मेरा गुप्त जीवन-100

(Mera Gupt Jeewan-100 Nimmo Aur Juhi Bhabhi Ki Chut Chudai)

यश देव 2015-11-13 Comments

This story is part of a series:

निम्मो, जूही भाभी की चूत चुदाई

कुछ दिन हम सब बहुत व्यस्त रहे क्यूंकि 15 दिन के लिए गाँव जाना था, जाने की तैयारी भी करनी थी और कोठी को भी बंद करना था।
इन दिनों मैं अपने हरम की दोनों हसीनों से ही काम चला रहा था और इस कारण आज कल पारो मेरा बहुत ख्याल रखती थी क्यूंकि मैं रात को उसकी ख़ास सेवा करता था।

एक दिन मैं कॉलेज से घर आया तो कम्मो ने बताया कि दोपहर में निर्मला मैडम उसके पास आई थी अपना चेकअप करवाने के लिए, उनका पूरा चेक कर दिया था और हर तरह से ठीक है, प्रेगनेंसी ठीक चल रही है।

कम्मो आगे बोली- निर्मला मैडम कह रही थी कि वो भी दशहरे की छुट्टियों में अपने गाँव जा रही हैं लेकिन वो इस पशोपेश में हैं कि मेरी बहन निम्मो को कहाँ छोड़ के जाएँ क्योंकि वो भी घर बंद करके जा रही है अपने पति के साथ! तो मैंने उनको कह दिया है कि छोटे मालिक से पूछ कर बताती हूँ कि क्या कर सकते हैं हम?

मैं कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला- ऐसा करो, तुम मैडम को कह दो कि वो निम्मो को हमारे यहाँ छोड़ जाएँ और हम उसको अपने साथ अपने गाँव ले जाएँगे। क्यों कम्मो यह ठीक है ना?
कम्मो बोली- हमारे साथ वो दो लड़कियाँ भी हैं, तो गाड़ी में इतनी जगह नहीं होगी कि निम्मो को भी साथ ले लें।

मैं बोला- वो ठीक याद दिलाया, मैं तो भूल ही गया था। जेनी और जस्सी आज मुझको कॉलेज में मिली थी और कह रही थी कि वो अब हमारे साथ नहीं जा सकेंगी क्यूंकि उनके भाई आ रहे थे उनके गाँव से, वो उनके साथ अपने अपने गाँव जा रही हैं कल और अब वापिस आकर ही हमसे फिर मिलेंगी, तो निम्मो को ले जाने में कोई अड़चन नहीं होगी।

कम्मो खुश हो कर बोली- छोटे मालिक, आपने तो मेरे फ़िक्र को ही दूर कर दिया। अब मैं निर्मला मैडम से बात कर लेती हूँ।
यह कह कर वो निर्मला मैडम से बात करने लगी और फिर बताया कि निर्मला मैडम ने कहा है कि मैं निम्मो को आ कर ले जाऊँ क्यूंकि वो कल गाँव जा रहे हैं, तो मैं रिक्शा पर जाती हूँ और निम्मो को ले आती हूँ ठीक है न छोटे मालिक?

मैं बोला- जाओ जाकर निम्मो को ले आओ! आने जाने के पैसे हैं न तुम्हारे पास? नहीं तो मेरे से ले जाओ!
कम्मो बोली- पैसे हैं मेरे पास, मैं अभी आती हूँ निम्मो को लेकर!
एक घंटे के बाद कम्मो निम्मो और उसकी पोटली लेकर आ गई और अपनी कोठरी में उसको रखवा दिया।

रात को खाना खाकर हम सब मेरे कमरे में इकट्ठे हुए और मैंने उन सबको बताया कि मैंने टैक्सी के लिए बोल दिया है और हम कल सुबह गाँव के लिए निकल जाएंगे। इससे पहले पारो और राम लाल और बाकी कर्मचारियों का हिसाब सुबह कर कर देंगे और उनको कह देना कि वो चाहें कल या फिर परसों अपने गाँव जा सकते हैं।

