ममेरे भाई के संग सेक्सी अठखेलियाँ

(Cousin Ke Sath Sexy Athkhelian)

दोस्तो, आज आपको मैं अपनी एक बड़ी पुरानी याद सुना रहा हूँ!

बात तब की है जब मैं 20 साल का था और मेरे मामा का लड़का हैप्पी जो मुझसे साल दो साल छोटा है, उसके साथ की अपनी हरकतों की कहानी है, हो सकता है आपने भी कभी कुछ ऐसा ही किया हो।
तो पढ़िये और मज़े लीजिये।

बात बहुत पुरानी है, तब मैं अपने परिवार के साथ अपने मामा के घर गया था, उनका लड़का हैप्पी मेरा हम उम्र ही था, दोनों में बहुत दोस्ती थी, बहुत प्यार था, आज भी है।

मगर हैप्पी बहुत मोटा था, बड़ा सारा पेट, बड़े बड़े चूतड़, भरी हुई छातियाँ। पहले भी मैं अक्सर उसके चूचे दबा कर लड़कियों के चूचे दबाने वाली फीलिंग लेता था, मगर मर्द के चूचे कितने भी बड़े हों, मगर असली मज़ा तो औरत की चूची दबा कर ही आता है, चाहे छोटी बड़ी कैसी भी हो।

खैर, दिन भर की मस्ती के बाद खाना खाकर रात को हम दोनों साथ ही सोये। सोये तो सब साथ में ही थे, जब सब सो गए, तो मैं जाग गया। क्योंकि मेरी बुरी आदत थी, जब भी किसी के घर जाता था, तो रात को मेरी अपने आप नींद खुल जाती थी, और फिर किसी न किसी बहाने मैं उस घर की औरतों और लड़कियों के जिस्म को छूने की, सहलाने की कोशिश करता, चाहे उस लड़की या औरत की कोई भी उम्र होती, या मेरे साथ क्या रिश्ता होता, मैंने कभी परवाह नहीं की।

अपनी मामी, मासी, चाची, बुआ और उनकी लड़कियों के चूचे तो मैंने दबा कर देखे ही थे। एक दो रिश्तेदारों की चूत भी देखी थी। मगर किसी सोई हुई लड़की या औरत की चूत को छूना खतरे से खाली नहीं होता इसलिए सिर्फ देख कर मुट्ठ मार लेता था।

तो इसी चक्कर में मैं आधी रात को उठा और पेशाब करने के बहाने बाथरूम में गया, और जाते वक़्त सब का मुआयना कर गया कि कौन कहाँ लेटी है और कैसे लेटी है।

जब वापिस आया तो सबसे पहले मामी के पास रुका, आसपास सब को देखा, सब सो रहे थे, मामी भी हल्के हल्के खर्राटे मार रही थी। मैं उसके सिरहाने बैठ गया और धीरे से अपना हाथ उसकी छाती पे रखा, जब यह पक्का हो गया कि मामी गहरी नींद में सो रही है तो हल्के से मामी के स्तन पर अपने हाथ की पकड़ बनाई।

काफी मोटा चूचा था मामी का।
नाईटी के नीचे मामी ने कुछ नहीं पहना था, तो मेरी हथेली पर मामी का निप्पल छू रहा था।
मैंने हल्के हल्के से मामी का स्तन दबाना शुरू किया, पहले एक दबाया, फिर दूसरा।

जब देखा के मामी तो बहुत ही गहरी नींद में है तो मामी की नाईटी के बटन खोलने शुरू किए और एक एक करके 4-5 जितने भी बटन थे, खोल दिये।

नाईटी का गला खुल गया तो मेरा हाथ अंदर तक जा सकता था तो नाईटी के अंदर हाथ डाल कर मामी का उरोज अपने हाथ में पकड़ा और दबाया।
वाह… क्या नज़ारा आया… नर्म मुलायम चूचे!
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने उल्टे हाथ से मामी का चूचा पकड़ा और सीधे हाथ से अपना लंड और लगा लंड को सहलाने… लंड भी तन गया, मेरे मन में विचार आया कि क्यों न मुट्ठ मार कर मामी के बोबों पर अपना माल छुड़वाया जाये।
मगर इसी जोश में शायद मैंने मामी का बोबा थोड़ा ज़ोर से दबा दिया और वो हिल पड़ी।

मैंने झट से मामी का बोबा छोड़ दिया, और अपनी जगह जा कर लेट गया।
मामी ने करवट ली और फिर सो गई।

मगर मैं जागता रहा, फिर सोचा, क्यों न मामी की बेटी को ट्राई किया जाए, मगर वो तो बहुत छोटी थी, उसके तो अभी अभी चूचे निकले थे, तो उसके छोटे छोटे चूचों में वो मज़ा नहीं आता जो मामी के मोटे मोटे चूचों में था।

थोड़ी देर लेट कर मैं देखता रहा कि जब मामी फिर गहरी नींद में सो जाए तो फिर से उसके चूचे दबाऊँ…
मगर मामी उठी और बाथरूम चली गई, जब वापिस आई तो मैंने देखा उसकी नाईटी के सभी बटन बंद थे।
मैंने सोचा, ये बात तो नहीं बनेगी, मैं लेटा रहा।

फिर सोचा ‘अरे हैप्पी मेरे साथ लेटा है’, वैसे दिन में भी तो इसके चूचे दबा देता हूँ, रात में भी दबा कर देखता हूँ।
मैंने हैप्पी को अपनी आगोश में लिया, मगर वो हिला और मेरी तरफ पीठ करके लेट गया।
अरे यह क्या, साला दिन में दबवा लेता है और रात में नखरे?

