मेरा चोदू यार -2

(Mera Chodu Yaar-2)

This story is part of a series:

धीरे धीरे उसने और शौक भी ग्रहण कर लिए, अब वो औरतों के साथ साथ, मर्दों में भी रुचि रखने लगा। जिस वजह से कई सारे लौंडे उसके धारदार लंड के दीवाने हो गए।
कॉलेज तक पहुँचते पहुँचते वो औरत, मर्द और हिजड़ा हर किसी को चोद चुका था। कच्ची कली को, पके फल को, सभी को चख चुका था वो। किशोरियों से लेकर 65 साल तक की वृद्धायें उसके लंड का मज़ा ले चुकी थी।
उसकी रेंज की कोई सीमा नहीं थी।

खैर कॉलेज के बाद उसने हमारा ऑफिस जॉइन कर लिया। नौकरी के दौरान भी उसने कई कारनामे किए, जिसका ज़िक्र फिर कभी करूंगा, फिलहाल उसके एक खास कारनामे का ज़िक्र करता हूँ।

यह बात मैं आपको प्रथम पुरुष में बताऊँगा, ताकि आपको ज़्यादा मज़ा आए।

एक दिन शाम को मैं अपने ऑफिस से घर जा रहा था। रास्ते में एक लड़के ने मुझसे लिफ्ट मांगी। मैंने उसे अपनी बाइक पे पीछे बैठा लिया और हम चल दिये।
रास्ते में वो लड़का बोला- सर क्या काम करते हैं आप?
मैंने उसे अपने ऑफिस के बारे में बताया।

‘वेरी गुड सर, मेरा नाम सौरभ है, फिलहाल पढ़ रहा हूँ और किसी छोटी मोटी नौकरी की तलाश में हूँ, अगर आप मेरी कोई मदद कर सकें, मैं कोई भी काम करूंगा सर!’ वो बोला।
मैंने पूछा- अरे कोई भी काम में तो बहुत कुछ आ जाता है।
वो मेरा इशारा समझ गया- जी सर, आप बोल के तो देखो, मैं कोई भी काम कर सकता हूँ।’
‘जैसे?’ मैंने पूछा।
वो बोला- आप खुद समझदार हैं सर, अब आपको को क्या बताऊँ, उल्टा सीधा, अच्छा बुरा कोई भी काम हो!
कह कर उसने अपने दोनों हाथ मेरी दोनों जांघों पे रख लिए।

लौंडे तो मैंने पहले भी कई बार चोदे थे, मैंने पूछा- टॉप हो या बॉटम?
वो बोला,
‘दोनों हूँ सर, जैसी जिसकी ज़रूरत!’
अब तो बात बिल्कुल साफ थी, मैंने पूछा- कब मिल सकते हो?
वो बोला- अभी फ्री हूँ, अभी ले चलो!
मैं उसे अपने एक दोस्त के घर ले गया जो अकेला रहता था।

मैंने उससे पूछा, मगर वो कच्चे रूट का शौकीन नहीं था।
तो मैंने उसे कहा तो उसने एक बेडरूम हमारे लिए खोल दिया।

हम दोनों अंदर गए, रूम लाक किया, ए सी ऑन किया और मैं बेड पे पीठ टिका कर बैठ गया।
वो मेरे पाँव के पास बैठ गया और मेरी टाँगों को सहलाने लगा, मैंने अपने बूट और जुराबें उतार दी और अपनी टाँगें फैला कर बैठ गया। वो मेरी टाँगों के बीच में आ गया और मेरी बेल्ट खोली और फिर मेरी पेंट खोली, मेरी कमीज़ के सारे बटन खोल दिये।

मैंने अपनी पेंट कमीज़ उतारी तो उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये, सिर्फ चड्डी छोड़ कर… मैं भी सिर्फ चड्डी में ही था।
मैं लेट गया।
वो पहले तो मेरी टाँगों को चूमता चाटता मेरी कमर तक आया, फिर मेरे निप्पल को चूसता, कमर और पेट को चूमता हुआ नाभि के नीचे तक गया।
मेरे सारे बदन में उसके चूमने चाटने से बहुत गुदगुदी हो रही थी और मैं जैसे तड़प रहा था।

