंड हिलवा लिया.. फिर मुझसे कहा कि यार इसको अपना लंड चूसना भी सिखा दो.. सबके वारे-न्यारे हो जाएँगे।

अब तक मैंने इस बात की हिम्मत नहीं की थी.. लेकिन उसकी बात सुनकर मैंने फिर इसका मन बना लिया।

ठंड के दिन चल रहे थे.. सो वैसे भी मेरा लंड ज़्यादा ही उफान पर था। एक दिन मैंने निलय को बहुत फटकार लगाई.. वो रोने लगा। मैंने उसे धमकाया कि आज उसे अधिक दंड मिलेगा।

मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो तुरंत उसने लण्ड पकड़ लिया। अब वो लंड हिलाने में एक्सपर्ट हो चुका था.. सो उसने अपना काम शुरू कर दिया। लेकिन आज मेरे मन में कोई और ही प्लान था। मैंने उसको और धमकाया और कहा- आज का दंड रोज से अलग होगा।
वो चुप था।
मैंने कहा- अपना मुँह खोलो..।

सो उसने खोल दिया.. फिर मैंने कहा- यह तेरा मुँह कोई सही जवाब नहीं देता इसलिए इसे ही बंद कर देना पड़ेगा..
मैंने उसके मुँह में अपना लंड धकेल दिया।
वो पीछे खिसक गया और बोला- नहीं भैया.. अब ग़लती नहीं होगी।

मैंने उसे खींच कर एक झापड़ लगाया और कहा- मेरी पनिशमेंट से कभी भागना मत..
वो रोने लगा और बोला- सॉरी भैया..
फिर मैं कुर्सी पर बैठा और उसको अपने पास बुलाया।

वो सहमा हुआ आया और मेरे लंड को हिलाने लगा.. मैंने कहा- लगता है अभी भी मेरी बात समझ नहीं आई तुझे..
इस पर उसने अपना मुँह मेरे लंड के पास लिया और अपने होंठों से मेरे टोपे को दबा दिया।

सच मानिए मेरी जान ही निकल गई.. हालाँकि अब तक मैंने कभी किसी को लंड चूसते या चुसवाते नहीं देखा था.. फिर भी कुदरती तौर पर मुझे समझ आ गया कि क्या होना चाहिए।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने उसका सर पकड़ा और पूरा लंड उसके मुँह में दे दिया। मेरा लंड उसके गले को टकराया और उसे उबकाई आ गई। वो फिर बैठ कर रोने लगा।
मैंने उसे पकड़ कर उठाया तो वो घुटनों पर बैठ गया।
मैंने फिर अपने लंड उसके मुँह के पास लगा दिया और उसने चुपचाप अपना मुँह खोल दिया।

मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और उसका सर पकड़ कर आगे-पीछे करने लगा। मेरे जीवन का यह पहला ब्लोजॉब था। काफ़ी देर तक मैं उससे अपने लंड को चुसवाता रहा। फिर मैंने अपने हाथ को उसकी शर्ट में डाला और उसकी छाती को सहलाना शुरू किया। यह हम दोनों के लिए नई अनुभूति थी.. क्यूंकि आजतक कभी मैंने ऐसा नहीं किया था। आज से पहले कभी मैंने मम्मे नहीं छुए थे.. लेकिन निलय के गोल-मटोल मम्मों को छूकर मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया था।

थोड़ी ही देर में मैं चरम सीमा पर पहुँच गया.. लेकिन मैंने निलय का सर नहीं छोड़ा.. सो मेरा जो भी वीर्य था.. वो उसके मुँह में ही गया।

इस दिन के बाद मैं हमेशा ही निलय से अपने लंड को चुसवाने लगा। मैंने अपने दोस्तों को भी यह मज़ा दिलवाया।

वैसे यह तो केवल शुरूआत थी.. अगली कहानी में आपको बताऊँगा कि मैंने स्नेहा को कैसे अपनी गुलाम बनाया.. जो आज तक बनी हुई है.. और फिर आपसे अपने पहले संपूर्ण सेक्स की दास्तान शेयर करूँगा। आप अपना संदेश मुझे इस मेल आइडी पर भेज सकते हैं।
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