मैं, मेरी बीवी और चचेरे भाई का सपना हुआ सच -10

(Mai, Meri biwi Aur Chachere Bhai Ka Sapna Hua Sach- 10)

राहुल मधु 2016-05-05 Comments

This story is part of a series:

मैं नीचे जाकर मधु को बोला- उसे रात की सारी बातें याद हैं।
मधु बोली- ठीक है, कोई नहीं, मैं हैंडल कर लूँगी।
मैं नहा कर आया, तैयार हुआ और ऑफिस चला गया।

इसके आगे की दास्ताँ मेरी बीवी लिख रही है।

जब ये ऑफिस जा रहे थे तो मैं बालकनी से इन्हें बाय कर रही थी, भैया भी मेरे पीछे आकर खड़े हो गए, वो भी राहुल को बाय का इशारा कर रहे थे और एक हाथ से बाय करते हुए दूसरे हाथ से उन्होंने मेरा कूल्हा दबा दिया।
मैंने पीछे मुड़ कर घूर कर उन्हें देखा जैसे मुझे अच्छा न लगा हो।

मैं अंदर आ गई, मैंने उनसे उस बारे में कुछ नहीं कहा, शायद वो भी डर से गए थे मेरे आँखों की ज्वाला से।
मैंने थोड़ा गुस्से में बोला- आप नहाकर आएंगे या मैं खाना लगा दूँ?
नीलेश भैया बोले- भाभी, आप गुस्सा हो क्या मुझसे? सॉरी प्लीज पर आप मुझसे ऐसे बात मत करो। मैंने अगर गलती की है तो आप मेरी पिटाई कर दो, पर ऐसे मत करो मेरे साथ।

मैंने कहा- आपने जो बाहर मेरे साथ किया वो, क्या वो सही था? यहाँ लोगों की आँखें हमेशा दूसरों के घर में ही झाँक रही होती हैं। आपका ऐसा व्यवहार मुझे पसंद नहीं आया।
नीलेश भैया थोड़े से चिंतित होते हुए, बोले- सॉरी भाभी, आगे से गलती हो तो उल्टा लटका के मारना पर अभी तो मुझे माफ़ कर दो। यह मेरी पहली और आखरी गलती थी।

मुझे अच्छा लगा कि उन्होंने अपनी गलती भी मानी और सॉरी भी बोला तो मैंने मुस्कुरा कर बोला- अब आप नाश्ता नहा कर करेंगे या अभी लेकर आ जाऊँ?
भैया बोले- मैं ज़रा फ्रेश हो आऊँ, फिर नाश्ता करता हूँ।

जब भैया बाथरूम में गए तो मेरे पास कोई काम नहीं था, कल रात की सारी बातें और हरकतें मेरी आँखों के सामने चल रही थी।
बस फिर क्या था, मैं बेधड़क बैडरूम से होती हुई बाथरूम में घुसने लगी।
हमारे बाथरूम में कुण्डी तो है पर वो लगाओ न लगाओ एक बराबर है, कुण्डी लगाने से दरवाज़ा अपने आप नहीं खुलता पर अगर को बाहर से धक्का मारे तो खुल जाता है।

मैंने देखा कि भैया कमोड पर बैठ कर मोबाइल पर कुछ करते हुए अपने लंड को भी सहला रहे थे, एकदम से मुझे बाथरूम में देखकर थोड़े शॉक हो गए और बोले- भाभी, मैंने कुन कुण्डी लगाई थी, सॉरी!मैंने कहा- सॉरी भैया, आप जो कर रहे हो, कर लो, मैं बस अपनी ब्रा पैंटी लेने आई थी, लेकर जा रही हूँ।

मैंने अपने अंडरगार्मेंट्स उठाये और बाहर आ गई, आकर मैंने अपने पति राहुल को मैसेज किया- डार्लिंग, तुम वापस आ जाओ, मुझे चुदना है।
‘हा हा… हा… हा… हा…’ पति का मैसेज आया- मैं तुझे रात को चोद दूँगा, अभी तेरे पास एक लंड है, उससे काम चला ले।
मैंने जवाब में लिखा- थैंक यू, बस यही पूछना था।