वो अपना काम अच्छी तरह जानता था। फिर उसने मेरी चड्डी भी उतार दी, पहले मेरे लंड के चारों तरफ से चूमा, चाटा, मेरे आँड अपने मुख में लेकर चूसे, मेरे लंड की चमड़ी पीछे हटा कर मेरे टोपे को अपनी जीभ से चाटा और मेरा लंड मुख में लेकर चूसने लगा।

क्या चुस्की मारी साले ने! लंड तो एकदम से लोहा हो गया।
फिर खुद ही जेब से कोंडम निकाल कर मेरे लंड पे चढ़ाया।
‘आप करेंगे सर या मैं ही करूँ?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- तू शुरू कर, मैं बाद में अपना ज़ोर लगाऊँगा।

उसने फिर अपने पेंट की जेब से एक तेल की शीशी निकाल कर मेरे कोंडोम चढ़े लंड पे लगाया और अपनी गाँड पे भी लगाया और मेरे लंड को सीधा करके अपनी गाँड उस पर रख दी।
जब उसने नीचे को ज़ोर लगाया तो मेरा लंड तेल की चिकनाहट की वजह से पिचक करके उसकी गांड में घुस गया। पहले दो चार मिनट वो खुद चुदवाता रहा।

फिर मैंने उसे नीचे लेटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट कर अपना लंड फिर से उसकी गाँड में डाल दिया और फिर शुरू हुआ उसकी मुसीबत का दौर।
मैं अपनी पूरी ताकत लगा रहा था और उसकी गाँड फटी पड़ी थी। उसको जितना दर्द हो रहा था, मुझे उतना मज़ा आ रहा था।
धैड़ धैड़ मैं उसकी गाण्ड पेल रहा था और वो नीचे पड़ा दर्द से बिलबिला रहा था- सर धीरे करो, बहुत दर्द हो रहा है!
उसने विनती की।

मैंने कहा- मादरचोद गाँड मरवाने आया है और दर्द की दुहाई देता है, तेरे दर्द में ही तो मेरा मज़ा है, मादरचोद, भैण के लौड़े, आज तो तेरी माँ चोद के रख दूँगा मैं, तू भी क्या याद करेगा किससे पंगा ले लिया, तेरी माँ को चोदू साले!
मैंने अपना जोश दिखाया।

खैर 6-7 मिनट की दर्दनाक चुदाई के बाद मेरा झड़ने को हो गया, मैंने उससे पूछा- तेरे अंदर छुड़वाना है, बोल कहाँ लेगा माल मेरा?
‘आप चाहो तो कोंडोम उतार के मेरी गांड में भी छुड़वा सकते हो या मेरे मुख में, मुझे दोनों जगह पसंद है’ वो बोला।
‘पी जाएगा?’ मैंने पूछा।

‘हाँ!’ उसने कहा तो मैंने लंड उसकी गांड से बाहर निकाला, बाई गोड उसकी गांड एक 3 इंच चौड़ा सुराख बन गई थी, जिसके अंदर गुलाबी दिख रहा था।
मैंने कोंडम उतारा और उसको चूसने को दे दिया।
1 मिनट में ही उसने चूस कर मेरा वीर्यपात करवा दिया और मेरा सारा वीर्य पी गया।

उसके बाद हम दोनों लेटे रहे और बातें करते रहे। उसने बताया कि उसके पापा नहीं हैं, माँ एक छोटी सी नौकरी करती और उसको और उसकी बहन को पढ़ा रही है।
उसके बाद हम अक्सर मिलते रहते थे और हम में अच्छी दोस्ती हो गई। बहुत बार मैंने उसको बिना चोदे ही पैसे दिये और मैं अक्सर उसकी और कामों में भी मदद करता रहता था।
कहानी जारी रहेगी।
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