मैंने पीछे से उसे अपनी आगोश में लिया और फिर से उसके चूचे पकड़ लिए। मगर उसके चूचे मामी के चूचों जैसे नहीं थे, मामी में अलग ही मज़ा था।

चूचे दबाते हुये मैंने अपना लंड भी उसकी गांड पे लगाया, इसमें भी मुझे मज़ा आया तो मैंने अपना लोअर नीचे खिसका कर अपने घुटनों तक उतार दिया और फिर उसका लोअर भी धीरे धीरे नीचे को सरकाया और सरकाते सरकाते काफी नीचे तक कर दिया, करीब करीब उसके पूरे चूतड़ नंगे कर लिए।

फिर अपना लंड उसकी गांड पे रगड़ा और उसकी गांड के छेद पे टिका दिया। अब मेरा लंड और उसकी गांड दोनों सूखे थे, तो अंदर तो जा नहीं सकता था। मैंने पहले उसे गर्म करने के लिए उसके लंड को पकड़ा, मगर यह क्या, उसकी तो छोटी सी लुल्ली थी, मैंने सहला कर देखा, उसका तो टोपा भी बाहर नहीं आ रहा था, मतलब लौंडा अभी कुँवारा था।

मगर मैं फिर भी उसकी लुल्ली की मुट्ठ मारता रहा, और उसकी लुल्ली भी खड़ी हो गई, मेरे लंड से तो छोटी थी, पर फिर भी कड़क हो गई। जैसे जैसे मैं उसकी मुट्ठ मार रहा था, वो भी अपनी गांड हिला रहा था और मैं पीछे से अपनी कमर हिला कर अपना लंड उसकी गांड में डालने की कोशिश कर रहा था।

जब बात नहीं बनी तो मैंने अपने हाथ पे अपना ढेर सारा थूक लगाया और उसकी गांड पे लगाया, फिर अपने लंड पे भी थूक लगाया, मगर फिर भी मेरी कोशिश बेकार रही।
मेरा लंड फिर भी उसकी टाइट गांड में नहीं घुस पाया।

फिर मैंने एक और तरीका सोचा, अब जाग तो वो भी रहा था, सो मैंने उसका मुँह अपनी तरफ घुमा लिया और मैं उसकी कमर की तरफ सर करके लेट गया, मैंने उसकी लुल्ली अपने मुँह में ले ली और चूसने लगा।
मेरी चुसाई से उसे मज़ा आने लगा तो मैंने भी अपना लंड उसकी तरफ बढ़ाया, जो उसने भी मुँह में ले लिया और लगा चूसने।

मगर मेरी इच्छा तो उसकी गांड मारने की हो रही थी, थोड़ी देर उसकी लुल्ली चूसने के बाद मैंने उसे उल्टा करके लिटा दिया और उसके दोनों चूतड़ खोल कर उसकी गांड के छेद पर ही अपना मुँह लगा दिया और चाट गया उसकी गांड… ना सिर्फ चाटी, बल्कि थूक लगा लगा कर चिकनी करने लगा।

पहले एक उंगली उसकी गांड में डाली फिर दो उँगलियाँ… मैं बार बार उसकी गांड के छेद पर थूकता और अपनी दोनों उँगलियाँ उसकी गांड में अंदर बाहर चला रहा था।
मुझे महसूस हो रहा था के उसको तकलीफ हो रही थी, मगर मैं तो उसे और बड़ी तकलीफ के लिए तैयार कर रहा था।

जब मेरी दोनों उँगलियाँ सिरे तक उसकी गांड में जाने लगी तो फिर मैंने अपनी उँगलियाँ बाहर निकाल ली और फिर से उसकी गांड को फैला कर उस पर बहुत सारा थूक लगाया और अपने लंड को उसकी गांड पे रखा और अंदर धकेला, अभी मेरे लंड का टोपा थोड़ा सा ही उसकी गांड में घुसा था वो तो हिल गया और मेरे लंड का टोपा बाहर को निकल गया।

मैं उसके कान में फुसफुसाया- अबे डरता क्यों है, जब दो उँगलियाँ चली गई तो ये भी आराम से जाएगा।
मगर मेरी बाकी की सभी कोशिशें भी बेकार गई।
अब जो भी हो लंड होता तो मोटा ही है तो मैंने उसकी गांड में न सही तो उसकी जांघों में ही अपना लंड सेट किया और उसकी जांघों को ही चोदने लगा।

