मेरा गुप्त जीवन -69

(Mera Gupt Jeewan-69 Bhabhi Ke Garbhadhan Ki Taiyari)

यश देव 2015-10-01 Comments

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भाभी के गर्भाधान की तैयारी

फिर भाभी ने कम्मो और पारो को 100-100 रूपए का इनाम दिया और उन दोनों को बड़ा धन्यवाद दिया कि बड़ा अच्छा प्रोग्राम हो गया।
फिर वो दोनों नंगे ही अपने कमरे में चले गए।

अगले दिन मैं समय पर कॉलेज चला गया और जाने से पहले भैया को ‘हैप्पी टूर’ बोल गया क्योंकि वो 2 दिन और एक रात के लिए दूसरे शहर जाने वाले थे।

कॉलेज से लौटने पर कम्मो ने मेरा स्वागत किया और ठन्डे पानी का गिलास मुझ को दे गई।
मैंने भाभी के बारे में पूछा तो वो बोली- भाभी और पारो कुछ खरीदना था, वो शहर गई हैं।

फिर वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन रुक रही थी जैसे कुछ झिझक महसूस कर रही हो।
मैं बोला- क्यों कम्मो डार्लिंग, कुछ ख़ास बात है क्या? कह दो बेझिझक!
कम्मो बोली- आज वो दोनों सेठानियाँ आई थी और आपका पूछ रही थी।
मैं बोला- वो मेरे बारे में क्या पूछ रही थी?

कम्मो मुस्कराते हुए बोली- उनकी चूतों में खुजली हो रही थी, तो वो मिटवाना चाहती थी।
मैं भी ज़ोर से हंस दिया- यूँ कहो न कि वो चुदवाना चाहती थी… तो तुमने क्या कहा उनको?
कम्मो बोली- मैंने तो पहले उनका चेकअप किया, दोनों को माहवारी आये दो दो महीने हो चुके थे यानि वो पूरी तरह से गर्भवती हो चुकी थी और बड़ी खुश थी, बता रही थी कि उनके परिवार में सब बड़े खुश थे खासतौर पर उनके सेठ लोग!

मैं हँसते हुए बोला- कम्मो रानी, तुमने मुझको इतनी छोटी उम्र में ही बाप बना दिया है। उधर गाँव में 4-5 औरतें भी गर्भवती हो गई थी और उनका बाप भी मुझको बनाया जा रहा है, उफ्फ्फ, क्या समय आ गया है। यह सब किया कराया उन के पतियों का है और तुम नाम मेरा जड़ रही हो।
कम्मो भी हँसते हुए बोली- वो पड़ोस वाली आंटी भी आई थी और वो भी पूरी तरह से गर्भवती है और तुमको चूमना और चोदना चाहती थी।
मैं बोला- चूमना और चोदना तो ठीक है लेकिन खामखाह में मुझको बाप ना बनाओ यारो।

कम्मो बहुत हंस रही थी और कह रही थी- मुझ को भी अगर शामिल किया जाए तो आप कम से कम एक दर्जन बच्चों के बाप बन चुके हो छोटे मालिक।
मैं बोला- कम्मो रानी, यह हंसने वाली बात नहीं है लेकिन यह सब मुझ को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि मैं एक दिन बहुत ही बड़ी मुसीबत में फंसने वाला हूँ।

कम्मो बोली- आप भाभी का गर्भाधान कर दो फिर हम सोचेंगे कि इस बारे में क्या किया जाए। मैं थोड़े टाइम बाद आपके वीर्य का टेस्ट करवाना चाहती हूँ, क्या कारण है कि जिस औरत को भी आप सही समय में चोदते हो, वो गर्भवती कैसे हो जाती है?
मैं बोला- हाँ कम्मो रानी, यह टेस्ट करवा लेते हैं, यह करना बहुत ज़रूरी है। तुमने उन सेठानियों और पड़ोस वाली आंटी को क्या कहा फिर?
कम्मो बोली- क्या कहना था, सब को डरा दिया कि इस समय गर्भ पूरी तरह से ठीक नहीं है तो से चुदाई से परहेज़ करना चाहिए आप सबको, अपने पतियों से भी!

मैं उदास हो कर बोला- उफ़्फ़, दो दो संगमरमर के बने बुतों को मुझ को चोदने नहीं दिया। कितनी मुश्किल से तो इतनी खूबसूरत औरतें हाथ लगी थीं और तुमने जल्दी से उनको गर्भवती बना दिया।
कम्मो हँसते हुए बोली- आप बेफिक्र रहे छोटे मालिक, ऐसे कई और ग्राहक आएंगे जैसे सेठानियों की खबर उनकी जानकार सहेलियों में फैलेगी और इनसे ज़्यादा खूबसूरत औरतें तुम्हारे पीछे भागेंगी।

