मेरी गाण्ड की प्यास अभी बुझी नहीं

(Meri Gand Ki Pyas Abhi Bujhi Nahi)

सबसे पहले तो सभी अन्तर्वासना के पाठकों को मेरी गाण्ड उठाकर नमस्कार। मैं विश्व की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली हिंदी सेक्स कहानियों के पोर्टल अन्तर्वासना का बहुत बड़ा फैन हूँ। इसमें प्रकाशित लेखकों के अनुभवों की गरम कहानियों को पढ़ मैंने भी सोचा कि मैं भी अपनी दास्तान लिख ही दूँ।

यह मेरे जीवन की सच्ची घटना है जिसे मैं अपनी पहली कहानी के रूप में लिख रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि आप सभी को पसंद आएगी।
मेरा नाम अमित है, पंजाब का रहने वाला हूँ, 20 साल का हूँ। मेरे मोटे-मोटे लड़कियों जैसे चूचे देखकर सभी लड़कों के लण्ड खड़े के खड़े रह जाते हैं और उनके पजामे और पैंट टैंट बन जाते हैं।

मेरा एक मित्र है.. जिसका नाम शैंकी है, वह मेरे साथ पढ़ता था, मुझे वो बहुत पसंद था। उसका ऊंचा-लम्बा कद.. सुडौल जिस्म हैण्डसम लुक.. उसे देख कर मेरे मन में ‘हेनू-हेनू’ होने लगता था।

एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था.. तो मैं अपनी चाची की ब्रा-पैंटी पहनकर घूमने लगा और अपने मन में किसी के लण्ड को चूसने की और उसको गाण्ड में लेने का सोच रहा था। मैं अपनी गाण्ड में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर कर रहा था और अपने मोटे-मोटे चूचे सहला रहा था।
तभी एक आहट हुई और मैंने देखा कि शैंकी दरवाज़ा खोलकर अन्दर आ गया था। मैं बाहर का दरवाज़ा बन्द करना भूल गया था।

वो अपनी किताब लेने आया था.. जो मैं भूल से अपने घर ले आया था। मुझे ऐसे देखकर वो चौंक गया.. उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। मुझे स्त्री रूप में देखा कर उसकी थोड़ी सी नीयत भी खराब हो गई और वो दरवाज़ा बंद करके मेरी गाण्ड पर हाथ फेरने लगा।

मेरे अन्दर की लड़की भी जागने लगी। मैं खुशी के मारे पागल हो गया। मैं भी उससे चिपकने लगा और ‘आहें’ भरने लगा। पहले हमने चुम्बन किया। फिर उसने अपना लौड़ा निकाल लिया। मैं उसका लण्ड देखकर हैरान था.. 7 इंच का लम्बा लौड़ा था।
मैं घुटनों के बल बैठकर उसका लण्ड चाटने और चूसने लगा, वो ‘आहें’ भरने लगा- आह.. आह.. चूस ले साले.. गांडू.. इसे खा जा मादरचोद!
यह कहानी आप यौन कहानियों की साईट अन्तर्वासना डाट काम पर पढ़ रहे हैं।

फिर उसने मुझे घोड़ी बना लिया और अपने लौड़े को तेल से चिकना कर के मुझे हचक कर चोदने की तैयारी करते हुए मेरी टाँगें उठाकर मेरी गाण्ड मारी। यह मेरी पहली ठुकाई थी इसलिए थोड़ा डर भी लगा, गाण्ड छिल जाने की वजह से थोड़ा खून भी निकला.. पर थोड़ी देर बाद मुझे मज़ा आने लगा और मैं भी अपनी गाण्ड उठाकर उसका साथ देने लगा।
शैंकी 15 मिनट बाद झड़ गया और ढेर होकर मेरे पास लेट गया। मेरी प्यास अभी बुझी नहीं थी.. इसलिए मैं उसका लौड़ा पकड़कर चूमने लगा। फिर 10 मिनट बाद शैकी फिर तैयार हो गया, उसका लौड़ा फिर से तन गया।

हमने यह गाण्ड चुदाई का काम कम से कम एक घंटे तक किया, तब जाकर मेरी गाण्ड शान्त हुई।
अब हमें जब भी मौका मिलता है.. हम गाण्ड चुदाई ज़रूर करते हैं। मैं अब पूरा गांडू बन चुका हूँ।

दोस्तो, एक तगड़े लौड़े की तलाश में हूँ.. जैसे ही कोई मजबूत जट मिलता है.. मैं फिर अपनी गाण्ड चुदाई की दास्तान लेकर आऊँगा।
शुक्रिया
आपका अमित गांडू..
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