मैंने कम्मो से पूछा- आज रात क्या इरादा है?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, आज तो आपके पास तीन मोटी गायें हैं जिनको आपको हरा करना पड़ेगा। मेरा तो कोई नहीं लेकिन पारो तो कल जा रही है 15 दिन के लिए, तो उसको तो हरा करना ही चाहिए! क्यों पारो?
पारो बोली- हाँ छोटे मालिक, मेरा तो काम आज कर ही दो आप, वरना मैं आपकी याद में यूँ ही तड़पती रहूंगी।

कम्मो बोली- और हमारे बीच नई आई है निम्मो रानी, तो उसको भी आज तो अपनी पटरानी बना ही दो!
मैं बोला- जैसे तुम कहोगी, वैसा ही होगा कम्मो महारानी!

कम्मो के इशारे पर सब रानियाँ निर्वस्त्र होने लगी और जब सबने अपने कपड़े उतार दिए तो कम्मो ने निम्मो को इशारा किया कि वो मेरे भी कपड़े उतार दे!
निम्मो पहले थोड़ी झिझकी लेकिन फिर वो मेरे पास आई और एक एक कर के मेरे कपड़े उतारने लगी। लेकिन जैसे ही वो मेरे अंडरवियर तक पहुँची तो उसने अपना मुंह थोड़ा पीछे कर लिया ताकि लंडम लाल का थप्पड़ उसको इस बार न लगे।

मैंने निम्मो से कहा- पहले हुए अनुभव से सबक लिया तुमने जब लंड का थप्पड़ पड़ा था अंडरवियर उतारते हुए!
निम्मो शर्माते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, वो घटना भला मैं कैसे भूल सकती हूँ! बड़े जोर का लगता है यह मुंह पर!
यह सुन कर हम सब ही हंस पड़े।

फिर मैंने उन तीनों रानियों को लाइन में खड़ा कर दिया और उनके शरीर की सुंदरता को परखने लगा।
सबसे सॉलिड और अच्छी प्रकार से बने हुए शरीर का पुरस्कार तो कम्मो को ही जाता था लेकिन निम्मो उससे 2-3 साल छोटी होने के कारण उसके शरीर का अभी तक ज़्यादा इस्तेमाल नहीं हुआ था क्यूंकि वो कम्मो की तरह अधिक खुले हुए स्वभाव की नहीं थी और काफी चुपचाप और शर्माने वाली लड़की थी।

कम्मो ने ही कहा- छोटे मालिक, पहले आप निम्मो को ही चोदो, उसको शायद काफी दिनों से लंड के दर्शन नहीं हुए हैं।
मैंने निम्मो से कहा- कैसे चुदना पसंद करोगी निम्मो? जो पोज़ तुमको अच्छा लगता है, उसी से चुदाई शुरू करते हैं।
निम्मो बोली- जैसे आप चाहो, वैसे ही कर लो, मेरी कोई ख़ास पसंद नहीं है।
मैं बोला- तो चलो फिर घोड़ी बन कर ही चोद देता हूँ। घोड़ी बन जाओ निम्मो फ़ौरन।

निम्मो घोड़ी बन गई और मैंने अपने खड़े लंड को निम्मो की चूत के ऊपर रगड़ कर उसको थोड़ा गीला किया एक धक्के में उसकी टाइट चूत में लंड पूरा चला गया।
शुरू में धीरे धक्कों से चुदाई की फिर आहिस्ता से तेज़ी पकड़ ली और 10-15 धक्कों में ही जब निम्मो छूट गई तो मैंने उसको बगैर लिंक तोड़े पलट दिया और अब उसकी टांगें हवा में लहराते हुए चुदाई शुरू कर दी फिर थोड़ी देर बाद मैंने उसको साइड में लिटा कर स्वयं उसके पीछे से चूत चुदाई करने लगा, उसकी एक टांग तो हवा में थी और दूसरी उसके नीचे।