मैं खुश होते हुए बोला- अगर यह खबर मम्मी पापा को पता चल जाती है तो मेरे तो मुंह में कालिख पुत जायेगी।
कम्मो बोली- आप घबराएं नहीं छोटे मालिक, वो दोनों बड़े ही खुश होंगे कि गांव और शहर के आधे से ज़्यादा बच्चों के वो दादा और दादी बने बैठे हैं।
यह सुन कर मैं और कम्मो तो हंसी के मारे लोट पोट हो गए।

फिर मैं सीरियस होते हुए बोला- कम्मो रानी, सच बताना यह गर्भाधान वाली बात तुमने पारो को बताई है कभी?
कम्मो बोली- कसम से छोटे मालिकम गर्भाधान वाली बात मैंने पारो को कभी नहीं बताई। मैं जानती हूँ कि यह बात अगर फ़ैल जाती है तो अनर्थ हो जाएगा। पारो यही जानती है कि ये सेठानियाँ और पड़ोस वाली भाभी सिर्फ चुदाने आती हैं और कुछ नहीं।

मैंने कम्मो को आलिंगनबद्ध किया और उसके होटों पर चूम लिया और कम्मो ने मेरे लौड़े को हाथ लगाया तो वो बैठा हुआ एकदम टन्न से खड़ा हो गया।
तब मैं बोला- लौड़ा हो तो सोमू जैसा, नहीं तो ना हो!
फिर हम दोनों खूब हँसे।

कम्मो कुछ संजीदा होते हुए बोली- भाभी का गर्भाधान ज़रूरी है और हमारे पास सिर्फ 3 दिन हैं फिर वो दोनों चले जाएंगे। वैसे भाभी के गर्भ वाले दिन आज से शुरू होंगे तो हमारे पास समय है कि भाभी की इच्छा पूरी की जा सके।

इतनी देर से चूत चुदाई और गर्भाधान की बातें चल रही थी तो मेरा लंड तो अब खड़ा क्या हुआ, बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मैंने कम्मो को कहा- थोड़ी से दे दे यार!
वो बोली- कोई आ न जाए ना!

फिर भी मैंने उसकी साड़ी को उसकी कमर के ऊपर में कर दी और पीछे से खड़े खड़े ही चोदने लगा।
वास्तव में उसकी चूत भी पनिया गई थी और वो भी आनन्द ले रही थी इस अचानक चुदाई का!
दस मिन्ट की अंदर बाहर की जंग में कम्मो कांपती हुई छूट गई और उसने मेरे एकदम गीले लंड को अपने पेटीकोट से साफ़ कर दिया।

हम जैसे ही कमरे के बाहर निकले तो पारो और भाभी कोठी के गेट पर पहुँच गई थी और रिक्शा वाले को पैसे दे रही थी।
मैंने कम्मो को शरारत में उसके चूतड़ों को दबा दिया।

भाभी और पारो जैसे ही अंदर आई तो कम्मो ने उन दोनों को घेर लिया और देखने लगी कि क्या शॉपिंग की दोनों ने।

मैं अपने कमरे में आकर लेट गया, फिर जब खाना लग गया तो हम दोनों बैठक में मिले और मैंने भाभी को ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली और बाहर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरा।

भाभी ने भी मेरे लंड को पैंट के बाहर से छुआ और कहा- अरे वाह, यह तो अभी से खड़ा है, कहीं तुम दोनों बच्चों ने हमारे पीछे से कुछ गलत काम तो नहीं किया, बोलो?

मैंने कान को हाथ लगाते हुए कहा- नहीं मैडम जी, हमने कुछ भी गलत काम नहीं किया बल्कि सारे वही काम किये जो आप भी करती हैं।
यह सुन कर भाभी तो बेतहाशा हंसी।

खाना खाने के बाद मैं भाभी के साथ उनके कमरे में ही चला गया, वहीं हम दोनों लेट गए उनके पलंग पर!

भाभी मुझको बड़े गौर से देख रही थी और कुछ सोच रही थी।
कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद भाभी बोली- सोमू यार, तुम शक्ल-ओ-सूरत से एक छोटी उम्र के मासूम लड़के लगते हो लेकिन जब मैं तुम्हारे लंडम को देखती हूँ तो तुम एक पूरे जवान मर्द की तरह लगते हो! यह कैसे मुमकिन है?
मैं बोला- यह सब कुदरत का खेल है, पिछले साल तक तो मेरी आवाज़ एक छोटे लड़के की तरह पतली थी लेकिन लंडम तब भी कई औरतों को खुश कर चुका था।

भाभी बोली- तुम्हारी तो मौज है सोमू।
मैं बोला- मौज क्या है भाभी, कॉलेज में जिस लड़की की तरफ देखता हूँ वो ही मुंह फेर लेती है कि यह तो अभी बच्चा है, बड़ी मुश्किल है भाभी कोई भी लड़की नहीं पटती।