जैसे ही नीलेश भैया बाहर आये, मैंने कहा- भैया सॉरी, वो अकेले रहने की ऐसी आदत है कि याद ही नहीं रहा कि आप वहाँ हो सकते हो।भैया बोले- कोई नहीं भाभी, अब जो हो गया सो हो गया। आप नाश्ता दे दो, बहुत भूख लगी है।
मैं बोली- ओके भैया, अभी लेकर आती हूँ।

भैया ने तब तक टीवी पर अच्छे से गाने लगा दिए। उन्होंने नाश्ता किया, मैं बर्तन वगैरह लेकर किचन में चली गई और बर्तन साफ़ करने लगी।
भैया भी किचन में आ गये, बोले- भाभी पानी!
मैंने कहा- भैया, हाथ गंदे हैं, मैं अभी देती हूँ।
भैया बोले- नहीं, मैं ले लूंगा।

पानी पीकर बोले- मैं यहीं बैठ जाऊँ आपके पास? बातें करते हैं।
मैं तो चाहती ही यही थी, मैंने कहा- हाँ भैया।
वो प्लेटफार्म पर बैठ गए और सुबह के तेवर देखकर उनकी कुछ करने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी इसलिए इधर उधर की बातें कर रहे थे।
मैंने सोचा मुझे ही कुछ करना पड़ेगा, पर तुरंत ही मन पलट गया, मैंने सोचा मैं नहीं करूँगी, इन्ही से करवाऊँगी ,तभी तो ज्यादा मज़ा आएगा।
जब आदमी पहल करता है तो बहुत अच्छे से चुदाई करता है।

मैं सोच ही रही थी, तब तक भैया बोले- भाभी, आप बहुत अच्छी हो।
मैंने कहा- कैसे भैया?
तो भैया बोले- आप इतना स्वादिष्ट खाना बनाती हो, राहुल की कितना ध्यान रखती हो। हर मर्द अपने सपने में आप जैसी ही बीवी मांगता होगा।मैंने कहा- थैंक यू भैया।

फिर मैंने सोचा कि आदमी साला तारीफ़ सिर्फ इसलिए करता है जिससे उसे चूत मिल सके। अब मुझे भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। कल रात की घमासान चुदाई के बावजूद कितनी हिचक है अभी भी।

मैंने कहा- भैया, पैरों में बड़ा दर्द हो रहा है पर अगर बैठ गई तो काम कैसे होगा।
नीलेश भैया बोले- भाभी, आप बताओ, मैं कर देता हूँ।
मैंने कहा- नहीं भैया, ऐसा थोड़े ही होता है… लेकिन थैंक्स, आपने इतना सोचा।

नीलेश भैया फिर बोले- भाभी बताओ न, आपकी किस तरह मदद कर सकता हूँ। जो भी आपके किसी काम आ जाऊँ तो लगेगा कि जीवन सफल हो गया।
सेंटी डायलाग सुन कर मुझे हंसी आ गई, मैंने कहा- भैया आप मेरी कुर्सी बन जाओगे, मैं काम भी कर लूँगी और बैठ भी जाऊँगी।
भैया बोले- शौक से!

भैया घोड़ी बन गए, मैंने अपने फ्रॉक को थोड़ा उठाया और उनकी नंगी पीठ पर अपने नंगे चूतड़ रख दिए।
भैया की आँखें बंद होते हुए देखी थी मैंने, मुझे महसूस हो गया था कि इनकी टांगों के बीच का राकेट अब गुलाटियां खाने ही वाला होगा।
मैंने कहा- भैया, बैठक बहुत नीची हो गई है, मेरा हाथ सिंक तक नहीं जा रहा, रहने दीजिये, ऐसे काम नहीं हो पाएगा।
तो भैया बोले- रुकिए, मैं सीधा बैठ जाता हूँ आप मेरे कंधे पर बैठ जाइये।

मुझे आईडिया पसंद आ गया, मैंने कहा- ठीक है!
मैं उठी और भैया सीधे बैठ गए। पर वो मेरे से उलटी दिशा में मुंह किये हुए थे।
मैंने सोचा ‘यह भी ठीक ही है, सीधे मेरी चूत इनके मुंह के पास ही पहुंचेगी।
मैंने अपनी टांग उठाई और जान करके अपनी चूत के आगे फ्रॉक कर दी थोड़ा नाटक तो ज़रूरी था न।

