मेरा गुप्त जीवन -71

(Mera Gupt Jeewan-71 Bhabhi Ka Garbhadhan)

यश देव 2015-10-04 Comments

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भाभी का गर्भाधान

सुबह उठा तो देखा कि कम्मो रानी तो नहीं थी लेकिन भाभी मस्त सोई थी। मैं उठा और टेबल पर रखी चाय पीकर अपने कपड़े पहनने लगा।
तब तक मैं नंगी लेटी भाभी के जिस्म को ही देखता रहा, एकदम लेटी औरत सदा ही काफी सेक्सी लगती है।

थोड़ी देर बाद भाभी को वैसे हो सोते छोड़ कर मैं कॉलेज की तैयारी में लग गया और जल्दी ही नहा धोकर तैयार होने लगा।
तब भाभी भी जाग गई और बड़ी ही मस्त अंगड़ाई लेती हुई उठी और मुझको एक बड़ी ही हॉट जफ़्फ़ी डाल दी और फिर मुझको बेतहाशा चूमने और मेरे लंड को पकड़ने लगी।

मैं बोला- क्या हुआ भाभी? इतनी मेहरबान क्यों हो रही हो?
भाभी मुझको कस कर फिर से जफ़्फ़ी डालने लगी और बोली- वाह सोमू राजा, यार तुमने तो कमाल कर दिया।
मैं हैरान होकर बोला- ऐसा क्या किया है मैंने भाभी जान?
भाभी बोली- रात को तुम सोये सोये ही मुझ पर 3 बार चढ़े हो और 2 बार कम्मो पर भी चढ़े, अपने आप चढ़ जाते हो और फिर जब मेरा छूट जाता था तुम अपने आप ही उतर जाते थे। यह कैसे होता है यार? तुम्हारी आँखें तो पूरी तरह से बंद थी।
मैं बोला- मैं खुद नहीं जानता यह कैसे होता है भाभी। अगर मैंने आपको सोये सोये चोद कर गलती की है तो मुझको माफ़ कर दीजिए।

भाभी एकदम प्यार से बोली- नहीं सोमू, मैं तो अपनी हैरानी बता रही थी तुमको!
मैं बोला- मैं अपनी इस कमज़ोरी को जानता हूँ लेकिन कम्मो कहती है कि मेरा शरीर बहुत अधिक यौन क्रिया करने में सक्षम है तो वो बगैर मेरे चाहे ही ऐसा हो जाता है।

इतने में कम्मो भी आ गई और भाभी को सुबह की चाय देते हुए बोली- मैंने सुन लिया है भाभी आप जो कह रही हैं वो बिल्कुल सही है, छोटे मालिक को रात को कुछ नहीं पता रहता कि वो क्या कर रहे हैं।
भाभी बोली- जो सोमू की पत्नी बनेगी, उसकी तो मौज ही मौज है।

कम्मो बोली- अच्छा भाभी, छोटे मालिक तो कॉलेज जा रहे हैं और वापस आकर फिर से आप को चोदेंगे ताकि गर्भ ठहरने की सम्भावना बढ़ जाए। ठीक है न? भैया तो शाम को को ही आएंगे ना?
भाभी ने कहा- वो कह रहे थे कि उनको लौटते हुए शाम हो जायेगी।

कॉलेज से लौटा तो जल्दी से खाना खाकर मैं तैयार हो गया और कम्मो भाभी को ले कर मेरे कमरे में आ गई।
कम्मो बोली- भाभी, जी आपको पूर्ण रूप से कामवासना से ओतप्रोत होना है तो मैं इस काम में आपकी मदद करती हूँ और छोटे मालिक भी यही काम करेंगे।

हम तीनों जल्दी ही वस्त्रहीन हो गए और कम्मो ने भाभी को पलंग पर लिटा दिया, फिर मैंने भाभी के गोल सॉलिड मम्मों को मुंह में ले लिया और उनको चूसने लगा।
काली गोल चूचियों को चूसना भाभी को बहुत अधिक मज़ा देता था, वो काम मैंने शुरू कर दिया।