इस दौरान कम्मो और पारो जो अभी तक आपस में लगी हुई थी, अब निम्मो के मुम्मों को चूसने लगी और पारो ने अपनी ऊँगली निम्मो की गांड में डाल दी।
इस डबल अटैक से निम्मो फिर बड़े ज़ोर से हिलते हुए छूट गई और मैं उसको छोड़ कर पारो की सेवा करने लग गया और जब पारो की चूत में अपना गीला लंड डाला तो वो बेहद गीली हो रही थी और उसको भी चुदाई आनन्द काफ़ी दिनों से नहीं मिला था तो वो भी कामातुर होकर चुद रही थी।

थोड़ी देर की चुदाई में वो जब 2 बार झड़ गई तो मैंने अपना ध्यान अब कम्मो की तरफ किया और उसकी जाने पहचानी चूत को भी आनंदित किया।

उसके बाद एक बार फिर निम्मो को चोदा और पारो को भी फाइनल चुदाई की और इस तरह वो रात हम तीनों एक साथ सोये नीचे फर्श पर बिछे गद्दों पर!

सुबह जल्दी उठ कर हम सब तैयार होने में लग गए और अपने निर्धारित समय पर टैक्सी में बैठ कर गाँव के लिए चल दिए।
चार घंटे के सफर के बाद हम अपने गाँव पहुँच गये।

जैसे ही मैं हवेली में दाखिल हुआ, एकदम बहुत सारे लोगों ने मुझ को घेर लिया और बड़ी गर्म जोशी से मिलने लगे।
मैं एकदम हैरान हो गया कि ये सब कहाँ से आ गए लेकिन तभी मम्मी आ गई और कहने लगी- सोमू ये सब तुम्हारे कजिन हैं जिनसे तुम पहली बार मिल रहे हो। इन सबको हमने दशहरा यहाँ मनाने के लिए आमंत्रित किया है।
और फिर उन्होंने हम सब को एक दूसरे से मिलवाया।

जितने सारे मेहमान थे उनमें बहुत सारी भाभियाँ और लड़कियाँ थी और एक दो लड़के भी थे जिनको मैं पहली बार मिल रहा था।
मैं अपने कमरे में घुसा तो वहाँ एक बहुत ही सुंदर भाभी मेरे बेड पर लेटी हुई थी और एक मैगज़ीन पढ़ रही थी।

मुझको देखते ही वो अकचका गई और उठ के बैठ गई, उसकी साड़ी का पल्लू उसके वक्ष से ढलक गया और उनके बहुत ही सॉलिड मुम्मे जो लाल ब्लाउज में ढके थे, मेरे सामने आ गए।

भाभी बोली- तुम सोमू हो क्या?
मैं बोला- जी हाँ, और आप?
भाभी बोली- मैं जूही हूँ, तुम्हारे इलाहबाद वाले भैया की पत्नी, रिश्ते में तुम्हारी भाभी हूँ।
मैं बोला- भाभी जी, आप से मिल कर बड़ी प्रसन्नता हुई। मम्मी ने यह कमरा आपको दिया है क्या? कोई बात नहीं, मैं दूसरे कमरे में चला जाऊँगा मम्मी से बात कर के, तब तक मेरा यह बैग यहाँ पड़ा है, आप लेटी रहो।
भाभी बोली- कॉलेज में पढ़ते हो क्या लखनऊ में?

मैंने भाभी की तरफ देखा, उन्होंने अपनी साड़ी के पल्लू से वक्ष ढकने की कोई कोशिश नहीं की और उनके गोल और सॉलिड दिखने वाले मुम्मे मेरे सामने वैसे ही जगमगा रहे थे।
मैं मुस्करा कर बोला- हाँ भाभी, कॉलेज में हूँ वहाँ! अच्छा मैं ज़रा मम्मी से मिल कर आता हूँ।