पहले तो वो उल्टा लेटा था, फिर मैंने उसे सीधा कर लिया, और खुद उसके ऊपर लेट गया। उसकी लुल्ली को ऊपर को एडजस्ट करके मैंने अपना लंड फिर से उसकी जांघों में रखा और अपनी कमर धीरे धीरे चलाने लगा।
मगर दिक्कत ये थी कि थूक बार बार सूख जाता था और तेल हमारे पास है नहीं था, अब सूखे में मुझे भी मज़ा नहीं आ रहा था।

तो मैंने एक और बात सोची, मैंने अपनी गांड उसकी तरफ की, और उसकी लुल्ली पकड़ कर अपनी गांड पे लगाई, उसने भी ज़ोर लगाया मगर वो डाल नहीं पाया।

मैंने खीज कर उससे कहा- अबे मादरचोद 19 साल का हो गया, और अभी तक अपनी सील भी नहीं तोड़ पाया, न साला चुदवा सकता है और न ही चोद सकता है।
फिर मैंने उससे कहा- चल ऐसे कर, मेरी मुट्ठ मार!

उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और मेरी मुट्ठ मारने लगा, मगर वो भी ढीले से हाथ से, जिसमें मुझे कोई मज़ा नहीं आ रहा था। मैं फिर से उसके पांव की तरफ लेट गया, उसकी लुल्ली चूसने में मुझे कोई ऐतराज नहीं था, उसकी लुल्ली अपने मुँह में लेकर मैंने अपना लंड उसको चूसने के लिए कहा।

दोनों भाई एक दूसरे का लिंग पूरा मज़ा लेकर और पूरा मज़ा एक दूसरे को दे कर चूसने लगे। अब लिंग चूसने में मज़ा भी थी और अपने आप गीला भी हो रहा था। सो जैसे जैसे मैं उसका लिंग चूस रहा था, वैसे ही वो भी मुझे कॉपी कर रहा था।

और काफी देर की चूसा चुसाई के बाद वो अकड़ा, और अपनी पूरी लुल्ली उसने मेरे मुँह में ठूंस दी और मैं भी उसकी 4 इंच की लुल्ली को खा गया, पूरे ज़ोर से उसने मेरे मुँह की चुदाई की। मगर कुछ बूंद पानी की ही निकली उसके लिंग से, कोई गाढ़ा वीर्य नहीं निकला।

फिर मैंने उसे कहा- चल अब मेरा भी करवा दे!कह कर मैंने उसके लिंग को फिर से चूसना शुरू कर दिया।
खुद खल्लास होने के बाद उसने मुझे भी खल्लास करने के लिए बड़े मज़े से मेरी चुसाई की। मगर उसको यह नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है।

और जब मेरा माल झड़ने वाला था, तो मैंने उसका सर अपनी दोनों जांघों में कस के पकड़ लिया और फिर धीरे धीरे फुसफुसाते हुये ‘शोभा (मेरी मामी) ओह शोभा, चूस ले साली, चूस ले अपने यार का लंड, मादरचोद रंडी, सारा माल पी जाना मेरा, कमीनी और ज़ोर से चूस, कुतिया, खा जा अपने यार का लंड, ओह चूस कुत्ती, चूस, मादर चोद, चूस हरामज़ादी…’
और ऐसे ही फुसफुसाते हुये मैंने अपने मामा के लड़के के मुँह में अपना वीर्य झाड़ दिया।

जब वीर्य उसके मुँह में गिरा तो ज़ाहिर है उसे अच्छा नहीं लगा होगा, उसने अपना मुँह छुड़वाने की कोशिश की मगर मैंने अपनी जांघों में उसे जकड़ रखा था, सारा वीर्य उसके मुँह में भी झाड़ा मैंने।
जब झाड़ लिया तो अपनी जांघों की पकड़ मैंने ढीली की।

वो उठ कर बाथरूम में चला गया और मैंने अपना लंड रज़ाई से ही पोंछ दिया।
2 मिनट बाद वो आ गया और मेरे साथ ही लेट गया।
उसके बाद कुछ नहीं हुआ, हम दोनों सो गए।

अगली सुबह जब उठे तो उसने मुझे शिकायत की- यार, रात तुमने बहुत गलत किया, सारा मुँह गंदा कर दिया।
मैंने कहा- तो इसमें क्या है, तुम्हारा भी मैंने सारा माल पी लिया था, तुम भी पी लेते!

वो बड़ा खुश हो कर बोला- सच में, क्या सच में मेरे माल छूटा?
मैंने कहा- हाँ, पर थोड़ा था।
वो बोला- पर तुम्हारा तो बहुत ज़्यादा था, सारा मुँह भर दिया।

मैंने उसे कहा- तो ऐसा करना, आज रात ऊपर वाले कमरे में सोएँगे, और तेल की शीशी साथ रखना, फिर मुँह में नहीं तेरी गांड में अपना माल छुड़वाऊँगा, ठीक है?
‘चल हट…’ कहने को तो उसने कह दिया, मगर उसकी आँखों में इकरार मुझे साफ नज़र आ गया था।

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