अब मैं आराम से उनके कंधे पर बैठी हुई थी और वो मेरी टांगों को घुटने से नीचे सहला रहे थे।
मैंने पैंटी तो पहनी ही नहीं थी इसलिए उनकी गर्म साँसें तो मेरी चूत तक जा रही थी।

उन्होंने अपने हाथ को धीरे धीरे मेरी जांघों तक लेकर आना शुरू किया और अपने मुंह के पास से फ्रॉक को हटाने की कोशिश करने लगे। धीरे धीरे अपने हाथों और होंठों से वो कामयाब हुए और मेरी फ्रॉक के अंदर घुस गए और मेरी चूत सामने आते ही जीभ गहराई तक डाल दी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने घायल शेर को खून तो लगा ही दिया था इसलिए मैं उनके ऊपर से उठ गई और बोली- थैंक यू भैया, हो गया मेरा काम खत्म, सारे बर्तन धुल गए।
जैसे मुझे उनकी जीभ अपनी चूत पर महसूस ही नहीं हुई हो।

भैया थोड़े परेशान से होकर बोले- अरे भाभी थैंक्स कैसा? मुझे तो अच्छा लगा कि मैं आपके किसी काम तो आया। मैं ज़रा नहा कर आता हूँ।

वो अपने कपड़े टॉवल लेकर बाथरूम में चले गए लेकिन इस बार उन्होंने दरवाज़ा लगाया ही नहीं।
मैं बैडरूम में आई तो देखा कि वो नंगे नहा रहे हैं।
मैंने कहा- भैया, डोर तो बंद कर लेते?
तो भैया बोले- भाभी, क्या फायदा… वो वैसे भी खुल ही जाता है।
मैंने कहा- ठीक है।

उनका लंड अभी आधा खड़ा हुआ था और वो जान बूझ कर मेरी तरफ मुंह करके ही नहा रहे थे जिससे मैं उन्हें देखूँ।
उनका गीला नंगा बदन देखकर मेरी चुदने की तमन्ना और भी ज्यादा बढ़ गई, मैं बेधड़क बाथरूम में गई और बाथरूम में राहुल के कपड़े उठाने लगी।

अब नीलेश भैया की हिम्मत और बढ़ गई, उन्होंने कहा- क्या आप मेरी पीठ पर साबुन लगा देंगी?
मैंने थोड़ा नाटक करते हुए कहा- अगर आप जांघिया पहन कर नहाते तो ज़रूर लगा देती।
तो भैया के सब्र का बांध टूट गया, बोले- अब रात को मैंने आपका क्या और आपने मेरा कौन सा अंग नहीं देखा। अब काहे की शर्म… मैं तो आपसे कहने वाला था कि क्या आप मेरे लौड़े को साबुन लगा देंगी?
और हंस दिए।

उनकी बेबाकी मुझे बुरी नहीं लगी, मैंने कहा- पीठ की जगह वही बोला होता तो मैं थोड़े ही न मना करती।
और मैं भी हंस दी।
मैंने हाथ में साबुन लेकर उनकी पीठ पर मलना शुरू कर दिया।
भैया बोले- थोड़ा सा लंड पे भी लगा दो।

मैंने उनके लंड को नाजुकता के साथ पकड़ कर उनकी गांड, लंड और टांगों के बीच पूरी जगह अच्छे से साबुन लगा दिया।
वो बोले- अरे आप भी कपड़े पहन कर साबुन लगा रही हैं, आइये आपको अभी अच्छे से नहला दूँ।
इस पर मैंने कहा- मैं सुबह एक बार नहा चुकी हूँ।

खैर साबुन लगा कर पानी से अच्छे से धोकर मतलब पूरी तरह गर्म करके मैं उन्हें उसी हालत में छोड़ आई। वो बाथरूम से अच्छे से पौंछ कर बिना कपड़ों के ही बाहर आ गये।
मैंने कहा- भैया, आप नंगे ही बाहर आ गये?
तो वो बोले- हाँ मधु भाभी, अब आपसे शर्म नहीं आ रही।

कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top