यह कह कर मैं कमरे से बाहर आ गया और मम्मी को ढूंढने लगा जो उस समय एक और सुंदर भाभी से बात कर रही थी।
वो मुझको देखते ही वो कमरे के बाहर चली गई और तब मैंने मम्मी से पूछा- आपने बताया ही नहीं कि इतनी सारी फ़ौज आने वाली है रिश्तेदारों की?
मम्मी जी बोली- कोई बात नहीं सोमू, कुछ दिनों की ही तो बात है, एडजस्ट कर लो बेटा। मैंने तुम्हारा कमरा छेड़ा नहीं, तुम उसी में ही रहोगे, और तुम्हारे साथ वो इलाहाबाद वाली जूही भाभी और उसकी ननद रहेगी। तुमने अच्छा किया जो निम्मो को भी साथ ले आये, उसकी बड़ी मदद हो जाएगी घर के काम काज में!
मैं बोला- ठीक है मम्मी जी, जैसा आप ठीक समझो।

मैं अपने कमरे में आ गया और वहाँ भाभी के साथ एक और 18-19 साल की लड़की भी बैठी थी।
भाभी ने उसके साथ परिचय कराया और कहा- यह मेरी ननद है रिया, अलाहबाद के कॉलेज में फर्स्ट ईयर आर्ट्स की छात्रा है तुम्हारी तरह!
देखने में काफी अच्छी लगी वो और मैंने उसको अपने ख़ास अंदाज़ से देखा तो वो अच्छे मोटे मुम्मों और उभरे हुए चूतड़ों की मालिक नज़र आई।
मेरी और रिया की पटरी अच्छी बैठ गई और हम दोनों एक दूसरे से जल्दी ही घुलमिल गए।

उधर भाभी भी बार बार अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा कर मेरा ध्यान अपनी और आकर्षित करने की कोशिश कर रही थी।
फिर हम तीनों उठ कर बैठक में आ गए और बाकी मेहमानों का इंतज़ार करने लगे।

थोड़ी देर में बाकी के जवान लड़कियाँ और दो लड़के वहाँ आ गए और मुझसे बड़े ही प्रेम पूर्वक मिले, सबसे परिचय हुआ।

लड़कियाँ कुछ तो सुंदर थी और स्मार्ट दिख रही थी और कुछ एवरेज शक्ल सूरत वाली थी।
सुन्दर लड़कियों ने पूरी कोशिश की वो मेरे ही निकट आकर बैठें लेकिन उनमें कुछ को ही सफलता मिली।
अब मैं उनके रहने और दूसरे कामों के बारे में पूरी रुचि ले रहा था और उनको वहाँ घूमने के स्थानों के बारे में बता रहा था।

फिर हम सबने बैठक में बैठ कर खाना खाया, खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था।
मेरे पूछने पर कम्मो ने बताया कि एक नई बावर्चिन आई है जो बहुत ही अच्छा खाना बनाती है और कई और काम भी करती है।
यह बताते हुए कम्मो कुछ मुस्कराई थी, मैं समझ गया कि मेरे मतलब की है वो!

रात को खाना खाकर हम सब अपने अपने कमरों में सोने के लिए आ गए, कुछ देर गपशप चलती रही और जब सोने का टाइम हुआ तो मैंने भाभी से कहा- मैं फर्श पर एक गद्दा बिछवा लेता हूँ, मैं वहाँ सो जाऊँगा और आप दोनों पलंग पर सो जाना।
जूही भाभी बोली- नहीं नहीं, तुम क्यों नीचे सोओगे, हम तीनो पलंग पर ही सो जाते हैं। इतना बड़ा तो पलंग है इसमें तो दो जने और सो जाएँ तो भी जगह बचती है। सोमू तुम एक साइड में सो जाओ और रिया दूसरी साइड में सो जायेगी और मैं तुम दोनों के बीच में… क्यों ठीक है ना रिया और सोमू?
रिया बोली- आज रात तो ऐसे सो कर देखते हैं और अगर कष्ट हुआ तो कल रात देख लेंगे, क्यों ठीक है ना सोमू?
मैं बोला- जैसा आप दोनों को ठीक लगे, वैसा ही कर लेते हैं।
फिर हम सबने गुड नाईट की और सो गए।