थोड़ी देर में भाभी गर्मी से उफन गई और उनकी चूत में उंगली डाली तो वो एकदम गीली हो रही थी।
तब कम्मो ने मुझको इशारा किया, मैंने भाभी को पलंग पर चिट लेटा दिया और उनकी चौड़ी संगममर जैसी टांगों में बैठ कर चुदाई का काम शुरू कर दिया।

भाभी जल्दी ही चुदाई में पूरी तरह से रंग गई और खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे धक्कों का जवाब देने लगी।
कोई 10-12 मिन्ट बाद मैंने महसूस किया कि भाभी के गर्भाशय का मुंह खुल रहा है और बंद हो रहा है। तभी भाभी का छूट गया और मेरे जांघों को भिगो गया।
अब मैंने फिर धीरे धीरे से और फिर जल्दी ही तेज़ तेज़ चुदाई करने दी।
इस बीच कम्मो भाभी के मम्मों को चूस रही थी और साथ ही उसके भग को भी मसल रही थी।
अब भाभी ने अपनी कमर को ऊपर को उठा कर झटका देना शुरू कर दिया और मैं समझ गया कि भाभी फिर स्खलित होने वाली हैं, मेरे धक्कों की स्पीड बहुत ही तेज़ हो गई और मैंने अपने दोनों हाथ भाभी के चूतड़ों के नीचे रख कर उनको ऊपर उठा लिया और गहरे और तेज़ धक्के मारने लगा।

भाभी जोश में तड़फड़ा रही थी और अपने सर को इधर उधर कर रही थी, कम्मो ने इशारा किया और मैंने भी निशाना साध कर ठीक उनके गर्भाशय पर लंड को बिठा कर अपना तीव्र फव्वारा छोड़ दिया।
मैंने भाभी के चूतड़ों को ऊपर उठाये हुए ही अपने लंड के साथ जोड़ दिया।
कम्मो ने बाद में बताया कि मैं और भाभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए बुरी तरह से कांप रहे थे।

भाभी को नीचे पलंग पर लिटा कर कम्मो ने उनके चूतड़ों के नीचे मोटे तकिये को रख दिया और मुझको नीचे आने के लिए कहा।
मैं बगल में लेट गया और ज़ोर ज़ोर से हांफ़ने लगा, जब थोड़ा हांफ़ना कम हुआ तो कम्मो ने वहीं रखा खास शरबत का गिलास हम दोनों को पकड़ा दिया।

भाभी भी आँख मूंद कर लेटी हुई थी, जब शरबत दिया गया तो उन्होंने पहले मुझको होटों पर किस किया और साथ ही कस के जफ़्फ़ी डाली और कहा- थैंकयू सोमू यार! यू आर ग्रेट!

अब मैं जल्दी से उठा और अपने कपड़े पहन कर बैठक में आ गया क्यूंकि मुझको अंदेशा था कि भैया कभी भी वापस आ सकते हैं।
जब सब सामान्य हुए तो चाय का इंतज़ाम पारो ने कर दिया।
चाय पी कर मैं अपनी कोठी के बगीचे में टहलने लगा।

कोई 6 बजे भैया वापस आये और काफी थके हुए लगे, आते ही नहाये धोये और बैठक में आकर बोले- सोमू यार, मेरा काम यहाँ खत्म हो गया है, कल सवेरे हम निकल जाएंगे अपने गाँव के लिए!
मैंने कहा- अभी कुछ दिन और रुक जाते, बड़ा मज़ा आ रहा था आपके और भाभी के साथ!
भैया बोले- फिर आएंगे और फिर यह मज़ा दोबारा करेंगे।

उस रात हम सब अपने अपने कमरों में सोये और भाभी को कम्मो ने पहले ही कह रखा था कि आज की रात भैया से ज़रूर चुदवाना।

अगले दिन भैया और भाभी जाने के लिए तैयार हो गए थे, कम्मो थोड़ी देर के लिए भाभी को उनके कमरे में ले गई और थोड़ी देर में ही दोनों वापस भी आ गई और दोनों ही बड़ी खुश लग रही थी।
कम्मो ने मुझको आँख मारी और सर हिला दिया जिसका मतलब था कि काम हो गया था।
थोड़ी देर बाद नाश्ता करके वो दोनों अपनी कार में बैठ कर गाँव चले गए और मैं कॉलेज चला गया।
कहानी जारी रहेगी।
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