क्या मैं समलैंगिक हूँ

(Kya Main Gay Gaandu Samlaingik Hun)

Sanjayhorny 2016-05-25 Comments

सभी दोस्तों को नमस्कार!
मेरा नाम संजय सोम है, उम्र 26 साल, रंग गेंहुआ, वजन 56 किलोग्राम स्लिम-ट्रिम बॉडी, लंड का साइज़ 5 इंच है। और हां मेरे लंड की शेप बिलकुल ऐसी है जैसे खतना किया हो।

मैं अन्तर्वासना का पिछले 3 सालों से नियमित पाठक हूँ। मैंने अन्तर्वासना की समस्त गांडू, लौंडेबाजी एवं गे केटेगरी की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं, मुझे इस साईट पर इसी केटेगरी की कहानियाँ अच्छी लगती हैं, खासकर मैं सन्नी शर्मा व हिमांशु बजाज की कहानियों का इंतज़ार करता हूँ।
इन्ही दोनों भाईयों की कहानियाँ पढ़ते पढ़ते मुझे भी ऐसा ही लगा कि मुझे भी अपने अनुभव आप लोगों से शेयर करने चाहिए। इसीलिए मैं अन्तर्वासना की शरण मैं आया हूँ।

मेरा एक बड़ा भाई और बड़ी तीन बहनें हैं। मैं अपने घर में सबसे छोटा हूँ… तो मैं इन्हीं लोगों के साथ खेलता था, तो अपनी बहनों के टच में रहने के कारण मुझे भी काफी हद तक लड़कियों की सी आदत हो गई है। कभी कभी घर के तो घर के, बाहर के लोग भी मुझे टोक देते हैं कि तुझमें लड़कियों वाले गुण हैं, अपनी आदतों में बदलाव लाओ।

इस तरह मैं बहुत अपमानित महसूस करता हूँ परन्तु मैं फिर अपने आपमें boyhood लाना शुरू करता हूँ लेकिन कुछ दिन बाद वही सब शुरु हो जाता है।
जब मैं किसी आदमी को देखता हूँ तो मुझे कुछ होने लगता है पर उससे बोलने की हिम्मत नहीं होती है लेकिन हाँ, ऐसी बात नहीं है कि मैं किसी के टच में नहीं आया।
मेरी जिंदगी मैं एक व्यक्ति आये हैं जिनका नाम बॉबी (काल्पनिक) है, उनसे मेरे सम्बन्ध आज भी है। इस कहानी को कभी विस्तार में बताऊँगा।

तो मैं यह कह रहा था कि मुझे लड़कियों से ज्यादा 35+ के मर्द ज्यादा भाते हैं। उनका शरीर, डील-डौल, मरदाना आवाज मुझे बहुत अच्छी लगती है।
ऐसा नहीं है कि मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है, मेरी दो गर्ल फ्रेंड हैं लेकिन मैंने आज तक उन्हें बस किस ही किया है उससे आगे नहीं बढ़ा।

उम्र के इस दौर में यौवन उफान पर होता है तो हॉर्नी फील करना स्वाभाविक है। जब भी मैं किसी मर्द को देखता हूँ तो उसके साथ मजे लेने के सपने देखने लगता हूँ। उसके टांगों के बीच के उभार को देखकर सोचने लगता हूँ कि इसका कितना मोटा होगा, लम्बा तगड़ा होगा। अगर मुझे मिल जाये तो चूस चूस कर लाल कर दूंगा। इसका लंड अपनी गांड में लेकर इसको बहुत मजे दूंगा।

ऐसे टाइम पर मुझे बहुत ठरक चढ़ जाती है, सबसे ज्यादा ठरक मुझे बस, ट्रेन में अकेले सफ़र करते समय और रात को ऑफिस से लौटते समय होती है क्योंकि सफ़र में मुझे कोई टोकने वाला नहीं और रात में मैं यह सोचता हूँ कि मुझे कोई मिल जाये तो मैं उसे असली मजा दे दूँ। परन्तु जब कोई मिल जाता है तो मेरी हवा फुस्स हो जाती है और मैं आगे बदने कि हिम्मत नहीं कर पाता।

जैसे कि मैंने बताया कि बॉबी जी ने मुझे हर तरह का सहारा दिया, चाहे वो आर्थिक हो, मानसिक हो या चाहे शारीरिक! मेरी समस्त इच्छाएँ इन्ही से पूरी हो रही है।
इस बारे में मैं आपको बाद में बताऊंगा की उनके और मेरे सम्बन्ध कैसे बने।

फ़िलहाल मेरे दोस्तो, मुझे यह बताइए कि जब भी मैं बॉबी जी से बिछड़ने की बात सोचता हूँ मेरा दिल घबरा उठता है। मेरे और बॉबी जी के संबंधों के बारे में उनकी धर्मपत्नी को भी शायद पता है। वे मुझसे तो कुछ कहने की हिम्मत नहीं करती लेकिन बातों बातों में वो अपने पतिदेव (जो कि थोड़े से मेरे भी है) से कह देती हैं।

अब मेरे दोस्तो, आप ही बताइए में क्या करूँ…क्या अपनी जिंदगी को ऐसे ही चलने दूँ और एक ऐसा रिश्ता निभाऊँ जिसको हमारा समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा या इन सब बातों को भूलकर एक नए जीवन की शुरुआत करूँ?
जो मेरे लिए काफी मुश्किल है।

आप अपनी राय दें ताकि मैं सही निर्णय ले सकूँ!

प्रेरणादायक दोस्त सन्नी शर्मा गांडू और हिमांशु बजाज से निवेदन है कि अपनी कहानियाँ भेजते रहें, मुझे आपकी कहानी का बेसब्री से इंतजार रहता है और आप दोनों से कहना चाहता हूँ कि अपनी और कहानियाँ जल्दी से जल्दी प्रकाशित करवाने का कष्ट करें और पाठकों से भी निवेदन है कि मेरी ईमेल पर और कहानी के नीचे कमेन्ट्स में अपनी राय दें।
मेरी इमेल आईडी है-
[email protected]
आपके मेल मेरे लिए बहुत जरूरी हैं, यह किसी की जिंदगी का सवाल है।
आशा है कि आप लोग मुझे अपने सुझाव जरूर भेजेंगे…
धन्यवाद…
फिर मिलेंगे किसी कहानी के साथ अगर आप लोगों ने चाहा तो!

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