तकरीबन एक घंटे के बाद मुझको महसूस हुआ कि कोई हाथ मेरे पयज़ामे के ऊपर से मेरे लौड़े को छेड़ रहा है और मेरा लौड़ा भी बेलगाम घोड़े की तरह खड़ा होना शुरू हो गया।
पहले तो मैंने सोचा कि शायद भाभी का हाथ गलती से मेरे लौड़े के ऊपर पड़ रहा है लेकिन जब मैं दम साध कर लेटा रहा तो वो हाथ वाक़यी में मेरे अब खड़े लौड़े के साथ खेल रहा था यानि मुट्ठी मारने की प्रक्रिया कर रहा था और वो भी मेरे पायज़ामे के ऊपर से।
लेकिन मैं भी चुपचाप आँखें बंद करके लेटा रहा, इंतज़ार करता रहा कि देखो आगे क्या होता है।
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अब भाभी ने धीरे से मेरे पज़ामे को थोड़ा नीचे खिसका दिया और लंड लाल को बाहर निकाल लिया।
अब मैं भी अपने को रोक नहीं सका और आँखें बंद किये ही मैंने अपना हाथ भाभी की नाइटी के ऊपर उनके मुम्मों पर रख दिया।
यह देख कर भाभी थोड़ी झिझकी लेकिन उन्होंने फिर लंड की मुट्ठी मारनी शुरू कर दी और अब उन्होंने मेरी तरफ करवट ले ली और मेरे पज़ामे को उन्हों ने मेरी कमर के नीचे खिसका दिया और मेरे लंड को हाथ में लेकर उसको नापने लगी।

इधर मैं भी भाभी के मुम्मों को अब दबाने लगा और धीरे धीरे दूसरा हाथ उसकी चूत की तरफ ले गया।
मैंने उनकी नाइटी को अब काफी ऊपर उठा लिया और दूसरे हाथ को उनकी जांघों पर फेरते हुए उनकी चूत के पास ले जाने लगा।

अब भाभी ने अपना मुंह थोड़ा उठाया और मेरे गालों को और मेरे होटों को हल्के हल्के चूमना शुरू कर दिया।
जब उनके होंट दूसरी बार मेरे होटों पर लगे तो मैंने भी उनके लबों को अपने होटों में दबा लिया।
मेरा एक हाथ अब भी उनके मुम्मों को नाइटी के बाहर से मसल रहा था दूसरा अब भाभी की चूत के बाहर खड़ा था और जब बालों से भरी चूत में ऊँगली डाली तो उसको एकदम गीला पाया।

मैं समझ गया कि भाभी सेक्स की भूखी है और इस वक्त वो अन्तर्वासना, काम अग्नि में जल रही हैं, मैंने भी भाभी की भग को मसलना शुरू कर दिया।
भाभी ने मेरा लंड छोड़ दिया और वही अपना हाथ मेरे उंगली मार हाथ पर रख दिया और उसको और भी तेज़ी से ऊँगली चलाने के लिए प्रेरित करने लगी।

अब मैंने अपना सर उठाया और भाभी के कान के पास जाकर बहुत ही धीरे से कहा- भाभी, आप अपना मुंह दूसरी तरफ कर लो तो मैं पीछे से तुम्हारे अंदर लंड डाल दूँ?
जूही भाभी ने धीरे से कहा- ठीक है, लेकिन ज़्यादा ज़ोर से नहीं, रिया कहीं जाग ना जाये।

भाभी ने अपना सर दूसरी तरफ कर दिया और अपने चूतड़ बिल्कुल मेरे लंड के सामने ले आई।
मैंने उसकी नाइटी को अब उसके चूतड़ों के ऊपर कर दिया और उसकी चूत का निशाना पीछे से लगा दिया।
मैंने धीरे से लंड को भाभी की फूली हुए चूत के मुंह पर रख कर एक हल्का धक्का मारा और वो तकरीबन आधे से ज़्यादा अंदर चला गया।

लोहे जैसी गरम सलाख वाला लंड जब अंदर गया तो भाभी थोड़ी से कसमसाई लेकिन फिर संयत हो गई और मेरे मोटे और लम्बे लंड का मज़ा लेने लगी।
मैं भी धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर कर रहा था ताकि बिना ज़रा सा शोर किये मैं भाभी को मज़े से चोद सकूँ।
लंड के अंदर बाहर होने के साथ ही मेरे हाथ उसके एकदम मुलायम नितम्बों को बार बार छू कर आनन्द ले रहे थे।
भाभी की चूत काफी टाइट थी और उसकी पकड़ भी काफी गज़ब की थी।