तब तक भाभी ने मेरा लंड मेरी पैंट से निकाल लिया था और उसको बड़े गौर से देख रही थी, वो सीधा रॉड की तरह एकदम खड़ा था और इधर उधर झूल रहा था।
मैंने भी भाभी की साड़ी चूत के ऊपर कर दी थी और उसकी सफाचट चूत को बड़े ध्यान से देख रहा था।

मैं बोला- आपकी चूत इतनी सुन्दर है लेकिन अगर इस पर बाल होते न, तो यह और भी सेक्सी लगती। मुझको बालों से भरी चूत बहुत ज़्यादा पसंद है।
भाभी बोली- अगली बार आऊँगी तो इस पर घने बाल उगा कर लाऊंगी सिर्फ तुम्हारे लिए सोमू।

मैंने चूत पर हाथ लगाया तो वो बहुत ही गीली हो रही थी, मैं बिना अपनी पैंट उतारे ही भाभी पर चढ़ गया, भाभी ने भी अपने टांगें फैला दी थीं और चूत एकदम से सामने आ गई थी।
मैंने धीरे से लंड को चूत में डाला और फिर आहिस्ता से अंदर बाहर करने लगा, गीली चूत होने के कारण फच फच की आवाज़ आने लगी।
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मैं धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगा, फिर मैंने भाभी के चूतड़ों के नीचे हाथ रख दिए और चूत को ऊपर उठा दिया ताकि लंड पूरा अंदर तक जा सके।
कभी तेज़ और कभी धीरे और कभी पूरा निकाल कर सिर्फ आगे का हिस्सा अंदर और फिर कभी लंड के मुंह को भाभी के भग पर रगड़ना… इन सब तरीकों से मैं भाभी को चोद रहा था और मेरी इस मेहनत का फल यह मिला कि भाभी का जब छूटा तो वो इतने ज़ोर से चिल्लाई और उसका सारा जिस्म एकदम से अकड़ गया, मुझको इतने ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली कि मेरा अंग अंग चरमरा गया।

मैं भाभी का छूटने के बाद भी अपने लंड को चूत के अंदर डाले ही भाभी के ऊपर लेटा रहा और मैं भाभी के मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से चूमने लगा।
तब भाभी अपनी टांगें सिकोड़ने लगी, जिसका मतलब था कि मैं उनके ऊपर से हट जाऊ।ं।
मैंने भाभी को एक हॉट किस की और फिर उठ गया और अपने कमरे में आ लेट गया।
फिर ना जाने कब मेरी नींद लग गई.

रात को कम्मो ने भाभी को पूरी बात समझा दी थी कि कैसे गर्भाधान की क्रिया शुरू होगी और कैसे इसका समापन होगा और यह भी बता दिया था कि इस सारे काम में 2-3 दिन लग सकते हैं।

भाभी ने कहा था कि वो कोशिश करके भैया को एक आध दिन और रोक लेंगी अगर इसकी ज़रूरत पड़ी तो!

रात को जब मैं और भाभी खाना खा चुके तो कम्मो हमारे लिए एक खास खीर बना कर ले आई जो हम दोनों को खानी थी।
खीर अति स्वादिष्ट थी और मैंने और भाभी ने दो दो बार खाई।

फिर हम दोनों मेरे बेडरूम में आ गए और एक दूसरे को देखने लगे।
तभी कम्मो आ गई बोली- छोटे मालिक, आप कुरता पायजामा पहन कर तैयार हो जाइए, मैं भाभी को ख़ास तौर से तैयार करके लाती हूँ।

कम्मो और भाभी उनके कमरे में चली गई और मैं वहीं बैठा बोर हो रहा था।
थोड़ी देर बाद वो भाभी को शादी वाले जोड़े में सजा कर लाई मेरे कमरे में! आते ही उसने कहा- हज़ूर नवाब साहिब, आपकी मलिका सुहागरात के लिए तैयार है।
मैं भी उसी लहजे में बोला- ऐ हसीं बांदी, क्या तुम्हारी मलिका हुसन का मुजस्मा है?
वो बोली- आप खुद ही उनका दीदार कर लीजिये, यह हुस्न का तौहफा आपके लिए यह कनीज़ ख़ास तौर से तैयार करके लाई है।
मैं बोला- बहुत खूब ऐ खूबसूरत कनीज़, तुमने हमारी बहुत अरसे की दिली मुराद को पूरा किया है, हम तुमको इनामात से सरोबार कर देंगे।
कम्मो बोली- अगर जान की ईमान पाऊँ तो अर्ज़ करने की गुस्ताखी कर रही हूँ कि आप और मालिकाए आला की मदद करने के लिए यह नाचीज़ आपके इस शाही हरम में आपके रूबरू रहने की इजाज़त मांगती है!

तभी भाभी घूँघट की आड़ से बोली- अरे तुम यह क्या गिटर पिटर कर रहे हो, कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या बोल रहे हो तुम दोनों।
कहानी जारी रहेगी।
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