कोई दस मिन्ट की चुदाई में ही भाभी का शरीर एकदम अकड़ गया और फिर ढीला पड़ गया।
अब वो उठी बाथरूम जाने के लिए तो मैं भी उठ कर उसके पीछे हो लिया और दोनों ही हम बाथरूम में साथ ही पहुँचे।

भाभी बोली- सोमू, तुम बाहर जाओ न, मुझको थोड़ा करना है।
मैं बोला- जूही भाभी, अब मुझसे क्या शर्माना, कर लो जो आपको करना है!
भाभी थोड़ी हिचकी लेकिन अभी भी मेरे खड़े लौड़े को देख कर उनके सारे ऐतराज़ काफूर हो गए।

भाभी पॉट पर बैठ कर पेशाब करने लगी और मैं ने भी अपना खड़ा लौड़ा पयज़ामे से निकाला और सामने ही बैठ कर अपनी धार को छोड़ दिया।
वैसे मैंने यह पहली बार देखा था कि औरतें कैसे पेशाब करती है तो यह रोमांचक दृश्य देख कर मेरा लौड़ा और भी सख्ती के आलम में आ गया और मेरे पेशाब की धार दूर तक जाकर भाभी के पेशाब में शामिल हो रही थी।

यह दृश्य भाभी को बड़ा ही रोमांचक लगा और वो आँखें फाड़ कर यह सब देख रही थी।
जब हम इस क्रिया से निवृत हुए तो भाभी उठ कर अपनी नाइटी नीचे करने लगी थी लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और एक कामातुर चुम्मी लबों पर दे दी।
फिर मैंने भाभी को बाथरूम की दीवार पकड़ कर खड़ा कर दिया और उनकी गांड को ऊँचा करके और स्वयं थोड़ा झुक कर अपने लंड को उसकी उभरी चूत में पीछे से डाल दिया।

भाभी मुड़ मुड़ कर देख रही थी कि मैं क्या कर रहा हूँ और जब मेरा लोहखंड उसकी चूत पर टिका कर मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा तो भाभी को तसल्ली हुई कि मैं उनकी गांड नहीं बल्कि चूत मार रहा हूँ।

भाभी के मुम्मों को अपने हाथों में लेकर धकों की स्पीड धीमे धीमे बढ़ानी शुरू की तो भाभी को अति आनन्द आने लगा क्यूंकि अब वो अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके पूरी तरह से जवाब देने लगी।

जैसा कि मुझको उम्मीद थी, भाभी सेक्स की इतनी प्यासी थी कि वो 10 मिन्ट भी धक्कों को नहीं बर्दाश्त कर सकी और जल्दी ही तेज़ी से कांपती हुई फिर झड़ गई।

अब उन्होंने अपने आप को सीधा किया और मेरे मुंह से मुंह जोड़ कर मुझ से बेतहाशा लिपट गई और मुझ को बारम्बार चूम्मियाँ देने लगी।
कुछ समय बाद हमको समय का बोध हुआ और हम जल्दी से बाहर निकले।
पहले भाभी निकली और उसके कुछ समय बाद मैं निकला।
भाभी जाकर अपनी साइड में लेट गई और उसकी एक तरफ मैं लेट गया।

और तभी रिया उठ कर बैठ गई और आँखें मलते हुए बोली- कहाँ गए थे आप दोनों?
चौंक कर बोली- कहीं नहीं रिया, बस बाथरूम गई थी मैं!

रिया बोली- सोमू को साथ लेकर जाना पड़ा, क्या डर लग रहा था भाभी?
मैं और भाभी एकदम सकते में आ गए।
अब रिया बोली- मैं सब जानती हूँ आप दोनों क्या कर रहे थे? मेरा हिस्सा कहाँ है?

कहानी जारी रहेगी।
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